अध्याय - 4
इधर रायगढ़ के अस्पताल में रिया के दादाजी जहाँ एडमिट थे रिया पूरे मन से उनके देखभाल में लगी थी। सुबह जब डॉक्टर राऊंड पर आये तो बताया अब दादाजी का बी.पी. थोड़ा कंट्रोल में है और बुखार भी उतर गया है पर कम से कम एक दिन आब्जर्वेशन में रखना पड़ेगा। रिया की चिंता थोड़ी कम हो गई थी, वो दादाजी का खाना लेकर आई थी।
रिया बेटा आओ मेरे पास बैठो। जब से तुम आई हो तुमसे बात करने का मौका ही नहीं मिला है। दादाजी बोले।
जी दादाजी। रिया ने मुस्कुराते हुए कहा।
तुमको ठीक से देख तो लूँ। नजदीक आओ, यहाँ बेड पर मेरे पास बैठो।
रिया नजदीक आकर बैठ गई। उसके दादाजी ने उसके हाथ को पकड़ा और बूढ़ी ऊँगलियों से सहलाने लगे। उनकी आँखों में आँसू थे।
बेटा तुमको पता है हम दोनो बूढ़े सिर्फ तुम्हें देखकर जिंदा है वरना जिसका जवान बेटा मर गया हो ना उसके जीने की सारी आशाएँ खत्म हो जाती हैं।
ऐसा मत बोलिए दादाजी। आप दोनो तो मेरी दुनियाँ है। मेरी सारी खुशियाँ आप दोनो से है और जो चले गये है उनका क्या गम। हमें तो खुश होकर जीना चाहिए। दादाजी दुखी होने के तो लाख बहाने हैं पर खुश होने के लिए तो एक ही सहारा कॉफी है।
मुझे समझ में आ रहा है बेटा कि अब तुम बड़ी हो गई हो। तुम्हारी बातों से समझ की झलक आ रही है। सयानों की तरह बात कर रही हो। क्या करके आयी हो रायपुर से। किसी दुखी आदमी से मिली हो क्या ? या किसी को तुमने खुश किया। देखो बेटा हमेशा याद रखना जब तुम खुद खुश होती हो ना तो अपने आप भगवान की प्रार्थना हो जाती है। मतलब खुश होना एक प्रकार से भगवान की प्रार्थना करने के बराबर है। परंतु जब भी तुम दूसरों को खुश करती हो तो भगवान तुम्हारे लिए प्रार्थना करता है। इसलिए जीवन का प्रथम उद्देश्य दूसरों को खुश करना रखो। मैं देख रहा हूँ कि तम अपने बाल संवार रही हो, बीच-बीच में अपने कपड़े ठीक कर रही हो दर्पण देख रही हो, बताओ क्या बात है ?
कुछ भी तो नहीं दादाजी, रिया शर्माते हुए बोली।
देखो बेटा ऐसा तभी होता है जब तुम किसी और की नजर से अपने को देखना चाहती हो। क्या ऐसा कुछ है ?
दादाजी ने रिया के चेहरे को अपने ऊँगलियों से ऊपर उठाया। तुम्हारा चेहरा, तुम्हारी शर्म मुझे सब बता रही है बेटा । क्या तुम मुझे अपना दोस्त नहीं समझती ?
ऐसा मत बोलिए दादाजी ?
तुम्हारे मन में कोई बात है तो मुझे खुलकर बताओ बेटा। मेरे कंधे अब झुक गए हैं, कब मेरा शरीर साथ छोड़ दे ये बता नहीं सकता। इसलिए जल्दी तुम्हें किसी अच्छे इंसान को सौंपकर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहता हूँ।
दादाजी आप क्यों ऐसी बात कर रहे हैं। हाँ आप सही बोल रहे है मेरे जीवन में कुछ बदलाव हुए हैं।
तो मुझे बताओं दादाजी ने कहा।
दादाजी मैं जिस दिन रायगढ़ वापस आने वाली थी उसके पहले दिन मेरी सहेली सुमन के बड़े भैया का जन्मदिन था, उस पार्टी में एक लड़का आया था।
अच्छा क्या नाम है उसका ?
