माँ की यादें
वंदना को अपनी ज़िंदगी में खुश थी ।वो अपनी छोटी सी दुनिया आने पापा के साथ खुश रहा करती थी कालेज की कुछ बातें भी वो अपने पापा आए बता दिया करती थी। कुछ दिनों से उसके पापा उदास थे। वंदना से बात से बात करते मगर वो चाहकर कर भी वंदना से अपने चेहरे की उदासी छुपा नहीं पाए। वंदना को उनकी ये उदासी अब नज़र आने लगी थी। एक दिन वंदना ने पापा से इस उदासी की वजह पूछनी चाही मगर ।वो पूछ ना पाई। कुछ दिन और बीत गए। अब तो जैसे वंदना से बर्दाश्त नहीं हो रहा था । आखिर पापा को हुआ क्या है। वो अपने पापा के लिए खाना लेकर गयी। और उनके पास बैठी। उसके पापा ने बड़े आराम से रोटी खाते हुए बोला। क्या हुआ वन्दू क्यों परेशान है। वन्दू ने जवाब दिया मेरी परेशानी आप की ये उदासी है पापा, आखिर आप उदास क्यों है। वो कहते है अभी तो तू मेरा ख्याल रख रही है एक या दो साल में तेरा विवाह भी तो करना है। और खाने की थाली एक तरफ रखते हुए बोलते। मैं तो तेरे लिए अच्छा रिश्ता अभी से ढूंढने लग गया हूँ। वंदना गुस्से होते हुए बोलती है। पापा मुझे कोई शादी नहीं करनी ,सुन रहे है आप मुझे कही नहीं जाना है आपको अकेला छोड़कर। उसके पापा बोलते है। मैं अकेला थोड़ी हूँ। तेरी माँ का अहसास मुझे होता है इस घर में। वो इस घर में ही है मुझे पता है। वंदना को कहती हैं पापा माँ में बारे में कुछ बताओ। मुझे माँ ले बारे में जानना है। उसके पापा थोड़ा सोचते है। वंदना के दुबारा पूछने पर फिर वो जवाब देते। तेरी माँ जैसी साहसी, निडर और समझदार औरत मेरी किस्मत होगी मुझे नहीं पता था । मगर भगवान उसे मुझसे इतनी जल्दी छीन लेगा। इसकी मुझे कोई उम्मीद नहीं थी।। हम दोनों एक ही गांव के थे। तेरी माँ बहुत खूबसूरत थी। मैं ऐसा लड़का था ।कभी किसी लड़की की तरफ नहीं देखता था। हम दोनों का दूर- दूर कोई मेल नहीं था। मैं अनपढ़ था। और पढ़ी लिखी थी। मैंने कभी पढाई में रुचि ना दिखाई । क्योंकि मेरे पूरा ध्यान खेती में था। मुझे अपने पापा के साथ काम करना बहुत पसंद था। उनके साथ काम करते वक़्त मुझे बहुत सुकून मिलता था। मैं दिन भर पशुओं की देखभाल में ही गुजार देता था शाम को पशुओं का दूध भी मैं ही बेचा करता था। ऐसे बोलते हुए। वंदना के पापा हंसते है। मेरे छोटे भाई पढ़ाई करते थे। तो मैं उनको कोई काम नहीं करने देता था। अंजलि अपनी चचेरा बहन के साथ आती थी। मुझे ये नहीं पता था। अंजलि मुझे सिर्फ देखने के लिए अपनी बहन के साथ आती है। मैं ऐसा कैसे सोच सकता था। ये असंभव था। हम एक ही गांव के थे। गांव की मर्यादा मैं रहते थे। अंजली एक दम राजकुमारी जैसी थी। और तेरे नाना गांव के सरपंच बहुत कठोर दिल के पुरुष थे। उनके साथ बात करने से ही लोग डरते थे। उनके सारे फैसले सच के हक में होते थे। लोग उनसे