Aashiqi - An Un Told Love Story 8 - last part in Hindi Drama by zeba Praveen books and stories PDF | Aashiqi - An Un Told Love Story 8 - last part

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Aashiqi - An Un Told Love Story 8 - last part

Chapter 13

दो दिन बाद

लगभग बारह बजे के क़रीब आरुषि मम्मी-पापा से मिलने अपने घर आती है, वहाँ उसके पेरेंट्स ने उसे लड़के वालो से मिलवाने के लिए इंतज़ाम कर रखा था, आरुषि ये बात नहीं जानती थी )

(घर में घुसते ही) आरुषि "हेलो कोई है क्या इस घर में, मुझे तो कोई भी नहीं दिख रहा, सब कहाँ हैं ..?”

(आरुषि की माँ मुस्कुराते हुए आती है) माँ "आओ आरुषि, कैसी हो, हुंचने से पहले कॉल तो कर देती, हम सामान ले आतें"

आरुषि "मॉम इतना भी क्या सामान था जो मैं आपको बुलाती लाने के लिए (डाइनिंग टेबल से एक एप्पल उठा कर, अपनी माँ के गले लग कर एप्पल खाते हुए) आप सब कैसे हैं?"

(हसते हुए) आरुषि की माँ "हम सब भी ठीक है, तुम्हारे पापा अभी बाहर गए है कुछ देर में आएंगे, नानी ऊपर कमरे में हैं जाकर मिल आओ, तुमसे मिलने के लिए बहुत परेशान हो रही थी"

(अप्पल खाते हुए )आरुषि "अच्छा अभी मिल कर आतें हैं नानी से (इधर-उधर देखते हुए) मेरी दोनों बहने नज़र नहीं आ रही?”

माँ "दोनों अपने कमरे में है, मैं बुला कर लाती हूँ, अरे ये लो नानी भी नीचे आ गयी"

(नानी को गले लगाते हुए) आरुषि " नानी मेरी जान, कैसी हो आप, अरे वाह आप तो पहले से और भी हॉट और सेक्सी लग रही हो"

नानी "अरे धुत्त लड़की, बुढ़ापे में कौन हॉट लगता हैं"

आरुषि "मेरी नानी और कौन"

नानी "अरे बस-बस इस बुड्ढी की बहुत तारीफ हो गयी, अब बताओ मेरे लिए क्या लायी हैं बम्बई से"

आरुषि "नानी, बम्बई आपके ज़माने में था हमारे ज़माने में तो मुंबई हैं"

नानी “हाँ भाई, तुम लोग तो मॉडर्न हो गए हो अब बम्बई को भी मुंबई कहने लगे हो, हमारे ज़माने में तो कलकत्ता को कालिकत्ता कहते थे, अब जब से लोग पढ़े लिखे हुए हैं न नाम भी ऐसे उल्टे-पुल्टे रख दिए हैं की क्या बताएं"

आरुषि "नानी आप यह सब छोड़िये और गेस करिये हम आपके लिए क्या लाएं हैं?"

मॉम "आप दोनों बात करिये, मैं कुछ खाने को लाती हूँ"

आरुषि "मॉम आप कहाँ जा रही हो, अरे बाद में खा लेंगे, यहाँ बैठिये, मैं आप दोनों के लिए कुछ स्पेशल गिफ्ट लायी हूँ, नानी आपको पता हैं मैं आपके लिए इमरान हासमी की मूवी टिकट लायी हूँ"

नानी “यह देख लड़की को, सन्नो तू डाटती क्यूँ नहीं हैं इस बदमाश को ....”

मॉम “आरुषि क्यूँ नानी को तंग कर रही हो, चलो हाथ मुँह धोकर फ्रेश हो जाओ मैं खाना लगा देती हूँ"

नानी “यह देख तू भी सन्नो किस बात के लिए डाट रही हैं, अरे मैं इसे इस लिए डाटने को कह रही थी क्यूंकि ये सिर्फ एक ही टिकट लायी हैं, अरे एक नाना के लिए भी ले आती तो हम दोनों देखने जाते"

मॉम "ओफ्फो, मैं बिट्टू और पिंकू को बुला कर लाती हूँ"

आरुषि “ओह मेरी नानी क्या बात हैं ….,बहुत रोमांटिक शोमान्टिक हो रही हो हाँ, यह हुई न नानी वाली बात, वैसे मैं आप दोनों के लिए बहुत ही ब्यूटीफुल साड़ी लेकर आयी हूँ बट नानी मूवी टिकट नेक्स्ट टाइम, मॉम मैं खुद जा रही हूँ उन दोनों के पास उसकी बहन इतनी दूर से आयी है सब से मिलने के लिए और दोनों को कुछ खबर ही नहीं है"


माँ "आरुषि लेकिन तुम जल्दी तैयार हो जाना, वो लोग आने वाले ही होंगे "
(आरुषि सीढ़ियों पर चढ़ ही रही होती हैं लेकिन माँ की बाते सुन कर रुक जाती है)
(पीछे मुड़ कर देखते हुए) आरुषि "कौन आने वाला है मॉम"


माँ "कुछ लोग तुम्हे देखने आने वाले है शादी के लिए, तुम्हारे पापा के पहचान के है तुम भी उन लोगो से मिल लेना बहुत अच्छी फॅमिली से है वह सब"


आरुषि "मम्मी आप लोगो को हो क्या गया है, आप ने बिना मुझे बताये मेरे लिए रिश्ते ढूंढने शुरू कर दिए, आप तो जानती है न मुझे अभी शादी नहीं करनी"


माँ "जानती हूँ लेकिन अगर जवान बेटी घर में हो तो उसकी शादी की चिंता तो होती ही है ना और तुम्हारे पापा भी यही चाहते है की तुम उन लोगो से मिल लो"


(सीढ़ियों से उतरते हुए) आरुषि "मम्मी मुझे कुछ ज़रूरी काम याद आ गया है"


माँ "आरुषि रुको, देखो तुम चली जाओगी तो तुम्हारे पापा बहुत नाराज़ होंगे, कौन सी तुम्हारी शादी होने वाली है बस देखने ही तो आ रहे है ना, मिल लो फिर चली जाना "


नानी "शन्नो, अगर लड़की नहीं चाहती हैं तो क्यूँ जबरदस्ती कर रही हैं"


मॉम "अम्मा आप रहने दीजिये, आप ने अपने नातिन को वैसे भी बहुत चढ़ा कर रखा हैं, बस देखने ही तो आ रहे हैं कौन सी इसकी शादी हो जाएगी अभी"


नानी "शन्नो ठीक कह रही हैं लड़की, देख लो बस, ज़्यादा आगे बात बढ़ी तो तुम्हारी यह बुढ़िया नानी कब काम आएगी"
आरुषि (हस कर नानी के गालो को चूमते हुए) “यह हुई न मेरी नानी वाली बात हैं"


