The Author Deeps Gadhvi Follow Current Read जैसलमेर बोर्डर - 1 By Deeps Gadhvi Hindi Fiction Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books ખજાનો - 83 અચાનક ગાડી ઊભી રહી જવાને કારણે એક પછી એક બધા યુવાનો જાગી ગયા... જીવન એ કોઈ પરીકથા નથી - 5 "જીવન એ કોઈ પરીકથા નથી"( ભાગ-૫)સમીરના ફોન પર અજાણ્યો કોલ આવે... શ્યામ રંગ....લગ્ન ભંગ....5 ભાગ-5કોલેજ ના દિવસો એટલે કોલેજીયન માટે તો ગોલ્ડન ડેઈઝ.અનંત ત... ક્ષમા વીરસ્ય ભુશણમ क्षमा बलमशक्तानाम् शक्तानाम् भूषणम् क्षमा। क्षमा वशीकृते... ભીતરમન - 56 હું કોઈ બહુ જ મોટા પ્રસંગની મજા લેતો હોઉ એવો મારો આજનો જન્મદ... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Novel by Deeps Gadhvi in Hindi Fiction Stories Total Episodes : 2 Share जैसलमेर बोर्डर - 1 (6) 2.3k 6.5k 2 ज़िदगी के सफ़र मे ना जानें किस मोड़ पर क्यां होता हे क्यूँ होता हे उनका ना तो हम अंदाजा लगा सकते हैं और ना तो हमें उनकीं खबर होतीं हैं,जाने हुए रास्तों पर भी मैंने ऐसे मोड़ पर गहरा जख्म खाया है,पोलिस की ड्यूटी होती हीं ऐसी है जहाँ पर हमें सिर्फ सिस्टम को फोलो करना होता है,लेकीन सिस्टम फोलो करने पर जान तो हमारी ही दाव पर लगती हें ना, यह उस रोज़ की बात हें जब में राजस्थान में अपनी ड्यूटी कर रहा था,एक आइपीएस होंने के नाते मुझे एक जिम्मेदारी सौंपी गई थीं और उसी जिम्मेदारी ने मुझे मौत की नींद सुला देना का पुरा प्लान था,मगर तकदीर ने साथ ना दिया होता तो वो लोग मुझे मारने में और जैसलमेर को तबाह करने में कामयाब हो जाते,मगर यह हो ना सका और उसकी बड़ी वज़ह में था, 11 फ़रवरी रात तकरीबन दो बजे के आसपास जब मे, मे मेरे घर पर था तो शेखावत का फोन आया की कुछ लोग दिखे हें आर्मी वाले को जो बोर्डर क्रोस करते हुए आ रहें थे, और दिसीपी साहब ने मुझे बोर्डर पर जाने के लिये बोला, जैसलमेर की बोर्डर बड़ी सख़्त थी मगर पता नहीं अचानक कुछ हंमेशा ऐसा हो ही जाता है की बोर्डर के उस पार से पाकिस्तानी घूस ही जाते है, मगर इस बात मुझे वहा जाना था और उन लोगों की सनाक करनी थी फीर मे आर्मी बोर्डर केंम्प की और कार लेके गया और वहां मुझे अपनी पहेचान देनी थी, दिपक गढवी,आइपीएस जैसलमेर ज़िला सर। फीर मे अंदर गया और तकरीबन चार लोग थे,मेने वहा के लेटएन्ड कर्नल रंजीत सर से बोला की मुझे पूछताछ के लिए अंदर जाने दे फीर मे अंदर गया और उनको उनसे बात की तो पता चला की वह रास्ता भुल चुके थे और गलती से राजस्थान बोर्डर पे आ गये थे,उनके पास कराची की पहचान थी और कुछ खाने पीना का समान था,इसके अलावा और कुछ मीला नहीं था तो मे रंजीत सर के पास वापस गया, सर क्यां लगता हे आपको, अरे हुकुम हमे क्यां पता,हमे तो बस ऑर्डर फोलो करने हे, क्यां आपको लगता हे की यह लोग पाकिस्तानी मील्रटन हे, जी हुकुम आपके और मेरे लगने से क्यां होगा,लेकीन क्यां मालुम की उनकी