namkin chay ek marmik prem kathaa - 6 in Hindi Love Stories by Bhupendra Kuldeep books and stories PDF | नमकीन चाय एक मार्मिक प्रेम कथा - अध्याय-6

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नमकीन चाय एक मार्मिक प्रेम कथा - अध्याय-6

अध्याय – 6

रायगढ़ में रेलवे स्टेशन पर पहुँचकर उसने सेल्स मैनेजर अभय का एड्रेस पता किया तो पता चला कि वो आनंद विहार के नजदीक ही है। वो थोड़ा खुश हो गया कि चलो रिया के घर के आसपास ही घर मिल गया। वह ऑटो लेकर रूम पहुँचा। अभय घर पर ही था।
हैलो अभय।
हैलो चंदन। आ जाओं अंदर। मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रहा था। और सफर ठीक कटा ?
हाँ अभय सफर अच्छा था पर अकेले सफर करना बड़ा बोरिंग होता है।
तो शादी कर लो।
एक्चुअली उसी के लिए यहाँ आया हूँ। यहाँ आनंद विहार की एक लड़की है रिया। वो और मैं एक दूसरे को बहुत प्रेम करते हैं। परंतु करीब एक महीने हो गए रिया का कुछ पता नहीं चल रहा है।
मतलब ?
मतलब एक महीने पहले से वो अपने परिवार सहित कहीं चली गई है। इस बीच न तो उसका कोई फोन आया मुझे ना कोई खबर मिली है।
ऐसा तो नहीं है कि किसी और शहर में सेटल होगए हो या किसी और से शादी हो गई हो तो मिलना नहीं चाहती।
नहीं, शादी वाली बात तो नहीं हो सकती क्योंकि उसके दादा-दादी तो मुझसे शादी कराने के लिए सहमत थे। हाँ ये संभव है कि किसी और शहर में सेटल हो गए हों।
तो फिर तुम यहाँ क्यों आए हो ?
इसलिए क्योंकि यहाँ उनका परमानेंट घर है सारी जिदंगी उन्होंने यहाँ बिताई है। वापस आयेंगे ही चाहे रहने के लिए हो या बेचने के लिए।
हाँ, ये तुम सही कह रहे हो। पर ये भी संभव है कि वो दो-तीन साल तक ना आएं?
तो क्या हुआ मैं दो-तीन साल तक वेट कर लूँगा।
भाई तुम पागल हो क्या ?
ऐसा ही समझ लो। सब लोग मुझे पागल ही बोलते हैं।
ठीक है पागल महोदय, शुभकामनाएँ तुमको।
मेरी कहाँ जरूरत है बताओ।
बस यार मुझे सारे डॉक्टर्स की जानकारी दे देना। बाकी बाईक तो मैंने अपनी यहाँ पार्सल से मंगवा ली है। वेहीकल का दिक्कत नहीं है।
अच्छी बात है। चलो तुम चेंज गर लो खाना खाते हैं।
खाने के लिए कैंसे कहते हो ? चंदन पूछा।
बस यार कुक है, वो आकर बना जाती है।
रायुपर में मैं भी यही करता था। एक कुक रख लिया था वो आकर खाना बना जाती थी।
तुम क्यों शादी नहीं कर लेते अभय।
देख रहे हैं मेरे माता-पिता चंदन। जैसे ही कोई अच्छी लड़की मिलेगी वो लोग तुरंत कर देंगे मेरी शादी।
बड़े भाग्यशाली हो यार। तुम्हारे लिए लड़की तुम्हारे माता-पिता ढूँढ रहे हैं। यहाँ तो मेरे आगे पीछे कोई भी नहीं है। खुद ही तलाश करनी पड़ी अब वो भी नहीं मिल रही है।
वो नहीं मिलेगी तो कोई और मिल जाएगी यार। इतना टेंशन क्यों लेते हो।
