Mery Anku - 1 in Hindi Love Stories by VANDANA VANI SINGH books and stories PDF | मेरी अंकू - 1

Featured Books
Categories
Share

मेरी अंकू - 1

मै वंदना सिंह बहुत कुछ समझ चुकें होंगे आप मेरे बारे में क्यो मेरी कहानियों से, एक यही जरिया जो आप लोगो से जोड़ रखा आपका ये सहयोग ही है ।जो मुझे कुछ लिखने की पेड़ना मिलती है। फिर नई प्रेम कहानी के साथ मै आप सब से जुड़ रही ये कहानी मेरे बचपन के दोस्त की है, बहुत दिनों तक हमारा कोई बात नहीं हुई जब उसने अपने बारे में बताया तो मुझे लगा कि उसकी कहानी से मै आप लोगो और खुद को कुछ सीखा सकती हूं।
वरुण...
मैं वरुण जिसने अभी जिंदगी को बस जीना सीखा हो अगर ऐसे उम्र में किसी को प्यार होता है तो कभी गलती कभी बचपना तो कभी कुछ और साबित हो जाता है , लेकिन तारीखें दिल में जगह कर जाती है, एसी तारीख़ जिसने जिंदगी बदल दी हो उसे कैसे भुला जाए आज भी वो तारीखें ओ चेहरे मेरे नजरों में बसे है, अपने पहले भी बहुत सी कहानी पड़ी होंगी सबकी जिंदगी में कुछ राज होते कुछ लोग राज़ रखते और कुछ बता देते अपने दोस्तो को। मै उनमें से एक हूं, जिस समय ये प्रेम का अहसास हुआ उस समय 18से ज्यदा ही था 14 जनुवरी दिन सोमवार मै अपने घर से थोड़ी दूर लगने वाली बाज़ार में कुछ सब्जिया लेने गया था उस दिन ही गया था ना पहले कभी जाता था ना आगे जाने की ख्वाहिश थी मा के कहे अनुसार जो सब्जी लेनी थी वो खरीदते समय ही मेरी नज़र किसी कि टोपी पर पड़ी जो हाथ की बनाई हुई और उसमे में भी कुछ विचित्र कारीगरी जैसे कोई बिल्ली के चेहरे को बनना चाहा हो, मुझे देख कर हसी आ गई जब नज़र चेहरे पर गई एक लड़की जो मेरी उम्र की और ख़ास तो ये की वो मुझे देखते हुए हस रही थी। मै सर्मा गया कुछ कह नहीं सकता था उस वकत क्यो उसकी मम्मी साथ में थी मै जल्दी से घर आया और सब्जी रख कर फिर से बाज़ार गया वहा जाकर पूरा बाज़ार देख लिया और दिखी नहीं,
मुझ में जैसे कोई बेचैनी अगर कहीं से पता चल जाए मै तुरन्त जाकर पूछ लू उस से, क्यो हस रही थी क्यो वो मेरे आस पास की लगी नहीं जिसका नाम ना पता हो उसे कैसे भला खोजा जा सकता है मै निराश घर आ गया । लेकिन खोज तो जैसे मन रहा हो उस सप्ताह लगने वाली सारी बाजारों में मै सिर्फ खोजने के लिए गया लेकिन नहीं मिली।
उस वक्त मै पुलिश भर्ती के लिए आर्मी मैदान जाता था मै और मेरे पास के घर के चाचा जो मेरी ही उम्र के साथ में दोनों तयारी करने के लिए जा रहे थे जब अचानक मुझे दिखी तब भी अपनी मम्मी के साथ हाथ में कुछ सामान लिए जनवरी थी ये बाद में पता चला उसमे केक था।
देख कर वो हसी मै भी हस दिया और बिना कुछ कहे चली मै कैसे कहता उसकी मम्मी साथ थी।
मेरी कुछ समझ ना आए कैसे बात हो, जिस वक्त वो शिलाई सीखने जाती उस वक़्त मै पढ़ाता था ये बात मुझे पता भी नहीं थी वो तो अचानक मै देख लिया, हुआ ये था कि मै पढ़ाने जाता था जिनके घर उनका कुछ काम करने के लिए मैं जब जा रहा था तो रास्ते में मुझे मिल गई ओर फिर मुझे देख कर जब वो हसी मै ने अपनी गाड़ी रोक कर पूछा मेरी सकल में कुछ हसने जैसा है क्या , वो भी बोली आप भी तो हस्ते है, मैं ने कहा मै टोपी देख कर हस दिया , इसके मै ने सीधे कह दिया कि मुझे आप से बात करनी कैसे भी करके उसने मुझ से कहा कि आप अपना नम्बर देदो मै शाम को करती हूं बात नम्बर दे कर अपने काम करने चला गया।
