Urvashi - 14 in Hindi Moral Stories by Jyotsana Kapil books and stories PDF | उर्वशी - 14

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उर्वशी - 14

उर्वशी

ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘

14

" इस तरह दबाव डालने की आदत छोड़ दीजिए। आपकी इस आदत ने ही मेरा सर्वनाश किया है। क्या ज़रूरत थी आपको दबाव डालकर उन्हें विवश करने की, कि वह मुझसे विवाह करें। नही निभा पाए न वह ? अगर आप उन्हें ग्रेसी से ही विवाह करने देते तो कम से कम मेरा जीवन बच जाता। "

वह आवेश में बोलती जा रही थी और शिखर हतप्रभ।

" वह लड़की इस लायक नहीं थी कि हमारे परिवार का हिस्सा बन सके। " उन्होंने सफाई दी।

" यह आपकी सोच है। पर विवाह आपके भाई को करना था। उनके लिए उससे बढ़कर कोई नहीं। मैंने कितनी कोशिश की, वो सब कुछ किया जो उन्हें पसन्द हो। फिर भी इतना बड़ा विश्वासघात ! इतना अपमान ! गलती आप लोग करें, और भुगतना मुझे पड़े । क्यों ? ऐसा क्या गुनाह कर दिया मैंने ? " वह क्रोध से उफ़न पड़ी। वह उठकर उसके पास आ गए और उसका हाथ थामकर सहलाने लगे।

" मैंने अपना जीवन दाँव पर लगा दिया। उस व्यक्ति से विवाह किया जिसे जानती नहीं थी, जिसे मैंने देखा तक नहीं था। अपने सुनहरे भविष्य की बलि चढ़ा दी । " उसका क्रोध बढ़ता जा रहा था। " एक बात बताएंगे ? ईमानदारी से !"

" क्या आप नहीं जानते थे कि शौर्य ने अभी भी ग्रेसी से सम्बन्ध बना रखे हैं ?"

" नहीं "

" कैसे विश्वास करूँ आपकी इस बात का ? जबकि हर एक पर आपकी बारीक नज़र रहती है। "

" जब आपदोनो को करीब आते देखा, तो हमें लगा कि उन दोनों के बीच सब खत्म हो जाएगा। अब उसकी निगरानी की ज़रूरत नहीं। "

" मुझे क्योंकर यकीन हो आपकी बात का ?"

" उर्वशी " उनका स्वर आहत हो गया था " आपका बुरा हम कभी नहीं सोच सकते। दुनिया वालो से झूठ बोल सकते हैं,पर आपसे नहीं ।"

" क्यों, ऐसी क्या खास बात है मुझ में ?" उसने जिद भरे स्वर में पूछा।

" वो आप नहीं समझेंगी। " उन्होंने निगाह चुरा ली।

" मुझे शौर्य ने कहा कि आपको खूबसूरत चीजें लाकर घर सजाने का शौक है। क्या आप मुझे एक सजावटी वस्तु बनाकर लाए थे ? महज एक ऑब्जेक्ट ?"

" उर्वशी " वह लगभग चीख पड़े " क्या हम ऐसे लगते हैं आपको ?"

" आपने मुझे ही क्यों चुना ? आपको एक से एक खूबसूरत लड़की मिल जाती, किसी कुलीन घराने की। फिर मैं ही क्यों ?"

" क्योंकि हम आपसे …. " वह आवेश में कहते कहते रुक गए।

" क्या ?"

उन्होंने सिर झुका लिया।

" बोलिये ….. क्या ?"

" हम आपसे …. प्रेम …. कर बैठे थे । " वह उठकर चहलकदमी करने लगे। वह उन्हें देखती रही, फिर कुछ देर की नीरवता के बाद चुप्पी तोड़ी

" तो … मुझे प्लेट में सजाकर अपने भाई को भेंट कर दिया ? ये कैसा प्रेम था आपका ?" वह विचलित हो गई थी।