आरुषि "ठीक है मॉम बट मेरी भी एक शर्त हैं, आप लोग प्लीज बिना मुझसे पूछे बात आगे मत बढ़ाना और पापा को भी समझा दीजियेगा"


माँ "ठीक है जैसा तुम कहोगी हम वैसा ही करेंगे, अब चलो जल्दी तैयार हो जाओ "

(कुछ देर बाद लड़के वाले आरुषि को देखने आते है और उन्हें आरुषि पसंद आ जाती है, आरुषि अभी शादी करने से मना कर देती हैं, उनके जाने के बाद आरुषि अपने घर के कॉरिडोर में लगे झूले पर बैठ कर अपने अतीत के बारे में सोचने लगती हैं, तभी ड्राइवर काका फ़ोन करते हैं )


(फ़ोन पर) काका "बिटिया ऊ लड़के के परिवार वालो का अभी तक कछु पता नाही चला डॉक्टर साहब बोले थे की अगर आप इसे घर ले जाना चाहत हो तो ले जाओ काहे कि उ कोमा में है और उसका होश में आना बहुते मुश्किल हैं "
( आरुषि) "काका ऐसा कैसे हो सकता है, आप ने उसकी फोटो न्यूज़पेपर में छपवाई थी ना”
काका "हाँ बिटिया, पुलिस वाले भी अब हलके पड़ गए हैं, उ सब भी कुछ ज्यादा रूचि ना ही दिखा रहे हैं इसके परिवार वालो को ढूंढने में"

आरुषि “ये पुलिस वाले भी न, उनको बताया नहीं इनके पीछे कौन हैं मतलब मेरे बारे में इनको बताया आपने"
काका "अरे नाही बिटिया, अगर बता दिए तो पुरे थाना वाला आपसे मिलने और पूछताछ करने घर पर आ जायेंगे, हम इनको कुछ नहीं बताएं हैं"

आरुषि "अच्छा.....आप ऐसा करिये हम अभी घर पर ही हैं, उसकी फोटो लेकर आइये, मेरी एक फ्रैंड हैं प्रेस में, मैं उसे कहती हूँ, वो ज़रूर कुछ करेगी"

काका “ठीक बा बिटिया, हम लेकर आते हैं"

आरुषि "रहने दीजिये आपको टाइम लगेगा आने-जाने में, ऐसा करिये आप कैमरे वाले से कहिये उस फोटो को पहले मेरी असिस्टेंट को मेल कर दे, ठीक हैं"

ड्राइवर काका "ठीक बा बिटिया, हम अभी बोलत हैं उसको"

एक घंटे बाद

(आरुषि झूले पर बैठी हुई हैं वही उसके पापा आते हैं) "कैसा हैं मेरा बच्चा?"

आरुषि "पापा आप, आइये बैठिये न, मैं बिलकुल ठीक हूँ"

पापा "गुड, अच्छे बच्चे हमेशा ठीक रहते हैं, आज जो हुआ आप उससे नाराज़ तो नहीं हैं न"

आरुषि "नहीं पापा, मैं नाराज़ क्यूँ रहूंगी....,आप लोगो ने जो सोचा हैं मेरे लिए अच्छा ही सोचा होगा लेकिन पापा अभी मैं शादी नहीं करना चाहती, मेरा पुणे का प्रोजेक्ट कम्पलीट हो जाएगा तब सोचेंगे"

पापा "जैसा आप कहोगी वैसा ही होगा.......अगर आपके नज़र में कोई हैं या आप को कोई पसंद हो तो हमें बताना, हम खुद आपकी शादी उससे करवाएंगे"

आरुषि "थैंक यू पापा, आप इस दुनिया के सबसे बेस्ट पापा हैं"

पापा "अच्छा यह बताओ, कितने साल का प्रोजेक्ट हैं?"

आरुषि "पापा दो सालों का हैं बट इससे पहले ख़त्म करने का टारगेट लेकर चल रहे हैं"

पापा "आप जाओ फिर हम भी आएंगे वहां आप से मिलने"

आरुषि "हांजी पापा, आप सब को लेकर आइयेगा, सब मिल कर पुणे में घूमेंगे"

पापा "कल कितने बजे का फ्लाइट हैं?"

आरुषि “पापा कल एक बजे तक निकल जाना हैं, पूरी टीम आ रही हैं मुंबई से मुझे लेने फिर यही से ही पुणे की फ्लाइट पकड़ेंगे"

पापा “बेस्ट ऑफ़ लक मेरा बच्चा, मेरी ब्लेस्सिंग्स हमेशा आपके साथ हैं, ज़िन्दगी में ऐसे ही खूब तरक्की करना"

आरुषि "थैंक्स पापा"

(अगले दिन आरुषि अपना सामान पैक करके पुणे के लिए निकल जाती हैं, उसे छोड़ने के लिए उसके घर के सभी लोग एयरपोर्ट तक जाते हैं,आरुषि अपनी टीम के साथ पुणे चली जाती हैं, वहां उसे रहने के लिए एक फ्लैट मिलता हैं उसके साथ उसकी असिस्टेंट रिया भी होती हैं, वहा पहुंचने के बाद आरुषि अपना प्रोजेक्ट शुरू करती हैं, उसी दिन रिया के फ़ोन पर एक मैसेज आता है जो कि कैमरे वाले ने भेजा था, मैसेज में दीवांक की तीन फ़ोटोस होती हैं, उस समय आरुषि मीटिंग रूम में होती है उसके साथ डायरेक्ट, प्रोडूसर और कुछ लोग बैठे हुए होते हैं, रिया सोचने लगती हैं कि मैडम ने पिक क्यू मंगवाई हैं, थोड़ी देर बाद आरुषि मीटिंग से बाहर निकलती हैं और फ़्लैट में वापस जाने के लिए गाड़ी में बैठ जाती हैं साथ में रिया भी होती हैं वो उसे उस फोटोज के बारे में बताती हैं)

रिया "मैम किसी कैमरा मैन ने फ़ोटो सेंड की हैं मेल पर "
आरुषि "कैमरा मैन ने, बट व्हाई?”
रिया "उसमे लिखा हैं आपने मंगवाया था "

आरुषि "मैंने....हाँ वो मैंने ही बोला था भिजवानें को, तुम उन फोटोज को स्नेहा को भेज दो और कहना ब्रेकिंग न्यूज़ में मिसिंग रिपोर्ट प्रिंट करने के लिए........"

