श्रीमद्भगवतगीता (आरती)
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🙏आरती गीता जी की🙏
करो आरती गीता जी की।।
जग की तारण हार त्रिवेणी, स्वर्गधाम की सुगम नसेनी।
अपरम्पार शक्ति की देनी, जय हो सदा पुनिता की
ज्ञानदीन की दिव्य-ज्योतिमां, सकल जगत की तुम विभूति मां।
महा निशातीत प्रभा पूर्णिमा, प्रबल शक्ति भी भीताकी।। करो.
अर्जुन की तुम सिदा दुलारी, सखा कृष्ण की प्राण प्यारी।
षोडश कला पूर्ण विस्तारी, छाया नम्र विनीता की।। करो..
श्याम का हित करने वाली, मन का सब मल हरने वाली।
नव उमंग नित भरनेवाली, परम प्रेरिका कान्हा की।। करो..
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🙏आरती श्री गणेश जी की🙏
जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।
लड्डूवन का भोग लगे सन्त करे सेवा।
एकदन्त दयावन्त चार भुजा धारी।
मस्तक सिंदूर सोहे मौसे की सवारी।
अन्धन को आंख डेट कोढ़िन को काया।
बाझन को पुत्र डेट निर्धन को माया।
पान चढें फूल चढें और चढ़ें मेवा। लड्डूवन का भोंगे लगे सन्त करे सेवा।
दिनन की लाज राखो शम्भू-सूट वारी। कामना को पूरा करो जग बलिहारी।
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🙏आरती श्रीकृष्ण जी की🙏
आरती युगल किशोर की कीजे।
राधे धन न्यौछवार कीजे।। टेक।।
रवि शशि कोटि बदन की शोभा, तेहि निरख मेरा मन लोभा ।।१।।
गौर श्याम मुख निरखत रीझे, प्रभुबका स्वरूप नैन भर पीजे।।२।।
कंचन थार कपूर की बाती, हरि आये निर्मल भई छाती।।३।।
फूलन की सेज फूलन की माला, रतन सिंहासन बैठे नंदलाला।।४।।
मोर मुकुट कर मुरली सोहे, नटवर वेष देख मन मोहे।।५।।
थाधा निल पीतपट सारी, कुंज बिहारी गिरवर धारी।।६।।
श्री पुरुषोत्तम गिरवर धारी, आरती करत सकल ब्रजनारी।।७।।
नंद लाल बृषभानु किशोरी, परमानन्द स्वामी अविचल जोरी।।८।।
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🙏आरती कुन्ज बिहारी की🙏
आरती कुन्ज बिहारी की, गिरधर कृष्ण मुरारी की।
गले में वैजन्ती माला, बजावें मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुंडल झल काला, नंद के आनन नन्दलाला।
नन्द के आनन्द मोहन बृजचन्द, राधिका रमण बिहारी की।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली
लतन में ठाड़े बनमाली, भमर-सी अलक, कस्तूरी, तिलक, चंद्र सी झलक ललित छवि श्यामा प्यारी की
कनकमय मोर मुकुट बिलसें, देवता दर्शन को तरसें।
गगन मे सुमन बहुत बरसें बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, गवालीनी संग, अतुल रति गोप कुमारी की।।
जहां से प्रकट भई गंगा, कलुष कली हारिणी श्री गंगा, स्मरण से हिट मोह भंगा, बसी शिव शीश, जटा के बीच, हरै अध कीच, चरण छवि श्री बनवारी की।।
चमकती उज्ज्वल तट रेणू, बजा रहे वृन्दावन वेणू, चहां दिशि गोपी ग्वाल धेनु, हंसत मृदु मन्द, चांदनी चंद, कटत भवफन्द, तर सुनो दिन भिखारी की। श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की।
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🙏आरती श्री जगदीश जी की🙏
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे। भक्त जनन के संकट क्षण में दूर करे। ॐ जय.....
जो ध्यावे फल पावे दुख विनसे मन का। सुख सम्पत्ति घर आवे कष्ट मिटे तन का। ॐ जय.......
मात-पिता तुम मेरे शरण गहूँ मैं जिसकी। तुम बिन और न दूजा आस करुं जिसकी। ॐ जय.....
तुम पूरण परमात्मा तुम अन्तर्यामी। पारब्रम्हा परमेश्वर तुम सबके स्वामी। ॐ जय......
तुम करुणा के सागर तुम पालन कर्ता। मैं मूरख खल कामी कृपा करो भर्ता। ॐ जय.....
तुम हो एक अगोचर सबके प्राणपति। किस विधि मिलूं दयामय तुमको मैं कुमति। ॐ जय....
दीनबन्धु दुःखहर्ता तुम रक्षक मेरे। अपने हाथ उठाओ द्वार पड़ा तेरे। ॐ जय.....
विषय विकार मिटाओ पाप हरो देवा। श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ सन्तन की सेवा। ॐ जय.......
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🙏श्री तुलसी जी की आरती🙏
जय जय तुलसी माता, सबकी सुख दाता वर माता। सब योगों के ऊपर, सब रोगों के ऊपर।
रज से रक्षा करके भव त्राता। बहु पुत्री है श्यामा, सूर वल्ली है ग्राम्या, विष्णु प्रिय जो तुमको सेवे सो नर तर जाता।
हरि के शीशा विराजत त्रिभुवन से हो वंदित, पतित जनों की तारिणी तुम हो विख्याता।
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में, मानव लोक तुम्हीं से सुख सम्पत्ति पाता।
हरि को अति प्यारी श्याम वर्ण सुकुमारी, प्रेम अजब है श्री हरि का तुम से नाता।
जय जय तुलसी माता।
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🙏श्री गंगा जी की आरती🙏
ॐ जय गंगे माता, श्री गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता।
चन्द्र सी ज्योति तुम्हारी जल निर्मल आता।
शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता।
पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता।
कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता।
एक ही बार भी जो नर तेरी शरणगति आता।
यम की त्रास मिटा कर, परम गति पाता।
आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता।
दास वही सहज में मुक्ति को पाता।
ॐ जय गंगे माता।
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💝~Durgesh Tiwari~