wo bhuli sata - 5 in Hindi Women Focused by Saroj Prajapati books and stories PDF | वो भूली दास्तां,भाग-५

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वो भूली दास्तां,भाग-५

आकाश को जब रश्मि ने चांदनी के दिल का हाल सुनाया तो वह खुश होते हुए बोला "भाभी जी यह खुशखबरी सुनाकर आपने मुझ पर कितना बड़ा अहसान किया है। बता नहीं सकता आपको!"
उसकी बात सुन रश्मि ने कहा " भैया मैं आपसे एक बात कहना चाहती हूं । जितना इनसे आपके बारे में सुना है कि आप एक अच्छे इंसान हो। अपनी तरफ से अभी मुझे आपको जाने का ज्यादा मौका नहीं मिला लेकिन मैं अपनी सहेली को व उसके परिवार को बचपन से जानती हूं। इसलिए आपसे कहना चाहती हूं कि बहुत ही सीधे सादे लोग हैं वो। मेरी सहेली देखने में जितनी चंचल लगती है, दिल की उतनी ही भोली है। छल कपट उसे छूकर भी नहीं गया है। पिता नहीं हैं उसके।‌ दो बहन भाई है वो। बहुत ही लाड प्यार से पली है। उनकी आर्थिक स्थिति आप जैसी तो नहीं लेकिन फिर भी ठीक-ठाक है। ‌ यह सब बातें मैं आपको इसलिए कह रही हूं कि बात आगे बढ़ाने से पहले आप अच्छे से सोच विचार कर ले। यही सब के हित में होगा।"
"भाभी मुझे वो पहली नजर में पसंद आ गई थी और मेरे दिल ने उसे अपनी जीवनसंगिनी के लिए रूप में देखना शुरू कर दिया था। उनकी आर्थिक स्थिति कैसी है, इससे मुझे कोई सरोकार नहीं। क्योंकि प्यार रुपया पैसा देखकर नहीं बल्कि दिल से किया जाता है। मैं आपसे वादा करता हूं, उसे हमेशा खुश रखूंगा।"
"क्या तुम्हारे घरवाले इस रिश्ते के लिए मान जाएंगे!"

"मम्मी पापा के लिए मेरी खुशी से बढ़कर कुछ नहीं! चांदनी को देखकर तो वह ना कह ही नहीं सकते।"

"अच्छा तो भैया जल्दी से आप अपने घरवालों से बात कर मुझे खुशखबरी दो। क्योंकि तुम्हारे जवाब के इंतजार में मेरी सखी वहां बिरहन बनी बैठी है। रश्मि हंसते हुए बोली।"

"बस भाभी यह बिरहा के दिन ज्यादा दिन नहीं रहेंगे। यहां तो चट मंगनी पट ब्याह होगा। देख लेना आप! अच्छा अब मैं चलूं।मम्मी पापा से बात कर आपको जल्द खुशखबरी दूंगा!"

उन दोनों की बातें इतनी देर से रश्मि का पति बैठे-बैठे सुन रहे थे। ‌ आकाश के चलने की बात सुन वह बोले
" यार तू तो बडा नाशुक्रा इंसान निकला। मेरी ही शादी में, मेरी यह साली साहिबा से चक्कर चला शादी करने चला है और हमसे ना सलाह ,ना मशवरा। बचपन के दोस्त को भूल अपनी भाभी को ही अपना सलाहकार बना लिया!"

"करना पड़ता है यार! वैसे भी अब तुझ पर भाभी का राज चलता है तो गुलामों से सलाह नहीं ली जाती ना! समझा कि नहीं!" आकाश उसकी ओर देख हंसते हुए बोला।

"खूब मजाक उडा। तू भी कुछ दिनों बाद खुली हवा में सांस लेने के लिए पंख फड़फड़ाते हुए नजर ना आया तो फिर कहना!"
"देखते हैं !" कह आकाश मुस्कुराते हुए बाहर निकल गया।