शाम को इंतेज़ार किया फोन नहीं आया अगले दिन भी इंतेज़ार किया इतवार की शाम को जब फोन आया नम्बर नया था मुझे जैसे नम्बर ने ही बता दिया हो की बस इतेजार ख़तम हुआ लेकिन कब किसे मालूम होता है कि हम जिसकी तलाश में हूं मेरा नहीं है मै ने हेलो.. जवाब में एक प्यारी सी आवाज जो मिश्री की जैसे मीठी और और हजरो सरगम मेरे जहन में बज रहे हो ।
मै ने नाम पूछा आपका नाम क्या है?.. उर्मी
उर्मी.. आपका नाम?
..... वरुण
उर्मी.. आप कहा से?
मै यही रहता हूं पास में ही।
इस तरह से हमरी थोड़ी बात हुई, जिसमें उर्मी ने मुझ से कहा कि मै आपको अंधेरे में नहीं रखना चाहती मै किसी और से प्यार करती हूं।
ऐसा महसूस हुआ हजारों पत्थर जैसे एक साथ मेरे कोमल से हृदय पर गिर गए हो। मै ने धीरे से आपको फिर मुझ से बात नहीं करनी चाहिए थी मना कर देना चाहिए था,
उर्मी.. आप गलत समझ रहे है , हम अच्छे दोस्त तो हो सकते है।
मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था इस पहेले कभी एसा हुआ नहीं था मै ने भी हा कर ली उसने अपना शिलाई का डिप्लोमा लेने के बाद शिलाई से आईआईटी के लिए हमरे ही जीले के विश्वविधालय में प्रवेश ले लिया अब तक हम अच्छे दोस्त थे सिर्फ ।
एक दिन अचानक मुझे फोन करके उर्मी ने कहा कि उसके विद्यालय के कुछ लड़के परेशान कर रहे मै गया उसके विद्यालय में और उस लड़के से मार पीट हो गई मै ने समझाया कि हम यही के बात अगर बढाई तो आपको ही यहां पड़ने में परेशानी होगी उस लड़के ने वहा पड़ना ही छोड़ दिया।
उर्मी की दोस्त ने... आपको इस तरह से नहीं करना चाहिए था अपने ये ठीक नहीं किया।
मै ने कहा कि आप क्या समझती मेरी दोस्त को कोई कुछ कहे मै कैसे बर्दास्त कर लेता मुझ एसी उम्मीद ना करे सब कुछ वैसे ही चल रहा था उर्मी से मेरी बात और मेरी पढ़ाई सब साथ थी।
उतने में एक दिन उर्मी मुझे बताती उसकी जिस दोस्त को मै ने इस तरह से तेज आवाज में बात की उसका उसके प्रेमी से अलगाव हो गया इस वक्त बहुत परेशान अगर मै अपनी तरफ से उस से बात कर लू उसको अच्छा लगा मैं में बात की ।
पहली बार बात करने के लिए मेरे पास कुछ था नहीं मै ने बस उस दिन की माफी मांगी और उसे कुछ समझाया जो उसे अच्छा लगे, जब मै उस से बात करने लगा तो एक लगाव सा होता जा रहा था मैं फिर से वो सबकुछ महसूस करने लगा जो उर्मी के लिए महसूस किया था, उस से भी कई गुना ज्यादा हम बात करते जब उस से बात ना हो पाती तो एक बेचैनी सी होती कितना अजीब होता है प्यार जब किसी से हो जाता है और उसको अगर बदले में प्यार मिल जाए तो और उसको पंख लग जाते और बढ़ने लगता है मुझे ऐसी ही उम्मीद थी अंकिता से हा वो अंकिता ही थी जो मुझ में दिन बा दिन रंग भर रही थी एसा रंग जो पुरी उम्र मुझ में चड़ने वाला था मै आखिर एक रोज़ कह दिया कि अंकिता मुझे प्यार हो गया आप से मुझे अब बिल्कुल चैन नहीं मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा लेकिन मै आप से कह रहा हूं मुझे कोई रास्ता दिखा तो मुझे इसका तुरन्त जवाब नहीं दिया ।
अगले भाग में हम जानेंगे की क्या अंकिता मेरी बात का जवाब देगी या कुछ और होगा।