anjana rishta - 5 in Hindi Fiction Stories by suraj sharma books and stories PDF | अन्जान रिश्ता -5 - आखरी रात

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अन्जान रिश्ता -5 - आखरी रात

दादी शरम से अपना चेहरा छुपानी लगी और रानी ने दादी की ओर देख कर कहना कहना शुरू किया " क्या गलती थी मेरी माँ?" रानी ने जैसे ही माँ कहा सब स्तब्द रह गये...रानी बोली, " मुझे क्यों मारा माँ? सिर्फ इसीलिए क्युकी आपको लड़का चाहिए था लड़की नहीं, इसमे मेरी क्या गलती है अगर भगवान ने मुझे लड़की बनाया, मैंने भी कही सपने देखे थे जब मै जन्म लुंगी तो आप मुझे अपनी गोद में खिलाएँगी, मुझसे प्यार करेंगी, मेरे साथ खेलेंगी पर अपने तो मुझे जन्म लेने से पहले ही मार दिया, ऐसा क्यों किया आपने? क्या मुझे हक नहीं था आपके साथ खेलने का जैसे मेरे छोटे भाई खेलते थे, मेरा क्या कसूर था? मुझे लगा शायद पापा को मै पसंद नहीं, पापा को तो आपने फ़क़ीर बाबा के बारेमे बताया ही नहीं था कैसे आप दोनों ने मिलकर मुझे जन्म लेने से पहले ही मार दिया था ..पापा तो मुझसे बहोत प्यार करते थे, मुझे आज भी याद है जब वो आपके पास आकार कहते थे मै मेरी बेटी को डॉक्टर बनाऊंगा...पर अपने मुझे मार दिया सिर्फ इसीलिए क्युकी आपको बेटा चाहिए था बेटी नहीं ..

मैंने फिर भगवान से कहा मुझे एक और मौका दो, बेटी बनकर नहीं पर पोती बनकर तो मै आपके गोदी में खेल ही सकती हूँ...

शायद भगवन को भी मेरी हालत देख कर दया आ गयी उन्होंने मुझे फिर इसी घर में भेजा बस रिश्ता अन्जान था.. इस बार मै आपकी बेटी नहीं पोती बनकर जन्म लेने वाली थी पर ये भी आपसे देखा न गया और अपने फ़क़ीर बाबा के साथ मिलकर मेरी माँ को बच्चा गिराने की दवाई दूध में मिलकर दी जिसके कारन फिरसे मेरी मौत हो गयी ..इस बार भी अपने मुझे जन्म नहीं लेने दिया पर अब मै भगवान के पास नहीं गयी, क्यों जाती और क्या कहती की कैसे धरी पर लोग लड़का और लड़की में फर्क करते करते है, आप होते कौन हो मुझे मारने वाले? जिसने मुझे दुनिया में भेजा है, मुझे दुनिया से बुलाने का हक भी सिर्फ उसीको था,.. मै बदला लेना चाहती थी और मै इंतजार करती रही फिर मैंने देखा जैसे आपने मुझे मरने की कोशिश की थी वैसे ही आप रानी को भी मारना चाहती थी इस बार रानी के साथ मै थी इसीलिए मैंने उसे आपकी हर चल से दूर रखा, मैंने माँ को फ़क़ीर का दिया प्रसाद खाने नही दिया, आपकी हर कोशिश नाकाम करती रही...

२ बार अपने मुझे मारा था, मै नहीं चाहती की मेरी छोटी बहन भी ऐसी मौत मरे... ये सब सुनकर ..सबकी आँखों में मानो दादी के लिए इतनी नफरत हो गयी थी की सब दादी को देखना भी पसंद नहीं करना चाहते थे, अजन्मी बच्ची की कहानी उनकर सबकी आँखे भर गयी...और आखिर में रानी पीछे हटकर कहने लगी मै आपको मारना नहीं चाहती हूँ, मै तो बस चाहती थी की जो प्यार मुझे न मिल सका वो रानी को मिलना चाहिए... अब मै जा रही माँ कहकर रानी पीछे हट गयी की तभी दादी ने कहा नहीं बीटा रुको मेरे गलती की सजा खुदको मत दो, इस दुनिया में न सही मै तुम्हे तुम्हारी दुनिया में आकर प्यार करुँगी कहकर दादी ने टेररिस पर से कुदकर अपनी जान दे दी...ये इतने जल्दी हुआ की घरवाले कुछ समझ सके उसके पहले ही दादी ऊपर से कूद गयी..रानी बेहोश होकर निचे गिर गयी और फिर सबने दादी और उस अजन्मी बच्ची को एक दुसरे का हात पकड़ कर आसमान में जाते देखा.....

।। समाप्त।।