अध्याय - 2
रिया भी एक मार्डन ख्यालों वाली लड़की थी उसे आधुनिकता में अपने संस्कारो को संरक्षित करना आता था। वो अपना सामान लेकर आ गई।
दूसरे दिन रिया ने चंदन को घर पर फोन किया।
बताईये महोदय, कहाँ पढ़ाई करे और क्या पढ़ना है ?
तुम बताओ, मैं वहीं आ जाता हूँ। संविधान पढ़ते हैं। चंदन ने कहा
आ सकते हो परंतु यहाँ पूरी फैमिली है अलग से कोई रूम नहीं, जहाँ बैठकर पढ़ सकें। रिया बोली।
देखो, अगर तुमको कोई आपत्ति ना हो तो मेरे फ्लैट पर आ जाओ।
हाँ वो भी ठीक है मैं आती हूँ तुमको पढ़ाकर वापस आ जाऊंगी।
ठीक है आ जाओ। पास ही में है वहाँ से। तुम पैदल भी आ सकती हो।
थोड़ी देर में रिया चंदन के फ्लैट के सामने खड़ी थी। उसने घंटी बजाई।
जैसे ही चंदन ने गेट खोला वो चौक गया, अरे! तुम तो जींस टी-शर्ट पहनी हो ?
क्यों नहीं पहन सकती ?
नहीं-नहीं ऐसी बात नहीं है मैने उस दिन तुमको गाऊन में देखा था ना, इसलिए इस तरह देखूंगा ऐंसा सोचा नहीं था।
तो क्या सोचा था कि वैसे ही पार्टी वाली ड्रेस पहनकर आऊँगी।
अब मुझे इतना भी शर्मिंदा मत करो भाई। सॉरी बोल रहा हूँ ना। चंदन बोला।
नहीं, नहीं कोई सॉरी नहीं, ये बताओं क्या पहनकर आऊँगी, सोचे थे ?
‘‘साड़ी’’ चंदन ने नजरे नीची करके कहा।
अच्छा साहब को मुझे साड़ी में देखना है। पढ़ाई-वढ़ाई कुछ नहीं करना है। इसिलिए रोके हो मुझे ?
नहीं, नहीं रिया, मैंने सॉरी बोला ना। मुझे सचमुच पढ़ाई करनी है।
अच्छा ठीक है चलो बैठो पढ़ाई करते हैं। रिया ने कहा।
चंदन चुपचाप बैठ गया।
मैं तुमको पहले परीक्षा के पैटर्न के बारे में बताती हूँ फिर अपन पढ़ना चालू करेंगे।
चंदन का कतई पढ़ने का मन नहीं था वह तो सिर्फ रिया का साथ चाहता था उससे अपने मन की बात करना चाहता था परंतु रिया पढ़ाई को छोड़कर अन्य कोई बात ही नहीं कर रही थी। अतः चंदन के पास विकल्प ही नहीं था सिवाय चुपचाप सुनने के।
तुम कोई प्रश्न नहीं करते हो चंदन। समझ में आ भी रहा है कि नहीं।
नहीं ऐसी कोई बात नहीं , समझ में आ रहा है।
अच्छा तो बताओ संविधान की प्रस्तावना समिति में कौन-कौन था।
पता नहीं। चंदन बोला।
तो झूठ क्यों बोल रहे थे। पूछ नहीं सकते थे ?
देखो मन से पढ़ो या फिर मैं चली जाती हूँ। कितने बजे जाना है तुमको ऑफिस ।
यही साढ़े दस बजे। चंदन बोला।
ठीक है आधा घंटा और पढ़ लेते हैं। ये कौन है जो अंदर गई ?
वो, वो तो नौकरानी है घर का सारा काम और खाना बनाना वही करती है।
कैसा बनाती है खाना ?
बस खाने लायक।
इसके आने से पहले कैसे करते थे ?
खुद बनाता था रूखी-सुखी और खा लेता था।
शादी क्यों नहीं कर लेते ?
कोई लड़की मिले तो जरूर कर लूँगा। चंदन बोला।
क्यों, कोई नहीं मिली आज तक ?
बहुत मिली पर मन को कोई नहीं भायी।
बड़े नखरे हैं तुम्हारे ? जो भी मिली उससे चुपचाप कर लेना था।
कोशिश किया था एक को पर उसने मुझे दुत्कार दिया।
हा हा हा। अच्छा है तुम इसी लायक हो चुपचाप पढ़ो, जब समय आएगा तो मिल ही जाएगी। चिंता मत करो। चलो 10.20 हो गया है। तुम्हे भी ऑफिस जाना है, मैं चलती हूँ। कल आती हूँ।
रूको मैं तुम्हे छोड़ देता हूँ।
अरे कोई बात नहीं यही पास ही तो है मैं पैदल चली जाऊँगी।
मैं छोड़ देता हूँ ना ?