चंदन। दादाजी।
फिर आगे ?
उस लड़के ने पार्टी के ही दौरान मुझसे आकर कहा कि उसे पढ़ाई से संबंधित कुछ गाईडेंस चाहिए तो बात करने के लिए हम लोग कॉफी शॉप पर चले गए। दादाजी वो नमकीन चाय पीता है ताकि वह अपनी मातृभूमि को याद कर सके। उसको अपने संस्कारों से, संस्कृति से, जमीन से बहुत लगाव है, ये देखकर मैं प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाई।
फिर मैं उसे पढ़ाने लगी। उसके विचारों से, मैं बड़ी प्रभावित हुई क्योंकि उसे दूसरों का ख्याल रखना आता है। बिल्कुल आपकी तरह।
अच्छा ?
इन सब बातों में मैंने आपको एक बात नहीं बताई दादाजी।
वो क्या बेटा ?
वो अनाथ है दादाजी। उसे अपने माता-पिता का कोई ज्ञान नहीं है वो गोवा के एक अनाथालाय में पला बढ़ा है।
ओह! तो उससे क्या फर्क पड़ता है बेटा। इंसान के कर्म उसे अच्छा या बुरा बनाते हैं। वो अनाथ है तो क्या हुआ उसके संस्कार थोड़ी अनाथ हैं। अच्छा वो काम क्या करता है ?
वो रमेश भैया के साथ उन्हीं की कंपनी में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव है दादाजी।
ये तो बहुत अच्छी बात है बेटा। मुझे अपने संस्कारों पर बहुत भरोसा है बेटा। अगर तुमने उसे चुना है तो वो लायक होगा, तभी तुमने चुना होगा।
रिया अपने दादाजी के सीने पर लेट गई।
दादाजी उसके बाल सहलाने लगे।
क्या मैंने आपको तकलीफ पहुँचाई दादाजी ?
बिल्कुल नहीं बेटा बल्कि तुमने मुझे चिंतामुक्त कर दिया। शाम को जब हम लोग घर जाएंगे तो तुम्हारी दादी को भी बताएंगे।
नहीं दादाजी आज शाम को हम घर नहीं जाएंगे और ना तो दादी को अभी कुछ बताएंगे। रिया बोली।
क्यों बेटा।
क्योंकि डाक्टर्स ने आपको 24 घंटे आब्जर्वेशन में रखने के लिए कहा है। हम लोग कल सुबह जाकर दादी को बताएंगे।
ठीक है बेटा। पर अभी तुम घर जाओ और खाना खा आाओ।
अच्छा दादाजी, मैं जाती हूँ खाना खाकर आऊँगी और आपके लिए खाना लेते हुए आऊँगी। शाम हो गई थी तो रिया ने सोचा कि चंदन शायद घर आ गया हो वह मार्केट में एक जगह फोन करने के लिए रूकी भी थी परंतु यह सोचकर कि दादी को तो अभी बताई नहीं इसलिए उनको बताने के बाद ही चंदन को बताऊँगी, वह आगे निकल गई। घर पहुँचकर वह अपने दादी से लिपट गई।
अरे क्या हुआ रिया ? दादी ने पूछा।
आई लव यू दादी। रिया बोली।
क्या बात है आज दादी के ऊपर बहुत प्यार आ रहा है। तेरे दादा तो ठीक है ना ?
ठीक भी हैं और खुश भी दादी। रिया बोली।
अच्छा तो मुझे नहीं बताओंगी किसलिए खुश है।
नहीं बताती तुम ही दादाजी से पूछ लेना।
बताओं ना रिया क्यों ऐसे परेशान कर रही हो।
अच्छा बताऊँगी दादी। पहले तुम खाना खिलाओ। बहुत भूख लगी है।
दादी मैंने तुम्हारे लिये दामाद ढूंढ लिया है।
क्या ?
