पूर्ण-विराम से पहले....!!!
4.
घर में सामान सेट होने के बाद समीर और शिखा ने आस-पास रहने वाले पड़ोसियों से मिलने का सोचा| सबसे पहले समीर और शिखा ने घर के पास वाले घर में मिलने का विचार किया|
घर की नेम प्लेट पर ‘प्रणय’ लिखा हुआ था| समीर और शिखा ने गेट को खोल कर ज्यों ही गार्डन के पास बनी हुई सीढ़ियों से ऊपर चढ़ना शुरू किया, शिखा का तो मन बगीचे में लगे खूब सारे फूलों में अटक कर रह गया| वो तो सीढ़ियों पर खड़ी-खड़ी फूलों को निहारने लगी|
तब समीर ने आगे बढ़कर डोर-बेल बजाई..और शिखा को साथ में आने को कहा|
एक सेवक ने आकर दरवाजा खोला और दोनों को देखकर पूछा..
“साहिब आप पास वाले घर से आए हैं न|.. आप दोनों को मैंने कई बार देखा है| आप दोनों अंदर आकर बैठिए.. मैं साहिब को बुलाता हूँ|”
थोड़ी ही देर में वो हम दोनों के लिए पानी को ट्रे में सजाकर आ गया और आकर बोला..
“साहिब को बता दिया है| आप दोनों पानी पीजिए..दस मिनट में साहिब आते हैं|” बोलकर वो वापिस चला गया|
थोड़ी ही देर में दोनों ने बहुत हैन्डसम मगर उनकी ही उम्र के व्यक्ति को ड्रॉइंग रूम की ओर आता हुआ देखा| जैसे ही उसने ड्रॉइंग रूम में प्रवेश करते हुए समीर और शिखा पर दृष्टि डाली.. वो ड्रॉइंग रूम में पड़े हुए सोफ़ों के करीब आकर कुछ क्षण को खड़ा हो गया| उसको देखकर समीर और शिखा भी खड़े हो गए| उसकी निगाह लगातार शिखा की ओर थी| उसने शिखा से पूछा..
“तुम शिखा हो न.. हम कॉलेज में साथ थे|”
शिखा भी चकित होकर उसी को निहार रही थी| शिखा ने सहमति में सिर हिला कर अपने ही होने की सहमति दी| हालांकि उम्र के साथ दोनो के चेहरों में काफ़ी बदलाव आ गया था। दोनो ने जैसे ही एक दूसरे को देखा.. कुछ सेकंड को नि:शब्द चुपचाप एक दूसरे को देखते रहे| फिर प्रखर ने ही पूछा....
"तुम शिखा हो न...शिखा के धीमे से वापस सिर हिला कर हाँ कहा| प्रखर ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा...अरे दुबारा इसलिए पूछा....कहीं मैं तुम्हारे सिर हिलाने का गलत मतलब नही समझ गया हूँ| वैसे मित्रों को कोई भूलता नहीं है| पर कहते हैं एक ही शक्ल के इस दुनिया में चार लोग होते हैं|” अपनी बात बोलकर प्रखर जोर से हँस पड़ा| प्रखर की बात सुनकर समीर और शिखा को भी हंसी आ गई| पर एक दूसरे को एक लंबे अरसे बाद सामने पाकर दोनों की आँखें नम हो गई|
तब शिखा ने स्थिति को संभालते हुए कहा.....
“हाँ प्रखर..सच कहा....बहुत अच्छे से सब याद है मुझे भी.......मित्र भूलने के लिए नहीं होते... उम्र के साथ हम दोनों की ही शक्लों में थोड़ा फर्क आ गया है ..दोनो के चश्मे भी तो लग गए हैं ...पहले से बहुत मोटे हो गए हो तुम...”
प्रखर से बात करते में शिखा कुछ वैसे ही चहकने लगी थी जैसे कॉलेज में दिनों में उसकी आँखों में चमक आ जाती थी। कुछ पल को शिखा भूल गई समीर उसके साथ खड़े हैं..जैसे ही होश आया खुद की बातों को कंट्रोल करके प्रखर को बोली..
"प्रखर इनसे मिलो यह मेरे पति समीर हैं। हम दोनों ने केन्द्रीय विद्यालय में साथ-साथ नौकरी की| यह प्रिन्सपल होकर रिटायर हुए और मैं सीनियर टीचर|"...सालों साल बाद अपने प्यार को सामने पाकर शिखा हड़बड़ा गई| उसको जो भी सूझा वही बोल दिया|
समीर प्रखर से हाथ मिलाकर बहुत आत्मीयता से मिले। तब प्रखर ने शिखा से कहा..
