Yaari 4 in Hindi Short Stories by Prem Rathod books and stories PDF | यारी - 4

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यारी - 4

हम सब के मना करने के बावजूद भी रघु ने पानी में छलांग लगा दी, कुछ देर तक रघु पानी से बाहर नहीं आया। हम सब लोग वहीं पर देख रहे थे,पर वहां पर कोई हलचल नहीं हुई,हमें चिंता हो रही थी कि आखिर उसे कुछ हो तो नहीं गया।

'तुम सब वहांं क्या देख रहे हो?' हम सब ने पीछे मुड़कर देखा तो रघु हमारेेे पीछे खड़ा था।
'तुम यहां पर कैसेेे? तुमने तो वहां पर छलांग लगाई थी' यह सुनकर वह हंसने लगा
'अरे यह सब तो आम बात है.... हमारी ट्रेनिंग के दौरान इससे भी ऊंचे और गहरेे पानी में मैंने छलांग लगाई है'यह मैंनेे वहीं पर सीखा
हम करीब 2 घंटे तक वहांं नहाते रहे।आखिरकार में थक कर किनारेे पर आकर लेट गया। मैंने अपनी नजरें आसमान की तरफ की और सोचने लगा की दोस्तों के साथ वक्त का पता ही नहीं चलता,इन सब के साथ बिताया हुआ हर एक पल यादगार बन जाता है, पर यह खुशी जैसे एक-दो दिन की है उसके बाद वह यहां सेे चले जाएंगे।

मैं यह सब सोच रहा था तभी केतन पानी से निकलकर मेरेेेेे पास आते हुए दिखाई दिया। वह मेरेेे पास आकर बैठ गया,उसने मेरी तरफ देखा तो मैं अपना सिर आसमान की तरफ करके कुछ सोचने में लगा था।
'क्या सोच रहा है?'
उसकी आवाज सुनकर मैं होश में आया 'क्या?कुछ नहीं' मैंने उसकी तरफ देखते हुए कहा। वह एक पल के लिए मेरी तरफ देखता रहा।
'देख भाई मैं जानता हूं कि तू क्या सोच रहा है,यही ना कि एक-दो दिन में यहां से चले जाएंगे।पर एक बात कहूं आगे क्या होने वाला है उसके बारे में ना तू जानता है और ना मैं, तो फिर आगे के बारे में सोच कर क्यों उदास हो रहा है।वैसे भी तूू ही कहता था ना कि Live in Present तो फिर आगे की बारे में सोच कर इन लम्हों को क्यूं गवां रहा है? enjoy कर ईन लम्हों को'

उसकी बात सुनकर एक पल के लिए तो मैं सोच में पड़ गया कि इसे कैसेे पता चल गया कि मैं क्या सोच रहा हूं वैसे भी किसी ने सही कहा है सच्चे दोस्त्त बिना कहीं दिल मेंं छुपी हर बात समझ जाते हैं।
'तू ने सही कहा मैं बेकार में ही यह सब सोच रहा था' हम दोनों बातें कर रहे थे कि तभी सब लोग एक केे बाद एक किनारेेेे पर आकर बैठ गए।
'वाह यार मजा आ गया पूरी बॉडी रिलैक्स हो गई' ओम ने मेरी तरफ देखते हुए कहा। थोड़ी देर हम लोग किनारे पर लेट कर वहां के नजारे देखने लगे, तभी Abhi ने खड़े होते हुए कहा।

'ठीक है चलो अब शाम हो गई है, थोड़ी देर में अंधेरा हो जाएगा और वैसे भी हम सब बिना बताए घर से निकल गए हैं.... और हां एक और जरूरी बात रात का Dinner मेरे घर पर है इसलिए सब लोग 8:00 बजे से पहले वहां पहुंच जानाा'
हम सब अपनी अपनी बाइक लेकर घर की तरफ निकल पड़े। मैं घर आ कर नहा धोकर बेड पर लेट गया।आज के दिन के बारे में सोचते सोचते कब मेरी आंख लग गई मुझे पता ही नहीं चला।जब नींद खुली तो देखा कि 7:00 बज रहे थे मैंने जल्दी से कपड़े बदले और Abhi के घर की तरफ चल पड़ा।
