The Author Deeps Gadhvi Follow Current Read जैसलमेर बोर्डर - 1 By Deeps Gadhvi Hindi Fiction Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books My Devil Hubby Rebirth Love - 55 अब आगे छिपकली सुन कर उस लड़की ने अपने हाथों की मुट्ठी गुस्से... तेरी मेरी यारी - 12 (अंतिम भाग) (12)मकान पर पहुँच कर संजय ने दरवाज़ा खटखटाया। रॉकी ने... मोमल : डायरी की गहराई - 38 पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स ने खुद पर काबू तो कर लिय... Secret Billionair जंगलों के बीचों बीच बना एक सुनसान घर जिसके अंदर लाशों का ढेर... बैरी पिया.... - 58 अब तक : शिविका बोली " क्या आप खिला सकती हैं दादी... ?? " ।शि... 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पता करो की हाल हीं में कोई नया रहेने को आया हें जो जमात हे तालुकात रखते हो, पर यह केसे मान ले की वो लोग जमाती हीं होंगे,,,,???? क्योंकि वो लोगे के पास कराची का जमातीनामे का एक और आइडी प्रूफ था, कौन सी जमात,,,???? अरे शेखावत कमाल करते हो यार,अगर उनके लोग हमारे शहर में घुस चुके हे तो वो लोग जमाती का कोई प्रूफ साथ मे लेके घूमेगा क्यां,,,,!!!! फीर पता केसे करे हुकुम,,,,???? एक रास्ता हे,,,,!!!!सायद काम आ जाए। अच्छा कोण सा रास्ता हुकुम,,, उन चार लोगों मे से एक को चारा बना के शहेर मे छोड़ देते हे,और हम उनका पीछा करते हे,अगर उस चारे को मीलने कोई आता हे तो समझो कि पुरी पलटने हाथ आ गई, वाह सर आईडिया तो चोखा हे आपका हुकुम बस माताराणी की क्रीपा से काम कर जाना चाहिए, तो मे सब कुछ रेडी करता हुँ बस एक बार केंस मेरे हाथ में सोंप दे, जी बिलकुल। ओके जय हिन्द। जय हिन्द सर। 12 फ़रवरी तकरीबन ग्यारह बजे के आसपास में जयपुर के लिए रवाना हो गया आइ जी ऑफ़िस में, जी जय हिन्द सर, अरे गढवी आओं आओ,जय हिन्द,बोलो केसे आना हुआ, सर आपको तो मालुम ही है की कुछ पाकिस्तानी मिलिट्रन मीले हे,बस उसी सिलसिले में आपसे बात करनी थी, हा तो बोलो क्यां बात हैं, जी सर वो केंस अगर हम ले लेते तो अच्छा होता,क्योंकि मुझे एसा लग रहा हे की वो लोग जो सायद अंदर घुस चुके हे वो लोग हमे उन पाकिस्तानी मिलिट्रन के जरिए हमे गुमराह करने की साजिश कर रहे हे,ताकी हम उन मिलिट्रन में बीझी हो जाएँ और वो लोग अपना मकसद मे कामयाब हो जाए, देखो यार गढवी तुम्हारी सोंच वाकेय में क़ाबिले तारीफ़ है लेकिन अगर एसा कुछ नहीं हुआ और वो लोग रास्ता भुल कर के बोर्डर क्रोस कर गये थे,और यह बात सच नीकली तो हमारे हालात तुम्हें तो पता ही हे कैसे हें पाकिस्तानीयो के साथ,फिर वो जवाब में हमारे लोग जो वहा बंदी हे उनको तकलीफ पहोचा सकते हे,और राजनैतिक जो बहस-मुबाहिसे होंगी वो अलग से, लेकीन सर अगर मेरी बात सच नीकली और कुछ ऐसी तबाही मच गई जिसकी हमें ख़बर थी लेकीन हम आपसी मामलों में उलझ गये और हादसा हो गया,फीर एसा अफसोस करके भी कुछ मुनाफा नहीं होगा लेकिन एक कोशिश करके देखने मे हर्ज़ ही क्यां हे,अगर कुछ हाथ ना लगा तो फीर हम वापस हमारी आर्मी को शोंप देंगे, चलो में कुछ करता हूँ, नहीं सर मे हुं यहा पर पुरा दिन,मुजे वो लोग आज ही चाहिए,ताकी हम जल्द से जल्द पता लगा पाएँ, यार बड़े ज़िदी आदमी हो तुम, सर देश का सवाल है अब थोडा तो जिंदी होना ही चाहिए, हा चलो थीक हे,देखता हूँ क्यां होता हे, ओके सर थेन्क्यु,जय हिन्द जय हिन्द। चलो एक काम तो पुरा हुआ,अब रंजीत सर को फोन करता हुँ, हा हेलो सर जय हिन्द, जी हुकुम फरमाए, जी मीला कुछ मेरे लिए, जी हुकुम मील मे तो कुछ खास नहीं है बस उनको मटन खिला रहे हे, अच्छा,'देखिए जरा कुछ मीलता हे तो बतायेगा जरुर, जी जी करता हुँ कुछ,जय हिन्द, जय हिन्द, और सर कैसें हे आप, अरे अब्दुल,यहा कैसे, बस सर आपकी दुआओं से और अल्लाह के रहमोकरम से यहा ड्यूटी जोइन कीये हे, अरे वाह बहेतर हे दिल्ली से तो क्यूँ , हा सर बहेतर तो हे लेकीन कोई भरोशा अभी भी नहीं कर रहा हे, अरे तुम ऐसे क्यूँ सोचते हो यार,बस ईमान से ड्यूटी करो उनको भरोशा अपने आप हो जाएगा, जी सर ख्वाहिश तो यही हे,लेकीन अगर आपके साथ होता तो बात ही कुछ और होती, हा तो उसमें कोंन सी बड़ी बात हम तुम्हें हमारे साथ रखेंगे,मे आइ जी साहब से बात करता हुँ थीक हे, जी अल्लाह आपको लंबी उम्र दे, अरे भाइ हमे उम्र की नहीं तुम जेसे पाक इन्सान की जरूरत हे, जी पाक तो अल्लाह ताला हे,हम तो इन्सान हे,फीर भी आप जैसे हीं हमे इन्सानीत शीखाते हे, बस कर पगले अब रुलावेगा क्यां,चल आ खाना खाते हे लेकीन शुद्ध शाकाहारी भोजन ओके, क्यूँ सर ट्रेनिंग में तो आप हम सब से आगें थे, अरे हा यार लेकीन शादी होने के बाद सब छोड ना पडा और उपर से बाप बनने वाला हुं, वाह क्यां बात हे,मतलब में मामा बनने वाला हुं, और क्यां,,,,,कोइ एसी जगह ले चल जहा हम प्राइवेट में बात कर शके, जी चलीये तो फीर मेरे क्वाटर, ओ नहीं यार, कोई एसी जगह चलतें है ना जहाँ हम अपने सिस्टम पर काम और प्लान कर सके, जी बहेतर आइए, और अब्दुल यार एक बड़ी बात हाथ लगीं हैं जो सायद सच भी हो और झूठ भी, अच्छा कौन सी बात,,,,??? कुछ लोग हाथ आएँ है,जैसलमेर की बोर्डर पर,और मुझे नहीं लगता की वो लोग रास्ता भटक गये लोग है, कितने लोग है,,,,??? पांच है और उसमें से एक पंदरा साल का लड़का भी है,,,! हा मालूम था कि कोई बच्चा जरूर साथ में होगा, क्यूँ ऐसा क्यूँ लगा तुम्हें अब्दुल,,,,???? अरे सर उनको मालुम है कि हम बच्चों के मामलों में कितने इमोसनल है,और हमारी आर्मी और हमको यक़ीन दिलाने के लिए की हम वाकेय मे रास्ता भुल चूके चरवाहे है,,,,!!!! अच्छा,,,,,हो सकता है,,,,तो क्यां बच्चे से एक बार बातचीत करके देखे क्यां,,,,सायद कुछ हाथ लग जाएँ,,,! करिए लेकिन मुझे नहीं लगता कि कुछ मीलेगा,वो बहोत ही ट्रेन किया हुआ होगा,आप क़साब को हि ले लीजिये जब वो लोगो के बीच में था तो कीसीको पता था कि वो लासों कि ढेर लगा देगा,,,,और जब हाथ आया तभ भी कितना नादान और मासूम जैसा लग रहा था,उन लोगों को तालिम ही ऐसी दि जातीं हैं कि आप थक जाओगे पूछते पूछते लेकिन वोह जबान नहीं खोलेगा,,,,! तो फिर क्यां करें और कोई रास्ता है तुम्हारे दिमाग में,,,? रास्ते तो कई है मगर हमारा सिस्टम इजाज़त नहीं देगा,, ! अरे तुम बोलो तो सही,मे हुना सब संभाल लूंगा,,,,, उनकी जुबान पर सवालात कीजिए और हो सके तो उनमें से एक को शहर की तरफ़ रवाना किजीए और देखे की वो कहा जाता है, अरे यार अब्दुल यह प्लान तो मेने भी बनाया है और उसी प्लान की इजाज़त मांगने मे आइ जी साहब के पास आया हुं, सर कैसे करेंगें यह तो नहीं पता मगर एक और तरीका है जिसे यह साबित हो जाएगा कि वो लोग पाकिस्तानी मिलिट्रन है या फिर राह भटकें हुऐ आम इन्सान, पर यार एक बात दिमाग बहोत खटक रही है की लाहौर और रावलपिंडी के से राह केसे भटक सकते है,जब की हमारी सरहद से मुल्तान और फैसलाबाद नजदीक पड़ता है पर लाहोर भी नजदीक है पर यह रावलपिंडी वाले खटक रहे है, जी सर आपकी बात सही दिशा में जा रही है मगर कोई तो है जो उनकी मदद हिन्दुस्तान से कर रहा है,या फिर वो लोग हथियार के सप्लायर भी हो सकते हैं या फिर कोई धमाके की तैयारी कर रहे है, उनकी आइ.