हाँ दादी मैं सच बोल रही हूँ मैंने दादाजी से उनके विषय में बात कर ली है। उन्होंने अपनी सहमति दे दी है, आपकी सहमति लेनी बची है।
अच्छा, क्या नाम है लड़के का ?
जी, चंदन।
और आगे ?
सिर्फ चंदन दादी। रिया थोड़ी गंभीर हो गई। वो अनाथ है दादी इसलिए उसका कोई सरनेम नहीं है।
वो नहीं जानता अपने माता-पिता के बारे में।
तो क्या हुआ बेटा इंसान तो ठीक है ना ?
हाँ दादी।
और कुछ काम-धाम करता है कि नहीं ?
25000 हजार रूपये महीना कमाता है दादी।
अच्छा ये तो अच्छी बात है बेटा । तो तू हम लोग को छोड़कर चली जाएगी?
नहीं दादी। ऐंसा तो मैं सपने में भी नहीं सोच सकती। चंदन को हाँ बोलने से पहले मैंने लाख बार सोचा । अच्छी बात ये है कि उसका यहाँ रायगढ़ ट्रांसफर कराया जा सकता है और मेरे अलावा उसके जीवन में और कोई जिम्मेदारी भी नहीं है। तुम बताओं दादी कि अपने घर में उसको स्थान दोगी कि नहीं ? रिया ने पूछा।
ऐसा क्यों बोल रही है ? ये तेरा घर नहीं है ? बल्कि हमको तो और सहारा मिल जाएगा बेटा।
ठीक है दादी। अगर यहाँ ना रहे तो हम सब मिलकर रायपुर ही चले चलेंगे। उन्होंने फ्लैट किराए पर ले रखा है सब वहीं रहेंगे।
ठीक है बेटा, हमारा संसार तो सिर्फ तुम्हीं से है, तुम खुश तो हम खुश।
अच्छा दादी मुझे टिफिन दे दो। दादाजी इंतजार कर रहे होंगे।
ले जाओ और ठीक से जाना रात हो गई है।
ठीक से जाऊँगी दादी चिंता मत करो मुझे गाड़ी चलाना आता है।
रिया टिफिन लेकर हॉस्पिटल आ गई। दादाजी उसका ही इंतजार कर रहे थे।
अरे आ जा बेटी। अपने दादी से बात हुई कि नहीं ?
हुई ना दादाजी उन्होंने भी अनुमति दे दी है।
ये तो खुशी की बात है बेटा। पर एक चीज का दुख तो हो रहा है कि तुम्हारे ऊपर अब हमारा अधिकार खत्म हो जाएगा। यह बोलकर दादाजी उदास हो गए।
नहीं दादाजी आपका अधिकार सबसे पहले। कोई भी आए मेरे जीवन में आपका अधिकार हमेशा उससे ज्यादा रहेगा। चलिए, अब सोते हैं। आपके पास थोड़ी देर सो जाऊँ। रिया बोली।
इतनी बड़ी हो गई है फिर भी अपने दादा के साथ सोती है ? दादाजी मुस्कुरा दिए।
मुझे पसंद है दादाजी। ऐसा बोलकर रिया अपने दादा से लिपटकर सो गई। रिया दो मिनट में ही सो गई थी। उसके दादाजी की आँखों में आँसू आ गए वो उसे एकटक निहारते रहे फिर उसको उठाकर बोले। जा बेटा ठीक से सो जा, कल हम लोग वापस घर चलेंगे। डॉक्टर ने तो अनुमति दे दी है।
ठीक है दादाजी।
दोनो निश्चिंत होकर सो गए।
दूसरे दिन वह बहुत ही प्रसन्न मन से उठी। वह बहुत खुश थी क्योंकि उसके जीवन में सब कुछ बेहतर हो रहा था। उसे ढेर सारी खुशियाँ मिलने वाली थी। वह सोची डॉक्टर के राउंड पर आने से पहले चंदन को खुशखबरी दे दिया जाए।
वह बाहर गई और चंदन को फोन लगाई।
हैलों! चंदन मैं बोल ही हूँ रिया।
गुड मार्निंग रिया, तुम ठीक हो और दादाजी कैसे हैं ?
