Seema in Hindi Short Stories by RISHABH PANDEY books and stories PDF | सीमा- एक अपूर्ण किन्तु पूर्ण प्रेम कहानी

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सीमा- एक अपूर्ण किन्तु पूर्ण प्रेम कहानी

याद से समय से आ जाना मैं रोड साइड खड़े होकर वेट नहीं करूँगी पहले ही बता देती हूँ- ( फोन पर) सीमा ने अवनीश से कहा
हाँ बाबा...!!! आ जाऊँगा एक बार वेट क्या कर ली हो ऐसा लग रहा है कि मैं हरदम लेट ही आता रहा हूँ, कल मिलते है गोल चौराहे पर ठीक 10 बजे तुम अपनी स्कूटी ले आना मेरी बाइक पापा ले जा रहे है कल पहले पुराने वाले शिव मन्दिर चलेंगे फिर वही से मूवी चलेंगे – अवनीश
मन्दिर....ओके ठीक है अच्छा मिलते है कल- सीमा
(दोनों अगले दिन गोल चौराहे पर मिलते है मिलकर मन्दिर जाते है यह मन्दिर इन दोनों की प्रेम कहानी में बहुत अधिक मायने रखती थी। ये दोनों ही मानते थे कि इसी मन्दिर के शिव-पार्वती की दया से वो एक दूसरे को मिले है। मन्दिर की सीढ़ियों के पास से फूल और प्रसाद लेकर वो दोनो अन्दर जाते है।)
मन्दिर के अन्दर आज शादी चल रही थी शायद यह जोड़ा भाग कर प्रेम विवाह कर रहा था सीमा इस दृश्य को देखकर कुछ भावुक हो जाती है क्योंकि उसे पता था कि उसके घर वाले अवनीश से शादी के लिये कभी भी तैयार नही होंगे तो उन्हें भी आज नही तो कल भाग कर ही शादी करनी ही पड़ेगी।
सुनो जी....!!! मैं क्या कह रही थी कि हम भी आज यहीं पर शादी कर लेते हैं आखिर हम भी तो एक दूसरे को बहुत बहुत बहुत सारा प्यार करते है ना?
(अवनीश सीमा के इस बदले हुये व्यवहार से थोड़ा आश्चर्यचकित था वह उसे बस निहार रहा था कुछ बोला नही)
अवनीश तुम मुझसे शादी तो करोगे ना...??
हा क्यों नही पागल तेरे बिना कैसे रह पाऊँगा चलो आज इसी मन्दिर के सात फेंरे लेकर हम हमेशा के लिये एक हो जाते है। वैसे भी अगर ईश्वर को साक्षी मानकर मन से एक दूसरे को अपना मान लिया तो हो जाती है शादी मैंने पढ़ा था कहीं- अवनीश
सच कह रहे हो- सीमा
हा बिल्कुल सच कह रहा हूँ- अवनीश
तो चलो आज ही अभी ही हम शादी कर लेते है- सीमा ( चेहरे पर अत्यधिक खुशी के साथ)
(दोनों ने एक दूसरे का हाथ थाम कर ईश्वर से प्रार्थना की)
"हे शिव जी मैं आपका सेवक अवनीश आज आपकी कृपा से सीमा को आपके समक्ष अपना जीवनसाथी स्वीकार करता हूँ। हे प्रभू हमारी जोड़ी सदा बनाये रखना"- अवनीश
"बाबा जी क्या सही है क्या गलत मैं नही जानती हूँ बस इतना जानती हूँ कि अवनीश जी के साथ मुझे वही एहसास होता है जैसा आपके साथ पार्वती जी को होता होगा इस लिये मैं हमेशा के लिये अवनीश जी को अपने पास रखना चाहती हूँ। मैं आपको साक्षी मानकर अपना सिंदूर और मंगलसूत्र अवनीश जी के नाम का करती हूँ आज से मेरा तन और मन हमेशा अवनीश जी के लिये रहेगा और यदि ऐसा न हो सके तो प्लीज बाबा जी मुझे आप ही मार देना"- सीमा
