Do balti pani - 23 in Hindi Comedy stories by Sarvesh Saxena books and stories PDF | दो बाल्टी पानी - 23

Featured Books
Categories
Share

दो बाल्टी पानी - 23

गुप्ता जी ने पिंकी की ओर घूरकर देखा और बोले “ अरे पिंकिया का जरूरत थी ऐसी आंधी पानी में पानी भरने की वह भी अंधेरे में, अरे हमें तो लगता है तूने जान बूझकर छोटी कटवाई, और तो और तू चोटी कटवाने ही बहाना बना कर गई होगी” |

गुप्ता जी की बेतुकी बातों का लावा फूट फूटकर बाहर आ रहा था, जिसे सुनकर गुप्ताइन के अंदर का ज्वालामुखी फटा पढ़ रहा था | गुप्ताइन कुछ कहने को हुंई तो गुप्ता जी फिर फूट पड़े “ अरे कुछ मत बोलो... हम कहते हैं कुछ मत बोलो, बहुत सुन लिये हम तुम्हारी, पर आज तुम सुनो, अरे गांव वाले तो वैसे भी हमारी हंसी उड़ाते हैं थोड़ी और उड़ा लेंगे तो कौन सा हमारे प्राण उड़ जाएंगे” |

इतना सुनकर आखिरकार गुप्ताइन के सबर् का ज्वालामुखी फट गया और वो चिल्ला पड़ी “ बस करो.... हम बताएं दे रहे हैं बस करो... वरना अच्छा नहीं होगा आज” | ये सुनकर गुप्ता जी बोले “ अरे का अच्छा नहीं होगा.... तो आज तुम बता दो, का करोगी ...?? मारोगी हमें...?? बोलो.... बोलो ना... अरे का करोगी तुम..?? अरे तुमसे अच्छा तो किसी गंवारन को ब्याह लाये होते तो जीवन सफल हो जाता हमारा, कम से कम सुबह उठकर बनी बनाई चाय तो मिलती, अरे हमारी तो ग्रह दशा खराब थी जो तुम्हें ब्याह लाये जो अपने बाल कटा के गांव घर में घूमती रहती हो, और तो और अब यह पिंकिया भी यही सीख गई, अरे बालों तक तो फिर भी ठीक-ठाक था लेकिन ये जो ब्लाउज की बाहें कटवा कर पहनती हो, तो सांप लोटते हैं हमारे सीने पे, अरे गांव के सारे मर्द हंसते हैं, यह जो खुली चट्टान जैसी बाहें लिए घूमती हो, इन्हें पूरा गांव देखकर मजे लेता है, कल को साड़ी भी आधी पहनने लगोगी... तुम्हारा क्या है..?? हे भगवान अम्मा के साथ हमें भी उठा लेते” |

गुप्ताइन गुप्ता जी के चेहरे को बड़े गौर से देख रही थी उनकी आंखों और कानों से गर्मी निकल रही थी, गुप्ताइन ने दांत पीसते हुए कहा “ क्या कहा तुमने....?? अरे इतना जहर... कब से बचा रखे हो यह जहर... हमारी वजह से तुम्हारी गांव में बेज्जती होती है..हां... तो अब यहीं लो तुम, कल से हाफ पेंट में घूमेंगे... जो करना हो सो कर लो, तुम्हारे जैसे नाकारा आदमी को ऐसी पढ़ी-लिखी कमाऊ औरत मिल जाए तो यही हाल होता है, अरे तुम हो ही गंवार और नालायक, अरे तुम्हारे जैसों को तो भगवान बुलाते नहीं है, उनके पास भेजना पड़ता है” |

गुप्ता जी और गुप्ताइन का झगड़ा खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था कि तभी पिंकी जोर से चिल्ला पड़ी “ अरे बस करो..... हमारी यहां जान के लाले पड़ गए थे और तुम लोग लड़े मरे जा रहे हो... हाय हमारी चोटी.....हाय... कितने सटरीठा, शैंपू लगा लगा कर हमने बाल चमकाए थे लेकिन उस चुड़ैल ने.... हाय राम.... अब हम बाहर का मुंह लेकर जाएंगे, हे भगवान चुड़ैल ने हमें पहचान भी लिया होगा, वह फिर आएगी... अरे मम्मी हमें बचा लो... पापा हमें बचा लो...” | यह कहकर पिंकी गुप्ताइन के गले लगकर फिर रोने चिल्लाने लगी |