मैं ठीक हूँ चंदन। तुम ठीक हो ? रात को खाना खाया था कि नहीं ? क्योंकि मैं जानती हूँ तुम थोड़े लापरवाह प्रवृत्ति के हो, अपने ऊपर ध्यान नहीं देते।
तुम जो हो ध्यान देने के लिए। पहले ये बताओं दादाजी कैसे है ?
वो अब ठीक हैं। आज उन्हें छुट्टी मिल जाएगी।
तुमने नहीं बताया कि रात को खाना खाया था कि नहीं ? रिया ने पूछा।
कल मेरा मूड थोड़ा ठीक नहीं था इसलिए रात को खाना नहीं खाया था।
ऑफिस का कोई टेंशन था क्या ?
नहीं।
तो फिर ?
कुछ और बात से मन खराब था।
हाँ तो बताओं मुझे।
तुम्हारी सहेली है ना सुमन। रमेश की छोटी बहन उसको परसों ब्रेस्ट कैंसर डिटेक्ट हुआ है।
ओह! ये तो बुरी खबर है फिर ?
फिर क्या ? वो बहुत निराश हो गई है इसलिए मैं उसे समझाने गया था कि ये कोई ऐसा मैटर नहीं है जिसका इलाज ना हो और यदि इलाज ना भी हो पाए तो ब्रेस्टेक्टामी करवा लेना तो उसका कहना था कि ऐसे में वो जीवन भर अकेले रह जाएगी और कौन उसे अपनाएगा।
तो तुमने क्या बोला ? रिया पूछी।
तो मैंने उससे एक मजेदार बात कही।
वो क्या ?
तुमको नहीं बता सकता।
मुझसे छुपाओगे। इतना मारूंगी ना तुमको कि होश ठिकाने आ जाएंगे। बताओं बोली ना ?
अच्छा बाबा डाटोगी तो नहीं ?
मैने कहा अगर तुम्हारी शादी नहीं हुई तो मेरे साथ एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर कर लेना, रिया बिल्कुल मना नहीं करेगी। यह बोलकर चंदन हँसने लगा।
एक्स्ट्रा क्यों पूरी शादी कर लो।
अब देखो तुम गुस्सा कर रही हो।
मैं कहाँ गुस्सा कर रही हूँ। तुम चाहे जितनी मर्जी शादियाँ करो। बस ध्यान रखना अगर मुझे धोखा दिया ना तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।
देखो अब तुम मुझे डांट रही हो रिया।
नहीं दिल से कह रही हूँ अगर जीवन में किसी को इस तरह सहारा देने को मिले तो अपनी खुशियों को कुर्बान करके उनको सहारा देना चाहिए। जैसे तुमने मुझे दिया।
अच्छा वो सब छोड़ो, ये बताओं दादा-दादी से मेरे विषय में बात हुई कि नहीं ?
हुई ना। उसकी के लिए तो फोन की हूँ। दादाजी से विस्तार से बात हुई और वे बेहद खुश हैं कि उनको तुम्हारे जैसा दामाद मिला।
दामाद। ये बोलकर तुमने मेरा मान बढ़ा दिया रिया।
रिया शर्मा गई।
चुप करो। सुन ली ना खुशखबरी। दोनो मान गए यही बहुत है।
चलो अच्छा है सब कुछ अच्छा हो रहा है। तुम सही में मेरे जीवन का सौभाग्य हो रिया। जल्दी आ जाओ ना प्लीज।
अच्छा ? जल्दी किसलिए।
वो क्या है मैं बेड पर जाता हूँ तब याद आता है कि लाईट स्वीच ऑफ करना तो भूल ही गया और रोज ऐसा हो जाता है, चंदन बोला।
अच्छा तो ये बात है महोदय को बीवी नहीं चाहिए। सिर्फ लाईट स्विच ऑफ करने के लिए कर्मचारी चाहिए। उसके लिए एक नौकर रख लो। मेरी क्या जरूरत है।
और मेरे लिए नमकीन चाय कौन बनाएगा ?
