MERA PARICHAY in Hindi Short Stories by hananya bhushan books and stories PDF | मेरा परिचय

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मेरा परिचय

मेरा परिचय


मेरा परिचय क्या है ? कौन हूँ मैं ? तीस सालों का परिचय देना कुछ लाइनो में बड़ा मुस्किल सा जान पड़ता है। एक मध्यमवर्गीय की लड़की जिसका नाम सुधा था बहुत सारे सपने लिए अपने आँखों में लिए अपने एक छोटे से घर में बड़े परिवार के साथ रहती थी , उसके पिताजी टीचर थे एक सरकारी स्कूल में , और माताजी ग्रहणी थी , दो बहने थी जो छोटी थी सुधा से , विधि नौवीं क्लास में थी और पूनम १२ क्लास में थी ।

सुधा शुरू से ही पढ़ने में अच्छी थी कभी किसी को कहना नहीं पड़ता था की पढाई कर लो। सुधा अपनी दोनों बहनो को भी पढ़ाया करती थी। सुधा ग्रेजुएशन कर के लॉ की पढाई कर रही थी उसका लक्षय था जुडिशरी judiciary की परीक्षा देने का पर साधन इतने कम् थे की बहुत मुश्किल से किताब खरीदने के पैसे हो पाते थे।

घर में एक ही कमाने वाला था वो थे सुधा के पिताजी जो काफी उम्रदराज़ भी हो गए थे और बीमार बी रहने लगे थे।
अब तो सुधा के लिए और भी परीक्षा की घडी थी की वो पहले judiciary की तैयारी करे या लॉ की पढाई या घर का खर्राच देखे सारी ज़िम्मेदारी सुधा पे आ गयी थी। पर शायद भगवान उनको ही मुसीबत देते हैं जो झेलने की ताकत रखते हैं। सुधा बहुत हिम्मती लड़की थी मुश्किलों से कभी हर नहीं मानती थी। सुधा ने एक स्कूल में पढ़ना शुरू कर दिया , लॉ की क्लास शाम में लगती थी तो वो सुबह नौकरी पे जाती थी शाम में लॉ करती थी। और रात में पढाई करती थी जुडिशरी की।

धीरे धीरे उसके घर के हालत सुधर गए पर जो सोचो वो कभी नहीं होता यही तो ज़िन्दगी है।

एक दिन उसके पिताजी देहांत हो गया और ख़त्म सा हो गया सारी खुशियां एक पल में चली गयी। सुधा के सारे सपने बिखर से गए उसको ऐसा लगा मानो उसके पैरों के निचे से ज़मीन ही खिसक गयी हो सारी दुनिया उजड़ गयी हो। पर ये तो प्रकर्ति का नियम है जो गया है वो जायेगा भी एक दिन कुछ भी एक जिसा नहीं रहेगा कभी भी।

कुछ समय बीतने के बाद सुधा का रिजल्ट आया जुडिशरी का और उसको एक ख़ुशी की खबर मिली की उसका जुडिशरी सिलेक्शन हो गया है पर ये खबर आज उसको ख़ुशी भी दे रही थी पर वो फिर भी खुश महसूस नहीं कर रही थी काश उसके पापा जिन्दा होते तो बात ही कुछ और होती घर में जशन का माहौल होता आज तो। पर ऐसा हुआ नहीं आस पड़ोस के लोग खबर मिलते ही बधाई देने आने लगे , रिश्ते दार जो भूल गए थे सुधा के पिताजी के जाने के बाद वो भी बधाई देने लगे। आज बहुत साल बीत गए सुधा आज बही अपनी नौकरी में कार्यरत है बहने भी अपने अपने घरों में व्यस्त हैं , सुधा की माताजी का देहांत हो चूका है , सुधा की भी शादी गयी है सब सम्पन हैं पर कुछअधूरापन है।

जब तक इंसान जीवित रहता है तब तक उसको कुछ नहीं मिलता जब ज़िन्दगी ख़तम हो जाती है तब सब तरह से वो सम्पन हो जाता है।

ये है मेरा परिचय ज़िन्दगी के उतर चढ़ाव से भरा कुछ हस्ता कुछ मुसकुराता पर यही है मेरा परिचय जो शायद आपको अपनी ज़िन्दगी के करीब लगे कुछ अपना सा लगे।

आशा करती हूँ आपको मेरा ये परिचय पसंद आया होगा कमेंट कर के बताइयेगा। ..


शुक्रिया।