हमेशा न्याय की उम्मीद किए करते थे। अंजलि की बहन बिंदियाँ वो जब भी दूध लेने आती । तेरी माँ को लाना कभी नहीं भुला करती थी। अंजलि बिंदियां से पता नहीं क्या फुसफुसाहट करती थी। कभी – कभी तो वो दोनों जल्दी आकर सबसे आखिर में दूध लिया करते थे। मैं हमेशा अंजलि को चुपके से देखा करता था वो बहुत अच्छी लगती थी परंतु जब मेरे दिमाग में सरपंच का विचार आता तो मैं डर जाया करता था और अपनी नज़र झुका लेता था। मैं तो सोचता था वो कभी दुकान से जाए ही ना। परंतु ये सम्भव नहीं था। गांव के हर एक लड़के के दिल में सरपंच का डर था ।क्योंकि अंजलि चुप रहने वालो में से नहीं थी। अगर उसे कोई भी लड़का परेशान करता ।पहले तो वो खुद उसका मुंह तोड़ दिया करती थी। अंत में अपने पिता जी से शिकायत कर देती थी उसके बाद उस लड़के को पीटा जाता था। उसके बाद पेड़ पर लटका दिया जाता था जब तक अंजलि को न लगे इसे छोड़ देना चाहिए। लड़के तीन घण्टों तक वृक्ष से लटके थे। और यही बात आस पास के गांव वालो को भी आता थी। वहाँ के लड़के तो डर के चक्कर में गांव में ही नहीं आते थे। महीनों तक मैंने उसे ऐसे ही देखा मगर मुझे ये नहीं पता था वो मुझसे प्यार करती है ये नहीं। वंदना कहती है तो पापा आपको कैसे पता चला माँ आपको चाहती हैं। ये बात सावन के महीने में मुझे पता चली। मैं खेत में काम कर रहा था। और बारिश काफी तेज होने लगी। खेत में बने कच्चे मकान की तरफ मैं भागा । और वहाँ रुक गया। बहुत देर हो गयी मगर बारिश रुक ही नहीं रही थी खेतों में और मकान के चारों तरफ पानी-पानी भर गया था। बारिश होते हुए पूरे 6 घण्टे बीत चुके थे। अब कमरे के भी पानी भर चुका था। मैं घबराने लगा। मेरे गुटनों तक पानी भर चुका था मैं भगवान से दुआ करने लगा भगवान बारिश बन्द कर लो। क्योंकि मुझे तैरना नहीं आता था। और अगर ऐसे ही बारिश होती रही तो मेरा डूबना पूरी तरह सम्भव है। मेरे घर जाने के रास्ते में पानी बहुत अधिक भर चुका था मैंने मकान में खड़े हुए तख्त को सीधा किया और उस पर लेट गया। और मुझे नींद आ गयी।
मुझे लगा बारिश रुक जाएगी मगर। मैं गलत था। कुछ देर बाद मुझे लगा जैसे कोई मेरा तख्त हिला रहा है मैंने धीरे से आँख खोली ओर मैं पूरी तरह से घबरा गया। वो तख्त जिसपर मै सोया था वो तैरने लगा था। पानी के बहाव की वजह से मकान की दीवारें हिलने लगा ऐसा लग रहा था जैसे बस अब मेरा अंतिम वक़्त है मैं चुपचाप बैठ कर मौत का इंतजार करने लगा। मेरे पापा को लगा बारिश रुक गयी है अब मैं वापिस आ जाऊँगा। मगर कुछ समय बाद उनको खबर मिली । पुल का बांध टूट मिल गया है गांव में अफरा- तफरी मच गई। गांव ऊँचाई पर होने के कारण सबको ये पता था गांव तक पानी नहीं आयेगा। परन्तु पिता जी को मेरी फिक्र होने लगी
अंजलि को भी ये बात पता चल चुकी थी मैं खेत में फस चुका हूं ।पानी तेज़ होने लगा किसी की हिम्मत नहीं हुई कोई मुझे बचाने के लिए आया पिता जी को भी तैरना नहीं आता था। अंजलि ने देखा कोई भी मेरी मदद के लिए नहीं जा रहा तो। उसकी आँखें रो पड़ी। दूसरी तरफ पापा रोने लगे। अंजलि शहर से पढ़ कर आयी थी उसे तैरना आता था। जिस कमरे में मैं था वो गिरने वाला था मैं किसी तरह कमरे से बहार निकल गया और अब वो तख्त तैरना शुरू किया मैं उसे नियंत्रित नहीं कर पा रहा था वो जाकर एक पेड़ में टकरा गए और मैंने जल्दी से पेड़ पकड़ लिया। पानी का बहाव इतना अधिक था ।अब मेरे हाथ से पेड़ छूटने वाला था मेरे हाथ दर्द करने लगे मैं हिम्मत हारने लगा मुझे लगा अब मैं बच नहीं पाऊंगा। और मेरा हाथ काम करने बंद हो गया और छूट गया तभी किसी ने मेरा हाथ पकड़ लिया वो अंजली थी उसने मुझे कहा पेड़ पर चढ़ने की कोशिश करो। उसने मुझे पेड़ पर चढ़कर बैठ ने को बोला मैं चढ़ गया वो अब भी नीचे थी मैंने उसे हाथ दिया और वो मेरा हाथ पकड़ कर ऊपर आ गयी। अब दोनों ने थोड़ी चैन की सांस ली। कुछ देर हम दोनों चुप हो गए। फिर वो मेरी तरफ देख ने लगी। मैंने पूछा तुम यहाँ कैसे आयी। वो इतना सुनते ही मेरे गले लग कर रोने लगी। मैंने उसे चुप करवाया। और पूछा क्या हुआ तुम रो क्यों रही हो। वो कहने लगी। अगर तुम्हें आज कुछ हो जाता तो मैं कैसे जीती ,,उसकी ये बात सुनकर मेरी आँखें भर आयी और मेरे शरीर में कंपन शुरू हो गयी। मैं चुप हो गया। वो कहने लगी । मैं तुमसे बेहद प्यार करती हूं। तुम्हें अपना पति मान चुकी हूं। मैंने कहा ये ठीक नहीं है अंजली तुम पढ़ लिखी लड़की हो और मैं तो अनपढ़ हुँ। और गांव में ये प्यार सही नहीं है। उसने कहा मुझे किसी बात से कोई फर्क नहीं पड़ता तुम मुझे इतना बता दो । क्या तुम मुझे प्यार नहीं करते मैंने कहा नहीं करता। उसने कहा मैंने तुम्हारी आंखें देखी है तुम मुझे प्यार करते हो। अगर तुम सच बोलना नहीं चाहते तो मैं अभी पानी में कूद कर अपनी जान दे देती हूं।vमैं डर गया और कहने लगा हां करता हूँ तुमसे प्यार फिर कभी मरने वाली बात मत करना ।वो मुझे गले लगाने लगी। कहने लगी ।मैं तुम्हें बचपन से चाहती हूं। मगर कभी तुम्हें कह न पाई। तुम्हारे बारे में सुनकर मेरी जान निकल गयी और मैं खुद रोक न पाई यही सोच रही थी अगर तुम्हें कुछ हो गया तो मैं कैसे ज़िंदा रहूंगी। मैंने उसकी आँखों में आंसू देखे। और कहने लगा। मैं भी तुमसे प्यार करता हुँ। बहुत समय पहले से। मगर मुझे ये नहीं पता था। तुम मुझसे भी अधिक तुम मुझसे प्यार करती हो। मैं शाखा पर लेट गया और वो मेरे सीने पर अपना सर रखकर मेरी धड़कन को महसूस करने लगी। हम ऐसे ही 6 घण्टे तक पेड़ पर रहे जब तक पानी कम नहीं हुआ उसने और मैंने आने दिल की बातें की। ओर हमने शादी करने की योजना भी पेड़ पर बैठे हुए ही बनाई। उसी वक़्त उसने तुम्हारा नाम भी सोचा था मगर मुझे नहीं बताया। फिर वो कहने लगी। हम दोनों ने बहुत सारी बातें की और काफी हंसी मजाक किया। वो 6 घण्टे मेरी ज़िंदगी के सबसे हसीन 6 घण्टे थे। फिर हम दोनों बहुत खुश हुए ।