फ़ौज यहा पर माल लेके पहेले सी आ गई हो और इनके आने का इंतजार कर रहे हो, जी हुकुम हो सकता हे,मेरे लिए क्यां हुक़्म है, जी सुबह हो जानें दिजीये जब हमारे बडे अफ़सर लोगे जागेंगे तब आगे की कार्रवाई शुरू होगी, फिलहाल मे निकलूं सर,सुबह मीलते हे, अरे हुकुम अब सुबह होने में टाईम क्यां बचा हे,आइये एक एक द्रिक लेते हे, जी हुकुम शुक्रिया पर मे पिता नहीं हुं, क्यां हुकुम आप भी ना कमांडर ट्रेनिंग के दौरान आपने हमारी बटालियन के साथ खुब मज़े किये थे, जी हुकुम पर तब मेरी शादी भी कहाँ हुई थी और अब तो मे बाप बनने जा रहा हुं तो छोड़ दी, अरे वाह जी वाह लख लख बधाईया हुकुम, जी शुक्रिया,चलो मीलते हे, जी जय हिन्द जय हिन्द। रंजीत सर की बात पे गोर कीया जाएँ तो ऐसा हो सकता हे की उनके लोग पहेले से यहा आ गये हो और कुछ बड़ा करने की सोच रहे हो,लेकीन आख़िर क्या बड़ा करेंगे कहा करेंगे,जयपुर के आईपीएल मैच मे,,,,!!!लेकीन वोह तो अभी काफ़ी सारा टाईम बचा हुआ हे,उनके पास उनकी आईडी भी हें,अगर वो लोग कुछ करने की सोचते तो अपनी रियल आइडी प्रूफ क्योँ लाते,,,,!!!!कुछ भी हो हर हाल में मुझे यह केंस हाथ में लेना होंगा वर्ना यह लोग यहा रहेके हमको गुमराह करके उनके लोग काम को अंजाम दे देंगे तो,हा एसा हो सकता हे,यह एक चाल हो सकती सी,टी पोलिस को गुमराह करने की,लेकीन यह मे होंने नहीं दूंगा चाहे जो हो जाएँ, मे घर पर वापस आ गया था और शेखावत को फोन किया, हा हालो शेखावत मुझे कोई ना कोई गड़बड़ लग रही हे, अच्छा,केसी गड़बड़ हुकुम, जब में उन लोगो से बात कर था बारी बारी से तो उन सबका बयान एक जैसा ही था, तो आपको क्यां लगता हे की वो लोग पाकिस्तानी मिलिट्रीन नहीं हे, ना नहीं,वो लोग हे पाकिस्तानी मिलिट्रीन,लेकीन सायद वो हमे यानी के पुलिस को गुमराह करने की कोशिश कर रहे है,ताकी उनके लोग सी,टी मे कुछ बडा कर शके, अच्छा,तो हुकुम मेरे लिए क्यां आर्डर हे,,,??? पता करो की हाल हीं में कोई नया रहेने को आया हें जो जमात हे तालुकात रखते हो, पर यह केसे मान ले की वो लोग जमाती हीं होंगे,,,,???? क्योंकि वो लोगे के पास कराची का जमातीनामे का एक और आइडी प्रूफ था, कौन सी जमात,,,???? अरे शेखावत कमाल करते हो यार,अगर उनके लोग हमारे शहर में घुस चुके हे तो वो लोग जमाती का कोई प्रूफ साथ मे लेके घूमेगा क्यां,,,,!!!! फीर पता केसे करे हुकुम,,,,???? एक रास्ता हे,,,,!!!!सायद काम आ जाए। अच्छा कोण सा रास्ता हुकुम,,, उन चार लोगों मे से एक को चारा बना के शहेर मे छोड़ देते हे,और हम उनका पीछा करते हे,अगर उस चारे को मीलने कोई आता हे तो समझो कि पुरी पलटने हाथ आ गई, वाह सर आईडिया तो चोखा हे आपका हुकुम बस माताराणी की क्रीपा से काम कर जाना चाहिए, तो मे सब कुछ रेडी करता हुँ बस एक बार केंस मेरे हाथ में सोंप दे, जी बिलकुल। ओके जय हिन्द। जय हिन्द सर। 