इति मार्ग की साधना पद्धति
10. आनन्द योग - ध्यान-योगाभ्यास से लाभ
(1) मस्तिष्क पवित्र, शांत, प्रसन्न एवं स्थिर रहता है ।
(2) चित-वृत्तियों का सहज निरोध होता है ।
(3) सभी कार्यों में पूर्ण कुशलता एवं दक्षता की प्राप्ति होती है ।
(4) शरीर में स्फूर्ति की अनुभूति होती है ।
(5) निद्राः योग-निद्रा में परिवर्तित हो जाती है ।
(6) विचार एवं स्मरण शक्ति में अद्भुत वृद्धि होती है ।
(7) सुन्दर-सुन्दर भावनायें-‘‘सर्वे भवन्तु सुखिनः'' एवं सेवा भाव आदि कि अभिवृद्धि ।
(8) आत्मा एवं परमात्मा का अनुभव ।
(9) निष्काम कर्म का अभ्युदय ।
(10) जीवन-मुक्त अवस्था की प्राप्ति ।
जीवन-मुक्त अवस्था व शाश्वत आनन्द की प्राप्ति के लिए अपने जीवन की दौड़ की दिशा बदलनी होगी । अभी हम पद-प्रतिष्ठा, मान-सम्मान, सम्पति, स्त्री, पुत्र तथा अन्य सांसारिक उपलब्धियों के क्षणिक सुखों में इस शाश्वत आनन्द को खोज रहे हैं। उसका इन सभी में मिलना सर्वथा असम्भव है।
जब हम अपने जीवन व चेतना को अन्तर्मुखी करके अपने अन्दर की ओर चलना प्रारम्भ कर देते हैं तो स्थूल शरीर, सूक्ष्म शरीर और कारण शरीर के आवरणों को भेद कर आत्म - साक्षात्कार की मंजिल तक पहुंच जाते हैं । तभी अक्षय व शाश्वत आनंद की प्राप्ति होती है। यही मानव-जीवन का चरम लक्ष्य एवं सर्व श्रेष्ठ उपलब्धि है।