" आपको हमेशा अपनी आँखों के आगे रखना चाहता था। विवाहित होने के कारण हमारे हाथ बंधे हुए थे। आपको अपना भी नहीं सकते थे । और दूर भी नहीं होने देना चाहते थे। हम परेशान थे, कुछ समझ मे नहीं आ रहा था। तब यह रास्ता निकाला हमने । हमें आपसे कुछ भी नहीं चाहिए था उर्वशी। बस इतनी सी ख्वाहिश थी,कि आप हमारे सामने रहें। "

" यह आपने कहाँ लाकर छोड़ दिया मुझे ?" उसने भर्राए स्वर में कहा।

" उर्वशी, मत जाइये हमें छोड़कर, बस हमारी आँखों के सामने रहिये, और कोई अपेक्षा नहीं है आपसे । हम दुनिया की हर खुशी लाकर आपके कदमों में रख देंगे। "

" क्या वाकई ? आपको लगता है कि आप मुझे हर वो खुशी दे सकते हैं जो मुझे चाहिए ?" उसने पीडा भरी मुस्कान अपने चेहरे पर लाकर पूछा। वह उससे दृष्टि नहीं मिला पाए। उन्होंने निगाह चुरा ली।

" गुड नाईट " कहते हुए वह कमरे से बाहर निकल गई। कुलकर्णी सधे हुए कदमों से उसके पीछे चल दिया। उसे उस पर तरस आ गया। बेचारा सुबह से उसकी ड्यूटी बजा रहा था।

" कुलकर्णी जी, अब मैं बाहर नहीं निकलूंगी। आप सो जाइये जाकर। " अपने कमरे के पास पहुँचकर उसने कहा।

" ओके मैम, गुड नाईट, स्वीट ड्रीम्स " कहकर वह मुड़ा और चल दिया।

स्वीट ड्रीम्स …. वह पीड़ा से मुस्कुरा दी, यहाँ तो नींद उड़ी हुई है, ड्रीम्स कैसे आएंगे । अंदर आकर उसने पुनः नाइटी पहन ली। कुछ देर बेचैनी से कमरे में टहलती रही। फिर इलेक्ट्रिक कैटल की सहायता से एक ब्लैक कॉफी तैयार की, और घूँट भरने लगी।

हम आपसे प्रेम कर बैठे थे … हमें छोड़कर मत जाइये …. बस हमारी आँखों के सामने रहिये… हम दुनिया की हर खुशी लाकर आपके कदमों में डाल देंगे …. हम …. शिखर के शब्द उसके कानों में गूँज रहे थे। तभी मोबाइल के स्वर ने उसके विचारों का क्रम तोड़ दिया। उसने चौंककर देखा। स्क्रीन पर शिखर का ही नाम चमक रहा था।

" हैलो "

" एक सवाल हमारा भी है उर्वशी, बस ईमानदारी से जवाब दीजियेगा । " उधर से कहा गया।

" जी "

" आपने कहा कि हम आपके सर्वनाश का कारण हैं । हमने अपनी मर्जी चलाई, हमने ही आपकी शादी शौर्य से करवाई। जबकि आप उसे जानती नहीं थीं । आपने उसे देखा भी नहीं था। " कहते हुए वह रुके।

" जी "

" अब सवाल ये उठता है कि आपने हाँ क्यों की ? आप पर तो किसी ने भी दबाव नहीं डाला था। "

वह चुप रह गई, उसे याद आया कि आवेश में वह क्या क्या कह गई थी।

" बोलिये, आपने हाँ क्यों की ?"

वह समझ गई कि आवेश में वह कुछ अधिक ही कह गई थी। तभी बीप की आवाज़ के साथ उसने देखा कि मोबाइल वॉइस कॉल, से वीडियो कॉल के लिए अपडेट माँग रहा है।

" उर्वशी, कैमरा ऑन करिये। " उन्होंने आदेश दिया। कुछ पल वह सोचती रही। पुनः उनका आदेश सुनकर उसने कैमरा ऑन कर दिया। वह गहरी नज़रों से उसे देखते रहे।

" खामोश क्यों हैं ? सच कहने की हिम्मत नहीं आप में ? "

" वजह आप थे, चाहकर भी आपको इनकार नहीं कर पाई। " उसकी नज़रें झुक गईं । फिर उसने झट से फोन बंद कर दिया। पुनः फोन बजने लगा। पर उसने कॉल काट दी। उसकी धड़कनें बहुत तेज हो गई थीं। वह आँखे बंद करके लेट गई।