“मैं इतना भी मोटा नहीं हुआ हूँ शिखा....कि कद्दू जैसा दिखने लगूँ| अरे प्रशासनिक सेवाओं में था| बहुत फिट रहना पड़ता था| इस साल ही रिटायर हुआ हूँ| इतनी जल्दी मोटा तो नहीं होऊँगा| हाँ उम्र बढ़ने से फर्क जरूर आया होगा.. यह मान सकता हूँ|”
अपनी बात बोलकर प्रखर खूब जोर से हँस पड़ा| उसकी हंसी को देखकर समीर और शिखा की भी हंसी फूट पड़ी| उम्र के जिस मोड़ पर तीनों मिले थे वहां वक़्त गुजारने के लिए मित्रों की वहुत जरूरत होती है।
तभी प्रखर ने दोनो को बहुत आत्मीयता से कहा..…
"अरे आप दोनो प्लीज बैठो.. हम तो खड़े-खड़े ही बातें करने लगे| बातों के साथ बैठकर हम कॉफ़ी-चाय पीयेंगे| साथ में कुछ वक़्त गुजारेंगे|”
थोड़ी देर तो तीनों के बीच औपचारिकता भरी बातें हुई| फिर बढ़ती बातों के साथ स्वतः ही अनौपचारिक बातें शुरू हो गई|
“देखो भई मेरी पत्नी प्रीति को विदा लिए हुए दो साल हो चुके है। दो नौकरों के साथ मेरा जीवन गुजरता है। काफी समय हो गया अकेले रहते हुए। आपको मेरे घर में बहुत कुछ व्यवस्थित नहीं मिलेगा| पर जो जीवन जीने के लिए जरूरी है सब मिल जाएगा।.....”
समीर को कुछ कम बोलते हुए देखकर प्रखर ने कहा....
“समीर मुझे लगता हैं मैं आपसे थोड़ा-सा ज्यादा बोलता हूं शायद। माफ करना दोस्त। पर सोचता हूँ तुमको मेरे साथ अच्छा लगेगा। शिखा को तो मेरा स्वभाव याद ही होगा...मैं आज भी वही हूँ.....क्यों शिखा"..
प्रखर की बात का शिखा इस वक़्त क्या जवाब दे शिखा को समझ नही आया। वो मुस्कुरा गई| प्रखर आज भी बहुत मिलनसार था|
घर में अंदर घुसते ही शिखा ने चारों ओर नज़र दौड़ाई..घर बहुत व्यवस्थित था| कहीं पर भी धूल-मिट्टी या कोई गंद दिखाई नहीं दे रही थी| घर में घुसते ही ड्रॉइंग स्पेस थी| जिसकी एक वॉल पर पूरी फॅमिली की कई तस्वीरों को तरतीब के साथ सजाया गया था| ड्रॉइंग और डाइनिंग हॉल के बीच ग्लास का स्लाइडिंग डोर था| जिसके खुले होने से डायनिंग स्पेस के पास दो कमरे भी दिख रहे थे| कहीं पर भी कुछ अस्त-व्यस्त नहीं था| सभी पर एक दृष्टि डाल कर शिखा ने प्रखर से कहा..
“सभी कुछ कितना व्यवस्थित है प्रखर| कहीं से भी नहीं लगता कुछ बेतरतीब है| तुम्हारी बातें तो....”
“शिखा! सच तो यही है.....मैं कुछ भी नहीं कर पाता हूँ| रिटायर होने के बाद भी मुझे बहुत जगह मीटिंग्स में जाना पड़ता है| पुराने सेवक काका आज भी साथ हैं| वही घर का पूरा ध्यान रखते हैं|..जितना भी घर में डेकोरेशन तुमको दिखाई दे रहा है सब मेरी पत्नी प्रीति का किया हुआ है| उसको घर सजाने का बेहद शौक था|..” बोलकर प्रखर कुछ क्षण को गुजरी यादों में खो गया|
प्रखर ने जैसे ही प्रीति की बातें साझा की शिखा ने कहा..
“प्रखर कुछ और भी बताओ न प्रीति के बारे में..अच्छा लगेगा हमको सुनकर|”
तब प्रखर ने अपने परिवार के साथ-साथ प्रीति के बारे में बताया कि उसके पापा आर्मी में थे| उसकी माँ स्कूल टीचर थी| अभय अंकल उन दोनों के बहुत प्रिय दोस्त थे| वो भी आर्मी में थे| उन्हीं की बेटी थी प्रीति| मम्मी-पापा ने प्रीति को बचपन से देखा था| वो उनको बेहद पसंद थी| जब ट्रैनिंग के बाद मेरी पहली पोस्टिंग हुई... माँ ने प्रीति के बारे में बताया|.. पर तब मैं शादी ही नहीं करना चाहता था|..
