अध्याय - 3
चंदन वापस घर आया तो प्रसन्न भी था और दुखी भी था। उसे लग रहा था कि उसको प्यार मिला और मिलते ही बिछुड़ गया।
भरे मन से उसने नाश्ता किया और ऑफिस के लिए निकल गया।
रमेश उसके बगल में ही बैठा था।
क्यों भाई आज फील्ड में नहीं जाना क्या ?
चुपचाप दिखाई दे रहा है। क्या बात है रमेश ने पूछा ?
कोई बात नहीं है रमेश।
नहीं, कुछ तो बात है रिया का क्या हालचाल है। बात बनी कि नहीं ? रमेश पूछा ?
अरे यार! बात बनी भी और नहीं भी। चंदन बोला।
कैसे ?
हम दोनों एक दूसरे को प्यार करते हैं उसका इजहार आज ही किया और आज ही वो रायगढ़ वापस चली गई।
क्या ? इजहार कर लिए ? रिया मान गई ?
ये तो बहुत अच्छी बात है। रमेश ने कहा।
हाँ अच्छी बात तो है पर इजहार करने के एक घंटे के अंदर ही वापस चली गई।
क्यों ? मतलब किस कारण से।
उसके दादाजी की तबियत खराब है यार तो उनके ईलाज के लिए गई है, तबियत ठीक होते ही वापस आ जाऊँगी बोली है।
तो उसमें देवदास बनने की क्या बात है भाई, वापस तो आएगी ही ना ? रमेश बोला।
हाँ वो बात करके ही आऊँगी बोली है।
ये तो और भी अच्छी बात है। इस पर तो पार्टी बनती है बॉस । बता कहाँ देगा पार्टी।
पता नहीं यार मन थोड़ा उदास है, पता नहीं उसके दादा-दादी मुझे लेकर कैसा रिएक्ट करेंगे, मैं ठहरा अनाथ। मेरा कोई खानदान नहीं, अस्तित्व नहीं। थोड़ा डरा हुआ हूँ भाई।
देख यार, तेरे भाग्य में जो लिखा है वो तो होना ही है फिर चिंता किस बात की है, रमेश बोला।
हाँ, वो तो तुम सही बोल रहे हो भाई।
तो फिर ऐसे चुपचाप रहने का कोई लॉजिक नहीं है ब्रदर। ये सोचो कि सब अच्छा होगा। निराश रहने से घटनाएँ भी निराशाजनक बन जाती है। मुड अच्छा करो यार और अच्छी खबर का इंतजार करो।
हाँ तुम ठीक कहते हो रमेश। वो पहुँचकर फोन करूँगी बोली है। इसलिए आज जल्दी काम खत्म करके घर चला जाऊँगा।
टारगेट पूरा करके चंदन घर आ गया। उसक सारा ध्यान रिया की स्थिति पर था। वह सही सलामत पहुँची कि नहीं ? उसके दादाजी की स्थिति कैसी है। वह अभी तक फोन क्यों नहीं की ? इसी उहापोह में पूरी रात निकल गई पर उसका फोन नहीं आया। सुबह-सुबह वह जागा भी नहीं था कि उसके फोन की घंटी बजी। वह उठा और दौड़कर ड्राइंगरूम में गया। सामने रिया ही थी।
हैलो। हाँ कौन रिया ?
हाँ मैं रिया बोल रही हूँ।
तुमको समझ में नहीं आता कि मैं कितना परेशान होऊँगा। मैं सारी रात सो भी नहीं पाया। चंदन बोला।
अरे सुनो तो मेरी बात। रिया बोली।
क्या सुनु, मैं तुमसे बहुत नाराज हूँ रिया।
प्लीज चंदन मेरी बात सुन लो चंदन।
ठीक है बताओं।
कल जब मैं घर आई तो दादाजी की तबियत कॉफी खराब थी। उन्हें तेज बुखार था इसलिए स्कूटी में ही बिठाकर उनको फौरन अस्पातल ले गई। डॉक्टर ने बताया कि उनका बी.पी. भी बढ़ा हुआ है ऐसी स्थिति में उन्हें घर लाने से मना कर दिए और उनको एडमिट करना पड़ा। अभी वो सो रहे हैं इसलिए अभी फोन कर पायी। मुझे माफ कर दो प्लीज।
उल्टा तुम मुझे माफ कर दो प्लीज। अंजाने में तुम पर नाराज हो गया। ये बताओं अब दादाजी की तबियत कैसी है ? चंदन बोला।
अभी तो वे सोये हैं डॉक्टर अभी राउंड पर आएंगे तो बताएंगे।
अच्छा तो कोई आवश्यकता हो तो बताओ। मैं आ जाता हूँ रायगढ़ या और पैसे भेज देता हूँ।
कितना उपकार करना चाहते हो मुझ पर। रिया बोली। पहले से क्या कम कर रहे हो। अभी मैंने दादाजी से तुम्हारे विषय में बात नहीं की है।
पहले दादाजी का ख्याल रखो। उनको ठीक हो जाने दो बातें तो बाद में भी हो सकती हैं।
अच्छा ये तुम बोल रहे हो उत्साही प्राणी। रिया बोली।
हाँ भई पर जल्दी बात कर लेना। चंदन बोला।
आ गए ना अपने असलियत पर, मुझे मालूम था महोदय। रिया बोली। चिंता मत करो मेरी दादाजी से अच्छी दोस्ती है जैसे ही उन्हें थोड़ा ठीक लगेगा मैं बात करूँगी। चलो अब रखूँ।
ठीक है रिया अपना ख्याल रखना।
रिया ने फोन काट दिया। आज चंदन थोड़ा खुश था वह तैयार हुआ नाश्ता किया और ऑफिस निकल गया।
आज मैं बहुत खुश हूँ रमेश। बता कहाँ पार्टी देनी है।
क्या बात है भाई। आज बात हुई क्या ?
