Yun hi raah chalte chalte - 29 in Hindi Travel stories by Alka Pramod books and stories PDF | यूँ ही राह चलते चलते - 29

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यूँ ही राह चलते चलते - 29

यूँ ही राह चलते चलते

-29-

यात्रा अपने अंतिम पड़ाव पर आ गयी थी अब उस देश को जाना था जिसका राज्य कभी इतनी दूर तक विस्तृत था कि उनके राज्य में कभी सूर्य डूबता ही नहीं था। जी हां अन्तिम पड़ाव था ब्रिटेन की राजधानी लन्दन। अगले दिन वापस जाना था।

सुमित ने कहा ‘‘अब हमारा कोच शिप आफ ब्रिटैनिका स्टैनालाइन से लन्दन जाएगा ।’’

ऋषभ ने कहा ‘‘ कोच जाएगा मतलब, क्या हमारा कोच शिप पर जाएगा ?’’

‘‘जी हाँ हमारा पूरा कोच शिप पर जाएगा आप लोग कोच से निकल कर शिप के केबिन में रहेंगे और इंग्लिश कैनाल पार करके लन्दन पहुँच कर हम लोग फिर कोच से घूमेंगे ।’’

यह एक अद्भुत अनुभव था सभी यात्रियों के लिये।कोई इतने बड़े कोच के शिप पर जाने से उत्सहित था तो कोई यह सोच कर कि वह इंग्लिश कैनाल से गुजरेगा।

अगली भोर सब हसीन ऐतिहासिक और आलीशान शहर लंदन में थे। रजत ने अनुभा से कहा ‘‘ विश्वास नहीं हो रहा है कि मैं लंदन में हूँ जहाँ के बारे में बचपन से सुना पढ़ा और सपनों में देखा है।’’

अनुभा बोली ‘‘ सच कह रहे हैं आप लंदन को ले कर मन में एक अलग ही आकर्षण है।’’

सबसे पहले लंदन के ऐतिहासिक शाही महल और किले पर गये जिसे लंदन टावर कहते हैं और वह सेन्ट्रल लन्दन में थेम्स नदी के किनारे बसा है। इसे किंग विलियम द्वारा लन्दन की सुरक्षा के लिये बनाया गया था। टेम्स नदी पर विश्व प्रसिद्ध टावर ब्रिज दिखायी दे रहा था जो विक्टोरियन गोथिक स्टाइल में बना है।

उसे देख कर मीना ने कहा ‘‘ ओ माई गाड यह तो वही ब्रिज है न जो यदि कोई ऊँचा जहाज उसके नीचे आ जाए तो दो भागों में बँट कर खुल जाता है ?’’

सचिन ने कहा ‘‘जी हाँ यह बेस्क्यूल और सस्पेन्शन पुल का काम्बीनेशन है। ’’

‘‘ सुमित, यहाँ सब ब्रिटिश लोग ही हैं कि और जातियाँ भी हैं’’ सचिन ने पूछा ।

‘‘ यहाँ 83 प्रतिशत लोग अभी भी इंग्लिश हैं ये सरलता से और लोगों से मिलना जुलना पसंद नहीं करते।’’

सुमित ने घोषणा की ‘‘ क्या आप लोग वह चर्च देखना चाहेंगे जहाँ प्रिंसेस डायना का प्रिंस चाल्र्स से विवाह हुआ था?’’

‘‘श्योर, श्योर’’ के समवेत स्वर में सभी लोग एक साथ चिल्ला पड़े।

‘‘तो चलिये अब हम संत पाल कैथेड्रे्रल चर्च चलते हैं। ’’

चर्च पहुँच कर एक बार सभी का मन डायना की असामयिक मौत के बारे में याद कर दुखी हो गया। संजना ने निमिषा से कहा ‘‘ जब मुझे पता चला था कि लेडी डायना की एक्सीडेंट में मौत हो गई तो मुझे बहुत बुरा लगा। ’’

‘‘ हाँ बुरा तो मुझे भी लगा था इतनी स्मार्ट और प्यारी थी, मुझे तो उन पत्रकारों पर गुस्सा आता है जिनसे पीछा छुड़ाने के चक्कर में उसने इतनी तेज स्पीड में गाड़ी भगायी।’’

‘‘तुम पापारेजी़ को क्यों दोष दे रही हो आखिर डायना गलत थी तभी तो भाग रही थी ’’सचिन ने कहा।

