Yun hi raah chalte chalte - 26 in Hindi Travel stories by Alka Pramod books and stories PDF | यूँ ही राह चलते चलते - 26

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यूँ ही राह चलते चलते - 26

यूँ ही राह चलते चलते

-26-

आज सब बेल्जियम की राजधानी ब्रूसेल्स में थे ।

‘‘सर यहाँ की भाषा क्या है’’ चंदन ने पूछा।

‘‘फ्रेंच इंगलिश और फ्लेमिश भाषा बोलते हैं यहाँ ’’ सुमित ने बताया।

‘‘ पर मैंने तो सुना था कि यहाँ की भाषा ब्रूसेल्वा है ’’ सचिन ने कहा।

‘‘ आप ने ठीक सुना बू्रसेल्वा यहाँ की स्थानीय भाषा है। ’’

‘‘सुना तो यह भी है कि यहाँ की स्टेला बीयर और चाकलेट भी प्रसिद्ध है’’ वान्या ने यशील को सुनाते हुए कहा।

उसका प्रयास व्यर्थ नहीं गया यशील ने सुना भी और सराहा भी । अब सब बेल्जियम का मुख्य केन्द्र टाउन स्क्वेअर जा रहे थे, वान्या यशील के साथ चल रही थी। वान्या ने कहा ‘‘ यशील आज मैं तुम्हारे बारे में जानना चाहती हूँ । ’’

‘‘ अरे आज तुम्हें क्या हो गया, मेरे बारे में सब जानती तो हो ’’यशील ने कहा।

‘‘ नहीं मेरा मतलब है तुम्हारा बैकग्राउंड क्या है, तुम्हारी फैमिली कैसी है उसमें कौन-कौन है वगैरह-वगैरह ’’ वान्या ने स्पष्ट किया।

‘‘ ओहो तुम तो अम्मा-दादी बन कर बात कर रही हो तुम्हारे पापा क्या हैं, खानदान क्या है ’’यशील ने कहा।

‘‘ नहीं मेरा मतलब है अब हम इतने पास तो आ चुके हैं कि एक दूसरे के परिवार के बारे में जाने और मेरे परिवार के बारे में तो तुम जानते ही हो अब मुझे भी अपने परिवार के बारे में बताओ ’’ वान्या ने कहा।

‘‘ ओ0के0 तो अब मेरी छानबीन की जा रही है कि कहीं मैं किसी माफिया गैंग का तो नहीं। वैसे मैं भी एक सम्मानित परिवार से हूँ ऐसा वैसा नहीं ’’ यशील ने गंभीर होते हुए कहा ।

‘‘डोन्ट मिसअन्डरस्टैंड मी ’’ वान्या बोली।

’’वैसे तुमको तो संकेत के बारे में जानकारी होगी ही अब मेरे लिये बेकार ही समय वेस्ट कर रही हो‘‘ यशील ने कहा।

वान्या उसके व्यंग्य को समझ गयी उसने कहा ’’ हमारे बीच में संकेत को लाने की जरूरत नहीं है वो हमारा पुराना फेमिली फ्रेंड है। ‘‘

’’ तो मैं कब कह रहा हूँ कि वो तुम्हारा दुश्मन है ‘‘ यशील ने थोड़ा चिढ़ते हुए कहा, फिर बोला वैसे भी मैं उसे बीच में नहीं लाया बल्कि वो हमारे बीच में आया है। ‘‘

’’ और अर्चिता के बारे में तुम क्या कहोगे जो पहले दिन से ही हमारे बीच में आती रही है ‘‘ वान्या ने तर्क किया। वान्या को अच्छा लगा कि यशील संकेत से ईर्ष्या कर रहा है, इसका अर्थ है कि अभी भी उसके लिये उसके मन में कहीं स्थान है उसकी आशा की बुझती लौ को तेल मिल गया था।

‘‘यार मैं तो चलते-चलते थक गया ’’ चंदन ने बीच में आ कर कहा।

वान्या औैर यशील की बात बीच में ही टूट गयी। वान्या को इस समय चंदन का आना खल गया, वह मन मसोस कर रह गयी।

चलते-चलते वो टाउन स्क्वेअर पहुँ च चुके थे।सुमित ने बताया कि यह व्यवसाय सामाजिक कार्यों का और आर्थिक समस्याओं के निवारण का केन्द्र है। टाउन-स्क्वेअर में अनेक बेकरी काफी शाप आदि थीं संजना, ऋषभ, सचिन और निमिषा एक पेस्ट्री की दुकान पर पहुँच गये।

रजत ने अनुभा से पूछा ‘‘क्या इरादा है हम लोग भी पेस्ट्री लें ?’’

