लॉक डाउन की आखिरी सुबह.....
ध्रुव - “मम्मी.. मम्मी.., नानी.. नाना.. जल्दी ऊपर आओ, जल्दी ऊपर आओ..” |
ध्रुव की इस पुकार से सब घबरा गये और छत पर इकट्ठा हो गये | पड़ोसी भी अपनी-अपनी छत पर इकट्ठा हो गए और सामने देखकर दंग रह गए, सामने हिमालय के बर्फीले पहाड़ों की चोटियां दिख रही थी जो करीब दो सौ किलोमीटर दूर थीं, यह एक चमत्कार ही था जो सदियों बाद देखने को मिला था, सब लोग देखकर वाह-वाह कर रहे थे तभी किसी ने कहा कि वायु प्रदूषण इतना कम हो गया है जिसके कारण यह पहाड़ भी दिखने लगे, तब तक उनमें से एक बोला अरे देखो उसकी छत से कितने मोर बैठे हैं, मोर तो यहां इतने सालों से दिखते ही नहीं थे, वाह यह तो बहुत अच्छी बात है | दोपहर तक पता चला कि ऐसा बहुत सी जगह हुआ है, लोग इस बात से बहुत खुश थे यहाँ तक कि पहाड़ों पे पाया जाने वाला ब्रम्ह कमल जो खत्म होने की कगार पे था वो बहुत ज्यादा मात्रा मे खिलने लगे हैं, नदियों मे ऐसी मछलियां देखी गईं जो लगभग समाप्त हो चुकीं थी और पेड़ पौधों पे भी अलग ही रौनक थी |
उधर मंजेश मरीजों की देखभाल में जुटा था तभी एक नर्स दौड़ती दौड़ती आई और बोली, “डॉक्टर साहब कोरोना की दवाई वैज्ञानिकों ने ढूंढ ली और तो और हमारे भारतीय वैज्ञानिकों ने इस दवा को बनाया” | पूरे हॉस्पिटल में यह सुनकर खुशी की लहर दौड़ गई | पूरे देश मे लोग खुशी से झूमने लगे, हर किसी की जुबान पर बस कोरोना की दवा की ही बात हो रही थी जिसका परीक्षण किया जा रहा था, लोगों को इस बात से बहुत राहत मिली तो दुश्मन देश अपनी बेतुकी बातेँ करने लगे |
लॉक डाउन की आखिरी रात ...
मंजेश - “चलो दोस्तों.. यह तो बहुत बढ़िया है, तुम लोगों की रिपोर्ट भी निगेटिव आई है और कल तुम लोगों की छुट्टी भी हो जाएगी” |
अर्पित और मोहित खुशी से उछल पड़े |
अर्पित - “अरे वाह.. कल से लॉक डाउन भी खत्म और हमारी बीमारी का भी खात्मा |
मोहित - “अरे यार सीधा बोल इस कमीने कोरोना का खात्मा कल से हो जाएगा” |
हा.. हा.. हा.. तीनों दोस्त हंस पड़े |
मोहित और अर्पित ने कहा, “यार मंजेश तू भी अब छुट्टी ले ले, तूने तो भगवान का दर्जा ले लिया भाई, हम तुझे प्रणाम करते हैं” |
मंजेश (हंसते हुए) - “सालों बेकार का ड्रामा मत करो समझे.. पार्टी देना दोनों लोग और रही बात छुट्टी की तो बस एक हफ्ता और लगेगा बस दवा का पूरी तरह परीक्षण हो जाए फिर दवा मार्केट में आ जाए फिर कोई टेंशन नहीं” |
तीनों दोस्त फिर हंस पडे |
मंजेश - “चलो तुम लोग आराम करो, कल सुबह तुम दोनों को डिस्चार्ज कर दूंगा.. गुड नाइट” |
यह कहकर मंजेश दूसरे मरीजों को देखने लगा |
मोहित और अर्पित बहुत खुश थे इस बात से की कल उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी |
मोहित - "यार अर्पित ये कोरोना की दवाई सच में सफल होगी"
अर्पित - " क्या यार तू हमेशा ऐसी ही बातें करता है, क्यों नहीं सफल होगी जब दवाई मिल गई है तो सफल भी होगी, ऐसे अच्छे मौके पर ऐसी बातें मत कर | यह कहकर दोनों बातें करते करते सो गए |