karm path par - 56 in Hindi Fiction Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | कर्म पथ पर - 56

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कर्म पथ पर - 56


कर्म पथ पर
Chapter 56



रामरती को इस घर में सदा माँ का ही सम्मान मिला था। माधुरी और स्टीफन से उसे एक लगाव सा हो गया था। वह समझ गई थी कि मुसीबत बड़ी है। स्टीफन ने उससे माधुरी और उसके बच्चे की हिफाजत करने को कहा था।‌ उसका कर्तव्य बोध जागा। उसने रोती हुई माधुरी से कहा,
"रो मत बिटिया। अपनी और बच्चे की रक्षा करना अब तुम्हारी ज़िम्मेदारी है। उठो....'
तभी अचानक काँच के टूटने की आवाज़ आई। फिर ऐसा लगा कि किसी ने खिड़की खोली है। माधुरी और रामरती दोनों सतर्क हो गईं।‌ आवाज़ बेडरूम से आई थी। रामरती ने लपक कर बेडरुम का दरवाज़ा बंद करना चाहा। पर चोर अंदर आ चुका था। उसने रामरती पर पिस्तौल तान दी। रामरती पर निशाना लगाए हुए वह बीच के उस कमरे में आ गया जहाँ स्टीफन बेहोश पड़ा था। माधुरी उसके पास खड़ी कांप रही थी।
रामरती को लगा कि यह आदमी उन दोनों की जान ले लेगा। स्टीफन ने उस पर भरोसा जताया था। उससे कहा था कि वह माधुरी को इस मुसीबत से बचाए। लेकिन अब उसे लग रहा था कि वह माधुरी को नहीं बचा पाएगी।
वह चोर पिस्तौल लेकर माधुरी की तरफ बढ़ा। उसे मिले निर्देश के अनुसार स्टीफन और माधुरी को रास्ते से हटाना आवश्यक था। उसे लगा कि ये बूढ़ी औरत उसका क्या बिगाड़ सकती है। काम करने के बाद वह अपने पैसे लेकर दूर चला जाने वाला था।
उसे अपनी तरफ बढ़ते देखकर माधुरी रोने लगी। वह उसके सामने गिड़गिड़ाने लगी।
"छोड़ दो मुझे। मैंने क्या बिगाड़ा है तुम्हारा ? मैं माँ बनने वाली हूँ। मेरे अजन्मे बच्चे को मार कर क्या मिलेगा ?"
चोर को सिर्फ इतना कहा गया था कि एक अंग्रेज़ डॉक्टर और उसकी हिंदुस्तानी बीवी को मारना है। पर वह औरत गर्भवती है उसे यह नहीं बताया गया था। माधुरी की बात सुनकर वह एक पल को झिझक गया।
रामरती ने देखा कि पास ही एक गुलदान रखा है। उसे लगा कि यही समय है कि वह कुछ कर सकती हैं। चोर माधुरी की बात सुनकर सकते में था। रामरती ने हिम्मत की। गुलदान उठाया और पूरी ताकत से चोर के सर पर मार दिया।
चोर के सर से खून बहने लगा। पिस्तौल उसके हाथ से गिर गई। वह भी सर पकड़े फर्श पर बैठ गया।
माधुरी अभी भी खौफ में थी। वह रो रही थी। रामरती ने कहा,
"होश में आओ बिटिया। बाहर भागो।"
रामरती की आवाज़ सुनकर माधुरी होश में आई। उसने देखा कि वह आदमी फर्श पर बैठा तड़प रहा है। उसने अचरज से रामरती को देखा। रामरती ने कहा,
"तुम चलो... मैं फाटक का ताला खोलने के लिए चाभी लेकर आती हूँ।"
माधुरी बाहर की तरफ भागी। रामरती ने चाभी उठाई। बाहर जाते हुए उसने वह दरवाज़ा बंद कर दिया जो उस कमरे और बैठक के बीच में था।
कुछ देर तक तो चोर की आँखों के आगे अंधेरा छा गया। उसे कुछ सुझाई नहीं दे रहा था। लेकिन उसने अपने आप को संभाला। पास पड़ी पिस्तौल उठाई। रामरती को भागते देख उसकी ओर लपका। लेकिन रामरती दरवाज़ा बंद कर निकल गई।
चोर गुस्से से जल उठा। उसकी नज़र जमीन पर बेहोश पड़े स्टीफन पर पड़ी। उसने उसकी छाती में गोली मार दी। फिर खुद भी गिर पड़ा।
माधुरी फाटक के पास खड़ी थी। रामरती भाग कर आई। वह ताला खोल रही थी तभी एक और गोली चलने की आवाज़ आई। घबरा कर वह बोली,
"बिटिया तुम जाकर बगल वालों का फाटक बजाओ। मैं सामने के घर से मदद मांगने की कोशिश करती हूँ।"
दूसरी गोली की आवाज़ सुनकर माधुरी और अधिक डर गई। वह मदद लेने के लिए भागी।