चुपचाप बैठो। मैं जा रही हूँ बोली ना, और ये सब पढ़ कर रखना मैं कल पूछँगी।
वह उठी दरवाजा खोली और चली गई।
चंदन उसकी अनुपस्थिति से व्यथित हो जाता था।
दिनभर ऑफिस के काम में उसका मन नहीं लगता था। वह उस वक्त की प्रतीक्षा कर रहा था जब रिया को अपने मन की बात कह सके। वह उसे अपनी जीवन संगिनी बनाना चाहता था।
दूसरे दिन सुबह आठ बजे उसके घर की घंटी बजी। उसने दरवाजा जैसे ही खोला, चौक गया।
ओह! उसने हौले से मुस्करा दिया और अपनी निगाहें नीचीं कर ली। आज रिया साड़ी पहनकर आई थी।
चंदन तुमने मुस्कुराया क्यों। मैंने साड़ी पहनी है इसलिए। ये तो मेरा मन किया कि आज साड़ी पहन लेती हूँ करके। मे भ्रम मत पालना कि तुम्हे दिखाने के लिए पहनी हूँ।
चंदन अब भी हँस रहा था। उसने मुस्कुराते हुए कहा मैने कब कहा कि तुम मुझे दिखाने के लिए पहनी हो। मैं तो इसलिए मुस्कुरा रहा हूँ क्योंकि बिना कहे मेरी मन की मुराद पूरी हो गई।
तो इस खुशी में चाय पिलाओगे। अच्छा रूको मैं ही बनाकर लाती हूँ चाय। रिया ने कहा।
कितनी शक्कर लोगे तुम। ओह तुम तो नमक डालकर पीते हो ना चाय में। रिया ने फिर कहा।
हाँ तुमने सही कहा। तुम अपने में शक्कर डाल लो। चंदन बोला।
ये लो चंदन, चाय लो।
एक बात कहूँ रिया। आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो।
बस, बस रहने दो। लड़की कभी देखी नहीं क्या ?
देखी है पर इतनी सुंदर नहीं। तुम सच में बहुत सुंदर हो, चंदन बोला।
मार खाना है कि पढ़ाई करनी है ? रिया ने मुस्कुराते हुए पूछा।
जैसा तुम चाहो, बंदा दोनो के लिए तैयार है। चंदन बोला।
हाँ तो चुपचाप पढ़़ लो देखने का मौका मिलता रहेगा, पढ़ने का मौका नहीं मिलेगा।
अच्छा ठीक है चलो पढ़ाओ।
कल जो बोलकर गई थी, पढ़े कि नहीं ?
हाँ बाबा पढ़ लिया हूँ। चंदन बोला।
तो ठीक है उससे आगे पढ़ते हैं। रिया ने कहा।
रिया ने पढ़ाना शुरू किया पर चंदन का रह रहकर उसकी ओर एकटक देखता। रिया समझ गयी थी चंदन उससे प्रेम करने लगा है और उसको निहारता रहता है। परंतु रिया तो रिया थी इतनी आसानी से तो किसी को भाव ना दे। हालांकि चंदन भी उसके मन में कहीं ना कहीं एक जगह बना चुका था।
एक बात पूँछू चंदन, बुरा तो नहीं मानोगे ? रिया ने कहा।
नहीं बिल्कुल नहीं, पूछों।
कितना कमा लेते हो मतलब कितनी सैलेरी है तुम्हारी ?
बस तुमको खुश रख लूँगा । चंदन बोला।
क्या बोले ?
मतलब मैं इतना तो कमा ही लेता हूँ कि किसी को भी खुश रख सकूँ।
ऐसा क्यों जवाब दे रहे हो। सीधे जवाब नहीं दे सकते ?
अच्छा सीधे-सीधे 25000। वैसे क्यूं जानना चाह रही थी तुम ?
बस ऐसे ही। नहीं पूछ सकती थी ?
बिल्कुल पूछ सकती हो। कम से कम मेरे ऊपर और मेरे घर पर तो तुम्हारा पूरा अधिकार है तुम जो चाहे यहाँ कर सकती हो और जो चाहे पूछ सकती हो।
कुछ भी बोल रहे हो ? रिया बोली।
सच बोल रहा हूँ भाई, जब चाहे तब जीवन में आजमा लेना।
अच्छा, अच्छा ठीक है। थोड़ी देर पढ़ लो फिर मैं जाऊंगी।
मैं एक रिक्वेस्ट करू तुमसे। चंदन ने कहा।
हाँ बोलो।
तुम्हारी एक फोटो ले सकता हूँ ?
क्यों ?
बस ऐसे ही। आज तुम साड़ी पहनी हो इसीलिए बोल रहा था। चंदन बोला।
मैं कहाँ भागी जा रही हूँ। रोज तो आऊंगी ही।
फिर भी प्लीज, चंदन बोला।
ठीक है ले लो। रिया बोली।
चंदन ने फोटो ले ली।
मुझे इसकी एक कापी देना, रिया बोली।
इस फोटो की मैं तो नहीं दूंगा।
क्यों भला ?
क्योंकि ये मेरी पर्सनल प्रापर्टी है। तुम्हारे पास तो खुद की सैंकड़ों फोटो होगी ना ? मेरे पास तो सिर्फ यही एक है।
अच्छा ठीक है मत देना। अभी मैं चलती हूँ, तुमको भी तो ऑफिस जाना है।
हाँ ठीक है। चलो मैं तुमको छोड़ देता हूँ।
फिर वही बात। जाओं अपनी तैयारी करो। मैं चली जाऊँगी।
मुझे अच्छा नहीं लगता तुम अकेले जाती हो तो। थोड़ी सुरक्षा की चिंता होती है।
महोदय अभी दिन का समय है चिंता मत करो और चिंता करने के लिए धन्यवाद। मैं चलती हूँ, कल मिलते हैं।
रिया चली गई। आज तो चंदन बहुत खुश था उसके दिनभर देखते रहने के लिए एक फोटो जो मिल गई थी। वह तैयार हुआ और ऑफिस के लिए निकल गया।
वह शाम को थककर वापस आया। बैठकर टीवी देखते-देखते चाय पी रहा था कि अचानक घंटी बजी। वह उठा और दरवाजा खोला।
अरे रिया तुम! इस वक्त वो भी बैग के साथ ?