वहां जाकर देखा तो हम सब के पापा और सर आंगन में बैैठक बातें कर रहेे थे। पूरा आंगन पहले जैसा साफ कर दिया था, पर कुछ जगह पर अभी भी रंग के निशान थे ,जैसेे किसी न दीवार पर पेंटिंग की हो। मैं अंदर पहुंचा तो देखा हम सबकी मां खाने का इंतजाम कर रही थी तभी Abhi और बाकी सब ऊपर सीढ़ियों से आते हुए दिखाई दिए।

'तू आ गए तुम'Abhi ने मेरी तरफ देखते हुए कहा।
'हां यार वह थकान की वजह से आंख लग गई थी' तभी कीर्ति अंदर आती हुई दिखाई दी, पर कीर्तन को देखकर उसने अपना मुंह दूसरी तरफ कर दिया और अंदर किचन की तरफ चली गई।
'इसे क्या हुआ यह ऐसे क्यों Behave कर रही है तुम दोनों में कुछ हुआ है क्या?' मैंने केतन की तरफ देख कर कहा।
'मुझे भी नहीं पता कि इसे आखिर इससे क्या हुआ है?' इतना कहकर वह कुछ सोचने लगा 'तुम लोग रुको मैं थोड़ी देर में आता हूं' यह कहकर वह बाहर जाने लगा श,अभी खाना खाने में थोड़ा टाइम बाकी था।
'कहां पर जा रहे हो?'
'मैं बस थोड़ी देर में आता हूं,कुछ काम याद आ गया है खाने से पहले पहुंच जाऊंगा' इतना कहकर केतन अपनी बाइक लेकर निकल गया और हम लोग होल में बैठकर आपस में बातें करने लगे।
'अच्छा कल सुबह मैं यहां से वापस शहर चला जाऊंगा' Abhi ने मेरी तरफ देखकर कहा।
क्या 'पर क्यों? इतनी जल्दी थोड़े दिन और नहीं रुक सकते?'
'हां मैं भी कल सुबह वापस चला जाऊंगा' प्रकाश ने भी अपनी बात कही
'अब तुम भी'उनकी बात सुनकर में कुछ देर तक शांत बैठा रहा 'अच्छा ठीक है कोई बात नहीं,पर हां मैं कल तुमसे नहीं मिलने वाला'
'पर क्यों? क्या तुम कल सुबह मुझे छोड़ने नहीं आओगे?' Abhi ने चौक ते हुए कहा।
'नहीं मैं नहीं आऊंगा..... मेरी मर्जी?'
हम सब बातें करने में लगे थे कि तभी सर हमें खाना खाने के लिए बुलाने आ गए। हम सब डाइनिंग टेबल पर जाकर बैठ गए।वह इतना बड़ा था कि 10-12 लोग आराम से बैठ सकते थे,तभी हमें बाइक की आवाज सुनाई दी।मुझे पता चल गया कि जरूर केतन आया होगा। मैं सही था केतन ही था,पर उसके साथ कोई और भी था। जैसे ही वह घर में एंटर हुआ हम सब लोग अपनी जगह से खड़े होगे।
केतन के साथ कीर्ति की मां थी। उन्होंने सफेद साड़ी पहन रखी थी, उनके हाथों में ना तो कंगन, सिंदूर और ना ही गले में मंगलसूत्र था। उनको देखकर हमें यह बात समझ में आ गई की कीर्ति के पिता गुजर चुके थे। हम सबके लिए यह एक बहुत बड़ा झटका था क्योंकि इस बार के बारे में हम में से किसी को पता नहीं था।हम में से कोई कुछ नहीं बोल रहा था। केतन ने कीर्ति की मां को एक सोफे पर आकर बिठा दिया।
तभी कीर्ति किचन में से दौड़ती हुई आई और अपनी मां के पास आकर बैठ गई।उसने अपनी मां की तरफ देखकर कहा।
'मां तुम यहां कैसे? क्यों आई तुम यहां पर? मैंने तुम्हें मना किया था ना?'