‘‘ वो कुछ भी कर रही थी सही या गलत पर किसी को उसके व्यक्तिगत जीवन में झाँकने का अधिकार नहीं था ’’ निमिषा ने उत्तेजित होते हुए कहा।

‘‘ पर अगर कोई गलत कर रहा हो तो दुनिया उँगली उठाती ही है नहीं तो समाज में सब बेलगाम हो जाएँगे।’’

‘‘ तो क्या सारे बंधन स्त्री के लिये ही हैं प्रिंस चाल्र्स के पीछे तो कोई पत्रकार नहीं लगा था जबकि उसकी भी कोई प्रेमिका है और उसकी बेवफाई से आहत हो कर ही डायना ने किसी और से मित्रता की’’ निमिषा ने बहस की।

संजना ने उन दोनो की बहस बढ़ते देख कर बीच-बचाव के उद्देश्य से कहा ‘‘ प्रिंस चार्ल्स और लेडी डायना को जो होना था हो गया पर अब तुम लोग कम से कम झगड़ा मत करो ।’’

‘‘ बात झगड़े की नहीं सोच की है तुम ही बताओ संजना अगर मैं गलत की रही हूँ तो’’ निमिषा अभी भी बहस के मूड में थी ।

अनुभा ने कहा ‘‘ तुम लोग पहले ये पीटर नास्टर स्क्वैअर देखो।’’

वहाँ से कोच में बैठे-बैठे ही सबने लंदन शहर का दृश्यावलोकन किया।

कोच में अर्चिता और यशील पास की सीट पर बैठे थे। अर्चिता ने यशील से पूछा ‘‘ आगे लाइफ के बारे में तुम्हारा क्या प्लान है ?’’

‘‘बस अभी तो मैं मुम्बई में हूँ पर मौका मिला तो बाहर ट्र्राई करूगा ।’’

’’कुछ साल रह लूँ तो अच्छा पैसा जमा हो जाएगा फिर वापस आ जाऊँगा ।’’

पर अर्चिता तो कुछ और ही पूछना चाह रही थी उसने हिचकते हुए कहा ‘‘ नहीं मेरा मतलब है कि फैमिली के बारे में क्या सोचा है।’’

‘‘ अरे इसमें सोचना क्या है शादी करूँगा बच्चे करूँगा’’ यशील ने लापरवाही से कहा।

अर्चिता जैसी आधुनिक लड़की भी विवाह की कल्पना से आरक्त हो गयी। पीछे की सीट पर बैठी अनुभा को उन दोनो का वार्तालाप बिना प्रयास के ही सुनाई पड़ रहा था, अर्चिता का चेहरा उसे दिखाई दे रहा था, उसने उसकी रक्तिम आभा देख कर मन ही मन सोचा लड़की चाहे कितनी भी आधुनिक हो उनका संवेदनशील मन कभी-कभी अपने प्राकृतिक रंग बिखेर ही देता है। अर्चिता ने पूछा ‘‘ तुम्हें कैसी लड़की कैसी पसंद है?’’

यशील ने मुस्करा कर कहा ‘‘ तुम्हारे जैसी।’’

अर्चिता को अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया था, उसने सोच लिया था कि अब वह बिना बात अपना विश्वास डिगने नहीं देगी और उसने उसकी डोर को कस कर थाम लिया।

सब सेन्ट पीटर चर्च पहुँचे जिसे वेस्ट मिनिस्टर एबे भी कहा जाता है यह क्योंकि महल के पश्चिम में स्थित है। यह गाथिक स्थापत्य कला का नमूना है।

अब वो विश्वप्रसिद्ध बिग-बेन देखने गये। रजत ने उत्तेजित होकर कहा ‘‘वाउ विश्वास नहीं हो रहा है कि हम बिग बेन देख रहे हैं।’’

अनुभा ने हँस कर कहा ‘‘ विश्वास कर लीजिये क्योंकि हम सच में बिग-बेन के सामने ही खड़े हैं और उसको कैमरे और स्मृति दोनों में सहेज लीजिये ।’’

चुलबुली निमिषा गुनगुनाने लगी ‘‘ घंटी बिगबैन दी सारा लंदन ठुमकदा....’’