‘‘ मिस्टर रजत ये अवसर छोड़ियेगा नहीं यहाँ जैसी पेस्ट्री चाकलेट आपको कहीं नहीं मिलेगी ’’ सुमित ने रजत से कहा। यह सुन कर रजत और अनुभा तुरंत पेस्ट्री लेने चल दिये। अभी वो पेस्ट्र्री ले ही रहे थे कि अर्चिता लगभग उछलती हुई वहाँ आयी। अनुभा को वहाँ पा कर उसने प्रसन्न वाणी में कहा ‘‘ आंटी प्लीज मुझे पहले पेस्ट्र्री ले लेने दीजिये। ’’

‘‘ क्यो नहीं, पर तुम्हे इतनी जल्दी क्यों है ?’’अनुभा ने अर्चिता के लिये जगह बनाते हुए पूछा।

‘‘ वो आंटी यशील को पेस्ट्र्री बहुत पसंद है न तो मैं उसे आफर करना चाहती हूँ। ’’

‘‘हाँ वो तो ठीक है पर यशील कहीं भागा तो नहीं जा रहा है कुछ देर बाद ही उसे दोगी तो क्या हो जाएगा?’’ अनुभा ने समझते हुए भी न समझने का नाटक करते हुए कहा।

‘‘नहीं आंटी वो बस ऐसे ही ’’ अर्चिता ने कहा।

‘‘ ऐसे ही नहीं ये कहो कि तुम्हे डर है कि कहीं वान्या तुमसे पहले उसे पेस्ट्री न खिला दे ’’ अनुभा ने उसे छेड़ते हुए कहा।

अर्चिता झेंप गयी और पेस्ट्री लेने लगी।

अर्चिता यशील के पास आयी और पेस्ट्री का डिब्बा खोलते हुए बोली ‘‘ मैं तुम्हारी फेवरेट पेस्ट्री ले रही थी और तुम आगे चल दिये ।’’

‘‘ सारी यार मुझे क्या पता तुम क्या कर रही हो वैसे मुझे पता होता कि तुम मेरे लिये पेस्ट्री ले रही हो तो सबको स्टैचू बोल देता सब फ्रीज हो जाते और कोई अपनी जगह से हिलता भी नहीं ’’ यशील ने मजाक किया।

‘‘ मुझे सब नहीं केवल तुम चाहिये ’’अर्चिता ने उसके मुँह में पेस्ट्री खिलाते हुए कहा।

‘‘ वाउ इतनी टेस्टी पेस्टी्र इसके लिये तो मैं जीवन भर इंतजार कर सकता हूँ ’’ यशील ने पेस्ट्री का स्वाद लेते हुए कहा।

‘‘ अच्छा तो आप पेस्ट्री के लिये इंतजार करेंगे मेरे लिये नहीं ’’अर्चिता ने बनावटी क्रोध दिखाते हुए कहा।

पेस्ट्री खाने के बाद यशील ने अर्चिता की आँखों में आँखें डालते हुए कहा ‘‘अर्चिता तुम क्या वास्तव में मुझे इतना पसंद करती हो?’’

‘‘ नहीं मैं तो केवल आपसे फ्लर्ट कर रही हूँ ’’अर्चिता ने यशील का देखते हुए कहा।

‘‘ नहीं तुमने अभी तक मेरे परिवार के बारे में कुछ नहीं पूछा न इसलिये पूछ रहा हूँ ।’’

अर्चिता ने कुछ न समझते हुए यशील को प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा।

तब यशील ने उसे बताया ‘‘नहीं मैं इसलिये पूछ रहा हूँ कि आज वान्या मुझसे मेरे घर परिवार के बारे में पूछताछ कर रही थी, मानों मैं कोई मुजरिम हूँ । कह रही थी कि तुम तो मेरे परिवार के बारे में सब जानते हो पर अपने परिवार के बारे में कुछ नहीं बताया।‘‘

वान्या की आत सुन कर अर्चिता के कान खड़े हो गये उसे वान्या का यशील में इतना रुचि लेना अच्छा नहीं लगा उसने यशील से पूछा ‘‘ उसे तो संकेत से मतलब होना चाहिये और उसके परिवार के बारे में तो वह जानती ही है’’ फिर रुक कर बोली‘‘ और क्या पूछ रही थी?’’

