बचपन में हम सबने कहीं ना कहीं एक बार तो सुना होगा कि हमारे जैसे दिखने वाले ७ लोग इसी किसी दुनिया में रहते है..क्या लगता है आपको ये सच है या सिर्फ कहानी? चलिए देखते है।।।
स्टिंग हाकिंग फेमस वैज्ञानिक, कहते है पृथ्वी सिर्फ एक छोटा ग्रह है इसके जैसे और भी लाखो ग्रह है जहां जीवन है, पानी है, धरती है, मनुष्य है,.. सबको मज़ाक लगा पर आज सभी ये बात मानने के लिए मजबुर है कि ये बाते सच थी.
कहते है हम जो सपने देखते है वो हमारे मन में चल रही घटनाओं या फिर हमारे साथ घट रही घटनाओं का रिफ्लेक्शन है. जब हम सोते है तब हमारा दिमाग कहीं और घूमने लगता है. क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ है कि आप किसी जगह पर गए या किसी से बात कर रहे हो और एकदम से आपको ऐसा लगा हो की ये सब पहले भी आपके साथ ही चुका है?
समानांतर ब्रह्माण्ड की थियोरी भी ऐसा ही कुछ कहती है, हो सकता है बचपन में आपका सपना क्रिकेटर बनने का हो पर आप नहीं बन सके, ऐसा इसीलिए होता है कि कहीं ना कहीं आप दूसरे किसी ग्रह में इसी वक़्त क्रिकेटर हो, या फिर कह सकते है आप अभी पैदा भी नहीं हुए होंगे या फिर आपको मर कर १०-२० साल हो गए होगे।।
इसी बात पर वैज्ञानिकों ने दो राये बनी हुई है, कोई कहता है समानांतर ब्रह्माण्ड है तो कोई कहता है ये महज एक कल्पना है, क्या अपने कभी सोचा है पहले के ऋषि मुनि कैसे भविष्य बता सकते थे ?
एक समय की बात है आर्यावर्त नाम का एक राज्य था जहां के राजा को उसकी पत्नी बहोत प्यार करती थी, उसे हमेशा इसी बात कि फिक्र रहती की मेरे पति मर गए तो कैसा होगा इसी चिंता में उसने माँ सरस्वती की पूजा की और मांगा की मै हमेशा मेरे पति के साथ ही रहना चाहती हूं।।
कुछ दिनों बाद उसका पति मर गया, उसका शरीर उसने महल में रखवा लिया, तब उसने माँ सरस्वती को फिर याद किया और कहा मुझे मेरे पति के दुनिया में जाना है, माँ ने कहा तेरा पति यही है बस तू उसे देख नहीं पा रही, अपनी आँख बंद कर और ध्यान में अपने पति को याद कर, उसने वैसे ही किया और जो उसने देखा उस से वो इतनी डर गयी की फिर से आँख बंद करके देखने की उसकी कभी हिम्मत नहीं हुई, उसने देखा उसका पति १६ साल का है।।।तब देवी सरस्वती ने उसे समझाया जिस प्रकार केले के तने के अंदर एक के बाद एक परते निकलती है उसी प्रकार सृष्टि क्रम के अनुसार विद्यमान है, अभी तुम यहां हो इसी समय तुम कहीं और भी हो सकती हो.
ये कहानी है योगवशिष्ट की जिसे महरामायान भी कहा जाता है।।
कहीं ना कहीं इसका मतलब ये हुआ कि ये दुनिया इतनी बड़ी है कि इसका अंत और शुरुआत का पता लगाना लगभग नामुमकिन है,
हमारे मन में को हमारी अधूरी इच्छाएं है वो कहीं ना कहीं किसी और दुनिया में पूरी हो चुकी है या फिर होने वाली है ...
तो दोस्तो आपको क्या लगता है? क्या सच में समानांतर ब्रह्माण्ड हो सकता है या ये भी मात्र एक कल्पना है?...