रिया "ओके (रिया मैसेज करने लगती हैं) ओह शिट, मैम मेरे फोन की बैटरी डाउन हो गयी हैं, आप प्लीज अपना फोन दिखा सकती हैं"

आरुषि "यस, व्हाई नॉट"

रिया (मुस्कुराते हुए) "थैंक्स "

(रिया अपनी ईमेल आईडी आरुषि के फ़ोन में लॉगिन करके स्नेहा को मेल करने लगती हैं लेकिन तभी उसे याद आता हैं कि उसे स्नेहा की मेल आईडी याद नहीं है, तब वो उस फोटोज को व्हाट्सअप के ज़ारिजे भेज देती हैं, रिया फ़ोन वापस आरुषि को दे देती हैं, थोड़ी देर बाद स्नेहा का रिप्लाई आता हैं, आरुषि व्हाट्सअप ऑन करके मैसेज देखती हैं, उन मैसेज के ऊपर ही दीवांक कि तीन फ़ोटोज़ होती हैं, आरुषि उन फ़ोटोज़ को ध्यान से देखने लगती हैं, वो उसे देखते ही पहचान जाती हैं, उसके मन में वो पुरानी यादे फिर ताज़ा हो जाती हैं, वो उन यादो में खो जाती हैं)

रिया "मैम, ऐसा क्या रिप्लाई हैं जो आप शॉक्ड रह गयी, आर यू ओके"
( मुस्कुराते हुए ) आरुषि "रिया आप स्नेहा को कॉल कर के मना कर दो, न्यूज़ पेपर में इनकी मिसिंग रिपोर्ट न दे(फोटो को देखते हुए) अब जब ये ठीक हो जायेंगे तभी अपने घर जायेंगे"

रिया "मैडम आप को अचानक क्या हो गया हैं आप जानती है इसे ..?"

आरुषि "यस रिया, मैं इन्हे अच्छे से जानती हूँ, ये वो इंसान है जिससे मिलने का मुझे अब तक इंतज़ार था लेकिन अब शायद वो भी पूरा हो गया"


रिया "ओ यानि के लव शब का मैटर हैं, बहुत अच्छी बात है कि ये आप को मिल गए आई होप ये जल्दी ठीक हो जायेंगे"


(रिया, स्नेहा को फ़ोन करके आरुषि के कहे के मुताबिक बता देती हैं, आरुषि ड्राइवर काका से कह कर दिवांक को अपने डारजिलिंग वाले फॉर्महॉउस में शिफ्ट करवा देती हैं और शहर के बड़े से बड़े डॉक्टर को बुलवा कर उसका ट्रिटमेंट शुरू करवा देती हैं)

अगले दिन सुबह नौ बजे

आरुषि (अपने प्रोडूसर से) “सर मुझे वन मंथ का ब्रेक चाहिए, सर बहुत अर्जेन्ट हैं"
प्रोडूसर "आरुषि यह तुम किस तरह कि बात कर रही हो, ब्रेक चाहिए लेकिन क्यूँ, तुम्हे पता हैं न यह प्रोजेक्ट ट्वेल्व हंड्रेड करोड़ का हैं और अभी इसे शुरू हुए भी वन वीक नहीं हुआ हैं ऐसे कैसे ब्रेक ले सकती हो तुम"
आरुषि "सर इट्स अर्जेस्ट, मुझे ब्रेक लेना ही पड़ेगा, प्लीज् आप कुछ कर सकते हैं तो कीजिये "
प्रोडूसर “देखो आरुषि अगर ऐसा कुछ था तो तुहे यह प्रोजेक्ट साइन ही नहीं करना चाहिए था,अब कुछ नहीं हो सकता अगर दो तीन दिन होता तो हम मैनेज कर लेते हैं और यह तो एक महीने का हैं, सॉरी मिस आरुषि नॉट पॉसिबल"
आरुषि "फिर यह कॉन्ट्रैक्ट कैंसिल करने का क्या लेंगे आप"
प्रोडूसर "क्या....देखो बहुत सारे लोग इसमें पैसा लगाए हैं अगर यह बंद हो गया तो सब का बहुत लॉस होगा और मैं तो रोड पर आ जाऊँगा, देखो तुम्हे लीव चाहिए न तो दस या पंद्रह दिन के लिए ले सकती हो लेकिन कॉन्ट्रैक्ट कैंसिल करने कि बात मत करना"
आरुषि "ट्वेंटी फाइव डेज लग सकते हैं"
प्रोडूसर "ओके....ओके आई विल मैनेज, यू कैन गो"
(आरुषि रिया के साथ दार्जिलिंग वापस आ जाती हैं)
आरुषि दीवांक के पास दौड़ कर जाती हैं, दीवांक का हाथ अपने हाथो में लेकर रोने लगती हैं,उसे यक़ीन नहीं हो रहा था के दीवांक के साथ उसकी मुलाकात इस तरह होगी, रिया और कुछ डॉक्टर आस-पास खड़े होकर देख रहे होते हैं, रिया कि आँखे भी नम थी वो उसके पास जाकर उसे तसल्ली देती हैं कि दीवाक जल्द ठीक हो जायेगा, रिया सभी डॉक्टर से रिक्वेस्ट करती हैं कि चाहे कितने भी पैसे लगे दीवांक को जल्द ठीक कर दे,cकुछ देर बाद डॉक्टर आरुषि को दीवांक के बारे में बताते हैं उनके मुताबिक दीवांक का ठीक होना नामुमकिन हैं, वो अब एक ज़िंदा लाश बन चुका था, उसको अब सिर्फ दुआ ही काम आ सकती हैं, डॉक्टर्स के लिए उसका इलाज़ करना नामुमकिन था, आरुषि यह सुन कर बहुत उदास होती हैं और उसके आँखों से आंसू निकलने लगते हैं, आरुषि विदेशो से डॉक्टर्स को बुलवाती हैं लेकिन डॉक्टर्स उसे विदेश में ही ले जाने की सलाह देते हैं,आरुषि वैसा ही करती हैं उसे लेकर विदेश चली जाती हैं,आरुषि एक वाइफ की तरह उसकी सेवा कर रही होती है,आरुषि के फोन पर काका का फ़ोन आता हैं –“बिटिया,यह पुलिस वालन का हमरी फ़ोन पे फ़ोन आया था,वो हमसे उस लड़के के बारे में पूछ ताछ कर रहे थे हमको मजबूरन सबे कुछ बताना पड़ा"

आरुषि "काका आपने ठीक किया,मैं उनसे बात करती हूँ वैसे अब जागी हैं पुलिस"

काका “अब का कर सकत हैं बिटिया, वह कह रहे थे उसके घर वाले ने कम्प्लेन किया हैं उसके मिसिंग का"

आरुषि “ठीक हैं काका, आप फ़ोन रखिये मैं उनसे अभी बात करती हूँ "