डी भी कुछ मेल नहीं खा रही है अब्दुल नकी कोई गडबड है पर मुझे उर्दू नहीं आती है इसलिए सही से पढ़ नहीं पाया, कोई बात नहीं सर आप आइ.डी के फोटो मंगवाए मै देखता हूँ, नहीं यार अबी कैस कहा हाथ लगा है, सर केस का तो पता नहीं अगर हमने कुछ किया नहीं तो देश को ज़रूर नुकसान होगा, अच्छा मै कुछ करता हूँ, मैंने एक बहोत बड़ी ग़लती कर दी की मैने मेजर जयप्रकाश को फ़ोन किया, हा हेलो जय कैसा है भाइ, बस बढिया तु बता,,, कोइ नहीं यार एक काम था, हा बोल यार तेरे लिए कुछ भी, एक पर्सनली डिटेल्स निकाल नी है,अपनी आइडी से पाकिस्तान के कुछ मिलिट्रन जैसलमेर में की बोर्डर पर पकड़े गए हैं, अरे यार बहोत मुश्किल है यार, क्यूँ क्यां होगा गया, बिना परमीशन से मे कीसी की आइडी चेक नहीं कर सकता उसके लिए तुम्हें कर्नेल आदित्य की परमीशन लेनी पड़ेगी और कर्नल आदित्य कौन है वो मुझे बताने की जरुरत नहीं है, अरे वो तो कश्मीर में थे अचानक यहा कैसे, क्या बताऊँ यार सिस्टम को बहोत बारीक़ी जांच से करते हैं और यदि हमने उनके दिये गये काम के अलावा और कोई काम करता हुँ तो एक ईमेल द्वारा उनको पता चल जाता है की मैने कोई और फ़ाइल खोल कर काम कर रहा, किसे से बात कर रहे हो,कौन है फोन पर, जी कर्नेल सर वो जैसलमेर के एस.पी दीपक गढवी से बात कर रहा हूँ, एक मिनट मुझे देना फ़ोन... हा हेलो गढवी जी यु छुप छुप कय फ़ोन करने का प्रयास क्यु,,,,???? क्या आप मुझे नहीं बता सकते,,,,!!!! अरे सर एसा नहीं हे,यहा जैसलमेर में कुछ पाकिस्तानी मिलिट्रीन बोर्डर क्रोस करके आएँ हे और मुझे उनकी आइडी को identifying करवाना था, अरे गढवी जी आपको मालुम नहीं क्याँ वो केस तो IAID(Indian Army Investigation Department)के पास चला गया,,,, नहीं सर मैंने टाईम मांगा था,ऐसे कैसे वोह केस को IAID को दे सकते हैं, अरे गढवी जी आपके डि.आइ.जी सर से मालूमात करे क्रिपीआ फ़िर अगर एसा होगा तो हम आपकी ज़रुर मदद करेंगे यह वादा हे, जी ठीक हे सर मे कुछ करता हुँ, सर क्याँ हुआ,,,,???? अरे यार अब्दुल केस IAID के पास चला गया हे,जब की में अभी उनसे टाइम मांग कर आ रहा हूँ, तो एक बार सर के बात कर के देख लीजिए वोह क्यां कहते हे, हा करनी हीं पडेगी,,,,, हेलो सर यह भे क्या सुन रहा हूँ कि आपने केस हमारे पास लेने के बजाए आप IAID को देने में सहमत हो गए,? अरे गढवी तो क्या करु तुम ही बताओ,मुझे कुछ रुल्स हे जो फोलो करना पड़ता है, पर सर यदि कोइ कांड हो गया यहा जैसलमेर और जयपुर में तो फ़िर, फ़िर क्या,हम बता देंगे उनको के हमने तो आपको पहेले ही कहा था पर आपने हमारी ना सुनी और यह हो गया, पर सर होने से पहेले हमें कुछ करना चाहिए, तो क्या करने का प्लान हे तुम्हारे पास, अरे मेरे पास बस एक ही तरीका हे की उनमें से एक को चारा बनाना, हा तो तुम अपनी तरफ से तहकीकात शुरु करो,बाकी सब मेरे पर छोड़ दो, जी थीक हे,जय हिन्द, ओके जय हिन्द,,,,,, इतने मे मुजे कर्नेल का फ़ोन आया, जी हुकुम, आइए आपके लिए एक दावत हे, अच्छा,,,,,कुछ हाथ लगा क्यां,,,,, अरे आप आइए तो सही,,,, जी आ रहा हूँ,,,,, अब्दुल मे आइ,जी साहब से बात कर लूंगा तुम मेरे साथ चलो, जी बहेतर सर,,,,,, में जैसलमेर गया और बोर्डर पर पहोचा और मेने देखा की एक मिलिट्रन के पास कुछ एसा था जो देश को तहेस नहस करने का पुरा प्लान था,,,,,,,,,,,,,,,, › Next Chapter जैसलमेर बोर्डर - 2 Download Our App