आज सुबह जब बात हुई तब जाकर थोड़ी चिंता कम हुई।
गुड तो उसने अपने दादा-दादी से बात की क्या।
आज करूँगी बोली है। देखते हैं क्या होता है।
देख भाई जैसे मेरे लिए मेरी छोटी बहन सुमन है वैसे ही मेरे लिए रिया भी है।
तू उसे धोखा ना देना बता रहा हूँ।
सपने में भी नहीं दोस्त। मेरे लिए वो अनमोल है और अनमोल चीजों के लिए तो आदमी एक्स्ट्रा केयर करता है।
तो फिर चल लंच करते हैं। रमेश बोला ।
और सुमन कैसी है रमेश ? चंदन बोला।
उसकी तबियत ठीक नहीं है चंदन।
कैसे ?
उसे यार ब्रेस्ट कैंसर डिटेक्ट हुआ है। रमेश बोला।
ओह! ये तो बुरी खबर है। तुमने बायोप्सी करा ली क्या ?
हाँ यार। कल ही उसकी रिपोर्ट आई है। उसमें कन्फर्म हो गया है।
तो फिर ? चंदन पूछा।
फिर क्या अब डॉक्टर जैसा बताएँगे वैसा करेंगे।
शायद किमो या रेडियो थेरेपी करनी पड़े।
सुनकर दुख हुआ रमेश। इतने कम उम्र में इस तरह की बीमारी का सामना करना बड़ी हिम्मत का काम है। वैसे वो बहुत हिम्मती लड़की है। परंतु फिर भी मानसिक रूप से फर्क तो पड़ता ही है।
तुम सही कह रहे हो चंदन। सुमन बहुत हिम्मती है और मुझे यकीन है वो इसका सामना हिम्मत से करेगी। रमेश बोला।
जब घर में ऐसी स्थिति है तो पार्टी पर क्यूँ लाया ?
अरे यार मुश्किलें अगर जीवन में हैं तो क्या हम जीवन जीना छोड़ दें, बता भला ? भाई मैं बहुत प्रैक्टीकल आदमी हूँ, मुश्किलों का सामना हँसकर करना जानता हूँ और तेरे लिए भी यही सीख है। जब भी परेशानियों से बाहर निकल कर जिदंगी जी। रमेश बोला।
हाँ तू सही कह रहा है रमेश। मैंने जीवन में इतनी परेशानियाँ देखी है कि जीवन जीना भूल गया था, परंतु रिया ने मेरे जीवन में रोशनी बिखेर दी। अब थोड़ा जीना सीख गया हूँ। चल चलते है तेरे घर मुझे अभी सुमन से मिलना है।
अब तुझे क्या उससे मिलकर उसे दुखी करना है।
नहीं, खुश करना है चल ना प्लीज। चंदन बोला
अच्छा चल बाबा। तु कहाँ मानने वाला है।
दोनो रमेश के घर की ओर निकल पड़े।
रमेश का घर चंदन के घर के नजदीक ही था रिया तो वहाँ से पैदल ही आ जाया करती थी। दस मिनट में ही दोनो रमेश के घर पहुँच गए। घर में घुसते ही दोनो ने देखा कि सुमन चुपचाप सोफे पर बैठी थी।
हेलो ब्यूटीफुल गर्ल। चंदन उसको देखकर बोला।
नमस्ते चंदन जी। आईए बैठिए।
उदास क्यों बैठी हो सुमन।
आप तो ऐसे कह रहे हैं जैसे आपको कुछ पता ना हो।
पता है इसीलिए बोल रहा हूँ। अरे ये ऐसी कोई बीमारी थोड़ी है जो पूरे शरीर को खा जाए। अगर ऐंसा लगे कि इलाज नहीं हो पा रहा है तो बे्रस्टेक्टामी करवा लेना। शरीर का वो हिस्सा काट देंगे बस।
जीवन तो बचा रहेगा, इतनी चिंता करने की बात नहीं है सुमन।
