थोड़ा गरम कर दो न !(दानी की कहानी)
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अब तो दानी की शादी को पचास साल से ऊपर हो चुके हैं लेकिन यह बात तबकी है जब दानी की शादी हुई थी , उनकी उम्र शादी बीस वर्ष थी |
दानी के पति यानि बच्चों के दानू एक बड़ी कंपनी में इंजीनियर थे| तीन वर्षों में दानी के बेटे और बेटी का जन्म हो गया और जैसा दानी अपनी तीसरी पीढ़ी को बताती हैं ,उनकी नाक में दम हो गया क्योंकि दानी एक बच्चे को सुलाती थीं तो दूसरा उठ जाता था |
जब वे थोड़े बड़े होने लगे तब और भी शरारती होने लगे | लगभग चार वर्ष तक दानी उनके लिए दूध की बॉट्ल्स लाती रहीं क्योंकि एक बच्चे को कटोरी-चम्मच से दूध पिलाने बैठतीं तो दूसरा फ़ैल जाता |
इसलिए दानू ने कहा कि दोनों को बॉट्ल्स से दूध पिलाना ही ठीक है |वो दोनों एक -दूसरे को देखकर बॉट्ल्स फेंक देते | यानि एक ने बॉटल फेंकी तो दूसरे ने उसकी देखकर फेंक दी | अब दानी को डर लगता था कि कहीं उन बच्चों के काँच न चुभ जाए |सो,उन दोनों के लिए एक आया की व्यवस्था भी करनी पड़ी |
दोनों में लगभग डेढ़ वर्ष का अंतर था|दोनों हर समय बंदरों की भाँति एक दूसरे की नकल करते दिखाई देते | जैसे-जैसे लगे बड़े होने लगे तीसरी मंज़िल की बॉलकनी से हर चीज़ नीचे फेंकने का कॉम्पिटिशन होने लगा | अब्ब आया का काम बार-बार नीचे जाकर चीज़ें समेटना रह गया |
दानी को थोड़ी देर आराम मिल सके इसलिए तो आया को रखा गया था | जिस बिल्डिंग में दानी रहती थीं वह तीन मंज़िल की थी | उस समय लिफ़्ट का इतना प्रचलन नहीं था | सो,आया की आफ़त हो जाती थी नीचे चढ़ते-उतरते | और दानी की वही स्थिति !दोनों बच्चों की शरारतों से घिरी ,परेशान ! आया ने कई बार काम छोड़ने की बात की तो दानी के पहले ही चेहरे पर से पसीना झरने लगा |
बड़ी मुश्किल से आया को इस शर्त पर मनाया गया कि वह अपने बारह साल के बेटे को भी साथ ले आया करेगी | वह स्कूल से वापिस आने के बाद दानी के घर आने लगा और दानी के बच्चों के साथ खेलने लगा |आया के बच्चे का नाम बसंत था ,उसे बड़ा मज़ा आता इन बच्चों के साथ खेलते हुए ,वह भागकर नीचे से खिलौने ,जूते ,चप्पल भी उठा लाता और उसे कोई थकान न होती | उसे खाने के लिए भी बहुत कुछ बेहतर मिलने लगा था | बहरहाल वह बहुत खुश था |
एक दिन दानू के ऑफ़िस के कुछ लोग परिवार के साथ आए |आया ने दानी के कहने पर सब बच्चों को दूसरे में खिलौने देकर बिठा दिया और उस कमरे की लॉबी का दरवाज़ा बंद कर दिया जिससे बच्चे कुछ चीज़ें नीचे न फेंकें |
दानू के दोस्तों में से उनके एक दोस्त का बेटा भी आया था जो लगभग पाँच वर्ष का था |सारे बच्चे मिलकर खूब शैतानी मचाने लगे | अब तक दानी के बच्चे लगभग तीन / चार वर्ष के हो चुके थे और खूब बोलने भी लगे थे | बसंत के साथ वह बच्चा भी उसी कमरे में भेज दिया गया जिससे सब बच्चे एक जगह शैतानी करें तो बड़े लोग कुछ बातचीत कर सकें |
थोड़ी देर में आया आइसक्रीम लेकर आई और उसने अपने बच्चे से कहा ;
"बसंत ,देखना बेटा ये सब ज़्यादा गंदा न करें | ये खा लें तो तुझे भी ला दूँगी |"
बसंत काफ़ी समझदार था ,वह अपनी माँ को देखकर बहुत सी बातें सीख गया था |
उसने ख़ुशी-ख़ुशी अपनी माँ की बात समझ ली |वह बड़ा था तो दानी अपने बच्चों से उसे बसंत भैया कहलवाती थीं |
आया बाहर गई ही थीं की मेहमान बच्चे ने कहा ;
"बसंत भैया ,ये आइसक्रीम भौत ठंडी है न ,आप इसे गर्म कर दो --"
बच्चों को स्टील के कटोरों में आइसक्रीम दी गई थी | दानी के बच्चों ने तो ज़मीन पर अपने कटोरे रखकर चटकारे लेने शुरू कर दिए थे | कुछ खा रहे थे ,कुछ गिरा रहे थे |
मेहमान बच्चे ने जब यह कहा तब बसंत भैया ने सोचा कि सबमें होशियारी दिखाने का वह अच्छा मौका था|
बसंत ने कई बार अपनी माँ को गैस जलाते हुए देखा था | उसने सोचा वह भी गैस जलाकर तवे पर आइसक्रीम गर्म कर सकता है | वह मेहमान बच्चे के साथ किचन में पहुँच गया ,तवा भी गैस पर रख दिया गया ,उस पर कटोरे की आइसक्रीम भी पलट दी गई |वह लाइटर से गैस जलाने ही वाला था कि आया अचानक रसोईघर में फ़्रिज से कुछ निकलने आ गई |
"बसंत ,ये क्या कर रहा है ?" आया ने लगभग चीख़ते हुए अपने बेटे के हाथ से लाइटर छीन लिया | बेचारा बसंत घबरा गया |
आया के चिल्लाने से और लोग भी घबराकर रसोईघर में आ गए | बेचारा मेहमान बच्चा भी सहम गया | उसने सहमते हुए बताया ;
"आँटी ,मैंने ही बोला था ,आइसक्रीम भौत ठंडी थी न --भैया गरम कर रहे थे | "
उस दिन दुर्घटना होते -होते बची |सब घबरा गए थे |
अब जब दानी अपनी तीसरी पीढ़ी के बच्चों के साथ एक ख़ास जगह तवे की आइसक्रीम खाने आईं तब यह बात उन्हें याद आ गई और उन्होंने बच्चों को यह कहानी सुनाई |
डॉ. प्रणव भारती
pranavabharti@gmail.com