(रिया कोलकत्ता पुलिस को कॉल लगाती हैं, आरुषि उनसे बाते करती हैं, वो उसे सारी बातें बता देती हैं, पुलिस वाले उसकी बातें सुनने के बाद कहते हैं “देखिये आरुषि जी, ये जो लड़का हैं क्या नाम बताया आपने"

आरुषि "दीवांक"

पुलिस इंस्पेक्टर “हाँ दीवांक, उसकी मिसिंग रिपोर्ट लगभग एक सप्ताह पहले की गयी हैं लेकिन मेरे हाथो यह केस अब आया हैं, पता नहीं कैसे उन पुलिस वालो ने ध्यान नहीं दिया लेकिन अब सच जानने के बाद हम किसी भी लोगो को गुमराह नहीं रख सकते नहीं तो लोगो का पुलिस वालो पर से विश्वाश उठ जायेगा"

आरुषि “मैं आप की बात समझती हूँ लेकिन मैं आपसे प्रॉमिस करती हूँ जब यह ठीक हो जायेंगे तो हम इन्हे खुद इनके घर छोड़ कर आएंगे"'

इंपेक्टर “ठीक हैं, मैं आपको एक महीने का टाइम देता हूँ, अगर यह ठीक नहीं हुआ तो तब भी इसे आपको इसके घर वालो के यहाँ छोड़ आना होगा, तब तक मैं इसके माँ-बाप को इसके ज़िंदा होने की खबर दे देता हूँ"

आरुषि "ओके, मैं ऐसा ही करुँगी"

(लगभग दस दिन बाद दीवांक को होश आता हैं तब आरुषि उसके पास ही बैठी हुई होती हैं और बैठे-बैठे आँखे बंद करके सो रही होती हैं, दीवांक होश में आते ही आरुषि को पुकारता है, दीवांक की आवाज़ सुनकर आरुषि खड़ी हो जाती है, दीवांक के सिर पर चोट लगने की वज़ह से उसे कुछ भी याद नहीं था उसे सिर्फ आरुषि नाम ही याद था, वह आरुषि को देखने पर भी पहचान नहीं पाता हैं दीवांक आरुषि को देख कर कहता है)

दीवांक "आप कौन हो..?, (चारो तरफ देखते हुए ) और मैं ये कहाँ पर हूँ, मेरी आरुषि कहाँ है, क्या आप मुझे मेरी आरुषि से मिलवाओगी?"

(आरुषि दीवांक की बातें सुनकर हैरान रह जाती है)

(आरुषि दीवांक के बातो का जवाब देती है) आरुषि “हेलो मेरा.....,मेरा नाम रिया है और आप मेरे घर में पिछले दस दिनों से रह रहे है, डॉक्टर ने आपको रेस्ट करने के लिए बोला है.....,वैसे ये आरुषि कौन है?"

(उठते हुए)दीवांक “आरुषि ,पता नहीं कौन है, मुझे कुछ याद क्यूँ नहीं आ रहा.....,(उठते हुए) क्या आप मुझे उसके पास लेकर चलोगी?”

आरुषि "हाँ..हाँ ..,मैं आप को उसके पास लेकर जाउंगी लेकिन आपको तो सिर्फ उसका नाम याद हैं, एक नाम के तो कई सारे लोग हैं इस दुनियाँ में, उसमे हम उस आरुषि को कैसे ढूँढ़नेगे जिसे आप जानते हो "

दिवांक "क्या हुआ था मुझे, मैं कुछ भी याद क्यूँ नहीं कर पा रहा, आप मुझे यहाँ कैसे लेकर आयी"

(दिवांक की बाते सुन कर आरुषि के आंसू निकलने लग जाते है)

दीवांक "आप रो क्यूँ रही है, देखिये आप रोइए मत, मुझे बस आप मेरी आरुषि के पास लेकर चलिए, मुझे उससे मिलना हैं?"

आरुषि "सॉरी...(आंसू पोंछ कर मुस्कुराते हुए) आप के पास उसकी कोई तस्वीर, आई मीन फोटो वैगैरह है?"

दीवांक “फोटो.....(टेबल पर देखते हुए) फोटो नहीं हैं मेरे पास”

आरुषि "आपके पास फोटो नहीं हैं तो हम उसे कैसे ढूंढेंगे, आप ठीक हो जाइये फिर हम दोनों मिल कर उसे ढूंढेंगे, ओके"

दीवांक "नहीं......मुझे अभी उससे मिलना हैं, वो मेरा वेट कर रही हैं.....,(गुस्से में आरुषि को देखते हुए) कौन हो तुम और मुझे किडनेप क्यूँ किया हैं (अपनी जगह पर बैठते हुए) बताओ, मेरा घर कहाँ हैं और तुम्हे कितने पैसे चाहिए"

आरुषि "क्या किडनेप....,नहीं नहीं आप मुझे गलत समझ रहे हैं, मैं कोई किडनेपर नहीं हूँ, एक्चुअली आप का एक्सीडेंट हो गया था, आप मुझे सड़क के किनारे बेहोशी की हालत में मिले थे और आप के सिर से बहुत खून बह रहा था, तब हम आपको हॉस्पिटल लेकर गए थे, उसके बाद हमने आप के परिवार वालो का पता लगाया लेकिन वह हमें नही मिले, फिर हम आपको अपने घर में लेकर आ गए"

दीवांक "सच बोल रही हो न"

आरुषि "हाँ सच्ची...... मैं बिलकुल सच बोल रही हूँ"

दीवांक “फिर ठीक हैं, अगर झूट निकला न तो मैं तुम्हे एक रुपए भी नहीं दिलवाऊंगा"

(उतने ही देर में दीवांक के सिर में दर्द होता है, वह सिर पकड़ कर कराहने लगता है, आरुषि तब तक डॉक्टर्स को बुलाती है)

(दीवांक के नजदीक जाकर) आरुषि “क्या हुआ आपको, आप ठीक तो हैं न"

दीवांक “मेरे सिर में बहुत दर्द हो रहा हैं, पानी...पानी चाहिए मुझे”

आरुषि “ओके, मैं अभी लेकर आता हूँ"

(आरुषि जब पानी लेकर आती हैं तब दीवांक अपने कमरे में नहीं होता हैं, आरुषि दीवांक को पुरे कमरे में ढूंढने लगती हैं, रिया भी वहां आ जाती हैं)

रिया "मैम आर यू ओके"

आरुषि "रिया, दीवांक यही पर थे पता नहीं कहा चले गए"

रिया "व्हाट.....,रिलैक्स मैं अभी देखती हूँ”

(दोनों वापस हॉल में देखने आते हैं, आरुषि और रिया एक दूसरे को देखने लगते हैं और देख कर हसने लगते हैं, दरअसल दीवांक हॉल में बैठा टीवी पर कार्टून देखते हुए आइसक्रीम खा रहा होता हैं, उन दोनों को देख कर वो अपना आइसक्रीम पीछे छुपा लेता हैं)

दीवांक "मैं अपना आइसक्रीम तुम दोनों को नहीं दूंगा"

(आरुषि उसके नजदीक जाती हैं और मुस्कुरा कर उससे पूछती हैं) “लेकिन क्यूँ"

दीवांक "क्यूंकि इसे मैंने फ्रीज़ से निकाला हैं, मैं नहीं दूंगा किसी को"

आरुषि "ओके...ओके हम नहीं मांगेंगे"

(उसी समय डॉक्टर्स आ जाते हैं, दीवांक उनको देख कर आरुषि के पीछे चुप जाता हैं)

आरुषि “व्हाटहैपेंड, क्या हुआ आपको?"

