CHECK MATE - 7 in Hindi Fiction Stories by Saumil Kikani books and stories PDF | चेक मेट - 7

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चेक मेट - 7

Episode 7

राठोड ओर सोलंकी दोनों सोच विचार करते हुए प्रदीप के फ्लैट में यहां वहां टहल रहै थे ओर ये दिखाता था कि वो लोग कितने बेचेन थे। अचानक राठोड को कुछ सूजा ओर सोलंकी को देख कर...

राठोड: सोलंकी, प्रदीप के फिंगरप्रिंट्स ग्लास पे मिले और चेक हुए वो सही , लेकिन सुमित के फिंगर प्रिंट्स को दूसरे ग्लास पर मैच करने के लिए कहा से मिले क्यो की सुमित शुरू से यहीं हमारे साथ था। और वो तीसरे ग्लास के प्रिंट्स भी तो...(सोलंकी थोड़ा आश्चर्य में पड़ गया और तुरंत पूछा)

सोलंकी: आप कहना क्या चाहते है सर। डॉ दीक्षित भी??

राठोड: हाँ, क्यों नही, हो सकता है। अभी वो कहा है?

सोलंकी: वो डॉ नेहा का पोस्टमार्टम करने के लिए उनकी बॉडी को हॉस्पिटल भेज रहे थे और कहा था कि उनके रिपोर्ट्स लेके आऊंगा तो थोड़ी देर लगेगी।
आते ही होंगे सर।

राठोड: ओर ये बात हुए कितना टाइम हुआ?

सोलंकी: लगभग 30 एक मिनिट।

राठोड(घड़ी में देख के): इसका मतलब ओर 30 एक मिनिट में आ जाने चाहिए।

सोलंकी: जी सर.. ( वो कुछ सोच में पड़ गया है और राठोड की ये डॉ दीक्षित की इंवॉलमेन्ट वाली थियरी हजम नही हुई ये राठोड उसे देख कर समज जाता है ओर सोलंकी को देख कर..)

राठोड: में आप का कन्फ्यूज़न समज सकता हु लेकिन इस केस में आप डॉ नेहा का ही इंवॉलमेन्ट देख लीजिए। मुम्बई की जानी पहचानी डॉक्टर होने के साथ आपको हेल्प भी कर ती थी लेकिन देखिए, आया ना इंवॉलमेन्ट?

सोलंकी: सर पक्का कुछ नही कहा जा सकता। हम सिर्फ शक की नोक पे ही रख सकते है।

राठोड: शक ही सही। है तो सही ना। 1 परसेंट भी है ना। अगर इंवॉलमेन्ट नही होता तो प्रदीप के बाद सुमित ओर फिर नेहा ही क्यो?। आप ओर में क्यों नही?

सोलंकी: हा। आप की बात नोटिसेबल तो है। लेकिन विश्वास नही होता कि कोई डॉक्टर भी.. किस पे विश्वास करे साला समज में नही आ रहा।

राठोड(हल्का सा मुस्कुराकर): लगता है सोलंकी, तुमारी याद दाश्त जरा कमजोर है। (सोलंकी के चेहेरे पे प्रश्नार्थ भाव देख कर..) अरे कुछ साल पहले ही.. तलवार केस भूल गए। दोनों मा बाप डॉक्टर्स ही तो थे। और दूसरी बात , ऐसा किसने कहा कि जो बड़े पद पर है वो क्राइम नही कर सकता, वो बिल्कुल साफ ही होगा। मेने ऐसे तलवार जैसे ही कितने केस देखे है की जिस में बड़े होदे वालो ने ही क्राइम किया हो। बड़ा होदा बड़ा नाम केरेक्टर सर्टिफ़िकेट नही होता।

सोलंकी: तो भरोसा किस पर किया जाए?

