राशि पूरी रात इसी में बात में उलझी रही कि इतने लोगो के लिए क्या बनाए वो। अगली सुबह राशि जब नहा धोकर आई तो राशि मंदिर में हाथ जोड़कर ज्यो पलटी शकुंतला जी बोली-कितनी संस्कारी बहू है हमारी। राशि ज्यो पैर छुई तो आशीर्वाद देते हुए शकुंतला जी बोली, अरे बहू कल बताई थी ना आज घर पर कुछ मेहमान आ रहे है। तुमने क्य- क्या सोचा बनाने को। राशि बिल्कुल समझ नहीं पा रही थी कि अब क्या बोले वो सासु माँ से। उसने दो पल रुक कर बोला मम्मी आप बता दीजिए वही बना दूंगी।
शकुंतला जी ने शुरू किया खाने का मेन्यू बताना- सब्जी में दमालु, मटर-पनीर की सब्जी,पूरी,पुलाव,बूंदी का रायता,सलाद औरररर.... मीठे में तुम चाहो तो खीर बना लो या रहने दो मीठे में हमलोग रसगुल्ला चला देंगे बहुत सारा रखा हुआ है। जी राशि इतना सब सुनकर चौंक गयी, फिर सोची इतना चाहने वाला ससुराल मिला है। इतने लोग के खाना बनाने के लिए कम से कम दोनो ननद में से एक भी साथ रहेंगी तो सब झटपट हो जाएगा।
राशि किचन में गयी और सारे सामान ढूढने की कोशिश करने लगी। राशि सोचने पर मजबूर हो गयी कि कैसे वो इतना कुछ बनाएगी। राशि अभी सोची रही थी कि कैसे किसी को आवाज दू ,तभी राशि की ननद भावना किचन में आ गयी। भाभी क्या खोज रही हो आप। वो खाना बनाना है न तो वही सारा सामान ढूंढ रही। अच्छा हुआ आप आ गयी मुझे तो कुछ मिल ही नही रहा। ह्म्म्म क्योंकि अभी आप नई है ना भावना मुस्कुराते हुए बोली। और झट से सारा सामान उसने दो मिनट में रैक पर रख दिया । क्या क्या बनना है। राशि ने बताया उसकी ननद ने तुरन्त सारे सामान इकट्ठा कर निकाल दिया। और किचन से चलती बनी। हर कुछ मिनटों पर राशि की दोनो ननद आकर किचन के दरवाजे से पूछती अरे भाभी कोई काम हो तो बताइए,राशि के बिन जवाब सुने मुस्कुरा कर चल देती। राशि में ही मन सोचती की कैसा परिवार है। अगर इन लोगो को मेरी मदद ही करनी होती तो बिन पूछे ही मिलकर काम करा देती। लेकिन इन लोगो को तो फॉरमैलिटी करनी है। करते करते राशि लगभग सारे खाने बना चुकी थी,बस पूरी बेलने को था। तभी घर पर पतिदेव व्योम आ गया और राशि को अकेले किचन में देखकर अपनी बहनों से बोले अरे कम से कम अपनी भाभी का हाथ तो बटालो। भाई की बात सुनते ही दोनो बहनों ने एक सुर में कहा हमे तो बड़ी अच्छी भाभी मिली है जो कोई काम ही नही कराती। इतनी प्यारी भाभी किसको मिलने वाली। ये सब सुन राशि दुखी हो गयी कि कैसी बहने है जो भाई के आगे भी मुकर गयी।
सबको अब बस खाना - खाने की बारी थी,और राशि की दोनो ननद सबको सर्व करती गयी; सभी लोग खाने की तारीफ कर रहे थे। इधर राशि किचन में खड़ी खड़ी बिल्कुल थक चुकी थीं। उसे अब सिर्फ़ बैठने की इच्छा थी। लेकिन कहा आसान होता है ये सब ससुराल में,उन्ही बीच बीच मे कभी मासी ,चाची,कभी कोई कभी कोई आ ही जाता और उन्ही बीच में सबका पैर छूना सबकुछ एक आजाद घर की लड़की के लिए मुश्किल होता जा रहा था। आखिरकार ,किसी तरह वक़्त बीतता गया,सासूमाँ बड़ी खुश की उनकी बहू की तारीफ हुई। लेकिन बहू की स्थिति का अंदाजा महज सिर्फ और सिर्फ राशि ही लगा सकती थी कि वे कितनी थक चुकी हैं। इस समय राशि को बिस्तर की याद आ रही थी। सासूमाँ ने राशि को 501 थमाते हुए बोला तुम्हारा नेग बहू। राशि को लगा कि जैसे महराजिन को घर पर पैसे मम्मी दिया करती थी,आज ठीक वैसे ही उसे उसकी सास ने उसे दे दिया। सबके जाने के बाद राशि थोड़ा बहुत खाना खाकर अपने कमरे में चली गईं। बिस्तर पर पड़ते उसके आंखों से आँसू छलक गए। कैसा परिवार है। फोन उठाकर देखी तो घर से छः मिस्डकॉल पड़े हुए थे। उसने फोन मिलाकर बात किया। सबका हालचाल लेकर रख दी। राशि समझ चुकी थी जिंदगी की असली राह ससुराल है, जहाँ हजारो लोग के होते हुए भी अकेली हूं। सोचते सोचते कब सो गई उसे पता ही ना चला।