उसके लिए एक नौकरानी रख लो और क्या ?
अच्छा, और किसके गोद में सिर रखकर सोऊँगा मैं, किसको प्यार करूंगा मैं और कौन मुझे सुंदर-सुंदर बच्चे देगा ?
अब बोलो। चंदन बोला।
उसके लिए एक अच्छी पढ़ी-लिखी सुंदर सी लड़की ढूँढ लो और कर लो उसी से शादी।
वो तो मैंने ढूँढ ली है। बहुत सुंदर है वो। बस थोड़ा भाव ज्यादा खाती है और जल्दी आने के लिए तैयार नहीं होती। मालूम है उसका नाम क्या है? उसका नाम है रिया।
अच्छा बस करो मैं जल्दी आने की कोशिश करूंगी। डॉक्टर आने ही वाले होंगे। मैं आज दादाजी को घर लेकर जाऊंगी।
ठीक है रिया। थोड़ी जल्दी आना प्लीज।
थोड़ा धैर्य रखो। धैर्य का फल मीठा होता है। मेरा फल तो नमकीन है प्रिये, क्योंकि मुझे मीठे से ज्यादा नमकीन पसंद है। आ जाओ जल्दी प्लीज।
हाँ आती हूँ अब फोन रखूँ। मुझे जाना है।
ठीक है रिया अपना ख्याल रखना।
तुम भी। रिया ने कहा।
डॉक्टर राऊँड पर आकर चले गए थे और उन्होंने जाने की अनुमति दे दी थी इसलिए रिया सारी औपचारिकताएँ पूरी करने में जुट गई। सारे काम खत्म करने जब वो वापस आई तो दादाजी बेड पर बैठे थे।
चलो दादाजी रिया बोली।
कितने पैसे लगे ?
जितने भी लगे मैंने जमा कर दिए है आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है।
अच्छा तू तो बड़ी हो गई है मेरी प्यारी गुड़िया।
चलो दादाजी। स्कूटी में बैठ जाओगे ना ?
अलग से ऑटो बुलाने की आवश्यकता तो नहीं है ?
नहीं बेटा। अब मै स्वस्थ्य फील कर रहा हूँ, स्कूटी में आराम से बैठ जाऊँगा।
दोनो स्कूटी पर बैठकर हॉस्पिटल से बाहर रोड पर निकल आए। अभी दोनो मोड़ के पास ही पहुँचे थे कि सामने से ट्रक आता देखकर रिया हड़बड़ा गई और स्कीड करते हुए ट्रक के सामने जा गिरी। ट्रक उसके पैरों को कुचलते हुआ निकल गया। उसके दादाजी दूर गिर गए थे इसलिए बच गए लेकिन बेटी के ऊपर से ट्रक को जाता देख उनको जबरदस्त मानसिक आघात लगा। ऐसा भीषण हादसा उन्होंने कल्पना भी नहीं किया था। वो जोर-जोर से चिल्लाकर रोने लगे। वो तेजी से उठ कर भाग रिया की ओर भागे और देखा कि उसका एक पैर तो सही सलामत था परंतु दूसरा पैर घुटने से नीचे बुरी तरह कुचल गया था। रिया मूर्छित पड़ी थी और बेहोश थी। दादाजी का दिमाग काम नहीं कर रहा था। वो चिल्ला-चिल्ला कर रो रहे थे। कुछ लोग वहाँ इकठ्ठा हो गए थे । सबसे नजदीक हॉस्पिटल वही था जहाँ पर दादाजी एडमिट थे, इसलिए लोग रिया को उठाकर उसी हॉस्पिटल में ले गए। कुछ लोगों ने पुलिस को बुला लिया था। उसके दादाजी अभी भी सदमें में थे।