राठोड: अपने instinct पे, जैसे अभी तक आपने किया है और success हुए हैं। और एक बात हर केस में इसी लिए में समानता के चश्मे पहन कर काम करता हु, रिज़ल्ट परफेक्ट आता है और ईसि लिए में न्याय की देवी का पालन करता हु जो सामने वाले के नाम, दाम, होद्दे, शोहरत से परे हो कर नयाय करतीं है।

सोलंकी: लेकिन आंखों ले पट्टी लगी हो तो कैसे पता चलेगा कि किसका वज़न ज्यादा है। किस का पलड़ा भारी है।?

(राठोड सोलंकी को सिर्फ एक लुक देता है ओर वही पे डॉ दीक्षित आ पहोच ते है उन्हें देख कर राठोड उनको तंज कज़ कर पूछता है).

राठोड: अरे आइये डॉ दीक्षित, आप ही कि राह देख रहे थे। उमीद से जल्द आ गए आप।

ये तंज समाज कर के भी आने आप को शान्त रख कर डॉ दीक्षित राठोड के सवाल का जवाब देते है।

दीक्षित: जी। क्यों कि नेहा जी की बॉडी का exmination मेने अपने असिस्टन्ट मनोहर को सोप दिया क्यों कि मुजे सोलंकी सर का कुछ आधे घन्टे पहले कोल आया था पोस्टमार्टम रिपोर्ट सबमिशन के लिए।

राठोड: जी। वैसे तो आप ने फोन पे ही बताया था लेकिन मुजे ओर भी कुछ जान ना था ईसि लिए बुलाया।

दीक्षित: जी पूछिये।

राठोड: ये प्रदीप के प्रिंट्स ग्लास पर के प्रिंटस के साथ मेच करने के लिए आप ने कहा से लिये?

दीक्षित: (थोड़ा चोंक जाता है लेकिन फिर..) उसके हाथ पे से। सिम्पल।

राठोड(मुस्कुराकर): yes ofcours, क्यों कि आप के पास उनकी बॉडी थी।

दिक्षीत: जी। लेकिन आप को एक्सेक्टली पूछ ना क्या है? डाउट कहा है?

राठोड: सुमित के प्रिंट्स में। क्यों कि दूसरे ग्लास पे सुमित के प्रिंट्स मीले उसको मैच करने के लिए सुमित के दूसरे प्रिंट्स कहा से मिले क्यों कि हमारे आने के बाद से, पहले से, शुर से सुमित यही था। तो explain करेंगे दीक्षित जी?

अब दीक्षित थोड़ा ठंडा पड़ जाता है और थोड़ा रुक कर के ..

दीक्षित: जी, वो मेने उसके department के biometrics database मेसे लिए थे।

ये सुन कर सोलंकी ओर राठोड गुस्सा हो जाते है और उसमें सोलंकी अपना आपा खोते हुए..

सोलंकी: काय दिक्षित साब, तूमी वेडा झाला काय। आपल्याला हे माहित नाही की ते बेकायदेशीर आहे? ऐसे कैसे आप किसी ऑफिसर के डेटाबेस मेसे उनके प्रिंटस निकलवा सकते है।

दीक्षित: मला सगळा माहित आहे सोलंकी, पण तुज विचार ना, जर मी हे केले नाही तर हे समजेल की सूमित च्ये प्रिंट्स आहेत? और तीसरे ग्लास पे भी उसी के तो निशान मिले है ना.

राठोड: आपल्याबद्दल सर्व काही खरे आहे परंतु आपल्याला हे माहित असले पाहिजे की हा गुन्हा आहे. आप ने आपके एथिक्स तोड़े है And you have to pay for this Dr Dixit. Now You may leave.

डॉ दीक्षित निराश हो कर के जा ही रहे होते है वही उसी वख्त उनका फोन बजता है , सामने उसके असिस्टन्ट का कोल था, वो फोन उठाते है और..

दीक्षित: हा बोल मनोहर, (सामने से कुछ कहा जाता है वो ध्यान से दीक्षित सुनता है फिर..) ok, कन्फर्म है, कोई चूक नही होनी चाहिए , चाइये तो एक बार फिर से चेक कर ले। (सामने से फिर कुछ बाते होती है वो सुन कर के..) ठीक है एक काम कर, मर्डर स्पॉट के फोटोज़ लिए है वो ओर पोस्टमार्टम कि रिपोर्ट दोनों मुजे व्हॉट्स एप कर। हा लॉकर ।

राठोड और सोलंकी दोनों दीक्षित की ओर प्रश्नार्थ भाव से देख रहे थे वह देख कर ...

