uncomplete love part 2 in Hindi Fiction Stories by Singh Srishti books and stories PDF | अधूरा इश्क़ - 2

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अधूरा इश्क़ - 2

जैसे की अपने पहले ही जान लिया कि एक लड़के और लड़की की एक हसीन तो नहीं कह सकते पर एक अनोखी मुलाक़ात ज़रूर हुई। इसे सिर्फ़ एक मुलाक़ात ही कहे ये सही होगा या गलत ये आप पर ही छोड़ता हूं। ख़ैर आज जो हुआ उसे कौन भूलने वाला था। हाथ पैर की चोट तो हर किसी को नज़र आ रही थी लेकिन असली चोट तो दिल पर लगी थी। वो भी मेरे दिल पर । जिसके बाद मुझे ये शरीर के कोई जख्म कोई तकलीफ़ नज़र ही नहीं आ रही थी। थी तो बस इन आंखों में उस ख़ूबसूरत लड़की की तस्वीर जो मैंने आज ख़ुद बनाई है।

अब इसे पागलपन कहें या प्यार जो भी है वो बढ़ता जा रहा है इस कदर बढ़ रहा है कि मानो किसी छोटे बच्चे की भूख जिसे कुछ नहीं सुनना पसंद जब तक उसे दुग्ध प्राप्त न हो।

इतना सब मन में चल रहा था ही की दरवाजे से किसी के अंदर आने की आहट हुई , मैंने बड़ी उत्सुकता भरी निगाहों से उसे देखने कि कोशिश की लेकिन चोट मेरे शरीर पर शायद मेरी उत्सुकता से ज्यादा गहरी थी इसलिए मै उठ ना सका और उस लड़की को अपने करीब आते देख मैं एक बार फ़िर से उसके अगोस में समाने लगा। वो मेरे करीब और करीब आने लगी मेरे मन और तन में एक अजीब सी हलचल होने लगी मानो तेज़ बारिश के साथ आकाश में तड़पती बिजली। मै अब पहले जैसा ना रहा उसके सामने ख़ुद को इस तरह कमज़ोर पड़े रहना नहीं दिखाना चाहता था। मेरे मन में तो कुछ अलग ही फिल्मी हीरो की तरह अब उसकी मदद करते सामने जाऊं और वो उन्हीं हीरोइनों की तरह उसी शर्मीले अंदाज़ में मेरा शुक्रिया करे । खैर ये सब तो मेरा महज एक ख़्वाब था। अब वो मेरे करीब आ चुकी थी मै एक दम चुप उसके बोलने के इंतज़ार में था।

"अब कैसी तबीयत है" उसने बड़े ही शांति भरे लवजों में पूछा।

"पहले से काफी बेहतर हूं" मैंने भी उसी सादगी से जवाब दिया।

"चलिए ये कुछ दवाएं है जिन्हें आप फटाफट खा लीजिए फ़िर आप आराम करिए" उसने बड़ी जिम्मेदारीपूर्वक मुझसे बोला।

मैं एकदम से हड़बड़ाता हुआ कहने लगा "आप नर्स हो?"

उसने उसी भाव से जवाब दिया"हां क्यूं नहीं होना चाहिए था"

और अचानक से मेरी आखों से उसकी शक्ल दूर जाती हुई और किसी और लड़की की शक्ल बनती जा रही थी मानो किसी रेत के तूफ़ान में किसी अपने का अहसास और एक पल में फिर से अकेलापन । मैं ख़ुद को समझाते हुए और अपने सिर को सहलाकर कहने लगा" आज क्या हो रहा है मेरे साथ अब तो वो हर किसी में नज़र भी आने लगी है।"

और वहीं नर्स मेरे तरफ़ देखकर न जाने क्या बड़बड़ाते हुई चली गई। मैं फ़िर से उस वार्ड में अकेले हो गया और उस लड़की के साथ आज जो हसीन घटना मेरे साथ हुई उसी को सोचकर मन ही मन मुस्कुराने लगा हालांकि मेरी मुस्कुराहट सिर्फ़ मन तक ही नहीं थी वो साफ़ चेहरे पर भी झलक रही थी पर अब वहां मुझे टोकने वाला कोई ना था।

हालांकि इन मोहतरमा से मेरी मुलाक़ात होती है पर अभी नहीं वो तो आपको ख़ुद आगे के पार्ट में पता चल है जाएगा

उसको जानने के लिए थोड़ा सा इंतजार और करना पड़ेगा।

To be continue.................