Yun hi raah chalte chalte - 25 in Hindi Travel stories by Alka Pramod books and stories PDF | यूँ ही राह चलते चलते - 25

Featured Books
Categories
Share

यूँ ही राह चलते चलते - 25

यूँ ही राह चलते चलते

-25-

उसके बाद उनका काफिला पेरिस के नेशनल म्यूजियम गया जो विश्व में सबसे बड़ा है और यू आकार का है । इसके अतिरिक्त उन्होने नास्टरडम चर्च भी देखा ।रास्ते में गोल्डेन फ्लेम दिखाई दिया, जो अमेरिका की स्टेचू आफ लिबर्टी का रेप्लिका है । सुमित ने बताया कि जहाँ पर गोल्डेन फ्लेम है उसके ठीक नीचे बनी टनेल में ब्रिटिश की राजकुमारी, लेडी डायना की दुर्घटना हुई थी। यह सुन कर सभी लेडी डायना के एक्सीडेंट की चर्चा करने लगे।

कोई पत्रकारों को दोषी मान रहा था जिनके पीछा करने के कारण डायना ने इतनी तीव्र गति से गाड़ी भगायी कि दुर्घटना और मृत्यु का शिकार हुई। तो कुछ विषेषकर पुरुष वर्ग उसके अपने मित्र के साथ होने पर उस पर उंगली उठा रहे थे तो कुछ प्रिंस चाल्र्स को डायना से विमुख होने को डायना की मृत्यु का मूल कारण मान रहे थे। कारण जो भी हो लोकप्रिय डायना की असामयिक मृत्यु पर सभी एकमत से दुखी थे।

राह में ओपेरा हाउस पड़ा जो 135 वर्ष पुराना है तथा नेपोलियन के ताज के आकार का बना है । ओपेरा हाउस के दाहिनी ओर ला ग्रैंड होटल है जहाँ उद्योगपति लक्ष्मी मित्तल की बेटी की शादी हुई थी । पेरिस में विद्युत आर्कीटेक्ट द्वारा इस प्रकार लगायी गयी हैं कि इसका अद्भुत प्रभाव दिखाई देता है तभी तो उसको डेम्यूर कहते हैं ।

सुमित रास्ते में बताते जा रहे थे कि पेरिस 2000 वर्ष पुराना शहर है जहाँ फ्रांस की 65 मिलियन में से 10 मिलियिन लोग यहाँ रहते हैं । यहाँ नेपोलियन के महल में संग्रहालय है जहाँ विश्व प्रसिद्ध मोनालिसा की पेंटिंग रखी है । पेरिस में लगभग 50 थियेटर हैं।

रास्ते में एक शीशे का पिरामिड पड़ा जो 201 वर्ष पुराना है वो 1989 में बना था और लाऊवर संग्रहालय से घिरा है और आई एम पाई द्वारा डिजाइन किया गया है । लाऊवर संग्रहालय सीन नदी के दाहिने तट पर है।

अगले दिन सबको मोटर बोट से सीन नदी की सैर करायी गयी।नदी 700 किमी लम्बी है और उस पर 75 पुल है नदी में मोटर बोट से सबने पुनः एक बार पूरे पेरिस की सैर की ।नदी के दोनो ओर नास्टरडैम चर्च हाई कोर्ट, लक्समबर्ग विष्ववि़़द्यालय, 2003 में बनी केवल ग्रैंड डची यूनीवर्सटी, पुलिस हेड क्वार्टर, फे्रच लैगवेज ऐकेडमी दिखाई दी।पेरिस में 20 जिले हैं प्रत्येक के अपने मेयर और टाउन हाल हैं ।

पेरिस प्राचीन धरोहरों का समृद्ध भंडार है।19 वीं शताब्दी की कला कृतियां आर्से सं्रग्रहालय में हैं पार्लियामेंट जो 1768 में बनी हैेे। वहाँ नेपोलियन श्राइन है जहाँ नेपोलियन को 5 मई 1821 में दफनाया गया है। सुमित ने बताया कि नेपोलियन को पहले 1815 तक जेरेलियम में दफनाया गया जहाँ वह निर्वासित था फिर लुई फिलिप के कहने पर पेरिस लाया गया। फिर 1840 में सन्त जिरोम चैपल में लाया गया फिर 1861 में टाम्ब बनने पर यहाँ दफनाया।उस की क्रब्र हरे ग्रेनाइट पर लाल पत्थर से बनी है । उसके भाई और बेटे को भी पास में ही दफनाया गया है ।

सुमित ने पूछा ‘‘कोई बता सकता है कि नेपोलियन की श्राइन का डोम किसका प्रतिनिधित्व करता है ?’’