"तो बेगम साहिबा इस गुलाम के लिए क्या हुकम है!" रश्मि के पति ने उसके गले में बाहें डालते हुए कहा।
सुनकर रश्मि बोली "हुक्म यह है कि आप बैठ टीवी देखिए और मैं चली खाना बनाने। वरना सासू मां ऊपर आ गई तो सारा रोमांस हवा कर देंगी।"
"बस हर वक्त घर व रसोई। प्यार के लिए भी टाइम निकालो यार! नई नई शादी हुई है हमारी!"
"जी अपनी मां से हां भरवा दो। मैं तो आपके पास से हिलूंगी भी नहीं।"
तभी रश्मि की सास की बाहर से आवाज आई "बहु आज कमरे से बाहर नहीं निकलेगी क्या! खाना नहीं बनेगा क्या आज!"
"बोलो जी क्या जवाब दूं मां को! जाऊं या यहीं बैठूं।"

"जाओ भई मानो अपनी सास का हुकुम। हम तो टीवी देख मन बहला लेंगे।"
रात को खाना खाने के बाद आकाश की मम्मी किचन में काम समेट रही थी। तो आकाश ने उनसे कहा "मम्मी मुझे आपसे एक जरूरी बात करनी है!"
"हां हां बोल ना क्या बात है!"
"यहां नहींं मम्मी, काम कर आप मेरे कमरे में आना, वही आपको आराम से बैठ कर बताऊंगा!"
"अरे ऐसी क्या जरूरी बात ,है जो यहां नहीं बता सकता!"
"आना तो सही, सुनकर आप भी खुश हो जाओगी!"
"अच्छा ऐसी बात है , तो तू चल । मैं जल्दी काम खत्म कर आती हूं।"
थोड़ी देर बाद आकाश की मम्मी उसके कमरे में पहुंची तो वह आंखें बंद किए लेटा था। वह उसके पास जाकर बैठ गई और प्यार से उसके सिर पर हाथ रखते हुए बोली "अपनी मां को बुलाकर लगता है खुद सो गया!"
यह सुनकर आकाश ने अपना सिर उनकी गोद में रख दिया और बोला "सोया नहीं था मम्मी बस आपके ही आने का इंतजार कर रहा था!"
"चल अब मैं आ गई, जल्दी बता क्या बात है। मुझे सुनने की बहुत बेचैनी हो रही है।"
"मम्मी आप हमेशा मेरे पीछे हाथ धोकर पड़ी रहती थी ना कि मैं शादी के लिए हां कर दूं तो आज आपके बेटे ने आपके मन की इच्छा पूरी करने के लिए हामी भर दी है।"
यह सुनते हैं आकाश की मम्मी मीरा देवी खुश होते हुए बोली "जीता रहे मेरे लाल! तेरे मुंह से हां सुनने के लिए कब से मेरे कान तरस रहे थे। मैं कल ही पंडित जी व कुछ रिश्तेदारों को अच्छा सा रिश्ता ढूंढने के लिए बोल दूंगी। वैसे एक-दो लड़की तो मेरी नजर में अब भी है। मैं जल्द ही उनकी फोटो मंगवा कर तुझे दिखा दूंगी!"
"मम्मी मम्मी मम्मी! इन सब की कोई जरूरत नहीं!"
"पर क्यों अभी तो तूने...!"
"क्योंकि आपकी ये सारी टेंशन भी मैंने दूर कर दी है!"
मतलब!
"मतलब यह है कि मैंने आपके लिए बहू भी ढूंढ ली है!"

सुनकर मीरा देवी को जैसे अपने कानों पर यकीन ना हुआ हो। वह आंखें फैलाकर उसकी ओर देखती हुई बोली " क्या कहा तूने! तूने खुद लड़की पसंद कर ली।"
"हां मां आपने सही सुना!"
"लेकिन कब! कहां! किस खानदान से हैं! क्या करते हैं उसके मां बाप!"
"अरे रुको रुको मम्मी! सब कुछ बताता हूं । " कहकर आकाश ने चांदनी के बारे में जितना वह जानता था, अपनी मम्मी को बताया!
"लेकिन बेटा ऐसे कैसे , बिना देखे भाले हम किसी भी लड़की को अपने घर के बहु बना ले। तुझे तो पता है समाज में हमारी एक अलग पहचान है, रुतबा है। फिर तेरे पापा वह मानेंगे।"