रिया को तुरंत आई.सी.यू. में ले जा लिया गया था।
देखिए अपने को संभालिए सिंग साहब। डॉक्टर ने कहा। रिया का एक पैर तो बुरी तरह कुचल गया है। हमें एक्स-रे और सी.टी. स्कैन दोनो करना पड़ेगा तभी असल स्थिति समझ में आ पाएगी।
जो करना है वो करिए डॉक्टर साहब, लेकिन मेरी बेटी को बचा लिजिए। मेरे जीवन की यही एक आशा हैं। मैं पहले ही अपने बेटे-बहु को खो चुका है अब इस उम्र में उसे नहीं खोना चाहता। भगवान के लिए उसको बचा लिजिए। दादाजी रोते-रोते बोले।
कोशिश करके देखते हैं सिंग साहब। बाकी ऊपरवाले के ऊपर है। उनका शुक्रिया अदा करिए कि कम से कम जान बच गई। ट्रक सिर्फ पैर के ऊपर से गुजरा। डॉक्टर साहब बोले और चले गए।
दादाजी चुपचाप बैठे रहे उनकी आँख से अनवरत आँसू बह रहे थे। वो कुछ बोलने की स्थिति में नहीं थे। सोच रहे थे घर पर जाकर उसकी दादी से क्या कहूँगा। वो कैसे सदमा बरदाश्त कर पाएगी। रिया के सपनों का क्या होगा, उसके जीवन में तो अभी-अभी प्रेम आया था। उस लड़के का क्या होगा जब उसे पता चलेगा कि रिया के साथ इतना भीषण हादसा हुआ है। सहन कर पाएगी भी कि नहीं ? ढेर सारे सवाल उनके दिमाग में चल रहे थे, परंतु जवाब एक भी का नहीं मिल रहा था। अब तक तीन घंटे बीत चुके थे रिया के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। तभी डॉक्टर साहब आते दिखाई दिए। दादाजी उठ खड़े हो गए क्या हुआ डॉक्टर साहब ? दादाजी ने पूछा।
स्थिति थोड़ी गंभीर है सिंग साहब। रिया के पैर को काफी ज्यादा नुकसान हुआ है। खून की नलिकाएँ बुरी तरह डैमेज हुई है। खून रोकने की कोशिश तो हम कर ही रहे हैं पर मुझे नहीं लगता कि उसका एक पैर बच पाएगा। आप सेकेण्ड ओपिनियन के लिए उसे बड़े शहर जैसे नागपुर या हैदराबाद ले जा सकते हैं। यहाँ रायगढ़ में तो लगभग असंभव है।
दादाजी की आँख से आँसू बह निकले, वो और निराश हो गए।
क्या आपके कोई रिश्तेदार किसी बड़े शहर में रहते हैं ?
हाँ डॉक्टर साहब, मेरे एक करीबी संबंधी नागपुर में रहते हैं।
तो फिर एक काम करिए मैं एंबुलैंस उपलब्ध करवा देता हूँ, रिया को जिनती जल्दी हो सके नागपुर के किसी बड़े हॉस्पिटल में शिफ्ट करिए। वो अब मूमेंट करने लगी है। उसे जल्दी ही होश आ जाएगा और होश में आते ही वो और तकलीफ में आ जाएगी।
जैसा आप उचित समझे डॉक्टर साहब। मैं घर जाता हूँ और तैयारी के साथ आता हूँ। नागपुर में भी फोन कर देता हूँ ताकि वहाँ पर भी तैयारी कर लें।
दादाजी घर पहुँचे तो दादी सोफे पर ही बैठी मिली।
अरे! क्या हुआ जी। आप अकेले कैसे आए हैं रिया कहाँ है ?