'माफ करना बेटा मैं केतन को मना नहीं कर सकी,उसने मुझे अपने साथ आने के लिए कसम दी थी' इतना बोलते हुए उनकी आंखों से आंसू निकल आए।
कीर्ति ने केतन की तरफ देखा, जो गुस्से में उसे देख रहा था इसलिए उसने अपना चेहरा झुका दिया।
'आज होली के दिन हम सभी के मां बाप यहां आए हुए थे पर मैंने कही आन्टी को नहीं देखा। मुझे तभी शक हो गया था,पर मुझे लगा कि शायद ये मेरे मन का वहम होगा क्योंकि ऐसा होता तो तुमने किसी को तो बताया होता पर अब पूछना तो मुझे भी बहुत कुछ है आखिरकार क्या सोचकर उसने ऐसा किया कि तुम ने? केतन' गुस्से में आकर अभी कीर्ति से कुछ बोलने ही वाला था कि तभी कीर्ति दौड़ते हुए ऊपर की तरफ चली गई 'रुक जाओ कीर्ति अभी मेरी बात खत्म नहीं हुई है'इतना बोल कर वह उसके पीछे जाने वाला था कि तभी कीर्ति की मां ने उसे रोक दिया।

'रुको बेटा ऐसा कुछ मत करना। उसने पहले ही बहुत कुछ सहा है।मैं तुम्हें बताती हूं कि उसने ऐसा क्यों किया? दरअसल यह बात 4 साल पहले की है। हमारे यहां से जाने के बाद सब कुछ अच्छा चल रहा था। कीर्ति के पापा अपने एक दोस्त के साथ नया बिजनेस शुरू करने वाले थे,पर एक रात उनका दोस्त कीर्ति के पापा के नाम पर पैसे लेकर भाग गया।उन्होंने धोखे से एक कागज पर उनके सिग्नेचर ले लिए थे।जिसमें लिखा था कि उसकी ली हुई रकम 1 महीने के अंदर हम नहीं चुका पाए तो कर और प्रॉपर्टी पर उनका हक होगा।
हमारे पास इतने पैसे नहीं थे कि 1 महीने में हम 40 लाख रुपयों का इंतजाम कर सके।यह किसी Middle Class आदमी के लिए यह एक बहुत बड़ी रकम होती है, इसी टेंशन में जब एक दिन वह कर लौट रहे थे तो रोड पर उनका एक्सीडेंट हो गया और उनकी वहीं पर मौत हो गई,हमारा घर भी हमसे छीन लिया।यह सब कीर्ति बर्दाश्त नहीं कर सकी और डिप्रेशन में चली गई। उसकी हालत बहुत खराब थी। वह अकेले एक कोने में दिन भर बैठी रहती और बस रोया करती थी। रात में अचानक से उठकर बहुत रोने लगती थी। उसने तुमसे और किसी को भी यह सब बताने के लिए मना किया था। मेरी एक दोस्त जो USA में रहती थी,उसने कहा कि यहां पर उसका इलाज हो सकता है इसलिए हम वहां चले गए। वहां पर 2 सालों तक उसका इलाज चलता रहा।पर ठीक होने के बाद ये वो कीर्ती नहीं रही थी। जो हमेशा खुश रहती थी,मुस्कुराती रहती थी,उसका बचपना तो जैसे कहीं खो सा गया था। किसी से बात किए बिना अकेले ही बैठी रहती थी मुझे लगा कि यहां पर तुम सब से मिलने के बाद वह ठीक हो जाएगी इसलिए हम यहां वापस आ गए।'
