Do balti pani - 22 in Hindi Comedy stories by Sarvesh Saxena books and stories PDF | दो बाल्टी पानी - 22

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दो बाल्टी पानी - 22

गुप्ता जी और गुप्ताइन बड़े परेशान थे, कि पिंकी अब तक क्यूँ नहीं आई और मौसम उन्हें और डरा रहा था, गुप्ता जी आखिर पिंकी को ढूंढने घर से निकलने ही वाले थे कि तभी किसी ने जोर-जोर से दरवाजा पीटना चालू कर दिया, गुप्ता जी ने दरवाजा खोला और पिंकी को देख कर चैन की सांस ली, गुप्ता जी कुछ कहते इससे पहले पिंकी भाग कर अपने कमरे में चली आई, हवा से लालटेन की रोशनी भी कुछ कम ज्यादा हो रही थी| गुप्ताइन समझ गई कुछ गड़बड़ है, वह पिंकी के पीछे पीछे उसके कमरे में गई, कमरे मे बिल्कुल अंधेरा था, पिंकी उनसे लिपट कर जोर-जोर रोने लगी, गुप्ताइन उसका सर सहलाकर बात पूछने लगी, गुप्ताइन ने पिंकी का सर अपनी गोद मे रखा तो उनकी चीख निकल पड़ी और वो बोली, "अरे पिंकी… तुम्हारी चोटी कहां है, हे भगवान…" ? पिंकी ने जैसे ही अपनी चोटी को हाथ लगाना चाहा वह अपने सर को बिना चोटी का देख कर बड़ी जोर से चिल्लाई और बेहोश हो गई, बिजली जोरो से कड़क रही थी और बारिश अपनी तीव्र गति मे थी |

कुछ देर बाद पिंकी को होश आया तो वो फिर रोने लगी तो गुप्ताइन ने फिर पिंकी से कहा "बोल बेटी… क्या हुआ, तुम तो पानी भरने गई थी ना फिर यह सब किसने किया, तुम डरो ना बस बताओ" पिंकी बेहिसाब रोए जा रही थी और चिल्लाए जा रही थी "वो हमें नहीं छोड़ेगी.. वो हमें नहीं छोड़ेगी..हाय हमें बचा लो… हाय मम्मी हमें बचा लो.." |

पिंकी और गुप्ताइन की चीख पुकार सुनकर गुप्ता जी भी कमरे में आ गए और पिंकी को देखकर दंग रह गए, कुछ देर बाद गुप्ता जी पिंकी के पास आए और बोले "बिटिया किस लड़के ने यह किया है बोलो, हमारी फूल जैसी लड़की की चोटी काट दी, अरे तुम नाम बताओ बस उसका, हमने उसे नाको चने नाचे बुआ दिए तो हम भी अपनी अम्मा के नहीं" | पिंकी अपने आंसुओं को पोछते हुई बोली " अरे पापा… वो.. वो कोई इंसान नहीं है, वो तो चु.. चु.. चुड़ैल है, सड़क के उस पार वाले नल के आसपास मंडरा रही है, उस.. उसने हमारी चोटी काट ली, हमे बचा लो.. हमे बचा लो… अरे वो तो हमें मार ही डालती, न जाने कैसे बच कर हम घर आए." ये कहकर पिंकी फिर चिल्ला चिल्ला कर रोने लगी |

गुप्ताइन और गुप्ता जी का दिमाग भन्ना गया और वह दोनों पिंकी के पास बैठ गए कि तभी गुप्ताइन गुप्ता जी को घूरते हुए बोली " यह सब तुम्हारी वजह से हुआ है, मैं पूछती हूं कि कब तुम अपनी आदतें सुधारोगे, अरे घर पर पड़े रहते हो यह भी नहीं देख सकते घर में पानी है या नहीं, अगर तुम पानी भर लाते तो हमारी पिंकी का यह हाल ना होता” | गुप्ताइन की जली कटी बातें सुनकर गुप्ता जी का भेजा फ्राई हो गया और वह भी गुप्ताइन पर चीखने चिल्लाने लगे “ अरे नौकरी करती हो तो कोई एहसान नहीं करती हो, अपने टीम टाम के लिए नौकरी करती हो, पूरे दिन दुकान संभाले, घर संभाले, यहां वहां, सारा जहां कोई फिट ना हो वहां हमें फिट कर दो बस और ये जो पिंकिया की हालत हुई है उसमें पूरा का पूरा दोष तुम्हारा है” |