क्योंकि पानी बहुत कम हो चुका था। वो मेरी कमर तक था। अंजलि बहुत थक चुकी थी मैंने उसे गोद में उठा लिया। और चलने लगा। वो मेरी तरफ देख कर मुस्करा रही थी। मैंने कहा तुम मुस्कराती हुई। बहुत अच्छी लगती हो। कहने लगी। इस मुस्कराहट की वजह भी तो तुम हो। हमेशा मुझे ऐसे ही उठा कर चलोगे। मैंने कहा तुम बहुत भारी हो। हमेशा तो नहीं कभी -कभी जरूर उठा लिया करूँगा। फिर गांव के पास पहुंच कर मैंने उसे उतार दिया हम दोनों के कपड़े कीचड़ में सने हुए थे। गांव के लोग हम दोनों को देखे जा रहे थे। हमें बिलकुल अच्छा नहीं लगा। फिर मैंने देखा सरपंच हमें पूरे गुस्से में देख रहा था मैंने हाथ जोड़ते हुए कहा। अंजलि ने सिर्फ मेरी जान बचाई है। सरपंच बोला शिव 0रसद ले जा आ0ने बेटे को मेरे बेटी ने तो इसकी जान बचाई है कहीं मैं इसकी मौत की वजह न बन जाऊं। मुझे पता नहीं था। पापा मेरे पीछे खड़े है और मैंने एक दम से गर्दन घुमाई और डर गया। पापा कुछ नहीं बोले। और घर चलने को बोला। घर पहुंचते ही वो कहने लगे जा नहा ले। मैंने कहा ठीक है पापा में जाने लगा। और फिर वो कहने लगे। वो लड़की गांव की है। मैं नहीं जानता वो लड़की वहाँ कैसे पहुंची। तू बस एक बात ध्यान रखना बेटा अगर मेरी पगड़ी पर दाग लगा। तो मुझे अपनी शक्ल भी कभी न दिखाना। मैं पापा की बातों से डर गया और रात भर सोचता रहा क्या करूँ। कैसे भूल सकता हूं अंजलि को फिर कुछ दिन बीत गए न अंजलि मुझसे मिली न मैं उसे। दूध भी सरपंच ने बंद करवा दिया। एक दिन जब मैं खेत में काम कर रहा था। तो अंजलि वहां आ गयी। कहने लगी मुझे डर लग रहा है पापा मुझे घर से बिल्कुल भी बहार नहीं जाने देते ।आज वो पंचायत में गए है। इस लिए मैं तुमसे मिल पाई। मैंने कहा अब हम कभी नहीं मिलेंगे। वो रोने लगी उसकी आंखें आँसू से भरी हुई थी । वो बिना कुछ बोले जाने लगी । मैं ये सब देख नहीं पा रहा था। मैंने उसे रोका और गले लगा लिया। वो सिसकियाँ भरने लगी। मुझे समझ नहीं आ रहा था। मैं क्या करूँ। पापा की बात पर ध्यान दूँ। या फिर उस पर जो सिर्फ मुझे प्यार करती हैं मेरे दूर होने से अपने प्राण त्याग सकती है। मैंने उसके बालों को सहलाते हुए कहा सुनो । वो मेरी तरफ देखते हुए बोली। तुम्हें दूर होना । हो जाओ। तुम ये डर है मैं मर जाऊंगी । नहीं मरती। तुम अपने पापा से प्यार करते हो न मैं भी करती हूं। अब हम नहीं मिलेंगे कभी वो जाने लगी। मुझे ऐसे महसूस होने लगा जैसे वो हमेशा के लिये जा रही है। मुझे