दीवांक “ये लोग अच्छे नहीं हैं, मुझे इनसे डर लगता हैं, तुम भी इनसे बात मत करना यह बहुत बुरे हैं"

आरुषि “ किनसे कहा अपने, यह लोग तो बहुत अच्छे हैं, आइये मैं आपको इनसे मिलवाती हूँ"

दीवांक “नहीं..नहीं मुझे नहीं मिलना इन गंदे अंकल से"

(दीवांक जाकर बेड के निचे चुप जाता हैं, आरुषि उन डॉक्टर्स को पूरी बातें बताती हैं)

पंद्रह मिनट बाद

डॉक्टर्स दीवांक के पास जाते हैं, दीवांक बेड के निचे लेट कर आईस्क्रीम खा रहा होता हैं, डॉक्टर्स उसे निकलने के लिए कहते हैं, वो मना कर देते हैं, नर्स जाकर गेट बंद कर देती हैं, सब उसे बाहर निकलने के लिए रिक्वेस्ट करने लगते हैं, अंत में वो लोग बेड उठा कर एक किनारे कर देते हैं, दीवांक को लगता हैं कि अब वो बच नहीं पायेगा तो वो आरुषि को जाकर पकड़ लेता हैं और कहता हैं “मुझे इन गंदे अंकल से बचा लो प्लीज "

आरुषि “यह लोग गंदे नहीं हैं, यह आपको कुछ नहीं करेंगे, मैं हूँ न आपके साथ”

(उतने में एक सिस्टर उसे इंजेक्शन देने आती हैं)

दीवांक “इंजेक्शन, ओए दूर हटो ....देखो मेरे पास मत आना......नहीं तो नहीं तो...."

(आरुषि उनको इशारे से मना कर देती हैं) आरुषि "आप लोग दूर हटिये, अभी जाइये, चलिए हम आपको और आइसक्रीम देते हैं, आपको और आइसक्रीम खाना हैं?"

दीवांक “आइसक्रीम हाँ, मुझे और चाहिए, इन अंकल को मत देना, इन में से किसी को मत देना"

(आरुषि दीवांक को ले जाकर आइसक्रीम देती हैं, दीवांक उसके कमरे में कार्टून देखते हुए आइसक्रीम खाने लगता हैं,उसी समय एक सिस्टर आकर उसके हाथो में इंजेक्शन लगा देती हैं, दीवांक गुस्से में आइसक्रीम लेकर सारा उस सिस्टर के ऊपर फांक देता हैं,कुछ ही मिनट में वो बेहोश होने लगता हैं, सब उसे ले जाकर दूसरे कमरे के बेड पर लिटा देते हैं, डॉक्टर आरुषि और रिया को बाहर भेज देतें हैं)

(आरुषि हॉल में जाकर बैठ जाती हैं और अपनी नम आँखों को पोछने लगती हैं, रिया भी वही पास में जाकर बैठ जाती है, कुछ देर बाद एक डॉक्टर बाहर निकलते हैं)

आरुषि “डॉक्टर दीवांक को क्या हुआ हैं, वो ठीक तो हो जायेंगे न?”

डॉक्टर "देखिये, इनकी मेमोरी लॉस्ट हो गयी हैं, अब ये वैसे हो गए हैं जैसे कोई छह साल का बच्चा, कोमे के बाद अगर कोई इस कंडीशन में जाता हैं तो चान्सेस बहुत कम होते हैं रिकवरी होने का, बट इम्पॉसिबल नहीं, अगर आप इसे याद दिलाने कि कोशिश करे तो शायद इन्हे सब कुछ याद भी आ सकता हैं, बैटर होगा आप इसे इनके फॅमिली के साथ ही रखे"
(आरुषि मायूस होकर निचे बैठ जाती हैं, रिया उसके पास जाकर खड़ी हो जाती हैं)

आरुषि "मैंने सोचा था जब यह ठीक हो जायेंगे तो हम इन्हे अपने घर छोड़ देंगे, बट लग रहा हैं ऐसा नहीं हो सकता"

रिया "मैम आपने पूरी कोशिश की हैं, कोई बात नहीं आप इस तरह अपसेट नहीं होइए आप जैसे लोग तो दुसरो के लिए आइडल बनते हैं"

आरुषि “रिया मैं इनकी ऐसी हालत नहीं देख सकती, क्या हो गया हैं यह सब (तभी सारे डॉक्टर्स दुबारा आरुषि के पास आतें हैं) डॉक्टर ये कैसे ठीक होंगे"

डॉक्टर "इनका ट्रीटमेंट इलेक्ट्रॉनिक शॉक से करना पड़ेगा"

आरुषि "व्हाट, इलेक्ट्रॉनिक शॉक ?"

डॉक्टर “जी, आपने सही सुना "

आरुषि “डॉक्टर, जब हमें ज़रूरत पड़ेगी तो हम आपको कॉल कर देंगे, अभी आप लोग जा सकते हैं”

डॉक्टर “मैं कुछ मेडिसिन लाया नहीं बट जाकर भिजवा दूंगा, आप इसे टाइम टू टाइम देते रहना, बट इनके साथ अगर शॉक ट्रीटमेंट रहेगा तो यह जल्दी ठीक हो जायेंगे"

(हाथ जोड़ कर) आरुषि “थैंक यू सो मच "

डॉक्टर "योर मोस्ट वेलकम, आप को जब भी कुछ भी पूछनी हो मुझे कॉन्टैक्ट कर सकती है, ओके बाय टेक केयर योर सेल्फ "

(डॉक्टर के जाने के बाद, आरुषि दीवांक को उसके घर लेकर जाने का फैसला करती हैं, कुछ घंटो बाद दीवांक के कमरे से चिल्लाने की आवाज आती हैं, रिया और आरुषि दौड़ कर उसके कमरे में जाती हैं)