नहीं, नहीं यार ऐसा मत बोल, मुझे अपनी रिया ही चाहिए। उसके अलावा किसी और की तो मैं कल्पना भी नहीं कर सकता।
अच्छा सॉरी ब्रदर। लगता है मैंन तेरा दिल दुखा दिया।
कोई बात नहीं यार। ये तो चलता रहता है, चलो खाना खाकर सोते हैं मैं बहुत थका हुआ हूँ।
दोनो ने खाना खाया और अपने अपने बिस्तर पर चले गए। चंदन के मन में आशाओं ने जन्म तो ले लिया था। कुछ ना कुछ पता तो चलेगा ही रिया के बारे में । ये सोचते सोचते उसे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला।
अगली सुबह वो तैयार होकर ऑफिसचला गया। आज उसे दस डाक्टर्स के पास विजिट करना था। परंतु अंत में आनंद विहार कॉलोनी चला गया। वहाँ पहुँचकर रिया के घर के सामने एक पेड़ के नीचे खड़ा होकर उसके घर को एकटक निहारने लगा। वह सोच रहा था कि रिया इन जगहो पर घूमी होगी। इस गेट को उसने कई बार छुआ होगा। ये ख्याल आते ही वह उठा और जाकर गेट को छुआ। उसे रिया के होने का अहसास हो रहा था। थोड़ी देर तक खड़े रहने के बाद वो वहाँ से वापस अपने रूम की ओर निकल गया।
क्या भाई, क्या खबर। अभय ने पूछा।
कोई खास खबर नहीं भाई आज टारगेट में से आाधा हुआ।
क्यों ?
रिया के दादाजी के बारे में जानकारी जुटाने के चक्कर में हॉस्पिटल में टाईम वेस्ट हो गया।
तो फिर रिपोर्ट क्या भेजेगा।
इतनी ही भेज देता हूँ क्या करूंगा। कल मैनेज करूंगा।
भाई काम पर भी इतना ही ध्यान देना जरूरी है। वो महत्वपूर्ण है तो ये भी महत्वपूर्ण है।
अगले दिन से चंदन पहले टारगेट पूरा करने पर ध्यान देता था उसके बाद हॉस्पिटल में पता करता, और उसके बाद आनंद विहार जाता।
यही उसका रोज का रूटीन बन गया था परंतु भाग्य था कि रूठा हुआ था। एक दिन रमेश का ऑफिसमें फोन आया।
हेलो रमेश, कया हाल है मित्र।
बढ़िया हूँ चंदन तुम कैसे हो ?
अच्छा हूँ रमेश। बड़े दिनों बाद याद आई दोस्त की।
अच्छा जैसे तुम मुझे बड़ा याद करते हो।
करता हूँ भाई लगभग रोज ही। चाहो तो पूछ लो अभय से। तुम्हारे अलावा मेरी दुनियाँ में और कौन है।
अच्छा, अच्छा अब सेंटी मत करो। ये बताओं काम कैसा चल रहा है और रिया का कुछ पता चला कि नहीं?
काम तो अच्छा चल रहा है यार पर रिया का अब तक कुछ पता नहीं चला।
क्यों तूने हॉस्पिटल में उसके दादाजी के विषय में पता नहीं किया ?
किया परंतु कुछ भी पता नहीं चल रहा है।
पता नहीं वो लोग कहाँ चले गए हैं। अब तो थोड़ा डर लगने लगा है रमेश।
जब कोई ठोस खबर ना मिले तब तक डरने की कोई बात नहीं है चंदन। एकात क्लू मिला तो वो तुझको मिल जाएगी।
चिंत मत कर।
मेरी बात छोड़ यार, ये बता सुमन कैसी है ?
ठीक नहीं है यार किमो, कराने से कोई फायदा नहीं हुआ। ब्रेस्टेक्टामी कराना ही पड़ेगा बोल रहे हैं डाक्टर्स।
मतलब कोई तरीका नहीं बचा ?