अंदर आऊँ कि यहीं सब बताऊँ। रिया बोली।
अरे सॉरी । आओ ना प्लीज। बैठो आराम से मैं पानी लाता हूँ।
चंदन पानी लेकर आया और रिया को दिया।
क्या हुआ रिया। तुम अचानक सामान सहित, कुछ प्राबलम है क्या ? वो थोड़ा डर भी रहा था क्योंकि कोई भी लड़की शाम रात के वक्त उसके घर कभी नहीं आई थी।
कुछ नहीं तुम्हारे ऑफिस जाने के बाद मैं रमेश भैया के घर पहुँची तो उनके घर बहुत सारे मेहमान आ गये थे। भैया तो बोल रहे थ कि मैं वहाँ रूक जाऊँ, किसी तरह एडजेस्ट कर लेंगे करके। लेकिन मैं ही वहाँ नहीं रूकी, कोई दिक्कत तो नहीं है तुमको ?
नहीं-नहीं ऐसी कोई बात नहीं है। चंदन बोला।
नहीं कोई दिक्कत है तो बता दो मैं वापस चली जाऊँगी। तुम्ही ने कहा था ना जब मन करे आजमा लेना।
हाँ जी, मैंने ही कहा था और तुमने अच्छा किया कि यहाँ आ गई नहीं तो मेरी चिंता और बढ़ जाती।
ठीक है-ठीक है ये बताओं खाने में क्या है ?
भिंडी की सब्जी है और रोटी।
छी भिंडी। मुझे बिल्कुल नहीं पसंद। रिया बोली।
तुम बाहर जाओ और पनीर ले आओ। मैं बनाती हूँ मटर पनीर। रिया ने फिर कहा।
तुमको खाना बनाना आता है ? मुझे तो लगता था कि तुम सिर्फ पढ़ाकू हो।
क्यों तुमको ऐसा क्यों लगता है कि मुझे सिर्फ पढ़ना आता है। मैं तो बल्कि सालों तक खाना बनाई हूँ दादा-दादी के लिए।
गुड। तब तो तुम्हारे हाथ से खाना खाया जाना बनता है। मैं लेकर आता हूँ सामान। तब तक तुम कपड़े बदल लो और फ्रेश हो जाओ।
चंदन थोड़ी देर में सामान लेकर वापस आ गया। तब तक रिया फ्रेश हो गई थी।
लाओं दो मैं रोटी सब्जी बनाकर लाती हूँ।
रिया ने खूब मन से रोटी-सब्जी बनाई और गरमा-गरम परोस दी।
आज मेरी आत्मा तृप्त हो गई रिया। तुम सचमुच बहुत अच्छा खाना पकाती हो। चंदन बोला।
रहने दो, रहने दो इतनी तारीफ की मुझे आदत नहीं, चुपचाप खा लो।
नहीं सच में, दिल से बोल रहा हूँ। खाना सचमुच अच्छा बना है।
अच्छा तो फीस दो एक हजार। रिया बोली।
बस एक हजार। अरे इस खाने के लिए तुम तो मेरी सारी संपत्ति रख लो।
अरे बाप रे! मैं तो ऐसे उत्तर की कल्पना भी नहीं की थी। अच्छा ठीक है तुम कल मेरी शॉपिंग करा देना।
बिल्कुल बॉस। जैसा तुम कहो। चंदन बोला। अच्छा बाहर थोड़ा वाक करें।
हाँ बिल्कुल मुझे वाक करना बहुत पसंद है। रिया ने उत्तर दिया।
दोनो बाहर निकलकर सोसायटी में घूमने लगे।
एक बात पूछू रिया ?
हाँ पूछो।
तुमने कभी किसी से प्रेम नहीं किया ?
नहीं, किया तो नहीं। मेरी परिस्थितियाँ ऐसी नहीं थी कि इस ओर ध्यान दूँ। मेरी जिम्मेदारी मेरे दादा-दादी के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर मैं शादी करके किसी और के घर चली जाती तो मेरे दादा-दादी अकेले हो जाते। इसी कारण मेरे स्वाभाव में भी थोड़ा रूडनेस है। एक लड़के ने मुझसे प्रेम करने की हिम्मत की थी, जब मैं फ़र्स्ट ईयर में थी। पर एक दिन मैं उसको इतना चिल्लाई कि दुबारा वो कभी कॉलेज में दिखा नहीं। रिया बोली।
गुड एक बात कहूँ रिया। तुम बहुत संवेदनशील और समझदार हो। इतनी समझ इस उम्र में बहुत कम देखने को मिलता है। मैं तुमसे बेहद प्रभावित हूँ। तुम जिसके भी घर जाओगी उसके घर को रोशन कर दोगी। ईश्वर तुम्हें संसार की सारी खुशियाँ दे जिसके लिए तुम जीवन भर तरसी हो।
रिया ने कुछ क्षण के लिए एकटक चंदन की ओर देखा, उसकी आँखे गीली हो गई।
रो क्यूँ रही हो ? चंदन ने पूछा।
तुम बहुत अच्छे हो चंदन। रिया ने कहा। ईश्वर तुमको भी वो सारी खुशियां दे जिसके लिए तुमने जीवन भर संघर्ष किया है।
अब चलो घर। ज्यादा सेंटी होने की जरूरत नहीं है। चंदन बोला।
अच्छा चलो। रिया मुस्कुराकर बोली।
दोनो घर पा आ गये। घर पर आकर रिया बोली। ऐसा करते हैं कि तुम बेडरूम में सो जाओ। मैं हॉल में सोफे पर सो जाती हूँ ।
क्यों मेरे पास तो डबलबेड है तुम भी यही सो जाओ।
यहाँ बेडरूम में, तुम्हारे साथ ?