सचिन ने कहा ‘‘तुम तो फिल्मी गाने की पंक्ति गा रही हो पर शायद तुम्हे यह नहीं पता कि असल में भी बिग-बेन उस घंटे को कहा गया जो घड़ी के अन्दर लगा है जबकि लोग पूरे टावर को बिग बेन समझते हैं।’’

सुमित ने प्रशंसा करते हुए कहा ‘‘बिल्कुल ठीक कहा तुमने सचिन घड़ी के घंटे को ही बिगबेन ही कहते हैं।’’

‘‘ यह घंटा 13 टन का है। बिग बेन रात में जब चारों ओर से जगमगाता है तो इसका आकर्षण द्विगुणित हो जाता है। टावर के चारों दिशाओं में घड़ी लगी है जो इतनी विशाल है कि चारों डायल का डायमीटर 7 मी0 है मिनट की सुई 4.2 मी0 तथा उसका भार 100 कि0ग्रा0 है उस पर लिखे अंक 690 सेंटीमीटर लम्बे हैं। हर डायल में 312 टुकडे़ ग्लास के लगे हैं। पार्लियामेंट के सत्र में इसके उपर विशिष्ट प्रकाश जगमगाता है। इसका समय बड़े से पेन्डुलम पर रखे सिक्कों के ढेर से संचालित होता है। ’’

संजना ने कहा ‘‘ सोचो जब यह घड़ी बन्द होती होगी तो इतनी बड़ी घड़ी को कैसे चलाते होंगे?’’

सुमित ने कहा ‘‘ मैं आप लोगों को यही बताने जा रहा था कि यह घड़ी कभी नहीं रुकती यहा तक कि द्वितीय विश्व युद्ध के समय भी जब कामन चैम्बर पर बम गिरा था तब भी यह चलती रही। 31 .12 1923 में पहली बार बीबीसी से इसके घंटे ब्राडकास्ट किये गये तब से आज तक यह परम्परा चल रही है।’’

इसके बाद वो 10 डाउनिंग स्ट्रीट देखने गये जो प्रधानमंत्री का घर है ।

अब बारी थी ऐतिहासिक बकिंघम पैलेस देखने की जो बकिंघम के ड्यूक द्वारा 1702 में लंदन में अपने घर के रूप में बनवाया गया था फिर उसके पुत्र द्वारा 1761 में जार्ज तृतीय को बेच दिया गया। 1774 में इसे क्वीन्स हाउस कहा गया क्यों कि यहाँ रानी शैरलेट रहती थीं। 1820 में नैश नामक आर्कीटेक्ट ने जार्ज चतुर्थ के समय में इसे और विस्तार दिया पर आगे का से उसका रूप वही रहा। 1837 में रानी विक्टोरया ने अपने पति के साथ इसे अपना रिहायशी घर बनाया। 1837 से शाही महल और शासन का मुख्यालय है। यह प्रति वर्ष कुछ समय जुलाई से सितम्बर तक के लिये दर्शकों के लिये खुलता है। यहाँ अनेक शाही बहुमूल्य संग्रहणीय वस्तुयें हैं।

अर्चिता ने कहा ‘‘ यह तो बहुत बड़ा है। ’’

‘‘ हाँ यहाँ 775 कमरे हैं ।’’

‘‘ओ माई गाड इसमे तो मेरा पूरा खानदान आ जाएगा’’ श्रीमती रामचन्द्रन ने कहा।

‘‘तुम्हारा पूरा खानदान मिल कर यहा रहा तो वो घमासान होगा कि लंदन में भूकम्प आ जाएगा ’’श्री रामचन्द्रन ने कहा।

‘‘ क्या मतलब है तुम्हारा?’’

‘‘ अरे भाई मैं तो मजाक कर रहा था बहुत दिन हो गये तुम्हे गुस्सा नहीं आया था न, मिस कर रहा था ।’’

बकिंघम पैलेस अपनी गरिमा के अनुरूप ही भव्य और विशाल है। यह 108 मीटर लम्बी 120 मीटर चैड़ी और 24 मीटर ऊँची इमारत है। लगभग 50000 लोग प्रतिवर्ष यहाँ के मेहमान बन कर आते हैं।

यशील ने कहा ‘‘ सुमित चेंज आफ गार्ड नहीं दिखाएँगे?’’

‘‘अरे वो तो आज का मेन एजेंडा है लंदन आये और वो नहीं देखा तो क्या देखा’’ सुमित ने कहा। ये सुन कर सबने ताली बजा कर उसकी उद्घोषणा का स्वागत किया।

‘‘ ये हुई कुछ बात’’ यशील ने कहा।

‘‘ हाँ तुझे चेंज से खास प्रेम है न चाहे वो चेंज आफ गार्ड हो या गर्ल’’ चंदन ने धीरे से यशील के कान में कहा ।

यशील ने तुरंत इधर-उधर देखा कि किसी ने सुना तो नहीं फिर कहा तू मेरा दोस्त है दुश्मन?’’