सब चुप रहे तब उसने बताया ‘‘ 1715 में डोम को बाहर से सुनहरा बनाया गया जिसमे सैनिक के हेलमेंट तलवार को प्रतिनिधित्व होता है और नेपोलियन ने 1804 से 1816 तक राज्य किया ।’’

राह में सुमित ने रिट्ज होटल भी दिखाया जो प्रिंसेस डायना के पिता का था तथा 1997 में जब वह दुखद दुर्घटना घटी जिसमें उनकी मौत हुई उस समय वह उसी होटल से निकली थीं।

अंतिम दिन सबको पार्टी परिधान पहनना था। यह भारत में ही बता दिया गया था अतः सभी अपनी एक से बढ़ कर एक पोषाक ले कर आये थे।जब संध्या को सब तैयार हो कर निकले तो नित्य सैलानी कपड़ों में रहने वाले सभी सदस्य पहचाने नहीं जा रहे थे विशेष कर महिलाएं आज पूरे साज श्रृंगार में थीं । मीना ने भारतीय सलवार सूट पहना था, लता जी श्रीमती चन्द्रा अनुभा आदि ने साड़ियां ही पहनी थी। अभी भी उनकी आयु की स्त्रियों के लिये भारत में अधिकांश पार्टी की पोशाक साड़ी ही होती है। निमिषा आज के लिये विशेष रूप से नीली ट्यूनिक लाई थी । उसने पहन तो ली पर आज वह छोटी पोशाक पहन कर उसे संकोच लग रहा था और बार-बार उसे खींच कर लम्बी करने का असफल प्रयास कर रही थी ।

अनुभा ने कहा ‘‘ तुम इतनी कांशस क्यों हो रही हो अच्छी लग रही हो बल्कि तुम्हारे संकोच के कारण सबका ध्यान तुम्हारी ओर जाएगा ।’’

तभी निमिषा को अर्चिता और वान्या का ध्यान आया और अपनी पोशाक भूल कर वह अपने स्वाभाविक मूड में आ गयी और बोली ‘‘संजना हमारी हीरोइनें कहाँ गयीं ?’’

उसने कहा ही था कि वान्या लिफ्ट से बाहर निकली।उसने बहुत ही सुंदर हाल्टर नेक का काला ईवनिंग गाउन पहना था । उसकी लम्बी छरहरी काया पर वह गाउन चार चाँद लगा रहा था।

‘‘ क्या खूब लग रही है वान्या’’ संजना ने कहा।

निमिषा जो प्रायः किसी की प्रशंसा कम ही करती थी आज उसकी प्रशंसा करने से अपने को रोक न पायी, उसने आगे बढ़ कर वान्या से कहा‘‘ यू आर लुकिंग सो प्रिटी ।’’

वान्या ने धन्यवाद दिया पर उसकी दृष्टि किसी और ही ढूँढने में व्यस्त थी, वह कौन है? पता नही, संकेत या यशील। अब प्रतीक्षा थी अर्चिता की, सभी के मन में एक ही उत्सुकता थी कि अर्चिता और वान्या में कौन अधिक आकर्षक लगेगी। उनकी प्रतीक्षा को विराम लगा अर्चिता हल्की गुलाबी लांग ड्रेस पहन कर खुले केषों में किसी परी से कम नहीं लग रही थी।निश्चय करना कठिन था कि दोनों में कौन नम्बर वन है।

यदि वान्या किसी माडल के समान स्मार्ट विश्वास से परिपूर्ण लग रही थी तो अर्चिता कोमलांगनी लग रही थी और स्वप्निल सौंदर्य की आभा फैला रही थी। एक दूसरे के सामने पड़ने पर दोनों ही के चेहरे पर तनाव था। संभवतः दोनों को ही आज प्रतियोगिता कठिन लग रही थी।

स्ंकेत क्रीम रंग के कोट गुलाबीशर्ट और काले ट्राउजर्स में आकर्षक लग रहा था, वान्या को देख कर वह निर्मिमेष उसे देखता ही रह गया फिर उसके पास आ कर उसने कहा‘‘ तुम तो आज परी लग रही हो ।’’

