Mery Anku - 2 in Hindi Love Stories by VANDANA VANI SINGH books and stories PDF | मेरी अंकू - 2

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मेरी अंकू - 2

मुझे ये दिन आज याद दिया उसका जन्मदिन 2 फेबुरारी और उसके जवाब मुझे पूरे नौ महीने बाद मुझे उसका जवाब मिला दो अक्टूबर को जैसे वो मेरा इम्तेहा ले रही लेकिन प्यार तो हो चुका जो मुझे दूर होने नहीं दे रहा था कैसे मै छोड़ जाता उसको कैसे भूल जाता वो जो मेरी सांसों में बस रही थी मेरी घुटन कुछ इस कदर बड जाती जिसे मुझे संभालने के लावा कोई रास्ता नहीं दिख रहा था लेकिन अब मेरी जिंदगी वो पल आ चुका था जिसका इंतजार में मै ने बहुत सी रतो को जाग कर बेचैनी में कटी थी मै अपने दोस्त के जन्म दिन के उत्सव से आया रात का समय बिल्कुल मै सोने वाला था दिन में बात किए हुए था अंकिता से लेकिन रात का उसका फोन आया..
अंकिता . हेल्लो अरुण मुझे आप से बात करनी!
मै ने कहा हा करते बोलो,
लेकिन वैसे आवाज ना सुनी थी उस से पहले एक बेचैनी सी हुई मुझे जब कहा की अपने जो प्यार का इजहार किया था उसके बारे में मुझे कुछ कहना मै तो डर गया मेरी धड़कने बढ़ने लगी एसा अगर कुछ हो गया तो मै क्या करूंगा लेकिन उसका बोलते बोलते लहजा बदल लिया और हा कह दिया । मुझे तो जैसे सारा जहा मिल गया हो मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था
... अंकिता आप अभी फोन रखो मै सुबह बात करूंगा
अंकिता.. अभी नहीं कर सकते अभी कोई परेशानी है?
मै..नहीं अभी बहुत ख़ुश हूं मै अपनी बेवकूफी में कुछ गलत ना कह दू।
इतना कह कर फोन रख दिया और मै पूरी रात सोया नहीं मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करू ना नींद आ रही थी ना रात को सुकून था।
रात को तीन बजे मै ने फोन किया कई बार किया लेकिन फोन का जवाब नहीं फिर मै सो गया।
सुबह जब मैं उठा और बात की तो मै ने कहा मिल सकते कहीं चल कर कॉफी पिएंगे ।
मिलने के लिए तयार हो गई ,हम गए साथ में कॉफी पीये और इस तरह से हमरे प्यार का सिलसिला चलने लगा अब तो मिलना जुलना बाते करना साथ में अपनी नौकरी की तयारी भी हो चलती रही , मेरे घर मेरे मम्मी ने गाजर का हलवा बनाया दीपाली का समय था और हम लेके गए मिले हलवा खाया अंकिता तो को बहुत पसंद आया और इसी तरह जब मेवे के लड्डू उसके घर बने तो वो भी मुझे बुलाई और उसके घर के पीछे एक मन्दिर मुझे फोन पर बता दिया था कि मै आकर वहीं दे दूंगी आई मुझे दिया।
एसे हमरे दिन अच्छे भले गुजरते गए।
मेरा एस आई की परीक्षा दी और उसमे मेरा हो गया अब उसकी दौड़ की तयारी करनी थी मै उसमे बेस्त हो गया इस बीच हमने अपने घर में सादी की बात कर ली मेरी मां ने साफ़ इन्कार कर दिया और समझाया ये समाज ताने मार मार के तुम्हे जीने ना देगा अगर एसा कुछ है भी तो इसे ख़तम कर दो अंकिता भी बात ने अपने घर में बात की उसके भी घर वाले भी राज़ी ना हुए क्यो की हमारी जाति अलग अलग थी मेरे बात करने के कारण अंकिता के घर वाले भी सादी की जल्दी करने लगे मुझे उस एसा लग रहा था कि मै ने क्या कर दिया सब कुछ कितना अच्छा चल रहा मेरी इक ना समझी से सब बिगड़ता नज़र आ रहा था, लेकिन अंकिता की ज़िद के कारण मुझे बात करनी पड़ी दौड़ की त्यारी में लगे रहने के करण हमरी अंकिता से बात कम होती एक रोज अंकिता इस बात से इतनी दुःखी हुई की वो रोने लगी।
अंकिता.. आपकी नौकरी लग जायेगी!
अरुण. हा
अंकिता.. क्या हम दूर हो जाएंगे
अरुण.. नहीं !आप इस तरह से परेशान ना हो मै यही तो हूं हो सकता हमको सीतापुर मिल जाएगा उसमे छुट्टी मिलेंगी मै आ जाऊंगा।
अंकिता.. एसा लगता है मै जी ना पाऊंगी!
वरुण.. नहीं एसा मत बोलो। मैं कुछ ज्यादा नहीं कर सकता लेकिन जी भर कर प्यार तो कर सकता हूं।
यहां पर अंकिता परिचय देना मुझे उचित लग रहा है क्यो की आप को ये जानना जरूरी होगा अंखिर वो मेरे दिलो दिमाग़ में बस रही थी कुछ ख़ास तो जरूर होगा।
सावला रंग , 5.4 इंच लम्बी लंबाई के हिसाब से शरीर की बनावट ,बालों की लंबाई भी उसके वेक्तित्व को वक्त करते और मुस्कान से भारी हुई थोड़ी चंचल और बहुत सी मस्ती करने वालो में से थी उसे नई जगह पर घूमना कपड़े खरीदना और साजो श्रंगार बहुत पसंद हर समय हसी मजाक से खुद को बहलाए हुए, कोई भी बात कर ले उस से वो हस देगा मेरे लिए उसकी ईमानदारी मुझे उसके सामने झुकाए हुए उसकी चंचलता उसकी बच्चो की तरह ज़िद करना कभी जब गुस्सा हो जाए कितनी आसानी से मै उसे मना लेता।
मुझे उस वक्त का एक लम्हा आज भी बहुत अच्छे से याद है, वो कुछ बना रही थी राशोई घर में उसके पापा... क्या बना रही हो बिटिया रानी?
अंकिता... पापा दूर रहो?
पापा... क्यो? क्या बनाया जा रहा है एसा?!
अंकिता... पापा बम..
आज भी जो मै याद करता मुझे हसी आ जाती हैं।
मेरी दौड़ भी हो गई और मुझे उम्मीद थी की मेरा इसमें हो जायेगा और एसा हुआ जब आखिरी 19 जनुवारी परीक्षा फल आया और मै उसमे पास था इस बात की ख़ुशी भी थी और एक दुख़ भी हम दूर हो जाएंगे ।
हमारे साथ क्या ये अगले भाग में जानेंगे