दीक्षित: डॉ नेहा का पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गया।

राठोड: इतनी जल्दी?

दीक्षित: हा क्योंकि जब हम मर्डर स्पॉट से नेहा की बॉडी को ले जा रहे थे तब सोलंकी का मुजे फोन आया , तो मैने मनोहर को बॉडी के साथ भेजा ओर पूरा पोस्टमार्टम उसे हीं कंडक्ट करने को कहा।

सोलंकी: इसी लिये आप आधे घन्टे में यहा पहोच गए और पेरेलल उसी वख्त में डॉ नेहा का पोस्टमार्टम भी हो गया।

दीक्षित: जी।

राठोड: तो जैसे आप ने बताया था कि सर पे कुछ भारी चीज़ मारी है , head injury.. वो सही है?

दीक्षित: yes बिल्कुल। वहा से एक सिलवर कलर के एक्यूमिनीयम के जार से मारा है उसमें भी खासा डैमेज है।

राठोड: इसका मतलब उसपे भी किसी ने watch रखी होगी।

सोलंकी: शायद शिवनारायण ने?

राठोड : हो सकता है। अब पक्का है कि नेहा इस सिंडिकेट में इन्वॉल्व थी।

सोलंकी: बिल्कुल सर क्यों कि किसी ने उसी के ऑफिस में से ही जार से सर पर वार किया है।

राठोड: बिल्कुल। (तभी उनका का ध्यान आकस्मिक ही उनके घड़ी पर पड़ता है और उसमें सुभह के 7:45 बजे थे वो देखते है.. और अनायास ही कुछ विचार में पड़ जाते है और उसे शब्द में बयान कर न शुरू करते है) ... ये केस सुबह 4:30 के आसपास शुरू हुआ। और आप दीक्षित जी ऑर डॉ नेहा तकरीबन 5 के आसपास आये होंगे?

दीक्षित(सोचते हुए): हा.nearly.

सोलंकी: उसके बाद सूमित के होश में आते ही उसका इन्ट्रोगेशन तकरीबन 20 एक मिनिट चला।

राठोड: मंजे 5:20 के आस पास। और उसी वख्त उसे पैनिक एटेक आया और उसे एम्ब्युलन्स में डॉ नेहा अपने क्लिनिक लेके गई।

सोलंकी: ओर वापस लगभग 6 बजे के आसपास आये। (और तुरंत ही उसे कुछ सूजा ओर ..) एक मिनिट सर। दीक्षित सर को डॉ नेहा के क्लिनिक से आते हुए आधा घन्टा लगा। तो अगर 5:20 को सुमित को लेकर के नेहा गई तो 5:50 को पहोचे होंगे, तो तुरंत ही 10 मिनिट में यहा वापस कैसे आये।

राठोड: करेक्ट। अब तो तेय है कि नेहा भी इस केस मे उतनी ही इनवोल है जितने सूमित ओर प्रदीप। सोलंकी ...( सोलंकी बीच से ही)

सोलंकी: जब खबर मिली तब से ही काम पे लगा दिया।

राठोड: गुड़। उसके बाद जब फिर से आने के बाद इन्ट्रोगेशन हुआ जिसमें हमे यह पता चला कि सूमित को psyudologia fentastica है। उसमें और 15 एक मिनिट गए।

सोलंकी: 6:15.

राठोड: राइट। उसके बाद ट्रांसफॉर्मर ब्लास्ट ओर टियर गेस एटेक हुआ और सूमित पर एटेक हुआ। और हम ने उसे एम्ब्युलन्स में भेजा तब लगभग 6:30 बजे थे।

ये बाते सुनते हुए दीक्षित भी अचंभे में पड गया और तुरन्त ही अपनी बात रखी..

