Journey
बस सवेरा होने ही वाला था, सूरज धीरे धीरे ऊपर उठ रहा था, खिड़की के पर्दों के पीछे से हल्की रोशनी आ रही थी,रात करवटें बदलतीं रही, मुजे समज नहीं आ रहा था की में हँसूँ या रो लूँ,में हल्के से उठी और खिड़की के पर्दे हटाकर खिड़की खोल दी एक ठंडी लहेर मेरे पूरे बदन को छू गयी, सवेरा हो चुका था बाहर चहल पहल हो रही थी सब महेमान इधर उधर काम में लगे थे, मेरी नज़र मेरी गुलाबी रंग की स्कूटी पर पड़ी और एक हाय सी निकल गयी, थोड़ा गुम के मेने अपने कमरें पर एक नज़र डालीं, हाँ.. यें मेरा कमरा था बचपन से लेकर आज तक में वहाँ रहीं थी एक एक चीज़ पर अब मेरी नज़र गुम रही थी, महेंदी वाले हाथ लेकर में कमरें के एक कोने में खड़ी थी, वो पलंग ऊपर टंगी मेरी तस्वीर, अलमारी, मेरी टेबल, dressing table, मेरी पसंद के पर्दे, थोड़ी देर में ये सब कुछ छूटने वाला था. और में कोने में खड़ी अज़ीब सी feeling के साथ देख रही थी.
अचानक आयीं हंसी की आवाज़ ने मुजको चोंका दिया, पूरा कमरा सहेलीओ मोगरे और गुलाब की खूसबू से भर गया, और सब मुजे सजाने लग पड़े, दुल्हन के रूप में मेने अपने आप को एक नए रूप में देखा, और मेने सबसे पहेले अपने पुराने रूप को त्यागा, चूड़ी और पायल की आवाज़ के साथ मेने धीरे धीरे अपना कमरा छोड़ा पूरे घर पर एक नज़र डालते हुए मंडप में आ गयी, थोड़ी ही देर में मे परायी हो गयी मेने अपने माँ - बाप और सबंधी को त्यागा और अपनी surname को त्यागा सब पर एक नज़र डालकर आँखो में आँसू लिए मेने अपना सफ़र सुरु कीया धीरे धीरे अपना सबकूछ पीछे छूटने लगा, मेरी गली, मेरी स्कूल, सहेलीओ के घर , बाज़ार सब पीछे पीछे जा रहा था, गाड़ी में चुपकिदी छायी थी मेने एक नज़र अपने हाथ में रखे गठबंधन पर डाली सात फेरो कि लिए मेने सात अपनी ख़ास चीजें पीछे छोड़ी थी सोचते ही हाथ काँप गए फिर वही चूड़ी खनक हुई, मेने देखा अब शहेर की जगह खेत दिखायी पड़ रहे थे वो भी धीरे धीरे पीछे छूट रहे थे और साथ में अब आँसू की धारा ने भी बूँद का रूप ले लिया था.
हल्के जटके के साथ गाड़ी रुकी और मेरी नज़र सामने खड़े नए परिवार पड़ी जो मेरे स्वागत के लिए खड़े थे किसीने आके गाड़ी का दरवाज़ा खोला और मेरी आँखो से फेला काजल ठीक किया हल्के से बालों को ठीक किया फिर माथे की चूनर को ठीक किया गाड़ी से निकल कर फिर उस चूड़ी और पायल की खनक के साथ मेने अपने नए घर में प्रवेश किया, तभी एक आवाज़ आयीं बहु को उनके कमरे में ले चलो, एक ठंडी लहेर फिर गयी पूरे बदन में, मन ही मन में बोली बहु यानी मेरा कमरा, एक बार फिर चूड़ी और पायल की आवाज़ के साथ धीरे धीरे पूरे घर पर नज़र डालती कमरे तक पहोंची अब मेरी नज़र कमरे में थी पर ये क्या?? ये तो मेरा कमरा था ही नहीं सब अलग और अनजान था पर्दे, पलंग, अलमारी मेरी तस्वीर तक नहीं थी.
में धीरे से मुस्करायी और मन ही मन में बोली तेरा सफ़र अभी खतम नहीं हुवा ये कमरे को अपना बनाने के लिए तेरा सफ़र अब सुरु होता हे.... this is the most difficult journey for all girls😊
Yam.....