जब पापा ने बहुत फोर्स किया तो मैने ही कहा ‘जब वक़्त आएगा जरूर कर लूँगा|’ पर अभय अंकल-आंटी को जल्दी थी क्यों कि प्रीति की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी| मेरे माँ-पापा भी इस रिश्ते को हाथ से नहीं जाने देना चाहते थे|..
अक्सर ऐसा ही होता है न| जब आपको वक़्त चाहिए होता है.. घर के बड़े वक़्त के आगे बाड़ा खींच देते हैं..
अपनी यह बात बोलकर जैसे ही प्रखर ने शिखा की तरफ देखा....उसने अपनी नज़र ड्रॉइंग रूम में लगी एक पैन्टीग की ओर घुमा ली| शिखा को खूब अच्छे से समझ आ रहा था प्रखर उसकी भी बात कर रहा है|
पापा के अचानक चले जाने के बाद शिखा के भाई को भी उसके विवाह की जल्दी थी| तभी समीर ने प्रखर से पूछा..
“तुमको कोई और लड़की पसंद थी क्या? या कहना चाहिए तुम अपनी पसंद की शादी करना चाहते थे|...” समीर के प्रश्न ने प्रखर को असमंजस में डाल दिया था कि क्या जवाब दें..खैर प्रखर अगर जवाब न देता तो मायने और भी अलग हो जाते|
“हाँ! समीर एक लड़की मुझे बहुत पसंद थी....स्कूल से ही|..बेहद खूबसूरत,सरल और बेहद प्यारी-सी ..उसकी हंसी बहुत मोहक थी| उसकी वजह से ही मुझे आगरा शहर बहुत पसंद था| पर जब तक समय साथ न हो कुछ नहीं होता| मैं उसके लिए कवितायें लिखा करता था| अगर तुम्हारी भी रुचि होगी तुमको जरूर सुनाना चाहूँगा|.. तुम भी लिखते हो क्या?”
समीर ने असहमति में सिर हिला कर बताया वो कविताएं नहीं लिखता| पर उसने अकादमिक लेख बहुत लिखे हैं| समीर की बात सुनकर प्रखर ने उनको पढ़ने की इच्छा जाहिर कर दी| समीर ने पढ़वाने का वादा किया और प्रखर को अपनी बात जारी रखने का आग्रह किया| प्रखर की बातों में समीर को मज़ा आ रहा था क्यों कि उसके बात करने का तरीका बहुत मोहक था|
प्रखर ने समीर की ओर देखते हुए अपनी बात जारी रखी....
जानते हो समीर जब वो मुझे जानती भी नहीं थी तब भी मेरी रूह को छूती थी और जब जानने लगी..तो मेरी ही रूह का चलता-फिरता हिस्सा बन गई| जितना वक़्त मैं उसके साथ गुजारना चाहता था.. कभी नहीं गुज़ार पाया| समीर हमारा-तुम्हारा समय बहुत सारी मर्यादाओं की गलियों से गुज़रता रहा है| इस बात को तो तुम भी मानोगे|..
सही कहा प्रखर तुमने| तभी तो मर्यादाओं में बंधे प्रेम में अनंत गरिमा होती थी| समीर ने प्रखर की बात को मान देते हुए उस पर अपनी भी मुहर लगा दी|
अब इन तीनों की वो उम्र भी नहीं रही थी कि खोद-खोद कर प्रेम-प्रसंगों की पड़ताल करते| अब उनके बीच का संबंध हर बात को मन से साझा करने का था| समीर ने भी प्रखर से छूटी हुई बात को पूरा करने का आग्रह किया|
प्रीति में इंकार करने जैसी कोई कमी नहीं थी| मुझे तो बस एक बार देखकर अपनी स्वीकृति जाहिर करनी थी| शेष माँ-बाऊजी के काफ़ी पुराने परिचित थे तो सब अच्छा ही था| हमारा विवाह बहुत सादगी से हुआ क्यों कि बाऊजी बहुत सादगी पसंद इंसान थे| यह तो मुझे नहीं पता कि मैं प्रीति के लिये कैसा पति था क्यों कि वो बताने के लिए अब नहीं है..पर प्रीति बहुत अच्छी पत्नी थी| उसने मेरे घर को घर बनाया|..