उनकी बात सुनने के बाद हम सबकी आंखें भर आई। केतन तुरंत ऊपर की तरफ दौड़ पड़ा,उसने ऊपर के सभी कमरों में देखा, पर कीर्ति वहां नहीं थी। इसलिए वह टेरेस की तरह भागा। उसने ऊपर जाकर देखा तो कीर्ति एक जगह पर बैठ कर रो रही थी। वह उसके पास पहुंचा उसने कीर्ति के चेहरे को पकड़कर अपनी तरफ किया और कहा 'क्यों?....आखिर क्यों?...तुमने मुझे कुछ नहीं बताया?....क्यों तुम सब कुछ अकेले ही सहती रही?...क्या तुम मुझे इस काबिल भी नहीं समझती? बीच में जब तुम्हारे फोन या मैसेज नहीं थे तब पता है,मैं कितना परेशान हो गया था। एक बार कह दिया होता बस एक बार.....सब कुछ छोड़ कर मैं तुम्हारे पास आ जाता'
केतन की बात सुनकर वो उससे लिपट गई और बहुत रोने लगी।जैसे उसने सब कुछ कई सालों तक अपने दिल में दबा रखा था अब वह आंसू बनकर उसकी आंखों से छलक पड़ा।केतन ने भी उसे रोने से नहीं रोका, कुछ देर बाद वह थोड़ी शांत हुई और उसने बोलना शुरू किया।
'मुझे पता था कि मैंने अगर तुम्हें बताया तो तुम जरूर कुछ ऐसा ही करोगे। तुम सब की नई जॉब लगी थी, मैं नहीं चाहती थी कि मेरी वजह से तुम्हारी और सब के Carrier में रुकावट आए।इसलिए मैंने मां को तुम सबको बताने के लिए मना कर दिया था'
'मुझे तुम्हें अकेला नहीं छोड़ना चाहिए था.....नहीं छोड़ना चाहिए था तुम्हें अकेला.... अब चाहे जो कुछ भी हो मैं तुम्हें कभी अपने से दूर नहीं जाने दूंगा' इतना बोल कर केतन ने उसे कस कर पकड़ लिया।दोनों कुछ देर तक ऐसा ही खड़े रहे। आखिरकार कीर्ति शांत हो गई, उसने रोना बंद कर दिया था।
'केतन...' तभी पीछे से सर की आवाज सुनाई दी और केतन ने पीछे मुड़कर देखा। सर ने उन दोनों के पास आते हुए कहा।
'पिछले कुछ सालों में इसने बहुत कुछ सहा है, मैं इसके हिम्मत की दाद देता हूं, पर अब इसे जरूर है किसी के साथ की,एक दोस्त की और एक हमसफर की जो उसका हमेशा ख्याल रखें। मुझे पता है कि तुम दोनों कॉलेज के दिनों से एक दूसरे से बहुत प्यार करते हो,यह बात तुम दोनों भी जानते हो तुम दोनों भले ही एक दूसरे को ना बताओ फिर भी यह बात पता चल जाती है क्योंकि यह तुम दोनों की आंखों में दिखता है, मुझे पूरा यकीन है कि तुम इसका ख्याल रखोगे।'
सर की बात सुनने के बाद केतन ने कीर्ति की तरफ देखा तो उसने अपना चेहरा शर्म से झुका लिया था,वह नीचे देख कर मुस्कुरा रही थी।यहां आने के बाद कितने समय बाद केतन ने उसे मुस्कुराते हुए देखा था। उसे इस तरह से हंसते हुए देखकर वह भी मुस्कुराने लगा। केतन उसके पास गया तो कीर्ति ने अपना चेहरा ऊपर की तरफ किया। चांद की शीतल चांदनी में उसका चेहरा ओर भी खूबसूरत लग रहा था। केतन ने उस से पूछा 'शादी करोगी मुझसे?'