12 फ़रवरी तकरीबन ग्यारह बजे के आसपास में जयपुर के लिए रवाना हो गया आइ जी ऑफ़िस में, जी जय हिन्द सर, अरे गढवी आओं आओ,जय हिन्द,बोलो केसे आना हुआ, सर आपको तो मालुम ही है की कुछ पाकिस्तानी मिलिट्रन मीले हे,बस उसी सिलसिले में आपसे बात करनी थी, हा तो बोलो क्यां बात हैं, जी सर वो केंस अगर हम ले लेते तो अच्छा होता,क्योंकि मुझे एसा लग रहा हे की वो लोग जो सायद अंदर घुस चुके हे वो लोग हमे उन पाकिस्तानी मिलिट्रन के जरिए हमे गुमराह करने की साजिश कर रहे हे,ताकी हम उन मिलिट्रन में बीझी हो जाएँ और वो लोग अपना मकसद मे कामयाब हो जाए, देखो यार गढवी तुम्हारी सोंच वाकेय में क़ाबिले तारीफ़ है लेकिन अगर एसा कुछ नहीं हुआ और वो लोग रास्ता भुल कर के बोर्डर क्रोस कर गये थे,और यह बात सच नीकली तो हमारे हालात तुम्हें तो पता ही हे कैसे हें पाकिस्तानीयो के साथ,फिर वो जवाब में हमारे लोग जो वहा बंदी हे उनको तकलीफ पहोचा सकते हे,और राजनैतिक जो बहस-मुबाहिसे होंगी वो अलग से, लेकीन सर अगर मेरी बात सच नीकली और कुछ ऐसी तबाही मच गई जिसकी हमें ख़बर थी लेकीन हम आपसी मामलों में उलझ गये और हादसा हो गया,फीर एसा अफसोस करके भी कुछ मुनाफा नहीं होगा लेकिन एक कोशिश करके देखने मे हर्ज़ ही क्यां हे,अगर कुछ हाथ ना लगा तो फीर हम वापस हमारी आर्मी को शोंप देंगे, चलो में कुछ करता हूँ, नहीं सर मे हुं यहा पर पुरा दिन,मुजे वो लोग आज ही चाहिए,ताकी हम जल्द से जल्द पता लगा पाएँ, यार बड़े ज़िदी आदमी हो तुम, सर देश का सवाल है अब थोडा तो जिंदी होना ही चाहिए, हा चलो थीक हे,देखता हूँ क्यां होता हे, ओके सर थेन्क्यु,जय हिन्द जय हिन्द। चलो एक काम तो पुरा हुआ,अब रंजीत सर को फोन करता हुँ, हा हेलो सर जय हिन्द, जी हुकुम फरमाए, जी मीला कुछ मेरे लिए, जी हुकुम मील मे तो कुछ खास नहीं है बस उनको मटन खिला रहे हे, अच्छा,'देखिए जरा कुछ मीलता हे तो बतायेगा जरुर, जी जी करता हुँ कुछ,जय हिन्द, जय हिन्द, और सर कैसें हे आप, अरे अब्दुल,यहा कैसे, बस सर आपकी दुआओं से और अल्लाह के रहमोकरम से यहा ड्यूटी जोइन कीये हे, अरे वाह बहेतर हे दिल्ली से तो क्यूँ , हा सर बहेतर तो हे लेकीन कोई भरोशा अभी भी नहीं कर रहा हे, अरे तुम ऐसे क्यूँ सोचते हो यार,बस ईमान से ड्यूटी करो उनको भरोशा अपने आप हो जाएगा, जी सर ख्वाहिश तो यही हे,लेकीन अगर आपके साथ होता तो बात ही कुछ और होती, हा तो उसमें कोंन सी बड़ी बात हम तुम्हें हमारे साथ रखेंगे,मे आइ जी साहब से बात करता हुँ थीक हे, जी अल्लाह आपको लंबी उम्र दे, अरे भाइ हमे उम्र की नहीं तुम जेसे पाक इन्सान की जरूरत हे, जी पाक तो अल्लाह ताला हे,हम तो इन्सान हे,फीर भी आप जैसे हीं हमे इन्सानीत शीखाते हे, बस कर पगले अब रुलावेगा क्यां,चल आ खाना खाते हे लेकीन शुद्ध शाकाहारी भोजन ओके, क्यूँ सर ट्रेनिंग में तो आप हम सब से आगें थे, अरे हा यार लेकीन शादी होने के बाद सब छोड ना पडा और उपर से बाप बनने वाला हुं, वाह