हाँ। क्यों कोई दिक्कत है ? चिंता मत करो मैं तुम्हारा रेप नहीं करूंगा। चंदन बोला।
चुप करो डरपोक। तुम क्या किसी का रेप करोगे ?
हिम्मत है किसी को छूने की। उल्टा मैं डर रही हूँ कि मैं कही बहक ना जाऊँ। बच के रहना, मेरे से रात को। कही तुम्हारी इज्जत ना लुट जाए। रिया जोर जोर से हँसते हुए बोली।
क्या बोली तुम डरपोक। तुमको मैं डरपोक दिखाई देता हूँ । मौका आने देवीजी, फिर बताऊँगा कि मैं कितना साहसी हूँ ।
अच्छा, अच्छा रहने दो अब। मुझे समझ में आ गया कितने साहसी हो तुम। चुपचाप सो जाओ। रिया बोली।
वो स्वीच को बंद कर दो ना प्लीज ? चंदन बोला।
मैं क्यूँ करूँ ? तुम्हारा घर है ना? तुम करो।
देखो मैं पहले से बेड पे आ गया हूँ।
तो ? रिया पूछी।
तो क्या जो बाद में आता है उसको बटन बंद करना होता है।
अच्छा ? ऐसा कहाँ लिखा है ? रिया पूछी।
कहीं लिखा नहीं है पर यार तुम ज्यादा नजदीक हो स्वीच बोर्ड के। जाओ ना प्लीज उठके थोड़ा बंद कर दो। चंदन बोला।
अच्छी दादागिरी है यार तुम्हारी। मैं नहीं करने वाली स्वीच बंद। जिसको करना है वो करे।
सारी लड़कियाँ तुम्हारे जैसी ही होती है क्या ? जिद्दी!
जिद्दी बोलो चाहे जा बोलो मैं नहीं करने वाली बंद।
मैं सो रही हूँ। तुम देख लो अपना बंद करना है कि नहीं ? रिया बोली।
बड़ी विचित्र हो यार तुम। कल से ना अगर तुम स्वीच बंद नहीं की तो तुमको सोने नहीं देने वाला, याद रखना।
गुड नाईट। सो जाओ, रिया बोली।
ये पल दोनो के लिए अद्भुत था। दोनो खुश थे प्रसन्न थे ओर दोनो के मन में अद्भुत शांति थी। दोनो के मन में अदभुत शांति थी। दोनो निश्चिन्त होकर सो गए।
गुड मार्निंग महोदय।
अरे तुम इतनी जल्दी उठ गई रिया। गुड मार्निंग, गुंड मार्निंग।
हाँ मुझे जल्दी उठने की आदत है। चाय लोगे नमक वाली ?
हाँ जी बिल्कुल ले लेंगे। चंदन बोला।
हाँ तो उठो ओर दो कप बनाकर लाओ।
एक मेरे लिए और एक अपने लिए। रिया बोली।
तुम ना, चंदन बोला।
हाँ-हाँ आगे बोलो मैं ना क्या ? बोलो बोलो। अच्छा रहने दो, मैं मजाक कर रही थी। मैंने बना लिया है तुम फ्रेश होकर आ जाओ। रिया बोली।
चंदन थोड़ी देर में फ्रेश होकर आ गया और बोला आज मैं नहीं पढ़ने वाला।
क्यों ? आज कोई विशेष बात है।
हाँ जी। विशेष बात ये है कि आज तुम्हारे लिए शापिंग करेंगे।
अरे वो तो ऐसे ही मैंने मजाक में बोल दिया था, रिया ने कहा।
पर मेरे लिए तुम्हारी हर बात महत्वपूर्ण है रिया। तुमने बोला चाहे मजाक में हो पर मैं अवश्य पूरा करूंगा।
अच्छा, बड़ी हिम्मत दिखा रहे हो ? शापिंग कराए हो कभी किसी लड़की को ?
नहीं, कराया तो नहीं हूँ। चंदन बोला।
मतलब मालूम नहीं है तुमको कि लड़कियाँ शापिंग में कितना खर्च करती हैं। रिया ने कहा।
अरे यार जितनी भी खर्च करो तुमने क्या मुझे क्या कमजोर दिल का समझ रखा है। ये लो मेरा पर्स । जो मन करे वो खरीद लो।
ऐसा ? चलो फिर ठीक है तुमने मुझे जोश दिला दिया है तो आज जी भर के खरीदती हूँ। क्या खरीदूँ तुम बताओ ? रिया ने पूछा।
साड़ी, चंदन ने कहा।
मुझे मालूम था साहब कि तुम क्या बोलने वाले हो। क्योंकि तुमको मुझे साड़ी में देखना पसंद है। हाँ कि ना ?
