पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे मज़ाक मज़ाक में कही रिया और मनीष की कुछ बातें राहुल को बुरी लग जाती हैं और राहुल गुस्से में आकर मनीष को गाड़ी रोकने के लिए कहता है,लेकिन मनीष गाड़ी नहीं रोकता तो राहुल कूदने की बात कह कर गेट खोल देता है और रिया राहुल से सॉरी बोलते बोलते उसे समझाती है,पर हालात बिगड़ते देख मनीष ज़ोर से ब्रेक लगा कर बीच सड़क पर ही गाड़ी रोक देता है।
अब आगे
गाड़ी रुकते रुकते ही राहुल बाहर निकल कर वापस लौटने लगते है...रिया और मनीष के कुछ समझ नहीं आता कि आखिर ये हुआ क्या? रिया-'मेने तो कुछ ऐसा बोला भी नहीं'...इधर दोनों कुछ समझ नहीं पाते,उधर राहुल चलता चला जा रहा होता है..
इस सब का टाइम नहीं है अभी! चल उस पागल को पकड़ पहले, मनीष रिया को बोलते हुए जल्दी से उतर कर राहुल के पीछे तेज़ी से बढ़ता है,साथ ही रिया भी उतरती है पर कुछ दूर चलते ही रोने लगती है और सड़क पर ही बैठ जाती है...मनीष जाकर पीछे से राहुल के कंधे पर से उसकी शर्ट पकड़ लेता है 'क्या हुआ भाई! ऐसा क्या कह दिया हमने' 'मनीष' के पूछने पर भी 'राहुल' कुछ नहीं कहता बस नज़रें घुमाए खड़ा रहता है...
"चल अब बोहत हुआ। चल! चलकर बैठ तुझे नहीं जाना तो कोई बात नहीं...वापस चलते हैं" 'मनीष' 'राहुल'को समझा रहा होता है तभी उसकी नज़र आस पास कुछ ढूंढते हुए रिया पर पड़ती हैं...रिया सड़क पर ही बैठ कर रो रही होती है,(करीब 11 बज रहे होते हैं और सड़क पर अच्छा खासा सन्नाटा होता है)
रिया! रिया! राहुल की शर्ट छोड़ कर मनीष ज़ोर से रिया की तरफ दौड़ता है...राहुल भी रिया को देखता है और उसकी तरफ चलता हुआ जाता है, "चुप हो जा रिया। इसमे रोने की क्या बात है?"(मनीष रिया के पास बैठते हुए कहता है)....रिया खुद को चुप कराते हुए आँसू भरी नज़रों से राहुल की तरफ देख कर बोलती है..."अगर मेरी कोई बात तुझे अच्छी न लगी हो तो उसके लिए सॉरी! सॉरी राहुल! आगे से में कभी ऐसे तुझसे बात नहीं करूंगी " इतना सुनते ही राहुल ज़ोर ज़ोर से हंसने लगता है...हंसते हंसते सड़क पर ही लोट पोट होकर बैठ जाता है...हंसते हंसते उसके आँसू तक निकल आते हैं।
रिया चुप हो जाती है, मनीष उसे उठाता है और दोनों खड़े होकर राहुल को घूरने लगते है।"रिया-व्हाट इस दिस?" कहीं ये पागल तो नहीं हो गया रिया, 'राहुल! यहां कॉमेडी चल रही है या हमने कोई जोक मारा है'(मनीष गुस्से में तेज़ आवाज़ से बोलता है) उठ कर जवाब दे वरना मैं रिया को लेकर सच मे वापस जा रहा हूँ! राहुल हँसते हँसते खड़ा होता है लेकिन उसकी हंसी ही नहीं रुकती। रिया! चल इसे हँसने दे...चल इसकी ट्रीट व्रीट गयी भाड़ में! रिया और मनीष कार की तरफ बढ़ते हैं तभी हंसते हुए 'हा हा हा भाई! भाई! भाई! रुक तो! रिया यार मेरी बात तो सुन'
रिया-मुझे कुछ नहीं सुन ना हम जा रहे हैं वो भी तुझे यहीं छोड़ कर चल अब अपनी ट्रीट रख अपने पास और खुद ही चले जइयो अब घर। 'मैं बताता हूँ न वैसे रोते हुए तू जोकर लगती है पूरी की पूरी'
मनीष-अब कुछ मत बता जा हंस ले तू पहले चल निकल अब। 'भाई सुन तो ले एक बार' नहीं!मुझे कुछ नहीं सुन ना हम जा रहे हैं बस तूने पूरा का पूरा मूड खराब कर दिया और बधाई हो तुझे तेरे कॉलेज के लिए "क्या? क्या बोल रहा है भाई? राहुल भाग कर रिया का हाथ पकड़ लेता है और मनीष के गले लग जाता है 'तुम जान हो यार मेरी,ऐसे गुस्सा मत हुआ करो यार,मुझे बोलने का मौका तो दो'। 'तुझे मौके की अब ज़रूरत नहीं और एक बात अब हमारी दोस्ती खतम' मनीष राहुल को पीछे हटाता है और रिया का हाथ छुड़ा कर दोना गाड़ी में बैठ जाते हैं,मनीष गाड़ी भी चालू कर देता है। अब राहुल की हँसी,रोने में बदलने लगती है...गाड़ी धीरे से आगे बढ़ती है और राहुल ज़ोर से चिल्लाता है "तुम मज़ाक करो तो ठीक और मैने कर दिया तो अब बुरा लग गया। आइ एम सॉरी! वेरी सॉरी यार!" (राहुल रोने लगता है) सॉरी बोला ना यार अब क्या करूं? कुछ बोलो तो? लेकिन मनीष बिना कुछ कहे रिया को लेकर चल पड़ता है और तभी फ़ोन बजता है 'राहुल का फ़ोन' जो कि कार में पीछे रखा था...
आगे की कहानी अगले भाग में पढ़िए।