क्यां बात हे,मतलब में मामा बनने वाला हुं, और क्यां,,,,,कोइ एसी जगह ले चल जहा हम प्राइवेट में बात कर शके, जी चलीये तो फीर मेरे क्वाटर, ओ नहीं यार, कोई एसी जगह चलतें है ना जहाँ हम अपने सिस्टम पर काम और प्लान कर सके, जी बहेतर आइए, और अब्दुल यार एक बड़ी बात हाथ लगीं हैं जो सायद सच भी हो और झूठ भी, अच्छा कौन सी बात,,,,??? कुछ लोग हाथ आएँ है,जैसलमेर की बोर्डर पर,और मुझे नहीं लगता की वो लोग रास्ता भटक गये लोग है, कितने लोग है,,,,??? पांच है और उसमें से एक पंदरा साल का लड़का भी है,,,! हा मालूम था कि कोई बच्चा जरूर साथ में होगा, क्यूँ ऐसा क्यूँ लगा तुम्हें अब्दुल,,,,???? अरे सर उनको मालुम है कि हम बच्चों के मामलों में कितने इमोसनल है,और हमारी आर्मी और हमको यक़ीन दिलाने के लिए की हम वाकेय मे रास्ता भुल चूके चरवाहे है,,,,!!!! अच्छा,,,,,हो सकता है,,,,तो क्यां बच्चे से एक बार बातचीत करके देखे क्यां,,,,सायद कुछ हाथ लग जाएँ,,,! करिए लेकिन मुझे नहीं लगता कि कुछ मीलेगा,वो बहोत ही ट्रेन किया हुआ होगा,आप क़साब को हि ले लीजिये जब वो लोगो के बीच में था तो कीसीको पता था कि वो लासों कि ढेर लगा देगा,,,,और जब हाथ आया तभ भी कितना नादान और मासूम जैसा लग रहा था,उन लोगों को तालिम ही ऐसी दि जातीं हैं कि आप थक जाओगे पूछते पूछते लेकिन वोह जबान नहीं खोलेगा,,,,! तो फिर क्यां करें और कोई रास्ता है तुम्हारे दिमाग में,,,? रास्ते तो कई है मगर हमारा सिस्टम इजाज़त नहीं देगा,, ! अरे तुम बोलो तो सही,मे हुना सब संभाल लूंगा,,,,, उनकी जुबान पर सवालात कीजिए और हो सके तो उनमें से एक को शहर की तरफ़ रवाना किजीए और देखे की वो कहा जाता है, अरे यार अब्दुल यह प्लान तो मेने भी बनाया है और उसी प्लान की इजाज़त मांगने मे आइ जी साहब के पास आया हुं, सर कैसे करेंगें यह तो नहीं पता मगर एक और तरीका है जिसे यह साबित हो जाएगा कि वो लोग पाकिस्तानी मिलिट्रन है या फिर राह भटकें हुऐ आम इन्सान, पर यार एक बात दिमाग बहोत खटक रही है की लाहौर और रावलपिंडी के से राह केसे भटक सकते है,जब की हमारी सरहद से मुल्तान और फैसलाबाद नजदीक पड़ता है पर लाहोर भी नजदीक है पर यह रावलपिंडी वाले खटक रहे है, जी सर आपकी बात सही दिशा में जा रही है मगर कोई तो है जो उनकी मदद हिन्दुस्तान से कर रहा है,या फिर वो लोग हथियार के सप्लायर भी हो सकते हैं या फिर कोई धमाके की तैयारी कर रहे है, उनकी आइ.डी भी कुछ मेल नहीं खा रही है अब्दुल नकी कोई गडबड है पर मुझे उर्दू नहीं आती है इसलिए सही से पढ़ नहीं पाया, कोई बात नहीं सर आप आइ.