(चिल्लाते हुए) दीवांक “चली जाओ, तुम सब भागो मुझे इंजेक्शन नहीं लगवानी, तुम सब जाओ"

(आरुषि और रिया को देख कर दीवांक बेड से उठ कर आता हैं और आरुषि को पीछे से ज़ोर से पकड़ लेता हैं) "मुझे इन सब से बचा लो"

आरुषि "लेकिन यहाँ तो कोई नहीं हैं, सब को तो मैंने पहले ही भगा दिया हैं"

(पीछे मुड़ कर देखते हुए) दीवांक “कोई नहीं हैं (गेट के बाहर झाक कर देखते हुए) सब चले गए, देखो तुम मुझे छोड़ कर मत जाना, वो सब फिर आ जायेंगे नहीं तो"

(दीवांक के हाथो को पकड़ते हुए) आरुषि “मैं आप को छोड़ कर कही नहीं जाउंगी, चलिए हम दोनों गार्डन में घूम कर आते हैं"

(चलते हुए) दीवांक "मेरा नाम क्या हैं, आप मेरा नाम जानती हो"

आरुषि “दीवांक….."

दीवांक “दीवांक, यह मेरा नाम हैं क्या लेकिन आपको कैसे पता"

आरुषि “अ ...मतलब मैं आपको दीवांक के नाम से बुलाऊंगी"

दीवांक “ओके...मीन्स यह मेरा नाम नहीं हैं, आपका नाम रिया हैं न?"

आरुषि “यस"

दीवांक “वो जो आपके साथ रहती हैं उसका नाम क्या हैं?

आरुषि “उसका नाम...अंजलि हैं"

(आरुषि दीवांक को उसके मॉम डैड के बारे में बताती हैं, अगले दिन वो उसे उसके मॉम डैड के पास ले जाने के लिए तैयारियां करने लगती हैं)

दीवांक “रिया जी, हम कहाँ जा रहे हैं"

आरुषि "मैं आपको वर्ल्ड के बेस्ट लोगो से मिलवाने ले जा रही हूँ"

दीवांक “आप मुझे मेरी मॉम से मिलवाने ले जा रही हैं"

आरुषि (दीवांक को देखने लगती हैं) "ऐसा ही समझ लीजिये "

(आरुषि दीवांक के साथ इंडिया वापस आ जाती हैं और अपने फॉर्महॉउस में ठहरती हैं, शाम को वो दिवांक को लेकर उसके घर जाने के लिए फॉर्महॉउस से रवाना हो जाती हैं)

दिवांक "रिया जी, मुझे तो उनके बारे में कुछ भी याद नहीं हैं, मैं उन्हें कैसे पहचानूंगा?"

आरुषि “डोंट वरी, वो आपको देखते ही पहचान जायेंगे ”

दिवांक “आपको मेरे बारे में कैसे पता चला, मतलब आप को कैसे पता मैं कहाँ रहता हूँ"

आरुषि - "अ...प ...पुलिस…. पुलिस अंकल हैं न, उन्होंने ही मुझे बताया हैं"

दिवांक "पुलिस अंकल ओके, रिया जी मुझे लगता हैं मैं आपको पहले से जनता हूँ"

आरुषि “सच में..... "

दीवांक “हाँ, मैं जब बहुत बड़ा हो जाऊंगा न तो मैं आपसे ही शादी करूँगा"

(आरुषि को दीवांक की बातें सुन कर आँखों में आंसू आ जाता हैं, वो उसके हाथ को अपने हाथो में लेकर चूमने लगती हैं, दीवांक फिर से उसकी तारीफ करता हैं)

दीवांक “आप बहुत अच्छी हैं, आपने मेरी बहुत हेल्प की हैं, आप मुझे मेरे घर तक भी छोड़ने जा रही हैं इतना कोई भी नहीं करता किसी के लिए"

आरुषि “बस...बस तारीफे बहुत हो गयीं, मुझे भूख लग रही हैं, कुछ खाएं”

दीवांक “हाँ...छोले भठूरे"

आरुषि “आपको यह पसंद हैं"

दीवांक “हाँ..."

आरुषि "काका, आगे रेस्टुरेंट के पास गाड़ी रोक देना, आज हम सब छोले भठूरे खाएंगे"

(आरुषि, दीवांक और ड्राइवर काका तीनो उस रेस्टुरेंट में खाना खाते हैं, उसके बाद वो लोग दीवांक के घर के लिए वहां से चल देते हैं, कुछ देर और सफर करने के बाद दिवांक के घर के बाहर गाड़ी रूकती हैं, ड्राइवर काका गाड़ी से निकल कर दिवांक के घर का बेल बजाते है तब तक आरुषि और दिवांक अंदर ही बैठे हुए होते है, दिवांक के पापा गेट खोलते है)

दिवांक के पापा “तुम कौन हो भई...?”

ड्राइवर “मैडम और सर आप लोगन से मिले आये है..?”

दिवांक के पापा “कौन से मैडम और सर..?”

तभी दिवांक गाड़ी से बाहर निकलता है (देख कर चौकते हुए ) दिवांक के पापा “दिवांक बेटा तुम?b(दिवांक के नज़दीक जाकर), कहाँ थे इतने दिनों तक, देखो आपकी मॉम ने अपनी क्या हालत बना रखी है चलो अंदर चलो और अपनी माँ से मिल लो (तभी आरुषि भी गाड़ी से बाहर निकलती है), आप यहाँ?”

दिवांक "ये मेरी दोस्त है, मैं इनके साथ ही रह रहा था, ये मुझे बहुत सारे आइसक्रीम खाने के लिए देती थी, ये बहुत अच्छी हैं "

(हैरान होकर) दिवांक के पापा “आइसक्रीम...?,बेटा अंदर चलो और पहले अपनी माँ से मिल लो (दिवांक के हाथ को पकड़ कर अंदर ले जाने लगते हैं, पीछे मुड़ कर देखते हुए) आप भी आओ बेटा?”

(आरुषि की तरफ देखते हुए) दीवांक “रिया जी, ये लोग भी मुझे दीवांक कह रहे हैं "

आरुषि “अच्छा...क्या इत्तेफ़ाक़ हैं.....देखिये आपका नाम भी यही हैं"

( दीवांक उसे शक की नज़र से देखने लगता हैं)

(दिवांक के पापा दोनों को अंदर ले जाते है और हॉल में बैठने को कहते है, दिवांक के पापा ज़ोर से चिल्ला कर कहते हैं "देखो....देखो कौन आया हैं.......हमारा दिवांक वापस आ गया है"
तभी दिवांक की माँ अपने कमरे से निकलती है और दिवांक को गले लगा कर रोने लगती है, आरुषि दिवांक की माँ को देख कर खड़ी हो जाती है)

(रोते हुए ) दिवांक की माँ “दीवांक बेटा आप इतने दिनों से कहाँ थे, अपनी मॉम की बिलकुल भी याद नहीं आयी आपको?, क्यूँ चले गए थे हमें छोड़ कर”

(दिवांक चुप-चाप अपनी माँ की बात सुन रहा था ) "दिवांक आप कुछ बोलते क्यूँ नहीं है..?”