दादाजी वहीं बैठ गए और रोने लगे।
क्या हुआ जी बताईये ना ? कुछ तो बोलिए।
क्या बताऊँ तुमको। हॉस्पिटल से आते-आते हादसा हो गया है। हमारी रिया!
क्या हुआ रिया को बोलिए ना ?
हमारी रिया के साथ भीषण हादसा हो गया है, उसके पैरों को ट्रक ने कुचल दिया।
ये सुनते ही दादी के होश उड़ गए। वो एकदम सदमें में आ गई और जोर-जोर से रोने लगी।
रोओ मत तुम थोड़ धैर्य से काम लो। अपनी पैकिंग कर लो हमें अभी उसको नागपुर लेकर जाना है। मैंने जोशी जी को फोन कर दिया है वो वहाँ एक बड़े हॉस्पिटल में बात कर लिए हैं। डॉक्टर बोल रहे है कि उसका इलाज यहाँ नहीं हो पाएग। चलो उठो और जल्दी करो। दादाजी ने कहा।
दोनो तैयारी करके हॉस्पिटल आ गए, तब तक एंबुलैंस तैयार था।
डोकटरों ने बहुत मदद की। उन्होंने पहले ही सारी फार्मालिटिस पूरी कर ली थी। जैसे ही ये लोग पहुँचे उन्होंने तत्काल रिया को एंबुलैंस में शिफ्ट किया। रिया को देखते ही दादी जोर-जोर से रोने लगी।
आ जाओ बैठो एंबुलैंस के अंदर दादाजी ने कहा।
दोनो अंदर बैठ गए। उनके साथ दो स्टाफ भी जा रहे थे। गाड़ी तेज गति से नागपुर के लिए निकल गई। गाड़ी में दो घंटे बाद लगभग रिया को होश आ गया था। वो थोड़ी अचेत थी कुछ समझ में नहीं आ रहा था। वह अधखुले आँख से अपने दादा-दादी को देख पा रही थी। वह टूटे लब्जों से अपने दादा को कुछ पूछना चाह रही थी।
बोलो बेटा रिया। तुम कुछ बोलना चाह रही हो ?
मुझे .......... क्या हुआ है ................ दादाजी ?
कुछ नहीं हुआ है बेटा, तुम ठीक हो जाओगी। दादाजी रोते रोते बोले।
मुझे आप................. कहाँ लेकर जा रहे हैं ?
हॉस्पिटल ले जा रहे हैं बेटा। नागपुर।
ना...ग...पु.....र ? क्यों ?
तुम अभी कुछ मत पूछो बेटा बस आराम करो।
मेरे ......... पैर........ में ........ दर्द हो रहा है .................. दादाजी।
हाँ बेटा मुझे मालूम है जल्दी ठीक हो जाएगा। तुम सोने की कोशिश करो।
नर्स उठी और उसे कोई इन्जेक्शन दे दी जिससे वह सो गई। आठ नौ घंटे लगातार चलने के बाद वो रिया को लेकर नागपुर पहुँच गए।
जोशी जी ने पहले ही सब इंतजाम कर रखा था।
एंबुलैंस के रूकते ही पूरा हॉस्पिटल प्रबंधन एक्टिव हो गया और तत्काल रिया को उठाकर आई. सी. यू. में ले गए। जोशी जी दादाजी के साथ ही थे।
एक घंटे बाद डॉक्टर्स बाहर आए और बोले देखिए पैर तो बुरी तरह से डैमेज हो गया है हम तो कर देते है परंतु सफलता के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। आप लोग बस अपना धैर्य बनाए रखिए।
ठीक है डॉक्टर्स साहब। जो बन पड़ता है कीजिए, बस मेरी बेटी को बचा लिजिए।
हम पूरी कोशिश करेंगे पहले आप लोग सारी फार्मालिटिस कम्प्लीट कर लीजिए।
जोशी जी और दादाजी सारी फार्मालिटिस पूरी कर दिए और इंतजार करने लगे। एक घंटे के बाद उन्हें बताया कि रिया को ऑपरेशन के लिए ले जा रहे हैं।