‘‘ ऋषभ तुम्हें पता है यहाँ प्रतिदिन चेंज आफ गार्ड होता है और देखने योग्य होता है’’ सचिन ने कहा।

सुमित ने कहा ‘‘ आप लोग भाग्यशाली हैं कि इस समय, अपै्रल से जुलाई रोज चेंज आफ गार्ड का आयोजन होता है फिर अगस्त से मार्च एक दिन छोड़ कर होता है और बरसात में नहीं भी होता है। ’’

जब वो सब बकिंघम पैलेस के विशाल फाटक के सामने चेंज आफ गार्ड देखने पहुँचे तो वहाँ हजारों की भीड़ देखने के लिये एकत्र थी। थोड़ी ही देर में महल के सामने घुड़सवार एक पंक्ति में आए फिर नए गार्ड जो वास्तव में सैनिक होते हैं वेलिन्ग्टन बैरेक से एक पंक्ति में बैन्ड के साथ मार्च पास करते हुए आये उन सबने लाल कोट काला पैन्ट और काली ऊँची कैप पहन रखी थी उनके बटन की संख्या से उनके रेजीमेन्ट की पहचान की जाती है। उन्होने महल का चक्कर लगाया पहले बाँये से फिर दाहिने से क्वीन विक्टोरिया की मूर्ति के पास से महल में साढ़े ग्यारह बजे प्रातः प्रवेश किया जहाँ मांउट गार्ड यानि कि चेंज आफ गार्ड हुआ विंडसर कासल में नये गार्ड ड्यूटी पर तैनात हुए और रात भर ड्यूटी पर रहे गार्ड तैनात गार्ड उन्हे उत्तरदायित्व सौंप कर बाहर आये और उसी प्रकार बैन्ड के साथ मार्च पास करते हुए चले गये। ये अपनी सैनिक की ड्यूटी भी करते हैं गार्ड चेंज का यह भी एक कारण है। इन गार्डों के अनेक रेजिमेन्ट हैं। जो महल और स्मारिका का रख रखाव और महल की पेट्रोलिंग करते हैं।

अनुभा ने कहा ‘‘सब कुछ इतना व्यवस्थित और अनुशासित है कि मन कर रहा था कि यह प्रक्रिया समाप्त ही न हो और देखते ही जायें।’’

‘‘ इसीलिये मैं अंग्रेजों की तारीफ करता हूँ, कुछ भी हो इनकी संस्कृति में कुछ बात तो है’’ रजत बोले।

‘‘ बस आप को तो अ्रग्रेजों की प्रशंसा का अवसर मिलना चाहिये’’ अनुभा ने चिढ़ाया।

‘‘ हाथ कंगन को आरसी क्या पढे-लिखे को फारसी क्या आप स्वयं ही देख लीजिये मैडम क्या अनुशासन था सब कुछ कितना समय से शान्ति से हो गया।’’

‘‘ठीक है मान लिया’’ कह कर अनुभा ने बहस को विराम दिया। सच तो यह था कि सभी उनके समय की पाबन्दी और अनुशासन से प्रभावित थे।

ऋषभ से रहा न गया उसने कहा ‘‘अंकल माना यहाँ सब बहुत अनुशासित था पर हमारे देश की सेना भी कम अनुशासित नहीं है आप इनकी तुलना आम व्यक्ति से मत करिये, इस बार आप छब्बीस जनवरी पर दिल्ली का कार्यक्रम या सैनिकों की राष्ट्रपति भवन में बैंड की रिट्रीट देखियेगा तो आप को गर्व होगा कि हम भारतीय भी कुछ कम नहीं ।’’

रजत ने मान लिया ‘‘ अरे भाई मैं अपने देश का विरोधी नहीं हूँ पर किसी की प्रशंसा करने में कोई बुराई तो है नहीं।’’

अनुभा मुस्करा दी।

बकिंघम पैलेस देख कर सब लोग होटल लौट आये। सुमित ने कहा ‘‘ अब आज आप लोग अपनी इच्छानुसार जहाँ चाहें घूमें और लंदन को स्वयं अनुभव करें। ’’

क्रमशः------

अलका प्रमोद

pandeyalka@rediffmail.com