मेरे पोस्टिंग एक शहर से दूसरे शहर होती रही| प्रीति हमेशा शारारिक व मानसिक संबल बनकर साथ निभाती रही|
प्रखर ने बीच में ही अपनी बात को रोककर अपने सेवक काका को कॉफी बनाकर लाने को कहा| अपनी बातें बताते हुए प्रखर बीच-बीच में शिखा को जरूर देख लेता क्यों की प्रखर के लिए शिखा की प्रतिक्रियाएं बहुत मायने रखती थी|
शिखा भी उन क्षणों में सिर्फ़ प्रखर को ही सुनना चाहती थी| तभी शिखा को संबोधित करके प्रखर ने बताया.....
शिखा! पूरी वॉल पर तुम जो पेंटिंग देख रही हो यह प्रीति का क्रीऐशन है| वो बहुत अच्छी पेंटर थी| प्रीति को पेंटिंगस के अलावा पढ़ाने-लिखाने का भी बेहद शौक था| जिस-जिस शहर में मेरी पोस्टिंग हुई ..वहाँ के आर्मी और एयरफोर्स स्कूल्स में उसने टीचिंग भी की|..
ऊंचे औहदे पर होने की वजह से मुझे काफ़ी नौकर मिलते थे| घर पर बहुत काम नहीं होता था| बस सेवकों को निर्देश देने होते थे|.. मेरी काफ़ी टफ रात-बेरात की भी ड्यूटीस होती थी| खाना-पीना भी काफ़ी अस्त-व्यस्त हो जाता था| पर प्रीति ने मुझसे कभी कोई शिकायत नहीं की| मेरे ऑफिस से वापिस आने पर उसने हमेशा साथ बैठकर मुझे खाना खिलाया होगा| कभी अनखनाई नहीं| जब कि मैं तो उसको रात-बेरात उठने को मना करता था| एक पत्नी में जो भी गुण होने चाहिए सभी प्रीति में थे|
पुनः अपनी दृष्टि शिखा पर डाल कर प्रखर ने आगे बताया....
मेरे एक ही बेटा है प्रणय| वो यू.एस.बेस्ड कंपनी में कार्यरत है और न्यू जर्सी में रहता है| उसने इंजीनियरिंग के साथ एम.बी.ए. किया है| बहुत दोस्ताना व्यवहार है हम दोनों का|
तभी प्रखर ने अपनी बात बताते-बताते समीर और शिखा से कहा..
“तुम दोनों आज मेरा ही सुनते रहोगे तो बोर हो जाओगे..अब अपना भी कुछ शेयर कर लो तो टॉपिक भी बदल जाएंगे|”
तभी शिखा ने बीच में ही उसे टोकते हुए कहा....
“नहीं प्रखर आज हम दोनों तुमको ही सुनना चाहेंगे.. अपनी बात को जारी रखो.. बहुत अच्छा लग रहा है|”..
दरअसल शिखा को एक अरसे बाद प्रखर की बातें सुनना और साथ-साथ कनखियों से उसे निहारना अंदर ही अंदर ऊर्जा से भर रहा था| दूसरी ओर शिखा का कुछ भी बोलना प्रखर के लिए भी जीवन के जैसे था| आज प्रखर को शिखा पहले वाली शिखा-सी ही महसूस हुई| मासूम निश्चल प्यारी-सी|
एक उम्र के बाद प्रेम का स्वरूप कितना विशाल हो जाता है....प्रखर को अच्छे से महसूस हुआ| इंसान जिसको सच्चा प्यार करता है उसके साथ के हर रिश्ते से भी बहुत प्यार करने लग जाता है| तभी तो छोटे से ही अंतराल में समीर भी उसका मित्र बनने लगा था|
कुछ ऐसा ही समीर और शिखा महसूस कर रहे थे| तभी वो भी प्रीति हो चाहे प्रणय सभी के बारे में जानना चाहते थे|
प्रखर प्रीति के बारे में बताते-बताते बार-बार भावुक हो रहा था| शिखा की आँखें जैसे ही प्रखर की आँखों से मिली उसमें तैरती नमी...शिखा की आँखों का भी हिस्सा बन गई|
तभी उसने समीर की ओर देखा जो उस समय प्रीति की बनाई हुई पेंटिंग की ओर देख रहा था..उसने राहत की सांस ली| बीच-बीच में प्रखर और शिखा एक दूसरे की बातों में खोने लगे थे| उम्र कोई भी हो प्रेम इंसान को बहुत युवा महसूस करवा देता है| युवा-अवस्था जैसी कुछ भावनाएं चाहते न चाहते हुए इंसान के इर्द-गिर्द घूमने लगती हैं|
तभी समीर ने प्रखर को कहा.....