हाँ। मन करता है कि तुम साड़ी पहनकर मेरे सामने बैठी रहो और मैं तुम्हें जीवन भर यूँ ही देखता रहूँ।
रिया झेंप गई।
चलो, चलो तैयार हो जाओं। साड़ी खरीदने में वैसे भी बहुत टाईम लगता है। रिया बोली।
मुझे क्या मालूम मैडम। मैंने पहले कभी साड़ी थोड़ी खरीदी है।
अच्छा, अच्छा। कहाँ पर चलना है ?
अरे यार, फिर तुम वही सवाल कर रही हो। मुझे साड़ी के विषय में कुछ नहीं मालूम। तुमको अगर पता है कोई अच्छी शॉप तो वहाँ ले चलो । चंदन बोला।
ठीक है चलो। रिया बोली। मैं ही लेकर चलती हूँ।
पंडरी मार्केट में एक दुकानवाला पहचान का है, वहीं चलते हैं। रिया ने कहा।
अच्छा ठीक है बैठ जाओ पीछे बाईक में। चंदन बोला।
रिया बाईक पर पीछे बैठ गई और उसने चंदन के कंघे पर जैसे ही हाथ रखा चंदन सिहर गया।
क्या हुआ चंदन ? तुम कांपे क्यूँ ? रिया ने पूछा।
कुछ नहीं , वो तुमने अचानक मेरे कंघे पर हाथ रखा ना, इसलिए।
क्यों लड़की का हाथ है इसलिए घबरा गए। रिया ने उसे चिढ़ाते हुए पूछा।
घबराए मेरे दुश्मन। मैं क्यों क्यों घबराऊँगा ? चंदन बोला।
हा हा हा। चलो-चलो बड़े हिम्मती हो मैंने देख लिया रिया हँसते हुए बोली।
दोनो कुछ ही देर में एक साड़ियों की दुकान पर पहुँच गए।
तुम भी अंदर आओ चंदन। रिया ने कहा।
नहीं, नहीं तुम ही अंदर जाओ। मैं क्या करूंगा अंदर आकर ?
पेमेंट और क्या ? रिया जोर से हँस दी और आगे बोली अरे बुद्धु तुम अपनी पंसद की कुछ साड़ियाँ खरीद दो।
अच्छा तो ये बात है। मेरे पंसद की साड़ियों को पहनोगी ?
क्यों नहीं पहनूँगी ? आखिर तुम्हारे सम्मान की बात है। बिल्कुल पहनूँगी।
ओके, तो चलो मैं ही देखता हूँ साड़ियाँ। चंदन बोला।
दोनो अंदर गए और ढेर सारी साड़ियाँ देखने लगे, दुकान काफी बड़ी और सुंदर थी। साड़ियों का अंबार था और सभी रोशनी में नहाए हुई थी। चंदन को रंग आकर्षित कर रहे थे परंतु उसे क्वालिटी का कुछ भी ज्ञान नहीं था इसलिए वह बार-बार रिया को पूछता जाता था। ये देखो रिया ये लाल रंग की साड़ी कैसी है ?
अच्छी है चंदन पर मुझसे क्यों पूछ रहे हो ? तुम्हारा जो मन हो खरीद दो।
कम से कम तुम क्वालिटी तो देख लो।
हाँ वो मैं देख लूँगी। तुम बस मुझे बता दो कि कौन सी रखनी है।
ये चारो रख लो रिया। चंदन ने कहा।
ये चारो ?
हाँ यही चार साड़ियों को बोल रहा हूँ।
पागल हो गए हो क्या ? मालूम है ये कितनी महंगी है। चार-चार हजार की एक-एक साड़ी है।
तो क्या हुआ तुम भी तो अनमोल हो।
नहीं, नहीं इतना खर्च नहीं करवाना है चलो यहाँ से। रिया ने कहा
क्यों चलो। मुझे ये साड़ियाँ पसंद है और मुझे ये तुम्हारे लिए लेना है।
तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है क्या ? तुम्हारे महीने की आधी से ज्यादा तनख्वाह चली जाएगी। फिर खाओगे क्या महीने भर ?
रिया उठ गई और बाहर की ओर जाने लगी।
रिया रूको। चंदन उठा, और उसका हाथ पकड़ लिया। उसके शरीर में कंपन दौड़ गया। रिया का हाथ बहुत ठंडा और मुलायम था।
छोड़ो मेरा हाथ, तुम पागल हो गए हो। रिया बोली ।
रूको ना प्लीज। एक मिनट मेरी बात सुन लो, फिर चाहे मत लेना।
बोलो ?
