The Author Rahul Pandey Follow Current Read तुम और मैं - 2 By Rahul Pandey Hindi Short Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books બંધારણ દિવસ બંધારણ દિવસ (સંવિધાન દિવસ ) ... તારી લીલા અપરંપાર..... આજે આપણે ઉચ્ચ ટેકનોલોજી અને વિજ્ઞાનના વિકાસ યુગમાં જીવી રહ્ય... તલાશ 3 - ભાગ 8 ડિસ્ક્લેમર: આ એક કાલ્પનિક વાર્તા છે. તથા તમામ પાત્રો અને તે... પ્રેમ થાય કે કરાય? ભાગ - 22 મુલાકાતમાનવી મોલમાં તેની સહેલીઓ સાથે શોપિંગ કરી રહી છે. તે શ... ખજાનો - 87 સૌ કિનારા પાસે ઉભેલી બોટ તરફ ચાલવા લાગ્યા. કાચ જેવું સ્વચ્છ... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Novel by Rahul Pandey in Hindi Short Stories Total Episodes : 3 Share तुम और मैं - 2 (17) 2.2k 6.2k 1 तुम और मैं घुंघराले बालों पर रिबन बंधा हुआ। मासूमियत से भरा चेहरा छोटी - छोटी सी उसकी आँखे और तकरीबन 5.4 फुट की उसकी हाइट अब बाकी का उसके बारे में बाद में बताता हूँ फ़िलहाल कहानी पर वापस आते हैं। तुम और मैं अध्याय - 2 "नाम और पहचान " अब दबे अरमानो को वापस से जगाना था और उसके बारे में जानना भी था। maths का टेस्ट आज के दिन हुआ नहीं तो अब वो कल होना था, पर हमारे स्कूल वापस आने से पहले वो घर जा चुकी थी। अब अगले दिन maths वाले सर ने उसका नाम पूछा तो उसने कहा......... सर सुप्रिया.. सर ने कहा पूरा नाम बताओ तो वो सहमी हुई आवाज में बोली सर सुप्रिया भारद्वाज। और इसी के साथ मेरी नाम जानने की इच्छा तो खत्म हुई ।पर बचपन वाली ही सही पसंद तो पसंद होती है। इकोनॉमिक्स में एक टर्म होता है, human wants are never ending मतलब की इंसान की इच्छायें कभी खत्म नहीं होती, एक पूरी हुई तो दूसरी शुरू हो गई, नाम तो पता लग गया था अब उनसे बात भी करनी थी तो बस लग गए हम भी। मैथ्स का टेस्ट खास कुछ गया नहीं मेरा तो थोड़ा उदास था मैं और सर ने भी कोई कसर छोड़ी नहीं पूरी क्लास के सामने बेइज्जत करने में। पूरी क्लास बस मेरे कुछ दोस्तों को छोड़ कर सब मुझ पर हँस रहे थे। और वो चुप चाप गुमसुम सी बैठी थी। लंच का टाईम हुआ तो मेरा एक दोस्त उसके पास गया और बोला हैलो सुप्रिया मैं अरुण उसने उसे बहुत बुरी तरह से नजरअंदाज किया और हम सब अरुण पर जोर - जोर से हंसने लगे.. तभी वो अपनी सीट से उठी और क्लास से बाहर चली गई । हम सब एक दूसरे को देखने लगे । खैर अब अरुण के साथ जो हुआ वो देखकर अब मेरी हिम्मत तो नहीं हुई उस से बात करने की... अगले कुछ दिन अब मैं स्कूल गया नहीं क्योंकि थोड़ी तबियत खराब थी। अब शनिवार का दिन आ-गया था, कहते हैं ना भगवान के घर देर है अंधेर नहीं। बस आज मेरी किस्मत भी चमक गई टीचर के कहने पर मैं और वो साथ में बैठ गए। आज तो पूरा दिन था मेरे पास, उस से जान पहचान करने के लिए। मैंने धीमी सी आवाज में बोला हैलो are you comfortable वो बोली कुछ नहीं बस सिर हिला दिया। आज हिस्ट्री की क्लास थी क्योंकि s.s.t. के सारे सब्जेक्ट 2-2 दिन ही पढाये जाते थे। उसे हिस्ट्री थोड़ी पंसद नहीं थी तो मुझ से बोली यार मेरी एक हेल्प कर दोगे, मैंने बिना कुछ सोचे हाँ बोल दिया। गनीमत रही कि उसने बोला यार मुझे थोड़ा नोट्स बनाने में हेल्प कर दोगे , और ये सुनते ही मेरे पाँव ज़मीं पर नहीं रहे। इसी के साथ उनसे बातचीत होने लग गई थी। मैंने उस से उसके उदास होने का कारण पूछा तो उसने फैमिली इशू बोल के बात काट दी और देखते ही देखते आज का दिन निकल गया। वो मेरे घर से 3-4 कि.मी. (km) की दूरी पर रहती थी और यहां मम्मी के ट्रांसफ़र होने के कारण आयी थी। वैसे अभी तो काफी कुछ बचा है कहानी में, तो जुड़े रहिए आगे की कहानी जानने के लिए।शुक्रिया अपना बहुमूल्य समय देने के लिए ❤️❤️Poetpahadi 🥰 ✍️ ‹ Previous Chapterतुम और मैं - 1 › Next Chapter तुम और मैं - 3 Download Our App