“बहुत सुंदर पेंटिंग बनाई है प्रीति ने| इसको बनाने में काफ़ी समय भी लगा होगा| लगभग कितना समय लगा इसको बनाने में|”
“इस को बनाने में प्रीति को छः महीने लगे थे| उसका बहुत मन था घर के ड्रॉइंग-रूम में उसकी बनाई हुई पेंटिंग ही लगे| उसके कहने पर ही मैंने यह कैनवास बर्थ-डे पर गिफ्ट किया था| जब भी हमारी शादी की वर्षगांठ या हम दोनों में से किसी का जन्मदिन आता हम वही देते जो एक दूसरे की पसंद की चीज़ होती| प्रीति अक्सर मुझे गज़लों के कैसेट गिफ्ट करती थी....जब तक उनका चलन था| बाद में जब कैसेट रेकॉर्डेर नहीं रहे तो वो सी.डी. गिफ्ट करने लगी|”
प्रखर ने दोनों को बताया उसके पास म्यूजिक का बहुत अच्छा कलेक्शन है| कभी समीर और शिखा सुनना चाहे तो वो जरूर शेयर करेगा| प्रीति को समय जाया करना हरगिज़ पसंद नहीं था| बहुत-सी किताबें पढ़ा करती थी वो| उस की कविताएं भी पढ़कर टिप्पणी किया करती थी|
फिर इस बीच कॉफी आ जाने से उन तीनों ने मिलकर तसल्ली से कॉफी पी| कॉफी पीते-पीते शिखा ने प्रखर से कहा..
“बहुत खूबसूरत पेंटिंग करती थी प्रीति| उनकी यह पेंटिंग बहुत अर्थपूर्ण है| इस पेंटिंग में बहुत डेप्थ है| जब कभी तुम्हारे पास समय हो तो प्रीति की और भी पेंटिंगस दिखाना|”
“हाँ जरूर दिखाऊँगा| दरअसल तुम दोनों को भी पेंटिंग की काफी समझ है तभी इतना कुछ इसमें खोज रहे हो| मैं खुद प्रीति की पेंटिंगस का प्रशंसक रहा हूँ| मैंने उसकी पेंटिंगस की एक प्रदर्शनी भी लगवाई थी| उसको लोगों की बहुत अच्छी प्रतिक्रियाएं व सराहना मिली थी| शिखा अगर तुम चाहोगी तो अपने ड्रॉइंग-रूम के लिए भी कोई पेंटिंग पसंद करके ले जाना|”....
“तुमने मेरे मन की बात कर दी प्रखर| तुमको नहीं पता मुझे तुम्हारी यह बात कितनी प्यारी लगी| हम दोनों तो अपना घर अभी भी सेट कर ही रहे हैं|”
प्रखर की बात को शिखा लव यू बोलकर पूर्ण करना चाहती थी पर समीर के साथ होने से नहीं बोल पाई|
प्रखर ने बताया कि उसका बेटा प्रणय भी बहुत प्यारा है| प्रीति ने उसकी परवरिश बहुत जतन से की| बचपन से ही वो उन दोनों से एक-एक बात शेयर करता रहा| तो आज भी उसको यही आदत है| हर दूसरे-तीसरे दिन फोन करता है....प्रणय को ऐसा करके बहुत अच्छा लगता है|
प्रखर ने तभी समीर की ओर मुखातिब होकर कहा...
“समीर! तुम दोनों को तो पता ही होगा आजकल फैस -टाइम हो जाने से बहुत सुविधा हो गई है| मेरे फोन में प्रणय सब कुछ डाउनलोड कर गया था| अब तो उसके अधिकतर फोन उसी पर आते हैं| शिखा बहुत शैतान है प्रणय| आज भी न जाने कितने उल्टे-सीधे मैसेज मुझे भेजता है ताकि मैं खूब हँसूँ| अब मैं तुम दोनों को भी उसके मैसेज भेजूँगा|”
बेटे की बातें बताते-बताते प्रखर बहुत उत्साहित हो रहा था| उसको देखकर कहीं न कहीं आभास हो रहा था कि वो बार-बार अपनी ही बताई हुई बातों में खो जाता था|..
“मेरे दोनों सेवक बहुत पुराने हैं| प्रणय उनसे भी फोन पर बात करके मेरी पूरी रिपोर्ट लेता है|”
अपनी बात बोलकर प्रखर जोर से हंस पड़ा| शिखा को उसकी मासूम-सी हंसी पर बहुत प्यार आया|
क्रमश..