विगत दिनों के चलचित्र उसकी आँखों के समक्ष चलने लगे। उसका रंगमंच पर उतरना, हर पात्र को अभिनीत करने के बाद वो फूलों के गुलदस्ते, उसका परेशान होना, तरह तरह की कल्पना करना कि यह शिखर कौन है ? फिर उनसे सामना होना, ट्रेड फेयर, विवाहोत्सव, पार्टी, उनकी मुग्ध दृष्टि। फिर उनका उसके घर विवाह प्रस्ताव लेकर आना, शौर्य के द्वारा कंगन पहनाए जाने पर उसका हैरत में पड़ जाना। इसके बाद उसका उनसे दूरी बनाने का प्रयास करना, उनका सामना करने से बचना, उनसे बात करने तक से इनकार कर देना। उनका उसके जन्मदिन की पार्टी देना, शौर्य के नाम से गुलदस्ता भिजवाना, तोहफ़े में कार देना। फिर शौर्य से झगड़े के बाद पूरी तरह से उसका साथ देना, उसे अलग कमरा दिलवाना, उसके लिए कपड़े, और ज़रूरत का हर सामान लेकर आना। इतनी व्यस्तता के बावजूद आज दिन भर उसका ख्याल रखना। आगे भी उसे हर सम्भव उलझनों से बचाने के लिए तरह तरह के प्रस्ताव देना। वह सचमुच बहुत परवाह करने वाले हैं, उसे बेहद चाहते हैं। उनकी चाहत में कहीं कोई कमी नहीं।

वह काफी देर बेचैनी से करवटें बदलती रही। आँखों मे नींद का नामो निशान नहीं था। ऐसे ही समय गुज़रता रहा। लगभग एक घण्टे बाद पुनः फोन बजा। फिर से वीडियो कॉल थी। उसने ऑन किया। वह अधलेटे से थे

" सोई तो नहीं थी न ?"

" नहीं "

" हमने भी बहुत कोशिश की सोने की, पर नींद नहीं आयी। हम दोनों की स्वीकारोक्ति के बाद मन और बेचैन हो गया। जबकि हम आपके दिल का हाल जानते थे। शायद आप भी हमें समझती थीं न ?"

" हूँ, काफी हद तक। " उसने स्वीकार किया।

" बता नहीं सकते कि एक दूसरे के मन का हाल जानकर कितना सुकून मिला। पर उतनी ही व्याकुलता भी बढ़ गई। आपसे बहुत कुछ कहने का, सुनने का मन किया। आपको बेइंतहा चाहते हैं हम । हमारी आँखों मे झाँक कर देखिये, आपको बेशुमार प्यार नज़र आएगा। वो प्यार जो हम एक पल को भी ऐश्वर्या से नहीं कर पाये। उनके साथ बस हमने अपने पिता के वचन को निभाने की कोशिश की है, जो उन्होंने अपने मित्र को दिया था। रही बात ऐश्वर्या की, तो किसी से प्रेम करना उनके वश की बात ही नहीं। वह सबसे ज्यादा सिर्फ खुद को प्यार करती हैं । जब तक हम खामोश हैं, यह रिश्ता चल रहा है, जिस दिन भी कुछ बोला, सब खत्म हो जाएगा। "

" आप जा रही हैं, अब आपको देखने को तरस जाऐंगे हम। कैसे रहेंगे उर्वशी ? अब बहुत मुश्किल हो जाएगा, आपसे ही हमारी सांसें चलती थीं। " वह बहुत व्याकुल हो रहे थे।

" जो हुआ अच्छा नहीं हुआ। मैंने बहुत प्रयत्न किया शौर्य के साथ निभाने का, पर उन्होंने मेरी हर कोशिश मटियामेट कर दी। आपके प्रति आकर्षण रखने के बावजूद मैंने उनके साथ जुड़ने का हर प्रयास किया, पूरी ईमानदारी और सच्चाई के साथ। आपके ख्यालों को अपने दिमाग से दूर रखने के लिए क्या नहीं किया ? आपके सामने पड़ने से बचती थी, आपसे बात नही करती थी । पर ….."