स्टीफन के बगल में अल्फ्रेड जॉन का घर था। अल्फ्रेड कहीं बाहर गए हुए थे। घर में उनकी पत्नी मारिया, आठ साल का बेटा अब्राहम और नौकरानी नैंसी थी।
मारिया पानी पीने उठी थी तभी उसे एक आवाज़ सुनाई पड़ी। उसे लगा कि कहीं गोली चली है। वह डर गई। कमरे में आई तो उसका बेटा सो रहा था। तभी नैंसी आकर बोली,
"मैडम आपने आवाज़ सुनी ?"
"हाँ नैंसी...लगता है किसी सरफिरे हिंदुस्तानी ने किसी अंग्रेज़ पर गोली चलाई है। ना जाने इन लोगों को क्या समस्या है ?"
"मैडम मुझे तो लगा कि गोली बगल वाले डॉक्टर स्टीफन के घर चली है।"
"पता नहीं पर मुझे तो डर लग रहा है।"
नैंसी ने पूँछा,
"क्या करना चाहिए मैडम ?"
मारिया घबराई हुई थी। पति घर पर था नहीं। बेटा बहुत छोटा था। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसने कोर्इ जवाब नहीं दिया। जाकर अपने कमरे में लेट गई। पर मन बेचैन था। उसे भी लगा था कि गोली की आवाज़ पड़ोस के घर से आई है। क्लार्क परिवार से उनकी अच्छी दोस्ती हो गई थी। अक्सर वह माधुरी के पास जाकर बैठती थी।
वह यह सोंच कर परेशान थी कि कहीं किसी ने स्टीफन को गोली ना मार दी हो। अगर स्टीफन को कुछ हो गया तो गर्भवती माधुरी क्या करेगी।
एक तरफ वह माधुरी के लिए परेशान हो रही थी और दूसरी तरफ यह सोंच कर डर रही थी कि अगर मदद करने गई तो उस पर ही कोई मुसीबत ना आ जाए।
मारिया से रहा नहीं गया। वह उठकर नैंसी के कमरे में गई। नैंसी ऑल्टर के सामने खड़ी प्रार्थना कर रही थी। मारिया भी पीछे जाकर खड़ी हो गई। वह भी मन ही मन यीशू से प्रार्थना ‌करने लगी।
प्रार्थना के बाद नैंसी ने पूँछा,
"क्या बात है मैडम ? कोई काम था ?"
मारिया ने नैंसी को अपने मन की बात बताते हुए कहा,
"मेरा मन घबरा रहा है। अगर डॉ. स्टीफन को गोली लगी होगी तो ? माधुरी इस हालत में क्या करेगी ?"
"मैडम मैं भी यही सोंच रही थी।"
मारिया के मन में एक बात थी। पर कहते हुए संकोच हो रहा था। तभी दूसरी गोली की आवाज़ सुनाई पड़ी। उसने नैंसी से कहा,
"तुम गेट खोलकर बाहर झांक कर‌ डॉ. स्टीफन के घर की तरफ देखो। क्या कोई दिखाई पड़ता है।"
मारिया की बात सुनकर नैंसी कुछ हिचकी। मारिया ने कहा,
"मैं अब्राहम के लिए यहाँ रुकी हैं। हो सके तो चली जाओ।"
नैंसी ने गेट की चाभी उठाई और बाहर की तरफ बढ़ी। तभी गेट जोर जोर से बजाने की आवाज़ आई। साथ ही माधुरी की गुहार कान में पड़ी।
"मिसेज़ जॉन... प्लीज़ हेल्प... प्लीज़ हेल्प।"
नैंसी भागकर बाहर गई। मारिया ने पहले बेडरूम का दरवाज़ा बंद किया। ताकी अब्राहम शोर सुनकर बाहर ना आ जाए।‌ फिर वह भी बाहर की तरफ भागी।
माधुरी मदद के लिए चिल्ला रही थी। नैंसी ने जल्दी से ताला खोला। गेट खोलकर मारिया और नैंसी बाहर आईं। उन्हें देखते ही माधुरी रोते रोते कहने लगी,
"हमारे घर में एक चोर घुस आया है। उसने स्टीफन को गोली मारी है। बड़ी मुश्किल से उससे बच कर मैं मदद मांगने आई हूँ।"
मारिया की समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे। तभी उसने रामरती को राबिंसन के साथ आते देखा। उनके हाथ में गन थी। मारिया भाग कर उनके पास गई। राबिंसन ने उन्हें देखकर कहा,
"मिसेज़ जॉन मेरा पुलिस को फोन कर सब बता रहा है। वह चोर बहुत ख़तरनाक मालूम पड़ता है। पिस्तौल है उसके पास। मैं गन लेकर अंदर जाने की कोशिश करता हूँ। आप मिसेज़ स्टीफन और उनकी नौकरानी को अपने घर ले जाइए।"
मारिया सबको अपने घर ले गई। राबिंसन ‌सावधानी से अंदर घुसे। बैठक और बीच वाले कमरे का दरवाज़ा खोलते हुए उन्होंने कहा,
"पुलिस आ चुकी है। इसलिए चुपचाप बाहर आ जाओ।"
वह प्रतीक्षा करते रहे। पर कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। उन्होंने धीरे से दरवाज़ा खोला। गन तान कर अंदर घुसे।
फर्श पर स्टीफन और चोर पड़े हुए थे।
कुछ ही देर में पुलिस आ गई। साथ में एक एंबुलेंस थी। स्टीफन और उस चोर को अस्पताल ले जाया गया।
पुलिस ने माधुरी, रामरती और पड़ोसियों के बयान लिए। नैंसी अब्राहम के पास रुक गई। मारिया माधुरी और रामरती के साथ अस्पताल चली गई।
स्टीफन जब अस्पताल पहुँचा तो उसकी हालत बहुत नाज़ुक थी। बहुत खून बह चुका था। डॉक्टरों का कहना था कि वह अपनी पूरी कोशिश करेंगे। पर कुछ कहा नहीं जा सकता है।
माधुरी का रो रो कर बुरा हाल था। मारिया और रामरती उसे समझा रही थीं।
चोर के सर पर भी गहरा घाव था।