अच्छा आप कितनी आसानी से कह दे रहे हो। बताओ अगर मेरे शरीर का कोई हिस्सा कट जाए तो क्या मेरी शादी पाएगी, कौन करेगा मुझसे शादी। जिंदगी भर मुझे अकेला रहना पड़ेगा।
अरे यार तुमको अपने जान से ज्यादा शादी की पड़ी है।
जान रहेगी तभी तो शादी करोगी। मतलब तुम इसलिए दुखी हो कि तुम्हारी शादी नहीं होगी। बाप रे! ये भी कोई वजह है।
अच्छा बड़े साहसी बनते हैं आप। अगर रिया के साथ यही हुआ होता तो उसका साथ देते आप जीवन भर? सुमन बोली।
चंदन चुप हो गया। उसकी आँखे गीली हो गई। ऐसा मत बोलो सुमन। उसको क्यों कुछ होगा ?
आप उसके लिए ऐसा सुन भी नहीं पा रहे है और अंदाज लगाइए मुझे पूरी जिंदगी इसी नियति के साथ रहना है।
तुम ठीक कहती हो सुमन पर मैं इतना यकीन से कह सकता हूँ कि चाहे परिस्थितियाँ जो भी हो जीवन में, मैं उसका साथ कभी नहीं छोड़ूँगा। मैं तो सिर्फ ये चाहता हूँ कि तुम खुश रहो हमेशा।
हर परिस्थिति में खुश कैसे रहना तुम रमेश से सीख सकती हो। जब भी मैं परेशान होता हूँ, एक वही सख्स है जो मुझे साहस देता है। वो जब मुझे साहस दे सकता है तो तुम तो उसकी बहन हो, तुमको तो दो कदम आगे होना चाहिए। चलो अब खुश हो जाओ और मुश्किलों का सामना डटकर करो। अच्छा चलो तुम्हें सिर्फ शादी की चिंता है ना तो वादा किया कि तुम्हारी शादी मैं करवाऊँगा। और यार कोई नहीं मिला तो मेरे साथ एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर कर लेना।
सुमन के चेहरे पर मुस्कान आ गई।
बस यही मुस्कान देखने के लिए आया था सुमन। जीवन में जब भी मेरी आवश्यकता हो मुझे याद कर लेना मैं हमेशा तुम्हारे लिए खड़ा रहूँगा। बस अपने विश्वास को बनाए रखना। सब कुछ अपने आप ठीक हो जाएगा।
अब मैं चलता हूँ सुमन। तुम अपना ख्याल रखना।
ठीक है चंदन जी। आपके आने में मुझे बहुत साहस मिला। मैं परेशान होऊँगी तो पक्का आपको भी परेशान करूँगी। आप निश्चिंत रहिए।
ठीक है डियर रमेश कहाँ है, मैं उसी के साथ आ गया था। मुझे छोड़ देगा।
रमेश उसे घर छोड़कर आ गया। आज वो थोड़ा हिल सा गया था। विचारों के मंथन में डूब गया था, ईश्वर ने उसके हिस्से में आज खुशी लिखी है कि उसे रिया मिली। ये सचमुच उसके लिए आश्चर्यजनक था, अन्यथा एक अनाथ के लिए रिया जैसी लड़की मिलना तो असंभव था। वो बार-बार ईश्वर को अपने सुंदर सपने के लिए धन्यवाद देता था। अब उससे प्रतीक्षा नहीं हो पा रही थी, वह चाहता था कि रिया उसके जीवन में जल्दी आ जाए। वो उन खुशियों से वंचित नहीं रहना चाह रहा था। आज तो एक बार रिया से उसकी बात हो चुकी थी इसलिए उसे इतनी चिंता नहीं थी और चुपचाप सोने चला गया। स्विच बोर्ड पर हाथ फेरते ही उसे पिछली सारी घटनाएँ याद आ गयी कि किस तरह रिया ने स्विच ऑफ करने से मना कर दिया था। वह मुस्कुराते हुए सो गया।