" आपकी इन्ही कोशिशों ने हमें आपके और नज़दीक ला दिया। जब आप हमारी तरफ नज़र उठाकर भी नहीं देखतीं, तो हम बेचैन हो जाते। आप बात नहीं करतीं तो इतना क्रोध आता, कि जी चाहता पूरी दुनिया मे आग लगा दें । दिन तो काम मे निकल जाता, पर रात भर तड़पते रहते। फिर यह खयाल, की आप शौर्य के साथ हैं ….. आप दोनों के चेहरे पर खिली मुस्कान …… आपकी खिलखिलाहटें …… हमें पागल कर देतीं। पर क्या करते हम ? खुद ही तो आपको सौंप दिया था उसे। " उनकी आँखें भर आयी थीं। उसके भी आँसू बह रहे थे।

" कभी जी चाहता है अपना जीवन समाप्त कर लें,तो कभी मन करता है आपको लेकर किसी ऐसी दुनिया मे चले जाएं जहाँ हमें कोई न जानता हो। हमारा दिल एक मरुस्थल ही तो था, जहाँ पहली बार आपने चाहत का फूल खिलाया। अगर आपको निकाल दिया जाए तो कोई आकर्षण नही हमारे जीवन में। "

" ऐसे मत कहिये "

" आप ही बताइये, क्या है इस जीवन में ? सिवाय दायित्वों के। हमारा भी जी चाहता है कि जब थककर घर आयें तो कोई हो, जो हमारी फिक्र करे। मीठी सी मुस्कान से स्वागत करे। हम उसकी गोद मे सर रखकर लेट जाये,तो वह प्यार से हमारे बालों में उंगलियाँ फिराए। उसे गले लगाऐं तो इतना सुकून मिले की सारी तकलीफें भूल जाऐं। वो हमारी सारी क्लांति हर ले। ऐश्वर्या को अपने सोशल वर्क, क्लब और पार्टियों से ही फुर्सत नहीं मिलती। अपने बच्चों का, पति का ख्याल नहीं, जानती नहीं कि उन्होंने कुछ खाया या नहीं, उन्हें माँ की या पत्नी की ज़रूरत तो नहीं ? पर समाज सेवा कर रही हैं। देर रात में घर आना, अक्सर नशे में चूर। "

शिखर का एक एक शब्द जैसे उसे घायल कर रहा था। सच में क्या मिला इस व्यक्ति को, जिम्मेदारीयों के सिवा। कितना एकाकी है यह। कहने को भरा पुरा परिवार, फिर भी कितना अकेला। ये सबके लिए फिक्र करे,पर इसके लिए सोचने वाला कोई नहीं।

" आपको पहली बार देखा, तो हम सारी रात सो न सके। बार बार आपकी मोहिनी मूर्ति आँखो के सामने घूमती रही। उसके बाद आपका हर प्ले देखा। आपको दूर से देखकर ही हमें सुकून मिल जाता था। फिर सुना कि आपको फ़िल्म का प्रस्ताव मिला है। हमें लगा कि अब आप हमसे दूर हो जाएंगी। आपको खुद से दूर नहीं करना चाहता था । खो देने का डर ….. बस इसीलिए शौर्य से आपकी शादी करवाने का गुनाह कर बैठे। "

" ईश्वर ने हमें क्यों मिलाया ? जब साथ होना मुमकिन नहीं था, उसे भी मजा आता है,इंसान के साथ खिलवाड़ करके, उसे तड़पा के। " वह सिसक रही थी।

" उर्वशी, हमारे पास आ जाइये ….. अभी…. इस सुइट में। " उन्होंने अनुरोध किया। वह पलभर उन्हें देखती रही फिर अस्वीकृति में सर हिला दिया।

" तो हमें अपने पास आने दीजिये। ये पल …. इन्हें यूँ ही मत गंवाइए उर्वशी । " उन्होंने अनुनय की। " अब नहीं रहा जा रहा, हम आपके पास आ रहे हैं। " उन्होंने विकल होकर कहा और फोन बंद कर दिया। उसका हृदय दुगुनी रफ़्तार से धड़कने लगा।

क्रमशः