डर लगने लगा। मैंने कहा मत जाओ। वो हिम्मत से बोलती है। तुम्हारी भी तो यही मर्जी है अगर तुम जिंदा रह लोगे तो मैं भी कोशिश तो कर सकती हूं। मैं ने कहा नहीं रहूंगा जिंदा वो गले लग गए। और जोर- जोर से रोने लगी। मैंने उसे कहा शादी करोगी। वो कहने लगी हर जन्म में तुमसे ही करना चाहती हूं। मैंने कहा। इस जन्म मैं तो कर लो आगे की आगे देख लेंगे। वो मुस्कराई मैं भी हल्का सा मुस्करा रहा था। 2 दिन बाद मैं तुम्हें ले जाऊंगा। वो कहने लगी ।ये 2 दिन कैसे गुजरेंगे। मैंने कहा मुझे रहने की व्यवस्था करनी होगी। हम दोनों का घर होगा वो। वो कहने लगी मेरा तो सब कुछ तुम हो। मैंने कहा वो ज्यादा अच्छा नही होगा। वो कहने लगी। तुम अच्छे तो घर अच्छा न भी हो । मैंने कहा ठीक है तो तुम अब जाओ 2 दिन बाद मैं तुम्हें यहीं रात में मिलूंगा। और वो चली गई ।जाते हुए उसकी आँखों आंसू थे मगर वो खुशी के थे। मैंने बहुत सोचा मगर मेरे पास कोई भी सरल तरीका नहीं था। अब मुझ घर तो त्यागना ही था। 2 दिन सोचने के बाद कोई भी हल नहीं मिला। मैं अंजलि से दूर नहीं हो सकता था। मैंने सोचा ।पापा को बाद में कैसे भी मना लूंगा। और ये सोच कर मैंने प्रेम विवाह करने का निश्चय कर लिया। दो दिन बीत गए ।आज दूसरे दिन की रात थी। मैं अपने लिए कुछ कपड़े और पैसे लेकर उसी जगह पहुंच गया। जहाँ मैंने उससे मिलने को बोला था। वो भी आ गयी ।उसने भी एक बैग ले रखा था। जिसमें उसके कपड़े थे। वो मुझसे कहने लगी ।मैं पैसे लेकर नहीं आई हूं। मुझे चोरी करना अच्छा नहीं लगा। मैंने कहा कोई बात नहीं तुम्हें पैसे की क्या जरूरत मैं हूं ना। तुम क्यों चिंता करती हो। उस रात मैं उसे दूसरे गांव में ले गया। जहाँ मैंने अपने एक मित्र से कमरा किराये पर लिया था। मैंने उसे कहा अब तुम सो जाओ। कल सुबह हमारी शादी है। वो कहने लगी ठीक है जी। मैं हँसने लगा। मैंने कहा। अभी शादी हुई नहीं है। अभी जी लगा कर बात करोगी। वो कहने लगी। मुझे अच्छा लगता है। आपको ऐसे बुलाना मैं आपको ऐसे बुलाने के बहुत दिनों से बेताब थी। मैंने कहा अच्छा ठीक तुम अब सो जाओ। कल सुबह मंदिर चलेंगे। शादी वही होगी। वो मुझे देखती-देखती सो गई। अगली सुबह मेरी आँख भी नहीं खुली थी और वो मुझसे पहले तैयार हो गयी। उसने मुझे कहा उठ जाओ। मैं उठ गया। हम दोनों शादी के लिए मंदिर चले गए। शादी होने के बाद वो बहुत खुश थी कहने लगी अगर तुम मुझे न रोकते तो मैं कभी तुम्हें न दिख पाती । मैंने कहा भूल जाओ सब। हम अब एक है आओ भगवान से हमारी गृहस्थ जीवन की कामना करते हैं। शादी के कुछ दिन बीत गए। मेरे जितने पैसे थे। वो भी खत्म होने वाले थे। मैंने काम ढूंढना शुरू कर दिया। मगर कहीं पर भी काम नहीं मिल रहा था। सब जगह पढ़ाई वाले आदमी की जरूरत थी। मैंने अंजलि को ये सब बताया तो वो कहने लगी ।