नहीं उसके एक साईड के ब्रेस्ट को काटना ही पड़ेगा। रमेश बोला।
ये तो दर्दनाक है।
हाँ मैं जानता हूँ। वो बहुत विहवल है उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है चंदन।
और दुनियाँ में तू अकेला आदमी है जिसकी बांतो से उसे हिम्मत मिलती है। रमेश बोला।
ये बताओं रमेश क्या किसी तरह सुमन से मेरी बात हो सकती है ?
परसों ऑपरेशन से पहले तुम्हारी उससे बात कराऊँगा। तुम ग्यारह बजे के आसपास ऑफिस में ही रहना।
यार मैं ये सब सुनकर दुखी हो गया। चंदन बोला।
क्या करें ? हम लोग तुम्हारे लिए दुखी हैं तुम हमारे लिए दुखी हो बस एक ही तरीका है कि हम एक दूसरे का दुख बाँट ले तो सबका दुख कम हो जाए।
इधर रिया का इलाज नागपुर के एक बड़े अस्पताल में चल रहा था। उसका एक पैर काट दिया गया था। जिसको भरने में छः महीने से साल भर और लगने वाला था। वह चंदन पर बोझ नहीं बनना चाहती थी। इसलिए प्रण कर रखा था कि चंदन से कभी नहीं मिलेगी, और इधन चंदन उसे एक-एक पल मिस करता था। शायद वो किसी दिन वापस आ जाए।
ऐसा कब तक चलने वाला था किसी को भी पता नहीं था। सभी अपना कर्म करने में व्यस्त थे। किसी को पता नहीं था कि भाग्य ने उनके विषय में क्या सोच रखा है।
दो दिन बाद वो ऑफिसमें बैठकर सुमन के फोन का इंतजार कर रहा था तभी फोन की घंटी बजी।
हेलो चंदन जी मैं सुमन बोल रही हूँ।
ओ, हाय गर्लफ्रैंड, क्या हालचाल है ?
आप तो हम सबको भूल गए। सुमन बोली।
अपनी गर्लफ्रैंड को कोई भूलता है क्या ? बस काम में थोड़ा ज्यादा व्यस्त हो गया था।
मतलब अपनी गर्लफ्रैंड के लिए टाईम नहीं है आपके पास।
है ना। तुम ठीक हो जाओ फिर आता हूँ तुम्हारे पास। चंदन बोला।
अब क्या ठीक होऊँगी मैं अब तो ऑपरेशन थियेटर के सामने खड़ी हूँ मैं।
चिंत मत करो गर्लफ्रैंड, ऑपरेशन के बाद भी हॉट दिखोगी तुम।
मैं हॉट। फ्लर्ट कर रहे हो मेरे साथ ?
अपनी गर्लफ्रैंड के साथ फ्लर्ट नहीं करूंगा तो और किसके साथ करूंगा ?
तो रिया को क्यूँ पसंद किए।
वो क्या है ना डियर तुम रमेश की छोटी बहन हो करके जाने दिया।
अच्छा तो ये बात थी।
हाँ भई यही बात थी तुम बस थोड़ा ठीक हो जाओ फिर तुमको चुपके से मैं डेट पर लेकर चलूँगा। चलोगी ना मेरे साथ ?
