don't talk about cast - 2 in Hindi Moral Stories by Maya books and stories PDF | बात ना करो जात की - 2

The Author
Featured Books
Categories
Share

बात ना करो जात की - 2

तभी चाची की नजर मुझ पर पड़ती है और कहती अच्छा बिटिया जरा बांस वाली को खाना देते आना मैं जाती हूं बास बलि के हाथों में चुपचाप

खाना की थाली रख देती हूं!

बाहसबली को देखकर ऐसा लगता है कि बेचारा भूख के मारे तड़प रहा है कब से आंखें लगाए इंतजार में राह जोह रहा था !

कुछ झण के बाद चाची आती है मैं समझ पाती कि उसे पहले वह चिलाउट अरे बिटिया तूने क्या कर दिया ,उसको खाना इसके बरतन में देनी थी ना कि अपने बर्तन में तूने बर्तन खराब करती हाय मेरी मेरे धर्म भ्रष्ट हो गए!

मैं कुछ बोल हीं पाते कि उससे पहले उन्होंने मेरे हाथ की खींचते हुए नानी के पास लेकर आ गई, क्या बताएं छाया की नानी नहलाओ पहले इनको

पहले तो नानी समझ नहीं पाए लेकिन जो पूरी वाक्य पता चला नानी मुझ पर ही बिगड़ पड़ी!

चिल्लाते हुए बोली जाकर पहले नहा नहीं तो घर में घुसने नहीं दूंगी !

मजबूर नहीं चाहते हुए भी मुझे नहाना पड़ा !

मैंने भी गुस्से से बोली ऐसे कैसे नहीं घुसने दोगी ऐसे भी क्या कर दिया मैंने उसको खाना ही तो दिया है वह भी इंसान है उसके भी दो हाथ है दो पैर है तुम्हारे खेतों में जब वो काम करता है तब तो नहीं छुआ जाता तुमसे खालियानो से अनाज ढोकरें तुम्हारे घर पर ले कर आता तब अनाज नहीं छुआ जाता और तो और मैंने कई मर्तबा कई दफा सुहान चाचा को बसवली की भौजाई के साथ नैन मटके लड़ाते देखा है

तब तो कोई छुआ छाप नहीं जाता तब तक किसी की जाति धर्म नहीं जाती!

तब तो तुम्हें घर के सारे अनाज फेकवा देनी चाहिए,

नानी ने मुझे खींचकर थप्पड़ मारी और वह भी चुपचाप चल घर बड़ौ से ऐसे बात करते हैं मैं तुम्हारी मां की मां हूं मुझे मत सिखा!

चुपचाप मैं खड़ी रह गई,

मैं तो अपनी नानी को नहीं समझा पाए लेकिन आप तो समझ सकते हैं ना,

मेरे पास एक ही मार्ग है वह है लेख , अरे अपने लेख के माध्यम से आप लोगों तक पहुंचाना चाहती हु!


भलेही आज सामाजिक बुराइयों को दूर करने के कितने ही अभियान चल रहे हों, लेकिन इसके बावजूद भी समाज में कई ऐसी घटनाएं हो रही हैं जिससे पता चलता है कि कई लोग अभी भी जागरूक नहीं हैं। क्योंकि अभी भी कई जगह रंग और जात-पात में भेदभाव होता है।

लड़की सयानी होते ही सबसे पहले उसके पिता के माथे पर चिंता की लकीरें दिखाई देने लगती हैं। शादी के लिये धन कहां से आयेगा, इससे बड़ी चिंता होती है अपनी ही जाति में अच्‍छा लड़का कैसे मिलेगा? ठीक उसी के उलट जब अलग-अलग जातियों के लड़का और लड़की प्‍यार में होते हैं और अक्‍सर अकेले में सोचते हैं, "हमारी शादी हो पायेगी या नहीं? मम्‍मी-पापा मानेंगे? चाचा-ताऊ, मामा-मौसजी लोग तो सबसे ज्‍यादा ऑबजेक्‍शन करेंगे! क्‍या करें, समझ नहीं आता?"
भारत देश में शादी के बंधन को जनम-जनम का बंधन माना जाता है। ऐसे में हिन्‍दुस्‍तान में अभी वो दिन बहुत दूर हैं, जब इंटर-कास्‍ट मैरेज यानी अंतर-जातीय विवाह को सभी लोग हंस कर स्‍वीकार करेंगे। ऐसे में इंटर-रिलीजन मैरेज तो बहुत दूर की बात है।

सुखी परिवार : एक लड़का और लड़की को अच्छा जीवन साथी मिलेगा जिसे वो अच्छे से समझते हों और इसी कारण जीवन ख़ुशी से भी गुजरेगा।अलग-अलग राज्यों में प्यार बढेगा : अलग-अलग जाति, प्रान्त, राज्यों, भाषाओँ के बिच जब विवाह सम्बन्ध बनेगा तब ज्ञान, प्यार और लोगों में एकता भी बढेगा।

समाज के दवाब में कई माता पिता अपने बच्चों को आज भी Inter Caste Marriage नहीं करने दे रहे हैं। उनसे निवेदन हैं इन पुरानी बातों को भुला कर एक नयी सोच लायें और जाति-पाति के भेद भाव को दूर करें।