Dost ki jubani in Hindi Adventure Stories by महेश रौतेला books and stories PDF | दोस्त की जुबानी

Featured Books
Categories
Share

दोस्त की जुबानी

दोस्त की जुबानी:
बचपन में एक बार हल चलाने का शौक हुआ।अतः सुबह उठकर हाथ मुँह धो, बैलों को खेत में ले गया।वातावरण खुशनुमा था।घराट पर दो लोग आ चुके थे। खेत के पास बांज के दो पेड़, हिसालु की एक झाड़ी,नदी की कलकल और पहाड़ी चोटियों का सौन्दर्य मन को लुभा रहा था। पर इस सब में व्यवधान आने वाला था।आखिर शान्ति कितनी देर रह पाती है! एक बैल बहुत फुर्तीला था और दूसरा सीधा-सादा। पहले जुए को सीदे बैल जिसका नाम ग्यौंई था उसके कंधे पर रखा और वह आज्ञाकारी की तरह कंधा दे दिया। दूसरा बैल जिसका नाम टिकू था उसके कंधे को जैसे ही हाथ लगाया वह दौड़ कर आगे भाग गया। मैंने जुआ नीचे रखा और उसे लौटाने के लिए गया। वह बाड़ तोड़ कर रास्ते में चला गया। अब मैं पीछे पीछे और वह आगे आगे दौड़ रहा था। पहाड़ी पगडण्डी पर लगभग एक किलोमीटर तक यह सिलसिला चलता रहा। मैं उसे पुकारता जाता था," लै,लै" लेकिन वह सुनने को तैयार ही नहीं था। फिर मैंने तेज दौड़ लगायी और दो डंडे मारकर उसे लौटा दिया। चीड़ के पेड़ों के बीच यह रास्ता था। उसे तेज हाँकते हुए खेत में लाया। तब तक वह थक चुका था और शरारत में ढील आ चुकी थी। उसके कँधे को पकड़ कर हाथ से तीन-चार बार मलाशा और फिर जोतकर हल चलाने लगा। और मनोयोग से गाता जा रहा था-
" मेरे देश की धरती सोना उगले,उगले हीरे मोती- फिल्म उपकार।" कहा जाता है जो व्यक्ति अपने खेतों से प्यार करता है उसके सिर में जुएं नहीं पड़ते हैं।
उसी साल एक दिन गायें और बैल जंगल में चर रहे थे। इतने में बाघ ने सीधे ग्यौंई बैल को गले से पकड़ लिया। वह फड़फड़ाने लगा। तभी दो गायों और टिकू बैल ने बाघ को सींगों से मारना आरंभ किया। बाघ घबरा कर भाग गया। पालतू पशुओं में दोस्ती और रिश्तेदारी का यह अद्भुत दृश्य था। बैल बहुत घायल हो गया था उसके गले पर जो नाखून और दाँत लगे थे उसको जले कपड़े को बुझा कर, सेका गया। लगभग दो सप्ताह में वह ठीक हो गया था। जब टिकू और ग्यौंई को बेचा गया तो वे दूर तक रांभते जा रहे थे। उन्हें आभास हो गया था कि उनका घर बदलने जा रहा है।
उसी जंगल में दादा जी एक बार गये थे। अपनी बंदूक एक पत्थर पर रख वे घास के मैदान की ओर गये। थोड़ी देर बाद उन्होंने देखा एक भालू उनकी ओर आ रहा है। वे मैदान में लेट गये जैसे मर गये हों। भालू आया और जोर से अपना पंजा उनके कंधे पर मारा और चला गया। उनके कंधे में उसके नाखून चुभे लेकिन दादा जी टस से मस नहीं हुए,मरे हुए का अभिनय करते रहे। जब वह दूर चला गया तो दादा जी अपने बंदूक लेने गये। जैसे ही वे बंदूक के पास पहुंचे भालू फिर उनकी ओर दौड़ कर आया।उन्होंने बंदूक हवा में चलायी और गोली चलने की आवाज से घबरा कर वह भाग गया।
जंगल के पास ही नदी बहती है । कहा जाता है शरद ऋतु में परियां उसमें नहाने आती थीं। एक बार एक परी को एक लड़के से प्यार हो गया था। उस दिन वह लड़का जब नदी में नहा रहा था तो परियां वहाँ आ गयीं। नहाते-नहाते वह लड़का नदी में डूबने लगा। वह चिल्लाया," बचओ,बचाओ"। परी ने उसकी आवाज सुनी और उसे डूबने से बचा लिया।
लड़के ने उससे पूछा," तुम्हारा घर कहाँ है?" उसने कहा नदी का उद्गम से 8 प्रकाश वर्ष दूर।दोनों नदी के स्रोत तक जाते और पहाड़ी के शिखर पर बैठ कर हिमालय के सफेद सुनहरे दृश्यों को देखते। परी ने लड़के को एक छड़ी दी, उसे नदी में डूबने से बचाने के लिए। उसने लड़के से कहा जब भी नदी में जाओ,इस छड़ी को साथ में रखना। लड़का हर वर्ष शरद ऋतु में रोज परी से मिलने आता था।
वह उस छड़ी को नदी पार करने वाले हर व्यक्ति को देता है। जिससे नदी में अब कोई नहीं डूबता या बहता है।समय के साथ लड़का जवान हो जाता है। परी उसकी उदारता देख कर बहुत प्रसन्न होती है और उसे सौ साल तक जवान रहने का वरदान देकर चली जाती है। वह हर शरद ऋतु में उसकी प्रतीक्षा करता है लेकिन परी नहीं आती है। सौ साल बाद, एक दिन वह अचानक बूढ़ा हो जाता है।

**महेश रौतेला