यह सुनकर उसने अपनी गर्दन हमें हिलाई और केतन के गले लग गई।सर उन दोनों को देख कर मुस्कुरा रहे थे, तभी हम सब टेरेस पर पहुंच गए।
'ओहोहो...जरा देखो तो हमारे दूल्हे को..How Romantic' मेरी बात सुनकर सभी हंसने लगे।हमारी आवाज सुनकर कीर्ति का ध्यान हम सब की तरफ गया। हम सब को देखकर वह केतन से अलग हुई और नीचे की तरफ चली गई। केतन भी उसके पीछे-पीछे चला गया।
हम सब सर के साथ नीचे आए तो, हमने देखा कि कीर्ति अपनी मां के पास बैठी हुई थी। उसकी मां को कीर्ति को इस तरह से हंसते देखकर बहुत खुश हो रही थी।पर उन्हें यह समझ नहीं आ रहा था कि आखिरकार कीर्ति शर्मा क्यों रही है तभी सर कीर्ति के मां के पास आए और उन्होंने कहा
'बहन जी कीर्ति को मैंने कॉलेज के दिनों से अपनी बेटी की तरह माना है और उसका बेटी की तरह ख्याल रखा है।इस नन्ही सी बच्ची ने इतनी कम उम्र में बहुत कुछ सहा है, इसलिए मैं जो कुछ भी करूंगा इसके भले के लिए ही करूंगा। क्या आपको इसकी और केतन की शादी से कोई एतराज है?'
सर की बात सुनकर कीर्ति की मां ने हंसकर कहा 'मुझे पहले से ही पता है कि कीर्ति केतन से बहुत प्यार करती है, केतन को भी मैं अच्छे से जानती हूं,वह बहुत अच्छा लड़का है और मेरा मां की तरह आदर करता है इसलिए एक बेटे को पाकर किस मां को खुशी नहीं होगी। मुझे इस शादी से कोई एतराज नहीं है'
'yaaahooooo....'तभी हम सब शोर मचाते हुए नीचे आए। सभी लोग हम सबको देखकर हंसने लगे। हम सभी लोग इस बात से बहुत खुश थे कि सब कुछ ठीक हो गया था। सब लोगों के चेहरे पर मुस्कान थी जैसे चारों तरफ खुशियां ही खुशियां बिखरी हुई हो। केतन कीर्ति की मां के पास आकर बैठ गया और उनसे कहा 'आप दोनों ने पिछले कुछ सालों में बहुत दुख और अकेलापन महसूस किया है, क्या आप हमारे साथ हमारे घर रहना पसंद करेंगी?' केतन की बात सुनकर कीर्ति की मां ने उसके चेहरे पर हाथ फेर दिया।
'तो क्या तू बारात लेकर गोल गोल घूम कर अपने ही घर वापस आएगा' Abhi की बात सुनकर हम सब लोग हंसने लगे 'यह मेरी बहन है भाई शादी तक यह हमारे साथ ही रहेंगी'
'आंटी अब आपको लड़की ढूंढने की जरूरत नहीं पड़ेगी' प्रकाश ने केतन की मां के पास आकर कहा।
'तुमने बिल्कुल सही कहा मेरी तो पहले से यही तमन्ना थी कि कीर्ति ही मेरी बहू के रूप में मेरे घर आए।मुझे तो बहू के रूप में एक बेटी मिल रही है'आंटी कीर्ति को पहले से जानती थी और उसे पसंद कर दी थी बल्कि उनकी तो पहले से यही इच्छा थी कि कीर्ति ही उन्हें बहू के रूप में मिल जाए और आज जैसे उनकी यह तमन्ना पूरी हो गई थी।
'अच्छा चलो अब चल कर खाना खा लेते हैं' सर ने सब को देखते हुए कहा क्योंकि इन सब बातों में हम भूल ही गए थे।हम सब खाना खाने के लिए बैठ गए। कीर्ति सब को खाना surf कर रही थी,मैंने केतन की तरफ देखा और कहां 'लगता है आज तो भाई का मन डबल खाने का होगा क्योंकि कीर्ति का परोसा हुआ खाना यह छोड़ सकता है भला' मैंने कीर्ति की तरफ देखा और कहां 'सुनाओ भाभी जी मेरा मतलब कि कीर्ति इसको दो रोटी ज्यादा देना' मेरी बात सुनकर वह हंसते हुए किचन में चली गई। यूं ही हंसी मजाक करते करते हम सब ने खाना खा लिया।