दीवांक “आप मेरी मॉम हैं?, (आरुषि के पास जाकर) रिया जी, देखो मेरी मॉम हैं ये"

आरुषि “हाँ...ये आपकी मॉम हैं”

(खुश होते हुए) दीवांक “मॉम… मॉम ये मेरी फ्रेंड हैं, मॉम ये बहुत अच्छी हैं, इन्होने मुझे गंदे अंकल से बचाया था"

मॉम “दीवांक, आपको क्या हो गया हैं, आप ठीक तो हैं न"

दीवांक “मॉम मैं तो ठीक हूँ...,मॉम फ्रीज़ में मेरे लिए आइसक्रीम है न, मैं अभी खा कर आता हूँ "

(दीवांक की माँ दीवांक की हरकतों को देख कर हैरान थी वो आरुषि के नज़दीक जाती हैं)

आरुषि "आंटी जी इनका एक्सीडेंट हो गया था जिसकी वजह से इनकी याददास्त चली गयी है और अब इन्हे पहले का कुछ भी याद नहीं है "

दिवांक के पापा “क्या, दिवांक का एक्सीडेंट हो गया था लेकिन कैसे......मुझे तो बताया गया था वो घर छोड़ कर चला गया हैं?”

आरुषि "अंकल जी, ये मुझे फ्लाईओवर पास मिले थे, डॉक्टर्स के मुताबिक इन्हे पहले किसी ने हॉकी स्टिक से मारा था फिर पहाड़ी से निचे फेंक दिया था, पहाड़ी से गिरने के बाद यह फ्लाईओवर पर गिरे थे”

दिवांक के पापा “लेकिन आप ये सब कैसे जानती हो?”

आरुषि “अंकल जी, इन्हे हॉस्पिटल में काका ले कर गए थे जो हमारे घर के ड्राइवर हैं, काफी दिनों तक इनका इलाज सिटी हॉस्पिटल में चला था, उसके बाद जब मुझे पता चला के यह आप लोगो का बेटा हैं तो मैंने इनका इलाज करवाने के लिए ऑस्ट्रेलिया भेज दिया था, उससे पहले मैंने आप लोगो से कांटेक्ट करने की कोशिश की थी बट...., डॉक्टर्स ने दीवांक का शॉक ट्रीटमेंट शुरू करने के लिए एडवाइस दिया हैं, इससे इनकी याददास्त जल्दी आ जाएगी "

मॉम “क्या शॉक ट्रीटमेंट.....नहीं मैं अपने बेटे को शॉक नहीं देने दूंगी"

दीवांक के पापा "बेटा आपका बहुत-बहुत शुक्रिया, आपने जो हमारे लिए किया उसका हम जीते जी एक परसेंट भी नहीं चूका पाएंगे, बस आप का हम तहे दिल से शुक्रिया करते हैं "

आरुषि “अंकल जी ये तो मेरा फ़र्ज़ था, दीवांक मेरे बहुत अच्छे दोस्त भी रह चुके हैं और एक दोस्त के नाते तो मेरा फ़र्ज़ बनता हैं न, एक गुड न्यूज़ भी हैं दीवांक के लिए डॉक्टर्स ने कहा हैं की दीवांक अपनी फॅमिली के साथ रहेंगे तो इनकी याददास्त जल्दी वापस आने के चान्सेस हैं "

(यह सुनने के बाद दिवांक की माँ आरुषि से कहती है) "बेटा मुझे माफ़ कर देना, मैं बहुत सेल्फिश थी सिर्फ अपने बारे में सोचती थी, सच बात तो यह है की मैंने तुम दोनों को अलग करने के लिए ही वो वादा तुमसे करवाया था, मुझे माफ़ कर देना (रोते हुए )"

आरुषि "नहीं आंटी जी आप प्लीज़ माफ़ी नहीं मांगिये अगर आप के जगह पर कोई और माँ भी होती तो शायद वो भी ऐसा ही करती"

(दीवांक आरुषि की बातें चुप-चाप सुन रहा था)

आरुषि "अंकल, आंटी अब हम चलते हैं, आज छह बजे पुणे की फ्लाइट हैं...ओके अब इज़ाज़त दीजिये'

दीवांक “रिया जी, आप जा रही हैं, मॉम इन्हे कहिये न मेरे साथ रहेंगी, मॉम ये जा रही हैं"

मॉम “बेटा ये अपने घर जा रही हैं, इनके मॉम डैड भी तो इसे मिस कर रहे होंगे"

दीवांक “नो मॉम, ये मेरे साथ रहेंगी, ये मेरी फ्रेंड हैं इसलिए मेरे साथ रहेंगी"

मॉम “आइये हम आपको आपका फवोरिट डिश बना कर देते हैं"

(आरुषि के नज़दीक जाते हुए) दीवांक "रिया जी, आपने झूट बोला था के आप मुझे नहीं जानती हैं लेकिन आप ने मॉम को कहा की आप मेरी फ्रेंड रह चुकी हैं, तब तो आप आरुषि के बारे में भी जानती होगी, मुझे जानना हैं कि आरुषि कौन हैं?"

आरुषि “दीवांक, आरुषि नाम की कोई हैं ही नहीं, मैं आपकी सभी फ्रेंड्स को जानती हूँ, उन में से आरुषि कोई नहीं हैं"

दीवांक “आरुषि नहीं हैं, फिर मुझे यह नाम कैसे याद हैं, नहीं आप झूट बोल रही हो"

आरुषि “मैं झूट नहीं बोल रही, यह सच हैं…….”

(दीवांक के मॉम डैड एक दूर का चेहरा देख रहे होते हैं, वो दोनों जानते थे की रिया ही आरुषि हैं लेकिन वो यह समझ नहीं पा रहे थे कि आरुषि झूट क्यू बोल रही थी)

आरुषि "अच्छा अब मैं चलती हूँ, बाय एव्री वन"

दीवांक “रिया...रिया (उसके मॉम डैड उसे पकड़ लेते हैं)

आरुषि अपनी गाड़ी में जाकर बैठ जाती हैं, दीवांक अपनी मॉम का हाथ छुड़ा कर आरुषि के पीछे जाता हैं.....आप ऐसा नहीं कर सकती, आप जानती हैं कि आरुषि कौन हैं, आप को बताना पड़ेगा..रिया जी...रिया जी"

(आरुषि, काका को गाड़ी तेज़ चलाने के लिए कहती हैं और वहां से चली जाती हैं, दीवांक उसे खड़ा होकर देख रहा होता हैं, उसके मॉम डैड उसे वहां से अंदर ले जाते हैं, आरुषि अपनी गाड़ी में फूट-फूट कर रोने लगती हैं, आरुषि पहले अपने घर जाती हैं, वही रिया उसका वेट कर रही होती हैं, रिया के पूछने पर आरुषि उसे पूरी बातें बताती है)

रिया “लेकिन मैम, आपने उन्हें सच बताया क्यू नहीं..."