वान्या ने मुस्करा कर कहा ‘‘ थैंक्य अलाट वैसे तुम भी जँच रहे हो।’’

यह सुन कर संकेत का चेहरा खिल उठा।

तभी रजत ने कहा ‘‘ जब तक और लोग आते हैं चलो हम लोग कुछ फोटो ले लें।फिर उन्होने महिम से कहा ‘‘ बास आज कल तुम कुछ धीमे हो गये हो, चलो शुरू करो अपना काम ।’’

महिम झेंप गया तब रजत ने कहा ‘‘ मैं तुम्हारी खिंचायी नहीं कर रहा मैं गंभीरता से कह रहा हूँ, अरे यही यादें तो साथ रहेंगी। ’’

महिम ने कैमरा उठा लिया, पर आज केवल मान्या नहीं वो सभी की फोटो ले रहा था ।सभी उसे अपना-अपना मेल आई-डी दे रहे थे, फोटो भेजने के लिये और क्लाइमेक्स आ गया जब यशील सूट पहन कर बो लगा कर किसी प्रिंस के समान शान से आया। निश्चय ही वान्या और अर्चिता के हृदय की धड़कने रुक गयी होंगी। वान्या जो अभी संकेत की प्रशंसा कर रही थी यशील को देख कर स्वयं को रोक नही पायी और उसके पास आ कर बोली ‘‘ यू आर लुकिंग गार्जियस ।’’

यशील सच में कामदेव का प्रतिरूप लग रहा था ऐसे में वान्या क्या कोई भी लड़की होती उससे प्रभावित हुए बिना न रह पाती । आज वान्या ने मन की दुविधा को परे सरका कर निर्णय ले ही लिया कि उसके जीवन में प्राथमिकता क्या है।

उधर अर्चिता इसी प्रतीक्षा में थी कि यशील उसके पास आये अब तो वह उस पर अपना अधिकार समझने लगी थी ।वह प्रतीक्षा में थी कि वह उसको देखे और उसके सौंदर्य को सार्थकता प्रदान करे। तभी सुमित ने उनके क्लाइमेक्स में बाधा डालते हुए बीच में आ कर कहा ‘‘जल्दी करिये कोच में बैठिये बहुत देर हो गयी है।’’

कुछ ही देर में सब पेरिस के प्रसिद्ध थियेटर में शो देखने के लिये उपस्थित थे वहाँ उन्होने रात्रिभोज के साथ पेरिस के प्रसिद्ध नृत्य और करतब का आनंद उठाया। उनके नृत्य की वेशभूषा हमारी भारतीय परंपरा के विरुद्ध अत्यन्त छोटी या कह ले लगभग न के बराबर थी पर यह अवश्य है कि उनकी प्रस्तुति और वहाँ का वातावरण ऐसा था कि उसमें अश्लीलता का पुट नहीं अनुभव हो रहा था, संभवतः वहाँ की संस्कृति में वह खुलापन सामान्य बात थी अतः न तो उन कलाकारों में कोई झिझक थी न ही दर्शकों में कोई उतावलापन । कार्यक्रम समाप्त होने पर सब ऐसे स्थान पर गये जहाँ से विद्युत से जगमगाता एफिल टावर और दूर दूर तक लेज़र से फैलता प्रकाश मंत्रमुग्ध कर रहा था।

एफिल टावर पर यह प्रकाश रात्रि के बारह बजे तक ही रहता है और यह सुमित का ही प्रयास था कि वह बारह बजने से पन्द्रह मिनट पूर्व सबको ले कर वहाँ पहुँच ही गया था ।उस प्रकाश में एफिल टावर की छटा अद्भुत अलौकिक लग रही थी । अनुभा ने रजत से कहा ‘‘ इस एक दृश्य को देख कर ही मेरे पूरे पैसे वसूल हो गये।’’

निमिषा बोली ‘‘आंटी आपके पैसे तो अब वसूल हुए पर कुछ लोंगों का तो टूर में आना ही उनके जीवन को सार्थक कर गया ।’’

अनुभा समझ रही थी कि उसका संकेत वान्या अर्चिता और यशील की ओर है पर अपनी आयु का ध्यान रख कर उसने समझ कर भी बात बदल कर एफिल टावर की विशेषता के बारे में चर्चा करने लगी।

क्रमशः---------

अलका प्रमोद

pandeyalka@rediffmail.com