देखो मैं एक अनाथ हूँ रिया, मेरे जीवन की एकमात्र खुशी अब तक सिर्फ यही थी कि अपनी कमाई का कुछ हिस्सा मैं अपने अनाथालय को भेज पाता था। लेकिन जब से मैं तुमसे मिला हूँ, जब से तुम मेरे जीवन में आई हो मन करता है संसार की सारी खुशियाँ तुम पर लुटा दूँ। प्लीज मेरे मन की खुशी को तो मत छीनो। ऐसे ही मेरे जीवन में तकलीफें क्या कम थी कि तुम मेरा दिल और तोड़ना चाहती हो ? प्लीज रख लो ना।
रिया थोड़ी देर के लिए चुप हो गई । वो जानती थी कि चंदन उससे प्रेम करता है और मानने वाला नहीं है फिर उसने पलटकर कहा।
चलो ठीक है, इतना खर्च सिर्फ पहली और अंतिम बार, और कभी तुमने इस तरह खर्च करने की कोशिश की तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा, समझे। एक बात कहूँ चंदन, मुझे ये साड़ियाँ पहली ही नजर में पसंद आ गई थी। ये शानदार है, तुम्हारी पसंद जबरदस्त है। रिया बोली।
हाँ मुझे मालूम है तुम भी मेरी पसंद हो।
क्या बोले ? रिया पूछी।
कुछ नहीं, मैं बोला कि इन साड़ियों को पहनना, सिर्फ सजाकर मत रखना।
बिल्कुल पहनूँगी। ये तो शान की बात है। क्यों नहीं पहनूँगी।
दोनो घर आ गए। रिया फ्रेश होकर रात का खाना बनाने में व्यस्त हो गई और चंदन टीवी देखने में व्यस्त हो गया। अब उसे गृहस्थ होने का अहसास होने लगा था। वह रह-रहकर रिया को एक झलक देख लेता था और जैसे ही वह दिखती, उसका मन खिल जाता था।
कितना खूबसूरत होता है प्रेम का अहसास। पर उसे अब चुभन होने लगी थी कि वो रिया को कह नहीं पा रहा था। अच्छा उसे ये भी पता नहीं था कि रिया उससे प्रेम करती है कि नहीं।
अक्सर हम खामोशियों में अपने आप को संतुष्ट कर लेते हैं ऐसी ही स्थिति रिया की भी थी। वो अच्छे से जानती थी कि चंदन उससे प्रेम करता है, वह भी उसे प्रेम करती थी परंतु कुछ भी जवाब देने से पहले उसे अपने दादा-दादी के विषय में भी सोचना था।
उसके दादा-दादी ही अब तक उसकी दुनियाँ थे। अब चंदन ने उसकी दुनियाँ में दखल दे दिया था। वह बहुत कशमकश में थी कि अंगर चंदन ने अपने मन की बात कह दी तो वो क्या जवाब देगी। वह खाना निकालकर ड्राइंगरूम में ले आई।
तुमने हाथ धोया चंदन। रिया ने पूछां
नहीं। चंदन बोला।
तो जाओं और धोकर आओ। खाना खाते हैं।
चंदन हाथ घोकर आया औरा खाना खाने लगा। थैक्ंस चंदन। रिया बोली।
थैक्ंस किसलिए। तुम्हारी खुशी के लिए नहीं खरीदी मैंने अपनी खुशी के लिए खरीदा है और मेरे खुश होने के लिए तुमको थैक्ंस कहने की जरूरत नहीं है।
फिर भी थैक्ंस। मैं खुश हूँ क्योंकि तुम खुश हो। रिया बोली।
ये तो मेरे लिए बहुत बड़ी बात है रिया कि कोई तो है इस दुनियाँ में जो मुझे खुश देखकर खुश होता है।
अच्छा-अच्छा, ज्यादा सेंटी होने की जरूरत नहीं है। खाना खाओ।
एक रिक्वेस्ट करूं रिया ?
बोलो।
क्या तुम मुझे एक साड़ी पहनकर दिखाओगी ?
सोचूँगी। रिया बोली।
ठीक है। चंदन बोला और नजरे झुकाकर खाना खाने लगा।
रिया तिरछी नजरों से उसकी ओर देखकर मुस्कुरा रही थी।
तुमको मालूम है चंदन, तुम कुछ ज्यादा ही सेंटी हो। थोड़ी सी बात से खुश हो जाते हो और थोड़ी सी बात में दुखी हो जाते हो। ऐसा होना ठीक नहीं है। लाइफ में थोड़ा प्रेक्टीकल होना भी जरूरी है।
चंदन सिर उठाकर देखा और बोला।
रिया, तुमने वो नहीं देखा जो मैंने देखा है। हाँ मैं हूँ सेंटी पर तुम्हे इससे क्या ? तुमको तो कोई मतलब ही नहीं है। मैं खुश होऊँ या दुखी, तुम्हें क्या मतलब।
रिया हंसने लगी और बोली।
बुद्धु, क्या तुम्हे किसी ने बताया है तुम गुस्से में बहुत हैंड्सम दिखते हो।
मुझसे बात मत करो तुम। चंदन बोला।
क्यों ? नाराज हो मुझसे। दिखाओं इधर अपना सुंदर चेहरा।
नहीं दिखाना मुझे। चंदन बोला।
अच्छा बाबा, मुझे माफ कर दो। कल सुबह नहा धोकर पहनूँगी, लेकिन तुरंत मैं चेंज कर लूँगी।
क्यों भला ? चंदन पूछा।
क्योंकि मुझे कल वापस जाना है। दादाजी की तबियत ठीक नहीं है और उनको हॉस्पिटल ले जाने वाला कोई नहीं है।