’’ कुछ नहीं वो कह रही थी कि संकेत उसका फैमिली फ्रेंड है बस ।‘‘

‘‘हुंह अगर फेमिली फ्रेंड है बस तो उसके पीछे-पीछे यहाँ तक क्यों आया?’’अर्चिता ने बहस की ‘‘ और क्या पूछ रही थी वो? ’’

‘‘अरे यही कि तुम्हारे परिवार में कौन-कौन है, अब तो मैं सोच रहा हूँ कि तुम भी कहीं मेरी विजिलेंस इन्क्वायरी न बैठा दो ’’ यशील ने कहा।

‘‘मैं ऐसी नहीं हूँ, जिस पर विश्वास करती हूँ पूरा करती हूँ और मुझे तुम अच्छे लगते हो इतना ही बहुत है मेरे लिये और मुझे कुछ नहीं जानना ’’अर्चिता ने यशील के पास आते हुए कहा, यशील से उसका हाथ हाथों में ले कर प्यार से दबा दिया।

यशील ने कहा‘‘ अरे यार अपनी बातों में हम पीछे ही रह गये। ’’

अर्चिता को भी सुध आयी वो दोनों उसी दिशा में तेजी से आगे बढ़े जहाँ सब गये थे ।

थोड़ी देर में वो भीड-भाड़ वाले क्षेत्र में पहुँच गये । दोनों इधर-उधर ढूँढ रहे थे पर भीड़ में अपने ग्रुप के लोगों में से कोई दिखाई नहीं दे रहा था। अर्चिता चिंतित हो गयी ‘‘ मेरी मम्मी तो पैनिक हो जाएंगी। ’’

‘‘ चिंता मत करो वो हमें छोड़ कर तो जाएँगे नहीं, यहीं कहीं होंगे’’ यशील ने सांत्वना दी।

‘‘ मिल गये मिल गये ’’ अर्चिता प्रसन्नता से चीखी।

उस कोने में एक नन्हे बच्चे की मूर्ति थी जो शू-शू (मूत्र विसर्जन)कर रहा था और उसी से फव्वारा बना था । सुमित बता रहे थे कि इस बच्चे की मूर्ति का नाम पीइंग-बाय या मैनेकिन-पिस है। यह बेल्जियम की पहचान है और विश्व प्रसिद्ध है।ं इस मूर्ति के सम्बन्ध में अनेक किवदंतियां हैं । एक किवदंती है कि एक राजा का बेटा खो गया और अंत में वह यह शू-शू करता मिला इस लिये राजा ने यह स्मारक बनवा दिया। इसी प्रकार एक कहानी है कि इस स्थान पर कोई जादुई शक्ति थी, वहा एक बच्चा आया तो वह शू-शू करते हुए मूर्ति बन गया।

कहानी चाहे जो हो पर इसका महत्व बेल्जियम में बहुत है और दूसरे देशों से हजारों लोग उसे देखने आते हैं और जो भी विशिष्ट अतिथि इस देश में आते हैं वो उसके लिये उपहार स्वरूप कपड़े दे जाते हैं। इस समय पीइंग-बाय के पास विभिन्न देशों से उपहार स्वरूप मिले लगभग 700 कपड़े हैं जिन्हे रोज बदल बदल कर उसे पहनाया जाता है।

बस फिर क्या था सभी उस पीइंग-बाय के आगे खड़े हो कर फोटो खिंचवाने में लग गये । उसी चैराहे से बायें जाने पर अनेक चाकलेट की दुकाने थीं ।सुमित ने एक विशाल दुकान के सामने ले जा कर बताया कि बेल्जियम की चाकलेट विश्व प्रसिद्ध है और मेरी सलाह है कि आप लोग कुछ तो अवश्य ही ले जाइयेगा।’’