वो नौकरी कर लेंगी। मैंने उसे मना कर दिया ।आखिर मैंने उससे नौकरी करवाने के लिए शादी नहीं की। मैंने उसे साफ ही मना कर दिया। फिर मुझे एक काम मिल गया। मगर उस काम के बारे में मैंने अंजलि को नहीं बताया। वो काम मजदूरी था आखिर मैं उसे कैसे बताता। वो काम से ही खुश थी। फिर जैसे तैसे काम चल रहा था कभी मेरा काम लगता कभी नहीं मैं इतना पैसा नहीं कमा पा रहा था जिससे हम दोनों अच्छे से खर्च कर ले। 4 महीने बीत गए। हम सिर्फ खाना ही खाते थे ।मैं उतने पैसे नहीं कमा पाता जिसे बाकी की खुशियां खरीद सकूँ। अंजलि अपने घर से 3 जोड़ी ड्रेस लेकर आई थी। वो उसे ही धो-धो कर पाया करती थी। मेरा भी कुछ हाल ऐसा ही था। मगर वो मुझसे कभी किसी चीज़ की शिकायत नहीं करती थी। कभी कोई डिमांड भी नहीं करती। पता नहीं क्यों वो बहुत कमजोर हो गयी थी। जब मुझे इस बात का पता चला तो मैं उसके गले लग कर बहुत रोया।। वो खाना बहुत कम खाने लग गयी थी कभी- कभी तो खाती भी नहीं थी। मैंने उसे कहा। तुम ऐसा करोगी तो क्या होगा। दोनों साथ -साथ एक जैसे दर्द सहने की बातें की थी। अब तुम ऐसे मत करना अगर मैं 2 रोटी खाता हूं। तो तुम्हें भी 2 ही रोटी खानी होगी। वो कहने लगी। आपको ज्यादा जरूरत है आप ज्यादा मेहनत वाला काम करते हो। मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो मुझे सब पता है। मैं नाराज नहीं हुँ। मैंने कहा मेरी वजह से तुम्हें ये दिन देखने को मिल रहे है। वो कहने लगी। अगर तुम साथ हो न तो ये दिन मेरे लिए कुछ भी नहीं। मैं खुश हूं तुम्हारे साथ । मैंने फिर उसका ध्यान रखना शुरू कर दिया । रोटी मेरी साथ बैठ कर ही खाती। एक दिन मैंने उसके लिए एक साड़ी खरीद ली। मैंने जब उसे वो साड़ी दिखाई वो खुश होने की जगह और मुझपर गुस्सा होने लगी कहने लगी आप ये फालतू का खर्च क्यों करके आये। मैंने आपसे कहा कि मुझे साड़ी चाहिए। मैंने कहा तुम रख लो सस्ती ही लाया हूँ। वो रोते हुए मेरे पास आई। और कहने लगी। मुझे कोई दुख नहीं है। ना आपसे कभी कोई शिकवा। आप मुझे इतना प्यार करते हो तो मैं खुद को बहुत भाग्यशाली मानती हूं। डेढ़ साल बीत गए। अब मैं अच्छे ख्याल रख रहा था। उसने मुझे बता दिया था ।कि मैं बाप बनने वाला हूँ। डॉक्टर की बात-बात से मैं घबरा गया था डॉक्टर ने कहा था आपकी पत्नी मैं खून बहुत कमी है। जिससे डिलीवरी में परेशानी हो सकती हैं। मैंने बहुत कोशिश की उसके लिए अच्छा से अच्छा खाना पीना उपलब्ध करवाने की ।मगर मैं पूरी तरह से उसके लिए उपलब्ध करवा सका। वो कहने लगी। हमारी बेटी हुई तो उसका नाम वंदना रखेंगे। और बेटा हुआ तो आप नाम रखना । मैंने कहा ठीक है। मगर वो तुम्हें जन्म देते ही हमसे दूर चली गयी। अंजलि मुझे हमेशा इस घर में महसूस होती है।