पक्का। सुमन बोली और हँस दी।
बस इसी मुस्कान के साथ अंदर जाओ और इसी मुस्कान के साथ बाहर आना। मैं तुम्हारे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करूंगा।
अच्छा गर्लफ्रैंड अपना ध्यान रखना।
ठीक है बॉयफ्रैंड मैं अपना ध्यान रखूंगी, बॉय।
सुमन ने फोन रख दिया। चंदन सोचने लगा कितनी प्यारी लड़की है सुमन अभी उसकी उम्र ही क्या हुई है। उसको भी अधिकर है जीवन के सारे सुख भोगने का। बेचारी ने क्या बिगाड़ा है किसी का।
इधन सुमन का ऑपरेशन ठीक ढंग से हो गया। परंतु डॉक्टर्स ने बताया कि मेटास्टासिस की संभावना बनी रहेगी। मतलब यह कैंसर का कारक शरीर में कहीं भी फैल सकता है और वो और ज्यादा घातक है। रमेश ने उसके बारे में सुमन को कुछ नहीं बताया।
वो चुपचाप सुमन को घर ले आया। सुमन अब और ज्यादा निराश रहने लगी थी। उसने बाहर निकलना बंद कर दिया था और किसी से बातचीत भी ज्यादा नहीं करती थी। बीच-बीच में उसे रेग्युलर चेकअप के लिए हॉस्पिटल ले जाना पड़ता था। दो महीने तक तो कोई समस्या नहीं थी दी परंतु अचानक एक दिन बॉडी चेकअप के दौरान डॉक्टर्स को दो तीन गाँठे शरीर में दिखाई देने लगी थी। डॉक्टर्स ने क्लीयर बता दिया कि सुमन के शरीर में कैंसर के कारक फैलने लगे हैं। यह सुनकर रमेश और हताश हो गया। सुमन भी समझने लगी थी कि उसके पास ज्यादा दिन नहीं बचे हैं। जब तक सांसे चल रही हैं तब तक जीवन शेष है कितना दिन, कितना समय, कितने साल उसके पास बचे हैं उसको कुछ पता नहीं। अब वह खुश रहने की कोशिश करने लगी।
यहाँ चंदन की भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं हो रहा था। रोज की तरह ऑफिस जाता, अपना टारगेट पूरा करता, आनंद विहार रिया के घर के सामने जाकर खड़ा होता और वापस आकर सो जाता। ये रूटीन उसका फिक्स हो गया था। अभय उसको रोज कहता कब तक इंतजार करेगा दोस्त ?
जब तक मुझे कोई ठोस क्लू ना मिले अभय। तुम मेरे लिए परेशान मत हुआ करो मैं ठीक हूँ। मेरे ये आदत में आ गया है।
इस तरह लगभग छह महीने गुजर गए रायगढ़ में, और रिया का कुछ भी पता नहीं चला। क्योंकि इधर रिया के हालात भी ठीक नहीं थे उसका पैर अभी भरा नहीं था वो सिर्फ बैसाखी के सहारे उठ पा रही थी। इन सब से अनभिज्ञ चंदन अपने नेत्र बिछाए रिया के लिए अनवरत प्रतीक्षा कर रहा था।
एक दिन अभय और चंदन दोपहर में लंच के बाद एक पान की दुकान पर खड़े थे। उसी दिन भारत पर एक आतंकवादी हमला हुआ था।
क्या चल रहा है यार देश में ? अभय बोला।
क्या ? चंदन पूछा।
यही आतंकवादी हमला। अपने सुरक्षाबल क्या कर रहे हैं।
भाई अपनी सुरक्षा तगड़ी है। कभी कभार ये लोग अंदर आते है तो अपने सुरक्षाकर्मी उसको मार गिराते हैं। आज के केस में भी तो यही हुआ, आतंकवादी आये तो जरूर पर अपने सुरक्षाबलों ने सबको मार गिराया। चंदन बोला।
पर कुछ इन्नोसेंट लोग भी तो मारे गए। अभय बोला।
क्या बात कर रहे हैं सर आप लोग। इससे ज्यादा तो हमारे देश में एक्सीडेंट में मारे जाते हैं। पान दुकान वाले ने कहा।
हाँ तुम सही कह रहे हो भाई, चंदन बोला।
अब यहीं का ले लीजिए अभी छह महीने पहले ठीक इसी चौक पर एक भीषण हादसा हुआ था। पान दुकान वाला बोला।
अच्छा क्या ? चंदन बोला।
एक लड़की थी 20-21 साल की जो एक बुजुर्ग व्यक्ति को उस रास्ते से लेकर आ रही थी अपनी स्कूटी पर। दोनो चौक पर पहुँचे ही थे कि अचानक उनके सामने एक ट्रक आ गया।
चंदन के कान ये सुनकर चौकन्ने हो गए। उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।
फिर ? चंदन ने घबराते हुए पूछा।
फिर क्या उस लड़की की गाड़ी स्कीड करके वहाँ सड़क के बीच तक चली गई और ट्रक लड़की को कुचल कर निकल गया। बहुत भीषण हादसा हुआ था पता नहीं वो लड़की बाद में बची कि नहीं। कोई सिंग परिवार था शायद। मर गई होगी इतने भीषण हादसे के बाद बचता कौन है ?