उस दुकान पर बोल्स में तरह तरह की चाकलेट चखने के लिये रखी थीं जिससे जिसे जो पसंद हो वह उसी प्रकार की चाकलेट खरीद सके। इतनी चाकलेट देख कर क्या बड़े क्या बच्चे सभी चखने के लिये टूट पड़े कुछ ही देर में सब बोल्स खाली हो गये। चाकलेट थी हीं इतनी स्वादिष्ट कि सभी ने अपनी-अपनी सामथ्र्य अनुसार चाकलेट खरीदी।

यशील ने भी ढेर सारी चाकलेट खरीदी, अर्चिता ने तिरछी दृष्टि से देखा और मन ही मन प्रसन्न हो गई, उसे पूरा विश्वास था कि यषील ने चाकलेट उसे देने के लिये ही खरीदी हैं। उसे तो बस प्रतीक्षा थी कि यशील उसे दे पर संभवतः वह एकांत मिलने की तलाश में था।

सभी यात्री बेल्जियम के अन्य प्रसिद्ध स्थानों पर गये वहाँ एक म्यूजियम आफ फाइन आट्र्स भी है तथा एक 50 साल पुराना उच्च न्यायालय है जो 1900 का सबसे बड़ा स्मारक है।

मीना ने कहा ‘‘ सुमित जहाँ तक मुझे पता है बेल्जियम सबसे पुराना स्थापक है यूरोपियन यूनियन का ।’’

‘‘ जी हाँ आपको ठीक पता है, यही कारण है कि बेल्जियम एक महत्वपूर्ण देश है यूरोप का ’’ सुमित ने मीना की बातों का समर्थन किया।

इसके बाद बारी थी सेन माइकलस चर्च और पैगोडा जो रायल प्रापर्टी है देखने की। रामचन्द्रन ने कहा‘‘ बेल्जियम का ग्लास तो बहुत प्रसिद्ध है पर अभी तक तो हम लोगों ने नहीं देखा ।’’

सचिन ने कहा ‘‘ मैं पहले आ चुका हू, यहाँ तो ग्लास की पूरी इण्डस्ट्री है। सब लोग उस बाजार में बिखर कर अपनी-अपनी खरीदारी में व्यस्त थे।

सब आपस में अपना-अपना सामान एक दूसरे को दिखाने लगे। तब सुमित ने हँसते हुए कहा ‘‘ आप लोगों ने जो चमड़े का सामान खरीदा है वो पता है कहाँ से यहाँ आता है? ’’

‘‘ वो आता है अपने इण्डिया से, कुछ में लिखा नहीं होता पर कुछ में आप देखिये तो आपको लिखा हुआ भी मिलेगा’’ यह सुन कर जिसने भी वहाँ से चमड़े का सामान खरीदा था झेंप कर हँसने लगे।

अनुभा और रजत ने भी पर्स लिये थे।रजत ने कहा ‘‘ चलो कुछ भी हो हम तो यही कहेंगे कि हमने बेल्जियम से लिया। ’’

अनुभा ने भी स्वयं को आश्वस्त करने के लिये कहा ‘‘ वैसे यह भी सच है कि यह सामान भले अपने देश में बना हो पर हमें वहाँ नहीं मिलता, वहाँ का अच्छा सामान तो निर्यात हो जाता है ।’’

‘‘ और हमें लेने के लिये इतनी दूर आना पड़ता है ’’ऋषभ ने कहा और सब हँस पड़े।

थोड़ी देर में सब वापस कोच में बैठ गये और आगे की यात्रा पर निकल पड़े।

रास्ते में सुमित ने दूर से एक आकर्षक परमाणु आकार की इमारत दिखाई और बताया कि यह विश्वप्रसिद्ध एटोमियम है।

वास्तव में वह दस स्टील के गोलो के आकार को स्टील की नलियों से जोड़ कर बनाया परमाणु ही लग रहा थ जबकि वास्तव में वह गोले कक्ष थे और नलियाँ एक कक्ष से दूसरे में जाने के मार्ग थे। वर्ष 1958 में बेल्जियम में एक्सपो हुआ था तो उसमें बैठक के लिये अस्थायी रूप से परमाणु आकार का एक्सपो स्थल बनाया गया था पर बाद में अपनी लोकप्रियता के कारण इसे स्थाई दर्शनीय स्थल बना दिया गया और अब उन दस गोलों में से नौ गोलो में रेस्ट्र्रां हैं।

क्रमशः-----

अलका प्रमोद

pandeyalka@rediffmail.com