pain in love - 2 in Hindi Love Stories by Heena katariya books and stories PDF | दर्द ए इश्क - 2

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दर्द ए इश्क - 2

दो साल तक का वक्त बित जाता हैं विकी के फ़ाधर आज एयरपोर्ट पर किसीको पीक अप करने के लिए जा रहे हैं उस हादसे के बाद स्तुति के परीवार का कही भी पता नहीं चला आज तक किसी को भी नहीं पता की वे लोग अचानक बिना बताये कहाँ गायब हो गये विकी के पिताजी एयरपोर्ट पर पहुंचते है तभी वहा मीडीया की लाईन लगी हुयी थी सभी धर्मानद जी धर्मानद जी चिल्ला रहे थे विक्रम के पापा सब को ईग्नोर करते हुये देखते है तो विकी उनकी ओर आ रहा होता हैं जिससे उनके चेहरे पर बडी मुस्कान आ जाती है विक्रम भी मुस्कुरा रहा होता है उनके पिताजी गले लगाते हुये कहते है की

धर्मानदजी: विकी...
विक्रम: डेड.....
धर्मानदजी: कैसे हो
विक्रम: जैसा था वैसा ही हूँ और क्या
धर्मानदजी: आहाहाआ मजाक करने की आदत गयी नहीं तुम्हारी
विक्रम: आपने ही तो सिखाया हैं
धर्मानदजी: हा वो तो है अब चले
विक्रम: हा पर ये मीडीया वाले कब से वैट कर रहे हैं जरा थोडा काम इनहे भी मिल जायेगा वैसे मेरे बिना तो कोई सनसनी खबर मिली नहीं होगी दो साल तक
धर्मानदजी: विकी ....
विक्रम: chill dad I'll handle him

विक्रम मीडीया की ओर जाते हुये तभी मीडीया वाले भी यह देखकर चोक जाते है विक्रम उनहे कहता है की उन लोगों के पास दस मीनिट है जो पूछना है पूछ सकते हैं यह सुनकर सब पहले कुछ बोल नहीं पाते फ़िर विक्रम से सवाल पूछ्ना शुरू कर देते हैं

जर्नालिस्ट: सर आप इतने वक्त कहा पर थे?
विक्रम: वेल जैसे की आप लोगो को पता है मैं एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए लंडन गया हुआ था
जर्नालिस्ट: सर आप एसे अचानक क्यों चले गये थे
विक्रम: (विक्रम जर्नालिस्ट के साथ फ़लर्ट करते हुये) लगता है मोहतरमा को बडा अफ़सोस हुआ है मेरे अचानक जाने से माफ़ कर दीजीये पर क्या है मैने बहोत पहले ही अप्लाय कीया हुआ था पर लेकिन आप सबको बताने का टाईम ही नहीं मिला (यह सुनकर फ़िमेल जर्नालिस्ट शर्मा जाती है)
जर्नालिस्ट: सर आपके जाने के बाद अफ़वा थी की आपने अपने आपको और अपनी प्रेमीका को मार डाला था इस बारे मे क्या कहेगे
विक्रम: जर्नालिस्ट को देखते हुये ये बिल्कुल सच है जी हाँ! ये बिल्कुल सच है और जो मैं आपके सामने खडा हूँ वो मैं नहीं मेरी आत्मा है क्या यार कभी तो सोचा करो बोलने से पहले और आपके दस मीनिट पूरे और आई होप की कल की हेड लाईन मिल चूकी है आपको फ़िमेल जर्नालिस्ट की ओर विन्क करते हुये वह कार मैं चला जाता है

विक्रम के पापा भी कार मे बैठते है और विक्रम से कहते

धर्मानदजी: तुम्हें पता है अभी कितनी बडी प्रोब्लेम मे पडने वाले थे तुम्हारी उस एक स्टेटमेन्ट की वजह से
विक्रम: कूल डेड आपको पता ही है एसे मैटर किस तरह हैन्डल करने है ये मै अच्छी तरह जानता हूँ
धर्मानदजी: जानता हूँ पर ये लोग कुछ भी लिखेगे कल अखबार मे
विक्रम: कम ओन डेड ये इन्डिया है और यहाँ वही होता है जिसके पास पावर पोजीशन हो और अभी वो दोनो ही हमारे पास है
धर्मानदजी: आहाहाआहाआ मानना पडेगा आखिर मुझ पर ही गये हो काफ़ी अच्छे पॉलिटीशन बनोगे तुम
विक्रम: आखिर खून तो आपका ही है (विक्रम ड्राईवर को ब्लु स्टार होटेल पे ले जाने के लिए कहता है )
धर्मानदजी: होटेल क्यों तुम घर पर नहीं आओगे
विक्रम: आउगा डेड पर काफ़ी टाईम हो गया अपने लोगो से नहीं मिला तो थोडा उनसे मिलकर मजा ले लिया जाए वैसे भी लंडन के लोगो मे वो बात कहा जो यहा के लोगो मे है ....
धर्मानदजी: बस समज गया मै अबे कुछ तो शर्म करो अब उम्र हो गयी है मेरी
विक्रम: उम्र हो गयी है इसका मतलब ये तो नही की आप शरीफ़ बन गये हैं हा
धर्मानदजी: हाहाआहा तुम मुझसे भी बडे कमीने हो
विक्रम: गलत मुझ जैसा कमीना ना है और ना ही कोई होगा
धर्मानदजी: चलो आ गया होटेल एन्जोय
विक्रम: या आई वील अगर आप को भी जोईन होना है तो आप भी आ सकते हैं आहाआहा
धर्मानदजी: नहीं मैं घर पर ही ठीक हूँ
विक्रम: वेल एस यु वीश बाय
धर्मानदजी: बाय एन्ड सीधे घर पर ही आना

विक्रम कार से उतरकर होटेल पहुँचता है वहाँ उनका बोडीगार्ड एक एयरहोस्टेस के साथ खडा था जिसे देखकर विक्रम के चहेरे पे एक मुस्कान आ जाती है और वह चाबी लेकर कमरे की और बढ़ता है तभी वह बॉडीगार्डस से कहता है की ध्यान रखे की कोई भी उसे डीस्टर्ब ना करे यह कहकर वह एयरहोस्टेस को लेकर कमरे मे चला जाता है