ये सुनते ही चंदन को ऐसा सदमा लगा कि वह धड़ाम से नीचे गिर गया। वो अचेत सा हो गया था अभय उसे उठाकर चेयर पर बिठाया।
चंदन जोर-जोर से रोने लगा। ये देखकर आसपास के कुछ लोग जमा हो गए और उसको पूछने लगे आखिर हुआ क्या ?
मुझे रूम पर ले चलो अभय प्लीज। वह रोते-रोते बोला। वह अब भी पूरे होश में नहीं था। छह महीने के इंतजार के बाद इस खबर ने उसे यकीन दिला दिया था कि रिया इस दुनियाँ में नहीं रही।
रूम में पहुँचकर वह बिस्तर में गिर गया और सुबक-सुबक कर रोने लगा। क्या हुआ चंदन ? अभय सहला रहा था।
आज मैं हार गया अभय। मेरी सारी आशाएँ आज खत्म हो गई। मैं इस एक उम्मीद में था कि शायद वो जीवित हो, चाहे जहाँ भी हो खुश रहे। मैं उसको देखकर ही जीवित रह लेता पर अब जीने की सारी इच्छा खत्म हो गई।
पूरा नाम क्या था उसका चंदन ?
रिया सिंग, और वो दुकान वाला सिंग परिवार ही बोला।
भाई जीवन में ऐंसी घटनाएँ तो होंगी ही, इससे क्या हम जीना छोड़ देंगे। और तुम तो बहुत साहसी लड़के हो। तुम ऐसा निराश होओगे, ऐसा यकीन नहीं।
चंदन कुछ सुन बोल नहीं रहा था। वह चुपचाप अपने बिस्तर पर पड़ा रहा दिनभर। रात को भी उसने ना कुछ खाया न बात किया। बस चुपचाप सो गया।
सुबह उसकी नींद खुली तो उसका सिर भारी लग रहा था। अब भी उसका दिल मानने को तैयार नहीं था कि रिया उसे छोड़कर चली गई। इतने में अभय की आवाज आई।
चंदन प्लीज उठो और काम पर चलो। हिम्मत से काम लो दोस्त। रिया के प्रेम को सकारात्मक ढंग से लो। रो-रो कर तुम उसे और तकलीफ दिए जा रहे हो। उठो और चलो। यह कहकर उसने चंदन को हाथ पकड़कर उठाया। उसे तैयार किया और अपने ही बाईक पर बिठाकर ऑफिस ले गया।
आज तुम कोई काम मत करो बस ऑफिस में बैठे रहो। अभय बोला। तभी फोन की घंटी बजी।
हेलो कौन अभय, मैं रमेश बोल रहा हूँ, क्या बात है तुमने फोन करने के लिए बोला था ? हूँ
हाँ सर मैंने कल आपको मैसेज भिजवाया था।
कैंसे रमेश पूछा ?
सर, चंदन की हालत ठीक नहीं है। मैं उसे जबरदस्ती ऑफिसलेकर आया हूँ ताकि आपसे बात करवा सकूँ। एक आप ही हैं जिसकी बात वो सुनेगा। प्लीज उससे बात कर लीजिए। लो चंदन, कहकर उसने चंदन को फोन पकड़ा दिया।
हैलो चंदन! क्या हुआ भाई ?
हैलो रमेश, कहकर चंदन जोर-जोर से रोने लगा, चुप हो जाओ चंदन। हुआ क्या ये तो बताओ। क्या बताऊँ यार, मेरी जीने की सारी उम्मीदें खत्म हो गईं।
कैसे ?
कल मुझे पता चला कि रिया के साथ एक भीषण हादसा हुआ था और शायद उसमें उसकी जान चली गई।
तुझे किसने बताया ?