(इसके बाद दोनों ने एक दूसरे का हाथ थाम कर मन्दिर की सात परिक्रमा (चक्कर ) लगाई।
दोनों ही बहुत ही खुश थे सीमा ने अपने दुपट्टे की चुनरी को सर पर ऐसे लिया था जैसे विवाहित स्त्रियाँ रखती है।
भगवान आप दोनो की जोड़ी सलामत रखे, बाबू जी दस रूपिया दो ना, भगवान जोड़ी बनाये रखेः- (कुछ बच्चे जो मन्दिर के बाहर भीख माँग रहे थे)
ऐसा सुनकर सीमा शर्म से लाल हो गयी और अवनीश की बाँह में सिर छिपा ली। अवनीश ने न चाहते हुये भी नवविवाहित युगल की तरह पैसे निकाल बच्चों को दे दिया दोनों खुशी-खुशी वहाँ से फिल्म देखने निकल गये।
(मन्दिर के सामने एक नई हान्डा सिटी गाड़ी आकर रूकती है।)
साहब मन्दिर आ गया- ड्राइवर
अवनीश का ध्यान टूटता है वह खुद को उसी मन्दिर के बाहर खुद को पाता जहाँ आज से ठीक 12 साल पहले वह सीमा को अपना बनाकर ले गया था। आज सालों बाद वह वापस आया था।
मन्दिर की सीढ़ियों से आते युगलों को देखकर अवनीश कहीं खो जाता है उसे 12 वर्ष पहले का उसका विवाह एक फिल्म की तरह उसकी आँखों के सामने चलने लगता है। ड्राइवर के कहने पर वह गाड़ी से बाहर निकलता और फूल-प्रसाद लेकर जैसे ही मन्दिर की सीढ़ियों की तरफ बढ़ता है उसके कदम डगमगाने लगते है, जैसे उसके कदमों को किसी ने कील से वही जमा दिया हो वह चाहकर भी कदम नही बढ़ा पा रहा होता है। वह वही सीढ़ियों पर ही बैठ जाता है और जोर जोर से रोने लगता है।
"क्यों आखिर क्यों मैं तुमसे ऐसा क्या माँग लिया था जो तूम त्रिलोक के स्वामी होकर भी न दे पाये, आखिर क्यों छिन ली मेरी सीमा क्यों??? उसे मेरी नही बना सकते थे तो कम से कम जिन्दा तो रखते, मैं इसी सन्तोष के साथ जी लेता की वह कही तो खुश है"- अवनीश
(आज सालों पुराना दर्द बाहर आ गया था, भक्त भगवान से शिकायत क्यों न करता उसे पूरा हक था लड़ने का, अपने साथ हूए अन्याय का हिसाब लेने का)
अवनीश को चारों ओर से घेरे लोग देख रहे थे।
काय बच्चा का हुईगा इनका काहै इत्ता रोय रहे है? – मन्दिर के बाहर एक महिला ने ड्राइवर से पूछा
माता जी साहब जिस लड़की से प्यार करते थे उसके घर वाले किसी और से शादी कर रहे थे इस लिये लड़की ने फाँसी लगाये ली तब से साहब ऐसे ही रहत हैः- ड्राइवर
अरे राम राम ....!!! ऐसो फूल जैसो लारइका के साथ भगवान ऐसो अपजस कैसे कर सकत है जाओ बच्चा इनका घरे लाय जाओ नाय तो बिमार हो जाइहैं – महिला
साहब...!!! उठिये चलिये घर चलिये सब ठीक हो जायेगा- ड्राइवर ने अवनीश के कन्धे पर हाथ लगाकर उठाते हूये बोला।
ड्राइवर का हाथ लगने से अवनीश का शरीर पीछे को हुआ और शरीर निस्तेज होकर गिर पड़ा, ह्रदय गति रूकने से अवनीश की मृत्यु हो गयी थी।
अवनीश के मृत शरीर के चेहरे पर एक अजीब सी शान्ति प्रतीत होती थी जैसे मृत्यु के इस सीमा को लाँघ कर उसे अपनी सीमा मिल गयी थी। एक प्रेम कहानी जहाँ से शुरू हुई वहीं पर आज पूर्ण होगयी.....✍️