ओह! तो तुम अकेले क्यों जा रही हो मैं भी चलता हूँ तुम्हारे साथ रायगढ़।
नहीं चंदन इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। मैं उनके स्वस्थ होते ही जल्द आने की कोशिश करूंगी। आकर तुमको गाइड कर दूँगी।
रिया के जाने की बात सुनकर चंदन एकदम निराश हो गया। रिया उसके चेहरे पर निराशा एकदम साफ-साफ देख पा रही थी।
तुम मत जाओ ना रिया, या कम से कम मुझे अपने साथ ले चलो।
चलो सो जाओ। रिया बोली।
चंदन लेट गया और सोचने लगा कि वो क्या करे कि रिया को पता चल जाए कि वो उससे बहुत प्रेम करता है। वो बार-बार धीमी रोशनी में रिया को देखता रहा। रिया चुपचाप पलट कर सो गई थी, पर उसके मन की बैचेनी में वो रात कैंसे बीत गई पता ही नहीं चला। सुबह जब आँख खुली तो आठ बज गए थे, उसे पता ही नहीं चला कि उसकी आँख कब लग गई थी। उसने बगल में देखा रिया बेड पर नहीं थी। उसके मन में शंका हुई कि कहीं रिया बिना बताए चली तो नहीं गई। वह उठा और दौड़ते हुए ड्राइंगरूम में आया।
रिया वहाँ सजधजकर साड़ी पहनकर बैठी हुई थी। उसके देखते ही जैसे चंदन की सांसे थम गई, धड़कने तेज हो गई। वह एकटक मूढ़ सा खड़ा होकर निहारता रह गया। रिया सामने खड़ी होकर मुस्कुरा रही थी। वह मानो कोई अप्सरा सी लग रही थी। वह अपने आपको नियंत्रण में नहीं रख पाया वह चलकर उसके पास गया, उसके माथे को चूमा और उससे लिपट गया।
रिया आई लव यू। मैं तुम्हारे बगैर जिंदा नहीं रह सकता। प्लीज मुझे छोड़कर मत जाओ। चंदन बोला।
रिया एकदम चुप थी वह कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं थी।
इधर चंदन उससे लिपटा हुआ था उसके आँसू रिया के कंधे को गीला कर रहे थे। पर वह कुछ नहीं बोल पा रही थी।
प्लीज रिया कुछ बोलो ना। अगर तुम गई तो मैं सहन नहीं कर पाऊँगा। मैं तुम्हारे बगैर नहीं रह सकता। मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ , रिया प्लीज मान जाओ।
चंदन उसके आँचल को खींचता हुआ जमीन पर बैठ गया। वह रिया के घुटनों पर सिर रखकर रोने लगा।
मैं जानता हूँ रिया तुम भी मुझसे प्रेम करती हो भगवान के लिए स्वीकार कर लो। बस एक बार बोल दो फिर चली जाना।
चंदन उठो। खड़े हो जाओ।
चंदन ने देखा, रिया की आँख में भी आँसू थे।
कुछ तो बोलो रिया प्लीज।
रिया ने चंदन के गाल पर गिर रहे आँसू को अपनी उंगलियों से साफ किया और उसका हाथ पकड़ लिया।
रिया के आँसू की एक बूंद चंदन के हाथ पर गिरी।
क्या हुआ रिया कुछ तो बोलो।
मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ बुद्धु।
ये सुनते ही चंदन उससे लिपट गया और जोर जोर से रोने लगा।
मुझसे इतना प्यार करते हो चंदन। रिया ने पूछा।
अपने जान से भी ज्यादा, चंदन बोला।
रिया से वह और कसकर लिपट गया।
मुझे डर लगने लगा है चंदन। ईश्वर ना करे यदि मुझे कुछ हो गया तो तुम अपना कुछ नुकसान मत करना नहीं तो मैं अपने आप को माफ नहीं कर पाऊंगी।
क्यों ऐसी करती हो तुम। मेरी खुशी तुमसे देखी नहीं जाती।
ऐसी बात नहीं है चंदन। मुझसे इतना प्यार मत करोकि उसे मैं पूरा न कर सकूँ। रिया बोली।
तुम मेरे सामने रहो रिया मेरे लिए इतना ही काफी है।
अच्छा चलो फिर मुझे रेल्वे स्टेशन छोड़ दो। मैं जाकर दादा-दादी से बात करूंगी।
मुझे ले चलो ना रिया। मैं बात कर लूंगा दादा-दादी से। मैं उनकी देखभाल करूंगा। क्या ये मेरी जिम्मेदारी नहीं है।
अभी नहीं चंदन। अभी तुम उनके परिवार के सदस्य नहीं बने हो। जब बन जाओगे तो खुब जिम्मेदारी उठाना।
क्या प्राबलम है दादाजी को ? चंदन ने पूछा।
कल से बुखार है बता रही थी दादी। शायद सर्दी की वजह से हुआ ओ। ज्यादा घबराने की बात नहीं है। मै उनके स्वस्थ होते ही आ जाऊँगी। फिर मुझे उनसे बात भी तो करनी है।
ठीक है चलो मै। तुम्हारी तैयारी कर देता हूँ। नहीं उसकी आवश्यकता नहीं है, मैंने तैयारी कर ली है और तुम्हारे लिए नाशता भी बना दिया है। अभी 10.30 की ट्रेन से चली जाऊँगी।
ठीक है रिया। तुमने अपनी साड़ियाँ रखी की नहीं ?