"मम्मी कैसी बात कर रही हो आप! अब तक तो आप यही शिकायत करती थी कि मैं कोई लड़की पसंद नहीं करता और आप जब मैंने खुद लड़की पसंद कर ली तो आप इतने कानून निकाल रही है। आपको अपने बेटे की खुशियां ज्यादा प्यारी है या समाज के लोगों की बेफिजूल की बातें। जिसको बातें बनानी होगी वह तो आप कितना भी अच्छा कर लोगे तब भी मीन-मेख निकालेंगे ही।‌ सबसे बड़ी बात वह हमारी ही बिरादरी के हैं और अच्छे खानदान से है। पैसों की हमारे घर में क्या कमी है जो हम उनका स्टेटस देखें। ‌ आप एक बार उससे मिलो तो सही। आपको भी अपने बेटे की पसंद पर नाज होगा। और पापा की तो आप बात ही ना करो। आपके सामने पापा की कब चली है।" आकाश हंसते हुए बोला
!
"चल नालायक कैसी बातें करता है। तू भी अपनी दादी की तरह डायलॉग मारना सीख गया। वह भी यही कहती थी।" फिर थोड़ा सा गंभीर होते हुए उसकी मम्मी बोली "बेटा आज तक हमारे खानदान में किसी ने ऐसे शादी नहीं की। तेरी बहन के ससुराल वाले या..........!"
"मम्मी मैं आपसे एक बात अभी साफ-साफ कह देता हूं। चांदनी मुझे पसंद है और उसे मैं पसंद हूं। अगर मेरी शादी उससे नहीं हुई तो फिर मेरी शादी का सपना कभी मत देखना।"
"इतनी सी बात पर नाराज हो गया। आज तक मैने तेरी कोई बात ना मानी हो, ऐसा कभी हुआ है। हां, है हमारी तरफ से। संदेशा भिजवा देना और अगले संडे तेरी बहन को बुला लूंगी। फिर देख कर आते हैं कि तूने कौन सा हीरा पसंद किया है हमारे घर के लिए।" आकाश की मम्मी ने उसके सिर पर प्यार से हाथ रखते हुए कहा।
"मुझे पता था मम्मी आपको मेरी खुशियों से बढ़कर कुछ नहीं। सच में आप दुनिया की सबसे अच्छी मां ।" कहते हुए आकाश अपनी मां के गले लग गया।
"अच्छा बस बस । आप इतनी मक्खन बाजी भी सही नहीं। चलूं तेरे पापा को भी तो बताऊं , तेरी कारास्तानी। उन्हें भी तो तैयार करना पड़ेगा ना।"
"आप हो तो मम्मी, सब हो जाएगा।"
आकाश के पापा एक सीधी-सादी इंसान थे। उन्हें अपने बच्चों की खुशियों से बढ़कर कुछ नहीं। हां अपनी पत्नी का कहा हुआ वह कभी टालते नहीं थे। उनका काम था सिर्फ कमाना। घर के सभी फसलों में चलती उनकी पत्नी की ही थी। जब आकाश की मम्मी ने उन्हें चांदनी के बारे में सब बताया तो उन्होंने यह कहते हुए खुशी से सहमति दे दी कि हमारा बेटा बहुत समझदार है अगर उसने कोई लड़की पसंद की है तो जरूर लड़की में उसने कुछ खास देखा होगा। इसलिेए अब तो तुम बस शादी की तैयारी करो।
मीरा देवी ने अपने बेटे की खुशी के लिए हां तो कर दी थी लेकिन अंदर ही अंदर उन्हें वह वास्तविक खुशी नहीं थी। क्योंकि उनका सपना अपने ही जैसे उच्च घराने की लड़की को बहु बनाने का था लेकिन आकाश ने उनके सारे सपनों पर पानी फेर दिया था। बेटे को वह नाराज कर नहीं सकती थी क्योंकि वह इकलौता और उनके बुढ़ापे का सहारा था। इसलिए वह मन मसोसकर रह गई।
क्रमशः
सरोज ✍️