प्लीज पापा
" पापा ! आज आपकी बहुत याद आई. सब लोग हँस रहे थे.खुद हंसने के साथ - साथ,हँसा भी रहे थे. मैं चुप थी. मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं भी ऐसा क्या कहूँ कि सब लोग बड़ी जोर से हंसे और उस बात पर हंसे जो मैं उन्हें बताऊं । फिर उनके साथ मैं भी हंसु परन्तु मेरे पास हँसाने के लिए कोई बात थी है नहीं । मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या कहूं ! मुझे आप याद आये पापा, कि जब भी मैं दिक्कत में होती थी तो आप झट से मेरी प्रॉबल्म सॉल्व कर देते थे ।पर आज मैं अपनी प्रॉबल्म किसे बताती ?आप तो बहुत पहले हम सबसे बहुत दूर वहाँ जा चुके थे, जहां प्रॉबल्म बताना तो दूर, आपसे मिलने तक कोई नहीं आ सकता ।मुझे आपकी बहुत याद आई, पापा ! मैं हँसने कि जगह रोने को थी कि तभी मुझे लगा कि आप मेरे पास, मेरे सामने खड़े हैं और मुझसे कह रहे हैं कि मैं सबको वो वाली बात बता दूं, एक बार शाम के समय मेरे पापा घर के ड्राइंग रूम में अकेले बैठे थे । उनके सामने टेबल पर एक गिलास में हल्के रंग का कोई पेय पदार्थ था । मैं खेलने के बाद कमरे में अचानक आकर अपने पापा की गोद में बैठ गई । पापा मुझे प्यार करने लगे । मैंने टेबल पर रखे गिलास और उसके पानी जैसे पेय पदार्थ को देखा । मुझे जोर की प्यास लगी थी । इससे पहले कि पापा कुछ समझ पाते, और मुझे रोकते मैने एक ही सांस में उस गिलास को खाली कर दिया । पापा सकते में आ गए कि यह क्या हुआ पर जो होना था वह तो हो चुका था । पापा, गिलास में तो बियर थी न । मेरी उस नादानी भरी बात को सुनकर सब लोग बड़ी जोर से हंसे और बड़ी देर तक हंसते ही रहे,पापा ! "
जब मेरी हसीं रुकी तो राहुल ने पूछा, " तुम्हारे पापा ने तुम्हारी नादानी पर तुम्हारी पिटाई नहीं की ? "
पापा आपने तो मुझे डांटा तक नहीं था और गोदी में भरकर चुपके से सुला दिया था ।
पापा आपने हमेशा की तरह आज भी मेरी प्रॉबल्म का हल निकाल दिया पर मैं तो तब से रो ही रही हूं ।
प्लीज पापा बताइये कि आप कहाँ हैं ? मैं क्या करूँ,मुझे आज आपकी बहुत याद आ रही है । मुझे बताइए कि पापा एसे क्यों होते हैं ? जो हर समय अपने बच्चों की परेशानियों को दूर करने को तत्पर रहते हैं ? "
सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा,
डी - १८४, श्यामपार्क एक्सटेंशन,
साहिबाबाद - ग़ज़िआबाद ( ऊ प्र ) पिन : 201005
मो : 9911127277