हम सब के पापा बाहर टहलने के लिए निकल पड़े, सब की मॉम किचन में काम कर रही थी और हम सब टेरेस पर बैठकर बातें कर रहे थे।
'सिर्फ होली के लिए यहां आए थे पर अब तो भाई की शादी फिक्स हो गई' प्रकाश ने केतन की तरफ देख कर कहा,उसके जवाब में वह बस मुस्कुरा दिया।
'वैसे एक बात तो अच्छी है कि शादी की तैयारी में Photographer और DJ वाले का खर्चा बचेगा क्योंकि वह दोनों तो यही मौजूद है' Abhi ने ओम और ध्रुविल की तरफ देख कर कहा।
'वैसे केतन मुझे तुम्हें एक बात पूछनी थी,तुम क्या कल शहर वापस जा रहे हो?' मैंने क्या तन की तरफ देखकर पूछा।
'नहीं यार अब मैं वापस नहीं जाऊंगा,यही नजदीक में किसी भी कंपनी में मुझे जॉब मिल जाएगी और हमारे ट्यूशन क्लास में भी Account का Subject लेने के लिए सर मुझे बोल रहे थे।साथ ही मैं अपने C.A के Tution भी स्टार्ट करने के बारे में सोच रहा हूं'
Wow... That's Great Yaar....'
'वैसे तुम दोनों तो कल वापस जा रहे हो ना?' केतने Abhi और प्रकाश की तरफ देखकर कहा। जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि वह कल सुबह तक निकल जाएंगे। कुछ देर बातें करने के बाद हम सब अपने अपने घर की तरफ चल पड़े। रात को मैंने घर पहुंच कर सुबह 9:00 बजे का अलार्म लगा दिया, मैं अभी और प्रकाश से नहीं मिलना चाहता था क्योंकि जब भी मैं उन्हें छोड़ने जाता था उसके बाद मेरा किसी काम में मन नहीं लगता था,बस उन सब के बारे में सोचता रहता था। वैसे मैं एक बात से खुश था क्योंकि केतन यहां रुकने का फैसला कर लिया था।
सुबह मैं 9:00 बजे उठा और नहा धोकर 10:30 बजे बैंक की तरफ निकल पड़ा ।किसी भी तरह मैंने अपना मन काम में लगाए रखा,मैंने सोचा कि अब तक तो वह दोनों चले गए होगे, शाम के 6:00 बजे वापस घर आया और जैसे ही अपने रूम में enter हुआ कि तभी मेरा फोन बजा। मैंने मोबाइल की स्क्रीन पर देखा तो Abhi का नाम था,इसलिए मैंने फोन कट कर दिया।थोड़ी देर बाद दोबारा मेरा फोन बजा अब मैंने देखा तो प्रकाश का कॉल आ रहा था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि यह दोनों बारी बारी फोन क्यों कर रहे हैं कुछ देर तक ऐसा चलता रहा उसके बाद उनका फोन नहीं आया। अभी थोड़ी देर ही हुई थी कि तभी चेतन का फोन आया और मैंने उसे रिसीव किया
'हां केतन बोल क्या बात है?'
'सुन तुझे आज रात को मेरे घर पर Dinner कर ले आना है'
'पर क्यों?..... ऐसे अचानक'
'अचानक से तेरा क्या मतलब है? क्या मैं अपने दोस्त को खाने के लिए इनवाइट भी नहीं कर सकता? तुझे मेरे मां के हाथ का खाना पसंद नहीं है क्या?'
'नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है'
'तो बस 8:00 बजे पहुंच जाना' इतना कहकर उसने फोन कट कर दिया मैं सोचने लगा कि अचानक केतन ने खाने के लिए क्यों बुलाया है? मैंने मां को खाना बनाने के लिए मना कर दिया और केतन के घर की तरफ चल पड़ा। मैं उसके घर में एंटर हुआ।किचन में कीर्ति उसकी मॉम और आंटी तीनों खाना बना रहे थे। मुझे देख कर वह तीनों मुस्कुराने लगे तभी केतन के कमरे से प्रकाश अभी और केतन तीनों बाहर निकले। मैं उन्हें देख कर चौंक गया।मुझे तो लगा था कि अभी और प्रकाश सुबह दोनों वापस चले गए होगे।यह दोनों यहां क्या कर रहे हैं?
'क्यों भाई हम दोनों का फोन क्यों नहीं उठा रहा था?'
'पहले तो तुम दोनों यह बताओ कि तुम दोनों यहां क्या कर रहे हो?तुम दोनों तो सुबह वापस जाने वाले थे ना?' मेरी बात सुनकर वह दोनों हंसने लगे।
'तुझे याद है मैंने तुझसे कहा था कि आगे क्या होने वाला है यह किसी को नहीं पता' केतने मेरी तरफ देख कर कहा 'हम तीनों ने पहले ही डिसाइड कर लिया था कि इस बारे में तुझे Surprise देंगे'
'मैंने अपने Transfer के लिए पहले ही Apply कर दिया था और उन्होंने मेरे काम को देख कर उसे मंजूर कर दिया। अब मैं यहां का काम संभालने वाला हूं और वैसे भी इस शहर को छोड़कर मैं कहीं ओर कैसे जा सकता हूं....'अभी ने मुस्कुराते हुए कहा।
'मेरा बिजनेस वहां तो अच्छा चल ही रहा था तो क्यों ना मैंने सोचा उसे थोड़ा और बढ़ाया जाए, इसीलिए मैं यहां पर भी Caffe और होटल खोलने वाला हूं' प्रकाश ने Abhi के सामने देखकर कहा।
मेरे लिए यह किसी सपने से कम नहीं था।मैं सीधे जाकर उन दोनों के गले लग गया। मेरी आंखों से आंसू की बूंदे निकल आई 'शुक्रिया दोस्तों तुम नहीं जानते कि तुमने मुझे कितनी बड़ी खुशी दी है सच में यह होली का त्यौहार मुझे हमेशा याद रहेगा'
'चलो अभी emotional drama बहुत हो गया चलो चल कर खाना खा लेते हैं'केतन के कहने पर हम सब खाने के लिए बैठ गए। कीर्ति केतन के बाई तरफ बैठी थी और उसके सामने हम तीनों बैठे हुए थे। दोनों खाना खाते हुए एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे। अभी ने उन दोनों को देख लिया, उसने अपना फोन निकाला और "पल पल दिल के पास.." सॉन्ग टेबल के नीचे प्ले कर दिया उसे सुनकर कीर्ति शर्मा गई और हम सब उसे देख कर हंसने लगे।
'क्या यार अभी..... ठीक से खाना तो खाने दें और तेरी शरारत है अब पहले से बहुत बढ़ गई है'चेतन ने अभी से कहा
'तो मैंने कब मना किया......पर खाने के बीच यह रोमांस......यह मौका में कैसे छोड़ देता' इतना सुनकर हम सब हंसने लगे।
मैं मुस्कुराते हुए इन सब को देखे जा रहा था। यह छोटी सी नोकझोंक, यह शरारत, यह मस्ती के पल और इन सब का बहुत सारा प्यार। दुनिया की सब दौलत इसके पास कम है।यही है मेरी छोटी सी दुनिया, मेरी फैमिली। वाकई में क्या कमाल की है ये "यारी"

Relationship Don't need promises terms and conditions,it just need some people who can trust and understand you.

यह प्यार की मस्ती किसी दुकान में नहीं बिकती
दोस्तों की दोस्ती हर किसी को नहीं मिलती
मैथिली सदा इन दोस्तों को दिल में सजा कर
क्योंकि इन यारों की यारी किसी गैरों से नहीं मिलती