mahendi hai rachne wali in Hindi Short Stories by Pragya Chandna books and stories PDF | मेंहदी है रचने वाली

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मेंहदी है रचने वाली

प्रतिक्षा बहुत खुश है क्योंकि उसकी शादी उसके बचपन के दोस्त मोहित से तय हो गई है। मोहित जिसके साथ वह बचपन से पढ़ती, खेलती रही है। उसी मोहित के साथ 15 अप्रैल को उसकी शादी होने वाली है। उसके और मोहित के परिवार वालों के और उन दोनों के भी कई वर्षों से देखें हुए ख्वाब पूरे होने जा रहे हैं।

मोहित जो म.प्र. पुलिस में इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं और प्रतिक्षा भी सब इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं।

जैसा कि हर लड़की का सपना होता है कि उसकी शादी खुब धूम-धाम से हो वह अपने सभी दोस्तों और रिश्तेदारों को बुलाएं, सब आएं और खुब मस्ती और धमाल हो, सब नाचें, गाएं और इंजॉय करें,बस प्रतिक्षा का भी ‌अपनी शादी को लेकर यही छोटा सा सपना है।

वह अपनी सभी सहेलियों और रिश्तेदारों को फोन करके कहती है कि सबको शादी में आना है और मेंहदी और संगीत में सबको डांस भी करना है इसलिए सब अभी से तैयारी कर लें और अपने-अपने आॅफिसों में छुट्टी का आवेदन भी दे दें क्योंकि वह बाद में किसी का कोई भी बहाना नहीं सुनेगी।

1 मार्च 2020 को प्रतिक्षा और मोहित भी अपने हेडक्वार्टर पर छुट्टी के लिए आवेदन देते हैं, जिसे मंजूर कर लिया जाता है और उन दोनों की 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक की छुट्टी स्वीकृत हो जाती है।

मोहित और प्रतिक्षा दोनों अपनी शादी की तैयारियों में लगे हुए हैं। तभी कोरोनावायरस के कारण देश के प्रधानमंत्री 22 मार्च 2020 का एक दिन का जनता कर्फ्यू का एलान करते हैं। प्रतीक्षा और मोहित भी कर्फ्यू का पालन करवाने के लिए अपनी ड्यूटी पर उपस्थित रहते हैं। पर देश में कोरोना के मरीज न बढ़े एवं इसकी चेन को तोड़ने के लिए पूरे देश में 25मार्च से लॉकडाॅउन कर दिया जाता है और म.प्र. सरकार भी प्रदेश में एस्मा कानून लगा देती है।
इन्दौर जहां मोहित की पोस्टिंग है एवं उज्जैन जहां प्रतीक्षा पोस्टेड है, कोरोना के हाॅटस्पॉट बन जाते हैं। प्रतीक्षा और मोहित अपनी शादी को पोस्टपोन कर देते हैं कि अभी उनके देश को, उनके फर्ज को उनकी ज्यादा जरूरत है। शादी तो जिंदगी में फिर कभी हो जाएगी पर देश सेवा का ऐसा दूसरा मौका उन्हें शायद ही कभी दोबारा मिलेगा। प्रतिक्षा और मोहित दोनों अपनी-अपनी ड्यूटी मुस्तैदी से निभाने लग जाते हैं।

12 अप्रैल सुबह 7बजे आज प्रतिक्षा थोड़ी उदास है, वह मोहित को फोन करती है और उसको बताती है कि आज यदि हालात सामान्य होते तो हमारी मेंहदी एवं संगीत की रस्म होती, मेरे हाथों में तुम्हारे नाम की मेंहदी लगती, मोहित उससे कहता है ऐसे उदास मत हों अभी हमारे देश को, यहां के लोगों को, हमारे फर्ज को हमारी जरूरत है और शादी तो हमें करनी ही है ना चाहे दो दिन बाद या दो साल बाद उससे क्या फर्क पड़ता है। मोहित उससे कहता है कि उसे अभी एक बस्ती में कोरोना की टेस्टिंग के लिए डॉक्टर की टीम के साथ जाना है, वह शाम को उससे फोन पर बात करेगा तब तक तुम उदास मत होना और अपनी ड्यूटी पर ध्यान देना और अपना ख्याल रखना, प्रतिक्षा भी मोहित को अपना ध्यान रखने का कहती हैं और फोन रख देती है।

प्रतीक्षा भी अपनी ड्यूटी पर चली जाती है, पर आज उसका मन बहुत बैचेन रहता है, उसे कुछ भी अच्छा नहीं लगता। शाम को जब वह वापस आती है तो उसका फोन बजता है वह जल्दी से इस उम्मीद में फोन उठाती हैं कि शायद मोहित का फोन हो पर दूसरी तरफ़ की बातें सुन कर वह एकदम झटके से सोफे पर गिर जाती है और फोन उसके हाथ से छूट जाता है, जब उसके पिताजी उसकी यह हालत देखते हैं तो झट आकर उसको संभालते है और फोन भी रिसीव करते हैं।

फोन पर बात करने के तुरंत बाद प्रतीक्षा के पिताजी प्रतीक्षा को लेकर इंदौर के एक हाॅस्पिटल में आ जाते हैं जहां मोहित की हालत बहुत गंभीर होती है। मोहित के साथ वाले बताते हैं कि जब वह सुबह डाक्टर की टीम के साथ उस बस्ती में सर्वे करने गया था तब उस बस्ती के लोगों ने उनकी टीम पर पत्थरों से हमला कर दिया जिससे मोहित के सिर पर एक बड़ा सा पत्थर लगने के कारण गंभीर चोट आई है। प्रतीक्षा जैसे ही मोहित के पास पहुंचती है और उसका चेहरा अपने हाथों में लेती है उसके दोनों हाथ मोहित के खून से रंग जाते हैं और वह फिर वही सोचने लगती है कि इस समय उसके हाथों में मोहित के नाम की मेंहदी लगी होती। मोहित अपनी जिंदगी की जंग हार जाता है। प्रतीक्षा पुनः उन हमलावरों के दूसरे भाई-बहनों को बचाने के लिए अपनी ड्यूटी पर लौट जाती है।