दीक्षित: ओर डॉ नेहा की हत्या 6:55 के आसपास हुई।

राठोड: क्या? Are you sure?

दीक्षित: शयमभर टका। और इतना जल्दी कैसे हुआ ये में आगे बता चुका हूं।

राठोड:मतलब हेमरेज कन्फर्म ही है।

दीक्षित: जी सर, बिल्कुल। खोपड़ी के हड्डी का एक हिस्सा दिमाग के भाग में घुस जाने की वजह से ही मौत हुई है। (वही दीक्षित का व्हॉट्सएप ब्लिंक होता है,वो सब देखता है ओर फिर राठोड ओर सोलंकी को दिखाता है, फोटोस देख ने के बाद..)


सोलंकी: ओह.. पूरा चहेरा बिगड गया है।

दीक्षित: हा, स्किन की उपरी ओर अंदरूनी खाल फट के बहार आ गयी है और अंदर ओर बहार दोनों बाजू ब्लीडिंग भी हुआ है। काफी हुआ है इन्फेक्ट.

राठोड: ये सब एक परफेक्ट टाइम टेबल के हिसाब से चल रहा है।

सोलंकी: सर मेरा instinct कुछ अलग कह रहा है।

राठोड: मेरा भी। शायद हमारे दोनों का instinct एक जैसा ही कुछ कह रहा है।

बीच मे inturpt करते हुए ..

दिक्षित: सर अगर अब मेरा कुछ काम न हो तो I shoul leave, क्यों कि ये सारे रिपोर्ट्स आप दोनों को प्रॉपर फाइलिंग कर के सबमिट करनी है तो उस के लिए जाना होगा।

राठोड: ok but keep in touch. कुछ और ध्यान में आये तो बताएगा जरूर।

दीक्षित: Most Certainly Sir.

(कह कर के घर से बाहर जाता है और उसी वख्त सोलंकी का फोन बजता है। )

सोलंकी: हा गोयल बोल। ( सामने से गोयल कुछ इन्फॉर्मेशन देता है बो सुन के सोलंकी के चेहरे का रह उड़ जाता है और राठोड वो नोटिस करता है, कुछ देर बाद गला साफ करते हुए).. पक्का। कुछ गलती नही है ना। कन्फर्म कर फिर से। ( सामने से गोयल फिर कुछ बात करता है , वो सुन ने के बाद ) ठीक है। मी एक नंबर देत आहे, मला त्याच्या स्थितीबद्दल सांगा. मी व्हॉट्सअ‍ॅप करतोह । हा ठीक है।

राठोड (सोलंकी की ओर देख कर के): काय जाला? काय मिळाले?

सोलंकी: सर, जिस डॉक्टर नेहा की मौत का समाचार मिला , ते ओरिजिनल डॉ नेहा च नाही. डुप्लीकेट आहे। मंजे फेक आइडेन्टिटी।

राठोड: What? What the hell are you talking?

सोलंकी: Yes sir, we are trapped. जो हमारे साथ थी वो असली डॉक्टर नेहा थी ही नही। लेकिन उसी की हत्या हुई है असली डो नेहा के क्लिनिक पे।

राठोड( भौचक हो कर के): अस कस शक्य है सोलंकी? तुमिज एकटा होता न कि डो नेहा तुम्हारे डिपार्टमेंट में केसिस में मदद करती है। मग कसा तुम्ही नेहा ला ओळखता येत नाही?

सोलंकी: सर , मदद करती है वो सच है लेकिन में खुद उनको पर्सनली आज ही इसी केस में मिला। बाकी किसी भी क्रिमिनल को इनके पास ले जाना हो, या कुछ भी करना हो तो हमारे सीनियर्स ही देखते थे। इसी लिए जब गोयल ने बताया तो में भी कन्फ्यूज़ हो गया।

राठोड: how, हम चूक कैसे गए?

सोलंकी: या चुका दिए गए?

राठोड तीखी नज़रो से सोलंकी को देखता है। दो नो गहरी सोच में पड़ जाते है लेकिन कोई है जो उनको अभी भी मोनिटर कर रहा है।