कल मैं और अभय मेन चैराहे पर पान की दुकान पर रूके थे। उस पान दुकान वाले को मेरे विषय में तो कुछ भी पता नहीं था। बातों-बातों में उसने बताया कि लगभग छह महीने पहले एक स्कूटी पर एक 20-21 साल की लड़की एक बुजुर्ग व्यक्ति के साथ चैराहे पर चल रही थी तभी एक ट्रक ने आकर लड़की को कुचल दिया। वह बुजुर्ग दूर गिर गया था इसलिए बच गया, पर पता नहीं कि लड़की बची कि नहीं, उनका सरनेम सिंग था। वो बता रहा था हादसा इतना भीषण था कि वो लड़की मर ही गई होगी। आसपास के लोग बता रहे थे कि उसे एंबुलैंस में डालकर सीधे यहाँ से बाहर ले गए। कहाँ ले गए किसी को कुछ पता नहीं। तुम ही बताओं क्या इन छह महीनों में हमारे ऑफिस में एक भी बार फोन नहीं करती। निश्चित ही वो बच नहीं पायी होगी। तभी उसने मुझसे आज तक संपर्क नहीं किया। अन्यथा वो मुझे छोड़ दे ऐसा संभव नहीं।
ओह! तो ये दुखद खबर है। देखों चंदन मैं नहीं जानता कि वह जीवित है कि नहीं, या उसकी जान चली गई है। बस मैं तो ये जानता हूँ कि तुमको उसके प्रेम को जिंदा रखकर भी जीना चाहिए। याद है तुम्हे वो क्या कहती थी कि अपने दुख को जीतकर दूसरे के दुख का सहारा बन सको तभी तुम सच्चे इंसान हो और रिया के प्यार के काबिल हो। वो तुमसे इसीलिए प्रेम करती थी क्योंकि तुममे दूसरों के दर्द को समझने की क्षमता है। तुममे दूसरों को हौसला देने की क्षमता है। ऐंसी क्षमता सभी में नहीं होती दोस्त। तुम देना जानते हो, खुशी, हँसी, प्यार, देखभाल तुम सब देना जानते हो दोस्त। इसीलिए रिया तुमसे प्यार करती थी। ऐसे दुखी होकर, ऐसे क्षीण होकर अपने प्यार को छोटा मत होने दो। तुम्हारा काम प्यार बाँटना है प्यार खोना नहीं, जिससे हम सब प्रभावित है।
फिर मैं क्या करूँ। तुम्ही बताओं ये दर्द मेरे लिए असहनीय है। चंदन बोला।
तुमको मालूम है चंदन, सुमन की क्या स्थिति है ?
नहीं रमेश, क्या हुआ सुमन को ? वो ठीक तो है ?
देखों एक मिनट में तुमको कितनी चिंता हो गई उसकी। यही बात तुमको औरों से अलग करती है। दूसरे का दर्द देखकर तुम अपना दर्द भूल जाते हो चंदन, ये बड़ी बात है।
तुमने बताया नहीं क्या हुआ सुमन को ? चंदन पूछा।
सुमन के कैंसर का मेटास्टासिस हो गया है।
मतलब ?
मतलब सुमन के शरीर में कैंसर कारक जीन्स है वो शरीर के अन्य हिस्सों में भी चले गए हैं उसके शरीर में दो तीन जगह गाँठे दिखाई पड़ रही हैं।
ओह! चंदन उदास हो गया।
ब्रेस्ट को तो काट ही दिए हैं पर उससे फायदा कुछ नहीं मिला, ऊपर से ये और फैल गया। यार, डॉक्टर्स बोल रहे हैं कि वो ज्यादा दिन जी नहीं पाएगी। ये बोलते-बोलते रमेश का गला भारी हो गया। ज्यादा से ज्यादा दो तीन साल। पर जाना तो तय ही है कहकर रमेश रोने लगा।
चंदन एकदम चुप था, उसने रिया को तो मरते नहीं देखा था, परंतु अब उसे सुमन को तिल-तिल कर मरते देखना पड़ेगा।
चुप हो जाओ रमेश। मैं वापस आता हूँ रायपुर। तुम सही कहते हो, मैं रिया के प्रेम का अपमान नहीं करूँगा। हम सब मिलकर सामना करेंगे मुश्किलों का। तुम बॉस से बात करो, वैसे भी मेरे लिए यहाँ रखा ही क्या है। मैं अभी अप्लाई करके कॉपी तुमको भेजता हूँ। तुम मेरे आते तक हिम्मत मत हारो। हम जल्द ही मिलेंगे दोस्त। चल फोन रखता हूँ और सुमन को बोलना कि मैं उससे जल्दी मिलने आऊँगा।
यह कहकर चंदन ने फोन रख दिया और पीछे देखकर बोला - अभय आज का टारगेट क्या है ?
