Ojas ka janmadin in Hindi Children Stories by Uddhav Bhaiwal books and stories PDF | ओजस का जन्मदिन

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ओजस का जन्मदिन

उद्धव भयवाल

औरंगाबाद

ओजस का जन्मदिन

आज सवेरे से ही ओजस बड़ा खुश था। और भला क्यों न हो? आज ओजस का जन्मदिन जो था। कल ही अपने पिताजी के साथ जाकर ओजस जन्मदिन मनाने की सारी सामग्री बाज़ार से खरीद लाया था। उन चीज़ों की सूची पिछले चार दिनों से ओजस बना रहा था। हॉल में सजाने के लिए गुब्बारे, उनमें डालने के लिए चॉकलेट्स, जन्मदिन की पार्टी में शामिल हुए दोस्तों के लिए रिटर्न गिफ्ट्स आदि सामग्री की सूची उसने परसों ही पिताजी को सौंपी थी। कल ही वे सारी चीजें खरीद चुके थे। जन्मदिन के लिए ओजस के पसंदीदा गुलाबी रंग का केक भी ऑर्डर हो चुका था। आज शाम सात बजे ओजस के जन्मदिन की पार्टी होनेवाली थी। उसके ठीक आधा घंटा पहले ओजस तथा उसके पिताजी केक लेकर आनेवाले थे। ओजस की कक्षा के सहपाठी एवं कॉलनी के दोस्तों को ओजस स्वयं जाकर पहले ही निमंत्रित कर चुका था।

ओजस के घर में हर कोई आज सवेरे से ही कार्यमग्न था। ओजस के पिताजी ने तो आज विशेष रूप से ऑफिस से एक दिन की छुट्टी ले ली थी। ओजस भी अपने शिक्षकों की अनुमति से आज की छुट्टी ले चुका था। ओजस के पिताजी हॉल में गुब्बारे फुलाकर दीवारों पर सजाने में व्यस्त थे। एक तरफ ओजस उनका हाथ बटा रहा था, तो दूजी तरफ रसोईघर में ओजस की माँ ओजस की पसंदीदा बासुंदी एवं प्याज़ के पकौड़े बना रही थी।

अभी चार माह ही हुए थे ओजस के पिताजी का तबादला नागपुर से औरंगाबाद हुए। ओजस नागपुर की एक अंग्रेजी पाठशाला में दूसरी कक्षा में पढ़ रहा था। उसे औरंगाबाद की अंग्रेजी पाठशाला में तुरंत प्रवेश दिया गया था। ओजस ने अपने मिलनसार स्वभाव के कारण उसकी कक्षा में तथा कॉलनी में कई सारे दोस्त बना लिए थे। वे सारे दोस्त आज की पार्टी में शामिल होनेवाले थे।

ओजस की माँ ने अपनी कामवाली गंगूबाई को शाम पांच बजे ही मददहेतु बुला लिया था। सो गंगूबाई आ चुकी थीं। उनके साथ उनका बेटा मदन भी आया, क्योंकि उसे भी ओजस ने जन्मदिन की पार्टी का निमंत्रण दिया था। मदन कभीकभार ओजस के घर आया-जाया करता था। इसलिए वह भी ओजस का दोस्त बन चुका था। मदन म्युनिसिपल स्कूल में दूसरी कक्षा में पढ़ता था। चार वर्षों पहले उसके पिताजी एक गंभीर बीमारी का शिकार होकर परलोक सिधार गए थे। तभी से गंगूबाई अन्य घरों में बर्तन मांजकर मदन की परवरिश कर रहीं थीं।

मदन को आया देख ओजस बड़ा खुश हो गया। वह मदन का हाथ पकड़कर हॉल में ले आया और जन्मदिन की पार्टी की पूरी सजावट उसे दिखाई। मदन भी बहुत खुश हुआ। फिर वह बोला,

“ओजस, एक बात कहूँ?”

“कहो ना, क्या बात है?” ओजस ने पूछा।

उसपर मदन ने कहा, “तुमने कल जब मुझे तुम्हारे जन्मदिन के बारे में बताया, तभी तुम्हें मैं यह बताना चाहता था।”

“अब बताओ भी। हिचकिचाहट कैसी?” ओजस ने कहा।

पर मदन बोला, “जाने दो, नहीं बताऊंगा।”

“अरे, ऐसा ना करो। क्या मैं तुम्हारा दोस्त नहीं हूँ? अपने दोस्त को नहीं बताओगे?” ओजस ने कहा।

“ऐसी बात नहीं है। पर बताऊँ या नहीं, इस उधेड़बुन में हूँ। खैर, अब बता ही देता हूँ।” मदन ने कहा।

“बता भी दो।” ओजस ने कहा।

“दोस्त, आज तो मेरा भी जन्मदिन है। तुम्हारा और मेरा जन्मदिन एक ही है।” मदन ने कहा।

“बढ़िया! फिर तो तुम अपना जन्मदिन अवश्य मनाते होंगे, नहीं?” ओजस ने पूछा।

“नहीं। मैं जन्मदिन नहीं मनाता हूँ। लेकिन हर वर्षगाँठ पर सुबह स्नान होते ही माँ मेरा औक्षण करती है; फिर कुछ मीठा बनाकर खिलाती है। आज भी सुबह माँ ने मेरे लिए गुड़ का परौठा बनाया था।” मदन ने कहा।

यह सुनते ही ओजस बोल उठा, “मदन, तुम यहीं रुको। मैं अभी आया।”

ओजस दौड़कर भीतर गया और अपने पिताजी से बोला, “पिताजी, क्या आप जानते हैं? गंगूमौसी के बेटे मदन का जन्मदिन भी आज ही है।”

“बहुत खूब! यह तो अच्छी बात है।”

उसपर ओजस ने कहा, “पिताजी, मेरे जन्मदिन के साथ-साथ मदन का जन्मदिन भी हम साथ में ही मनाएँगे ना?”

“वाह, वाह! ज़रूर, क्यों नहीं?” पिताजी ने कहा।

“तो फिर चलिए। हमें केक लाने तो जाना ही है। तो एक और केक मदन के लिए भी लाया जाए।” ओजस ने कहा। पिताजी तुरंत तैयार हो गए। ओजस तथा उसके पिताजी केक लाने चल पड़े। तभी ओजस ने यह खुशखबरी मदन को भी दे दी।

ओजस ने कहा, “मदन, तुम्हारा जन्मदिन भी हम यहीं मनाएँगे। हम तुम्हारे लिए भी केक लेने जा रहे हैं। तुम यहीं बैठे रहो।”

यह वार्तालाप मदन की माँ काम करते-करते सुन रहीं थीं। उनकी आँखे नम हो गईं।

शाम को सारी बच्चेकंपनी आनेपर ओजस के साथ साथ मदन ने भी केक काटा और सभी ने खूब तालियाँ बजाईं। तब सारे एकसाथ बोल पड़े, “हॅपी बर्थडे टू ओजस अँड मदन।” मदन बड़ा खुश हुआ। उसकी खुशी उसके चेहरे पर झलक रही थी। उसे देखकर गंगूबाई अपनी आँखों से खुशी के आँसू पोंछने लगी।

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उद्धव भयवाल

१९, शांतीनाथ हाऊसिंग सोसायटी

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