उन्हें यहीं रहने दो मैं आऊँगी तब पहनूँगी।
नहीं, नहीं रिया वो तुम्हारे हैं, तुम अपने दादा-दादी को इसे पहनकर दिखाना।
ठीक है बाबा, रख लेती हूँ, तुमको मना करना तो जैसे पहाड़ की चोटी पर चढ़ने के समान कठिन है। अच्छा चलो मैं चेंज करके आती हूँ तब तक तुम नाश्ता कर लो।
रिया बेडरूम में चली गई, और चंदन वहीं बैठकर नाश्ता करने लगा। चंदन ने सोचा कि रिया को हॉस्पिटल में पैसों की आवश्यकता हुई तो ? क्यों ना उसे कुछ पैसे दे दूँ ताकि वह उससे अपने दादाजी का इलाज करा सके। यह सोचकर वह उठा और बेडरूम की ओर गया। दरवाजा शायद ठीक से बंद नहीं था। हल्का सा धक्का देते ही खुल गया।
अरे!!! तुम अंदर कैसे आ गए। रिया ने जोर से कहा।
अरे वाह! ये तो दुर्लभ दर्शन हो गए। चंदन चहका।
रिया सिर्फ इनर वियर्स में थी।
चंदन उसकी ओर लपका और कसकर उसे बाहों में भर लिया।
छोड़ो ना प्लीज मुझे बहुत शर्म आ रही है।
रिया ने दोनो हाथों से अपने चेहरे को ढक लिया।
अच्छा, इतना अच्छा अवसर और मैं तुमको छोड़ दूँ। कोई पागल ही होगा जो ऐसे अवसर का फायदा ना उठाए।
रिया एकदम शर्म से लाल हो गई थी। भगवान के लिए मुझे छोड़ दो ना चंदन।
चंदन ने उसे और जकड़ लिया और बोला अच्छा भगवान के लिए तो मैं तुमको छोड़ दूँगा पर बिना प्रसाद लिए नहीं छोड़ूँगा।
इतना तो ले लिया, और क्या प्रसाद चाहिए। रिया बोली।
चंदन चहका बस होंठो पर एक मीठा सा प्रसाद।
लगाऊँगी एक झापड़ तुमको। हटो यहाँ से।
दो ना प्लीज। चंदन बोला।
रिया अपने चेहरे को उसके चेहरे के पास ले गई। चंदन रोमांचित हो उठा। पर रिया ने उसके होंठो की जगह उसके गाल को चूम लिया।
हो गया, चलो हटो अब। मुझे कपड़े पहनने दो, रिया बोली।
चंदन ने अपनी पकड़ ढीली कर दी और कहा ये फेयर नहीं है रिया तुमने मुझे धोखा दिया। मेरी मनचाही चीज नहीं दी तुमने।
हटो हटो। अभी पूरी जिदंगी पड़ी है जितनी मन करे ले लेना। यहाँ कैसे आए थे बताओ। वह तेजी से कपड़े पहनने लगी।
अरे हाँ मैं तो किसी और काम से आया था।
क्या ? रिया पूछी।
तुम ये दस हजार रूपये रख लो। अस्पताल का मामला है पता नहीं कितना खर्च हो।
ये दस हजार कहाँ से आए। रिया ने पूछा।
ये, ये तो मैंने तुम्हारी शापिंग के लिए जो निकाला था उसी में से बचे हैं। ये रख लो प्लीज मुझे अच्छा लगेगा। वहाँ तो तुम मुझे जाने नहीं दे रही हो।
नहीं, नहीं ये मैं नहीं ले सकती चंदन। ये तुम्हारे महीने भर की कमाई है।
तुम्हें मेरी कसम है रिया प्लीज ले लो। तुमने कहा था ना मुझे मना करना पहाड़ में चढ़ने के समान कठिन है रख लो ना प्लीज, नहीं तो नाराज जाऊँगा।
मेरे पास सेविग्ंस है, चिंता मत करो।
चंदन बेड पर ही बैठा था रिया उसके करीब आई, दोनो हाथों से उसका चेहरा उठाई और उसके होठों को चूम ली। चंदन हैरान था।
तुम बहुत अच्छे हो चंदन। मैंने कल्पना नहीं की थी मुझे कोई ऐसा जीवनसाथी भी मिल सकता है। मैं तुमको अपार खुशी दूँगी। मेरी जितनी क्षमता है उतनी खुशियाँ तुम्हारे दामन में भर दूंगी।
अब तुम सेंटी हो रही हो रिया। एंड थैंक्स बेबी, चंदन बोला।
बेबी। रिया मुस्कुराई।
क्यों तुम बेबी नहीं हो। ये रखो पैसा चुपचाप, और चलो। ट्रेन का टाईम होने वाला है।
अच्छा चलो।
दोनो दस मिनट में ही रेलवे स्टेशन पहुँच गए। चंदन ने ट्रेन की जानकारी ली और रिया को लेकर दूसरे प्लेटफार्म पर चला गए।
ये रही तुम्हारी ट्रेन । ये तो लगभग खाली है। मैं तुम्हारा सामान नीचे रख देता हूँ। तुम यहीं पर बैठ जाओ। मैं रास्ते के लिए थोड़े फल लेकर आता हूँ , चंदन बोला।
क्यों इतना कर रहे हो। रिया नाराज हुई।
मेरा मन। तुम तम जब बीबी बन जाओगी तब तो आदेश दोगी उससे अच्छा है मैं अभी से अपनी आदत डाल लूँ।
रिया हंसने लगी। तभी ट्रेन के सायरन की आवज आवाज सुनाई दी। ट्रेन चलने लगी।
ये फल रखो और दिन में कम से कम एक बार जरूर फोन करना। नहीं करोगी तो देख लेना मैं बदला लूंगा।
अच्छा बाबा करूँगाी। अब तुम दौड़ो मत। घर जाओ और नाश्ता करके ही ऑफिस जाना, ठीक है ?
ठीक है रिया। अपना ख्याल रखना।
बाय । रिया ने हाथ हिलाया और ट्रेन तेजी से निकल गई।