ऑपरेशन पाँच घंटो तक चला फिर डॉक्टर्स बाहर आए। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन तो कर दिए हैं परंतु ब्लड सर्कुलेशन नहीं हो पा रहा है अगर 12 घंटो में ये काम नहीं किया तो पैर कुछ भी काम का नहीं है। अंततः पैर को घुटने के नीचे से काटना पड़ेगा।
ऐसा मत कहिए डॉक्टर साहब। हम लोग यही रात भर इंतजार करेंगे।
जैसा आप लोग उचित समझे।
रिया रात भर बेहोश रही। सुबह डॉक्टर्स की टीम आई तो उन्होंने बताया कि कुछ पॉज़िटिव नहीं दिख रहा है ऐसे में उसके पैरों को काटने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि कुछ दिनो में ये पाइजन्श हो जाएगा और ये बात रिया को बताना आवश्यक था। उसके दादाजी आई.सी.यू. में उससे मिलने गए। वो अपने दादा को देखते ही रोने लगी।
चुप हो जाओ बेटा। नियति को क्या मंजूर था हमें इसका बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था।
मेरा ये पैर बिल्कुल काम नहीं कर रहा है दादाजी।
रिया रोते-रोते बोली।
देखो बेटा, मुश्किलों का हिम्मत से सामना करना मैंने तुमसे ही सीखा है वरना मैं तो अपने बेटे को खोकर टूट ही गया था। तुमने मुझे जीना सिखाया और आज विपत्ति की घड़ी में अगर तुम हौसला नहीं दिखाओगी तब तो मैं मर जाऊँगा। तेरी दादी और मैं तो सिर्फ तेरे लिए जिंदा हैं।
मेरी हिम्मत टूटती जा रही है दादाजी। मैंने किसका क्या बुरा किया था मेरे साथ ऐसा हादसा हुआ।
आप मुझे सच-सच बताइये कि डॉक्टर्स क्या बोल रहे है।
बेटा मुझमें बताने की हिम्मत नहीं है।
लेकिन मुझमें सुनने की हिम्मत है दादाजी। आप बताईये क्या इसका इलाज हो पाएगा।
दादाजी ने नहीं में सिर हिला दिया।
तो फिर क्या पैर काटना पड़ेगा ?
दादाजी ने हाँ में सिर हिला दिया और जोर-जोर से रोने लगे।
रिया एकटक दादाजी को देखने लगी। उसके आँख से आँसू बह निकले। रिया को देख कर दादाजी का दिल पसीज गया।
रिया कुछ सोचने समझने की स्थिति में नहीं रही। उसका दिमाग बार-बार चंदन की ओर जा रहा था। वो एकटक अपने पैर को देख रही थी और सोच रही थी कि चंदन को फोन किए तीन दिन हो गए हैं। इतने में ही उसकी हालत खराब होगी और ये सब बताकर जीवन भर के लिए उसकी तकलीफ और क्यों बढ़ाऊँ। मैं जानती हूँ कि वो जिंदगी भर मेरी सेवा करेगा कभी पीछे नहीं हटेगा पर क्या ये अच्छी बात है कि मैं उसके ऊपर बोझ बनी रहूँ। नहीं-नहीं मैं उसको फोन हीं नहीं करूंगी। उसको कभी पता नहीं चलने दूंगी कि मैं जीवित हूँ। कही भी छिपकर चुपचाप अपना बसर कर लूँगी, परंतु उसके जीवन में दखल नहीं दूँगी। साल छह महीने में वैसे भी मुझे वो भूल जाएगा।
मैं जिऊँगी दादाजी। आप लोगो के लिए जिऊँगी, आप निश्चिंत रहिए और रोईए मत। जो हालात है उनका डटकर सामना करूंगी, पर हारूंगी नहीं। आप और दादी बस मेरे सामने रहिए।