Raksha bandhan in Hindi Women Focused by Medha Jha books and stories PDF | रक्षाबंधन

Featured Books
  • ચતુર

    आकारसदृशप्रज्ञः प्रज्ञयासदृशागमः | आगमैः सदृशारम्भ आरम्भसदृश...

  • ભારતીય સિનેમાનાં અમૂલ્ય રત્ન - 5

    આશા પારેખઃ બોલિવૂડની જ્યુબિલી ગર્લ તો નૂતન અભિનયની મહારાણી૧૯...

  • રાણીની હવેલી - 6

    તે દિવસે મારી જિંદગીમાં પ્રથમ વાર મેં કંઈક આવું વિચિત્ર અને...

  • ચોરોનો ખજાનો - 71

                   જીવડું અને જંગ           રિચાર્ડ અને તેની સાથ...

  • ખજાનો - 88

    "આ બધી સમસ્યાઓનો ઉકેલ તો અંગ્રેજોએ આપણા જહાજ સાથે જ બાળી નાં...

Categories
Share

रक्षाबंधन

#रक्षाबंधन के बहाने

अबके बरस भेज भैया को बाबुल,
सावन में लीजो बुलाय रे
छलके नयन मोरा कसके रे जियरा,
बचपन की जब याद आए रे…

बंदिनी फिल्म का यह गीत आज के दिन फिर से प्रासंगिक हो गया है उन महिलाओं के लिए , जो कि अपने अपने जगहों पर कैद है और प्रताड़ित हो रही हैं और इस साल बाबुल भैया को नहीं भेज सकते क्योंकि कोरोना की वजह से कहीं भी आवागमन बंद है। अखबारों में, अगल-बगल हर जगह पता चल रहा है कि महिलाओं पर हिंसा बढ़ चुकी है क्योंकि पुरुष घर में बैठे हैं, नौकरियां छूट रही हैं और वे हीन भावना से ग्रसित होते जा रहे हैं। सामान्यत: घरों में पुरुष घर के काम में भी हाथ नहीं बढ़ाते, इसलिए उनका डिप्रेशन बढ़ता ही जा रहा है और सारा क्षोभ सिर्फ महिलाओं और बच्चों पर उतर रहा है। जानने के बावजूद माता-पिता, भाई बहन असहाय हैं कुछ नहीं कर सकते।

परसों अणुशक्ति जी का पोस्ट पढ़ा महिलाओं पर शारीरिक हिंसा से संबंधित और ये देखकर आश्चर्य हुआ कि किसी ने भी स्वीकारा नहीं था कि उनके साथ भी यह घटा है। सामान्य रूप से तो यह एक समस्या है ही, कोरोना काल में यह समस्या भयावह रूप से उभरा है।अगर किसी के साथ यह नहीं हो रहा है तो आंकड़े किनके हैं। समय अब ऐसा ही रहने वाला है। उठना पड़ेगा महिलाओं को स्वयं के लिए, अपनी सुरक्षा के लिए।

अगर आज आप इसे सह रही हैं तो एक और पीढ़ी को मानसिक रूप से सहने को तैयार कर रही हैं। हिंसा किसी का व्यक्तिगत मामला नहीं होता । कितनी बार लोग समझते हैं कि यह पति पत्नी के बीच का मामला है।जैसे ही हिंसा आती है किसी भी रिश्ते में, तो वह व्यक्तिगत रह ही नहीं जाता। प्रत्येक व्यक्ति को अपने लिए उठना होता है। आपका एक सही कदम, बहुतों को प्रेरणा देगा।

याद आता है थप्पड़ मूवी का वह दृश्य, जिसमें नायिका के निश्चय से उसकी वकील- जोकि आर्थिक रूप से स्वतंत्र महिला थी, को भी प्रेरणा मिली और उसके घर में काम करने वाली महिला को भी।

जब एक व्यक्ति सही कदम उठाता है तो हो सकता है उसे कुछ खोना पड़े , लेकिन उससे कईयों को नया रास्ता मिलता है।
हम फेसबुक पर बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। देश की राजनीति के लिए चिंता व्यक्त करते हैं। इससे बेहतर क्या यह नहीं होगा हमारे पड़ोस में अगर कुछ दिक्कत है तो उसे मदद करें? अगर इस साल आप अपनी बहन के पास नहीं जा पाए हैं तो आपकी पड़ोस की बहन को अगर आपकी जरूरत है, वहां जाकर खड़े हो जाएं । और इसके लिए सिर्फ भाई होना आवश्यक नहीं है आप बहन भी हो सकती हैं।

सारे भाई बहनों से इस रक्षाबंधन , इस उपहार की आकांक्षा करती हूं कि अपने इर्द-गिर्द की बहनों या भाइयों - जो भी दिक्कत में है , उनकी रक्षा कीजिए, उनके साथ खड़े होइये। आज आप किसी और की रक्षा करेंगे तो जहां आप के भाई बहन हैं कोई और उनकी रक्षा कर रहा होगा, विश्वास मानिए।