आरुषि “कैसे बताती, जिस इंसान ने मुझे देखने पर भी नहीं पहचाना अगर उसे मैं कहूं तो वो समझ जायेगा क्या"

रिया “मैम..अगर आप कहती तो शायद उन्हें कुछ याद आ जाता"

आरुषि “नहीं रिया....जब उन्हें याद आ जायेगा तो वो खुद समझ जायेंगे कि रिया कौन हैं और आरुषि कौन हैं?

रिया “बट मैम....”

आरुषि “मैं उनका इंतज़ार करुँगी, अगर वो मेरे पास आ गए तो मैं समझूंगी के वो मेरे ही हैं नहीं तो सब सपना समझ कर भूल जाना पड़ेगा"

रिया “मैम आप को समझना सो डिफिकल्ट"

(आरुषि और रिया वापस पुणे चली जाती हैं और अपना काम शुरू कर देती हैं, उधर दीवांक आरुषि कौन हैं ये जानने के लिए अपने पुराने दोस्तों का पता लगाने लगा उसे अपने दोस्तों के बारे में पता चल जाता हैं वो उन सब से आरुषि के बारे में पूछता हैं, वो लोग उसे आरुषि के बारे में बता देते हैं, वो जान जाता हैं कि रिया ही आरुषि हैं, उसे याददस्त तो नहीं आया था लेकिन आरुषि से मिलने की तड़प उसे मेचयोर बना चुकी थी, दीवांक की माँ भी आरुषि के बारे में उसे बता देती हैं, वो उससे मिलने के लिए उसके अप कमिंग इवेंट्स के बारे में इंटरनेट पर ढूंढने लगा, उसे पुणे के प्रोजेक्ट के बारे में चलता हैं, वो उससे मिलने के लिए वहां चला जाता हैं, थोड़ा मुश्किल होता हैं उसे स्टेज तक पहुंचने में लेकिन वो पहुंच जाता हैं, रिया की नज़र दीवांक पर पड़ती है, वो आरुषि के विश्वाश पर प्राउड फील करने लगती हैं, वो उसे आरुषि के वेटिंग रूम में ले जाती हैं, प्रोग्राम ख़त्म होने के बाद आरुषि अपने वेटिंग रूम में आती हैं, रिया वहां से बाहर निकल जाती हैं )

(दीवांक को देख कर खुश होते हुए) आरुषि "दीवांक आप यहाँ पुणे में? "

(गुस्से में) दीवांक “झूटी, धोखेबाज़...."

आरुषि “क्या हुआ....मैंने क्या किया हैं? "

दीवांक “आपने कहा था आरुषि कोई हैं ही नहीं लेकिन वो तो अभी मेरे घर पर हैं"

(चौकते हुए) आरुषि “क्या.....कौन हैं वो"

दीवांक “ वो मेरी आरुषि हैं....जिसे मैं सबसे ज़्यादा प्यार करता हूँ, यू नो मुझे उसके साथ स्पेंड किये सारी यादे भी वापस मिल गयी हैं और मैं आपको यह बताने आया हूँ के आप कितनी झूटी हो "

आरुषि “क्या... वो आप के साथ घर पर हैं, इट्स नॉट पॉसिबल ....वो झूट बोल रही हैं"

दीवांक “ झूटी तो आप हो, आपने मुझसे झूट बोला हैं, मुझे उस पर खुद से भी ज़्यादा ट्रस्ट हैं"

आरुषि “नहीं...नहीं...दीवांक वो ज़रूर फ्रॉड होगी हैं, आरुषि वो नहीं हैं"

दीवांक “वो और फ्रॉड......वो बहुत अच्छी हैं, आप से तो बहुत ही अच्छी हैं कम से कम मुझसे झूट तो नहीं बोलती हैं न "

आरुषि “अच्छा..इतनी ही अच्छी हैं न, ज़रा मुझे उसकी तस्वीर दिखाना "

दीवांक “ नहीं...नहीं.....नहीं....आपको तो बिलकुल नहीं दिखाऊंगा, आप के हाथो में उसकी तस्वीर जाने के बाद कहीं उसे भी आपका असर हो गया और वो भी आपकी तरह झूठ बोलने लगी तो…”

आरुषि “दीवांक.....प्लीज मुझे जानना हैं......वो कोई डुप्लीकेट होगी.....ट्रस्ट मी"

दीवांक “अच्छा तो अब वो डुप्लीकेट हो गयी....आप तो मेरी आरुषि पर इलज़ाम पे इलज़ाम लगाए जा रही हो, अब फिर से आप पर ट्रस्ट नहीं करूँगा"

आरुषि “नहीं मैं सच कह रही हूँ.....दीवांक मुझे देखना हैं की वो चुड़ैल हैं कौन? "

दीवां “अच्छा, तो ठीक हैं चलिए मेरे घर, मैं एक अच्छी और झूठ न बोलने वाली लड़की से आपको मिलवाता हूँ"

दीवांक “ठीक हैं...मैं उस धोखेबाज़ को अभी आपके घर से निकालती हूँ"

(दीवांक शाम की फ्लाइट की टिकट बुक करता हैं और वो लोग रात तक पहुंच जाते हैं, दीवांक अपनी मॉम से कह कर आया था की वो आरुषि को लेकर आएगा, जब आरुषि उसके घर में आती हैं तो उसके फॅमिली वाले उसे नयी दुल्हन कि तरह स्वागत करते हैं, आरुषि समझ नहीं पाती हैं कि उसका स्वागत इस तरह क्यूँ किया जा रहा था, फिर दीवांक उन सब के बीच अपनी मॉम को कहता हैं)
दीवांक “मॉम मैं कह रहा था न आपकी बहु को लेकर आऊंगा, देखिये"
(आरुषि दीवांक को देखने लगती हैं और शरमाते हुए स्माइल करती हैं)
(आरुषि दीवांक से कहती हैं) “यू चीटर, लायर...."
दीवांक “ओह, तो मैं चीटर और लायर हूँ "
(दोनों एक दूसरे को देखते हुए हसने लगते हैं और फिर पर्दा गिर जाता हैं)


हैप्पी एंडिंग