तुम फील्ड में जाओगे ? अभय आश्चर्यचकित था।
हाँ बताओं टारगेट क्या है ?
सात विजिट है बॉस।
ठीक है मैं चलता हूँ और थैंक्स यार मुझे ऑफिस लाने के लिए। चंदन बोला।
वेलकम डियर।
चंदन अपने काम पर निकल गया पर शाम को फिर वह अपने ऊपर नियंत्रण नहीं रख पाया और आनंद विहार जाकर रिया के घर के सामने खड़ा हो गया। उसने यकीन कर लिया था कि रिया अब शायद कभी न आए पर उम्मीद पर तो दुनियाँ कायम है। आठ बजते ही वो रूम पर आ गया।
आज थक गया हूँ अभय। खाना खाकर जल्दी सोऊँगा।
ठीक है चंदन। खाना तो तैयार ही है। खाओ और सो जाओ। पर मैं तुम्हारी तारीफ करूँगा मित्र। तुम्हारे हौसले बुलंद है तुम्हारा दिल सोने जैसे खरा है।
चंदन ने मुस्कुरा दिया और बिस्तर में लेट गया।
आज बिस्तर पर नई सोच के साथ लेटा था। आज वो सोच रहा था कि मेरी तकलीफें कितनी कम है। मैंने तो रिया को मरते नहीं देखा। सिर्फ उसकी कल्पना से इतनी तकलीफ महसूस कर रहा हूँ। सुमन तो अपने आपको मरते देख रही है उसे कितनी तकलीफ हो रही होगी।
रिया ठीक कहती थी किसी के दुख को बाँटो तो अपना दर्द कम हो जाता है। अगर मैं सुमन को सहारा दूँ तो शायद उसका दर्द कम हो जाए और मेरा भी। मेरे जीवन का और लक्ष्य तो बचा नहीं, यही सही। उसको सहारा देकर मुझे कम से कम तसल्ली तो रहेगी कि रिया के प्रेम को मैंने सही मायनों में अर्थ दिया। चलो वापस चलता हूँ मुश्किलों को मात देने और उसमें से भी हँसी और खुशी निकालने। ईश्वर मुझे शक्ति देना। ये सब सोचते-सोचते चंदन सो गया।
दो तीन दिन में ही उसका ट्रांसफर आर्डर आ गया।
अभय उसे रेलवे स्टेशन पर छोड़ने आया था।
चल यार मिलते हैं। चंदन बोला।
ओके ब्रदर। मैं तुम्हें जीवन भर याद रखूँगा।
मैं भी अभय। तुमने मेरे मुश्किल दिनों में मुझे बहुत सहारा दिया है। मैं तुम्हारा ये अहसान कभी भी नहीं भूल पाऊँगा। अगर जीवन में कभी भी मेरी जरूरत पड़े तो मुझे बिना हिचकिचाए बताना । तुम्हारे लिए कुछ भी दोस्त।
यह कहकहर चंदन उससे गले लग गया।
इतने में ट्रेन आ गई। चंदन ने अभय से विदा ली और जब ट्रेन चलने लगी तो चंदन चिल्ला कर बोला - थैंक्स फॉर एवरीथिंग डियर। बॉय।