डी के फोटो मंगवाए मै देखता हूँ, नहीं यार अबी कैस कहा हाथ लगा है, सर केस का तो पता नहीं अगर हमने कुछ किया नहीं तो देश को ज़रूर नुकसान होगा, अच्छा मै कुछ करता हूँ, मैंने एक बहोत बड़ी ग़लती कर दी की मैने मेजर जयप्रकाश को फ़ोन किया, हा हेलो जय कैसा है भाइ, बस बढिया तु बता,,, कोइ नहीं यार एक काम था, हा बोल यार तेरे लिए कुछ भी, एक पर्सनली डिटेल्स निकाल नी है,अपनी आइडी से पाकिस्तान के कुछ मिलिट्रन जैसलमेर में की बोर्डर पर पकड़े गए हैं, अरे यार बहोत मुश्किल है यार, क्यूँ क्यां होगा गया, बिना परमीशन से मे कीसी की आइडी चेक नहीं कर सकता उसके लिए तुम्हें कर्नेल आदित्य की परमीशन लेनी पड़ेगी और कर्नल आदित्य कौन है वो मुझे बताने की जरुरत नहीं है, अरे वो तो कश्मीर में थे अचानक यहा कैसे, क्या बताऊँ यार सिस्टम को बहोत बारीक़ी जांच से करते हैं और यदि हमने उनके दिये गये काम के अलावा और कोई काम करता हुँ तो एक ईमेल द्वारा उनको पता चल जाता है की मैने कोई और फ़ाइल खोल कर काम कर रहा, किसे से बात कर रहे हो,कौन है फोन पर, जी कर्नेल सर वो जैसलमेर के एस.पी दीपक गढवी से बात कर रहा हूँ, एक मिनट मुझे देना फ़ोन... हा हेलो गढवी जी यु छुप छुप कय फ़ोन करने का प्रयास क्यु,,,,???? क्या आप मुझे नहीं बता सकते,,,,!!!! अरे सर एसा नहीं हे,यहा जैसलमेर में कुछ पाकिस्तानी मिलिट्रीन बोर्डर क्रोस करके आएँ हे और मुझे उनकी आइडी को identifying करवाना था, अरे गढवी जी आपको मालुम नहीं क्याँ वो केस तो IAID(Indian Army Investigation Department)के पास चला गया,,,, नहीं सर मैंने टाईम मांगा था,ऐसे कैसे वोह केस को IAID को दे सकते हैं, अरे गढवी जी आपके डि.आइ.जी सर से मालूमात करे क्रिपीआ फ़िर अगर एसा होगा तो हम आपकी ज़रुर मदद करेंगे यह वादा हे, जी ठीक हे सर मे कुछ करता हुँ, सर क्याँ हुआ,,,,???? अरे यार अब्दुल केस IAID के पास चला गया हे,जब की में अभी उनसे टाइम मांग कर आ रहा हूँ, तो एक बार सर के बात कर के देख लीजिए वोह क्यां कहते हे, हा करनी हीं पडेगी,,,,, हेलो सर यह भे क्या सुन रहा हूँ कि आपने केस हमारे पास लेने के बजाए आप IAID को देने में सहमत हो गए,? अरे गढवी तो क्या करु तुम ही बताओ,मुझे कुछ रुल्स हे जो फोलो करना पड़ता है, पर सर यदि कोइ कांड हो गया यहा जैसलमेर और जयपुर में तो फ़िर, फ़िर क्या,हम बता देंगे उनको के हमने तो आपको पहेले ही कहा था पर आपने हमारी ना सुनी और यह हो गया, पर सर होने से पहेले हमें कुछ करना चाहिए, तो क्या करने का प्लान हे तुम्हारे पास, अरे मेरे पास बस एक ही तरीका हे की उनमें से एक को चारा बनाना, हा तो तुम अपनी तरफ से तहकीकात शुरु करो,बाकी सब मेरे पर छोड़ दो, जी थीक हे,जय हिन्द, ओके जय हिन्द,,,,,, इतने मे मुजे कर्नेल का फ़ोन आया, जी हुकुम, आइए आपके लिए एक दावत हे, अच्छा,,,,,कुछ हाथ लगा क्यां,,,,, अरे आप आइए तो सही,,,, जी आ रहा हूँ,,,,, अब्दुल मे आइ,जी साहब से बात कर लूंगा तुम मेरे साथ चलो, जी बहेतर सर,,,,,, में जैसलमेर गया और बोर्डर पर पहोचा और मेने देखा की एक मिलिट्रन के पास कुछ एसा था जो देश को तहेस नहस करने का पुरा प्लान था,,,,,,,,,,,,,,,, › Next Chapter जैसलमेर बोर्डर - 2 Download Our App