Ghar ki Murgi - 7 in Hindi Women Focused by AKANKSHA SRIVASTAVA books and stories PDF | घर की मुर्गी - पार्ट - 7

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घर की मुर्गी - पार्ट - 7






एक रोज फिर उसने व्योम से कहा व्योम में थक जाती हूं, मुझे भी आराम चाहिए। व्योम ने शकुंतला जी की तरह ताने मारते हुए कहा काम ही क्या है तुम्हे। करती ही क्या हो जो रोज एक ही बात लेकर बैठ जाती हो राशि। "शादी के दस साल गुजर गए व्योम मगर आप अभी तक ये नही जान पाए कि मैं करती क्या हु "राशि ने व्योम से कहा। हा वैसे भी आप कहा से जानेंगे ये सब। जब करना पड़े तब समझ आता है कि मैं करती क्या हूँ, राशि ने तय कर लिया आज जो भी हो जाए वो व्योम को समझा के रहेगी कि वो क्या करती आ रही है इन दस सालों से।

तो सुनिए व्योम आपकी बीवी करती क्या है। जब पूरा घर सोता है तब आपकी पत्नी उठ कर सारा काम पूरा करना शुरू करती है। घर के नाश्ता पानी से लेकर खाना पीना तक ,इतना ही नही सबकी फरमाइश को भी पूरा करती है। गौरी को स्कूल से लाना छोड़ना ,घर पे उसके होमवर्क पूरा कराना,और सासूमाँ की मालिश। और आपके जाने के बाद ...का दॄश्य पता है कैसा होता है नही पता जानिए वो भी की क्या होता है उसके बाद...!

उसके बाद जिस वक़्त आप उलाहना देते हुए घर से आफिस के लिए निकलते है। आपकी गाड़ी की चाभी ,खाने का डिब्बा और रोज के तरह ये याद दिलाना गौरी को आप लाएंगे या मैं । आपके जाने के बाद घर में छूटा हुआ कार्य पता है क्या होता है टेबल पर पड़ा फड़-फड़ाता अख़बार जिसके ऊपर चाय का कप रखा होता है। बाथरूम में पड़े आपके और गौरी के गीले चड्डी-बनियान और ठीक से बंद ना किया हुआ नल जिसकी टोंटी से बूँद-बूँद गिरता पानी। बिस्तर पर पड़ा गीला तौलिया और हेयर-ऑयल का ढक्कन खुला हुआ बोतल फेका रहता है जिससे ना जाने कितना तेल हर रोज बिस्तर पर गिरा रहता है। जिसे साफ करने में घण्टो मेहनत लगती है। अलमारी से निकाली हुई तीन-चार जोड़ी पैंट-शर्ट जिनमें से एक जोड़ा ही आप पहन कर जाते है बाकी बिस्तर पर ही फेंक निकल जाते है।गौरी के द्वारा चलाई गयी तेज़ आवाज़ में टी.वी. जिसपर गौरी के पसन्द के कार्टून नेटवर्क चलता रहता है।

और मैं राशि आपकी पत्नी जिसे ये सब रोज़ की तरह व्यवस्थित करती आ रही इन दस सालों से जिसे आज तक किसी को ना दिखा। कभी सोचा आपने की कैसे ये घर हर दम व्यवस्थित दिखता है। नही सोचा क्यों सोचियेगा ये तो औरतो का काम है ना बोल दीजिए। राशि की आँखे इतना सबकुछ बोलते बोलते गला भर आया और आँखें छलक पड़ी।
अभी इतना ही नही है और सुनिए.....हर रोज आपके जाने के बाद फर्श पर घण्टो की मेहनत कर आपके घर को चमकाती हूँ। सबके जूतों के बने निशानों पर घण्टो पोंछा लगा कर पोछती हू।क्या आपने कभी सोचा है कि बिस्तर से आपका गीला तौलिया कैसे गायब हो जाता है, हर शाम आपका गन्दा कमरा कैसे साफ होता है, हर सुबह फ्रिज को साफ करना व दूध दही और घर के बाकी राशन को देखते रहना उनकी लिस्ट तैयार करना बाजार से आए सामान को चेक करना कि कुछ छूटा तो नही। फिर पाई पाई पैसे को जोड़ना कितना किसमे लगा क्या बचा। उसमे गौरी की पढ़ाई को भी ध्यान देना। कभी सोचा आपने या आपके परिवार ने हर दिन अलग अलग फरमाइश का नाश्ता, दोपहर और रात का खाना कैसे बदलता है। मेज को खाने से कैसे अकेले सजाती है राशि नही ना क्यों क्योंकि आपके सारे कार्य जो बने बनाए है। खुद को कहा कुछ करना है। ओह्ह करते तो है एक बहुत बड़ा काम आप सभी मिलकर मुझे हर पल सुननाने का काम। हर काम मे कमी निकालने का काम। बस व्योम मैं आपसे इतना कहना चाहती हूँ कि मैं घर जा रही हु कुछ दिनों के लिए। मैं भी रिलैक्स होना चाहती हूँ, व्योम ने राशि की बात को काटते हुए कहा तो घर कौन देखेगा। हमारे सारे काम ,टाइम पर नाश्ता खाना, गौरी का स्कूल भी तो छूट जाएगा। मैं अकेले जाउंगी व्योम गौरी यही रहेगी। उतनी छोटी बच्ची कौन सम्भालेगा। क्यों गौरी आपकी बेटी नही या इस परिवार की बेटी नही। देखिए व्योम मैं कुछ दिनों के लिए जाना चाहती हु आप माँ से बात कर लीजिए। रही बात गौरी तो मैं उसे साथ लिए जाउंगी मगर मैं अपने घर जाना चाहती हूं। व्योम इतना सबकुछ शांत होकर सुनता रहा और उसने सुबह होते ही राशि से माफी मांगी मगर राशि भी अडिग रही। व्योम की बातों में इस बार वो जरा भी ना पिघली।