इति मार्ग की साधना पद्धति
9. संक्षिप्त जीवन परिचय
संरक्षक, अखिल भारतीय संतमत सत्संग (रजि.)
आधुनिक काल में आनन्द-योग के वर्तमान पथ-प्रदर्शक परम सन्त महात्मा श्री सुरेश जी (परम पूज्य भैया जी) का शुभ जन्म तपोमय गृहस्थ सन्त एवं संस्थापक अखिल भारतीय संतमत सत्संग परम सन्त महात्मा श्री यशपाल जी महाराज एवं परम सन्त पूज्या श्रीमती रूपवती देवी जी (पूज्या माता जी) के संतान के रूप में 17 अगस्त, 1953 को जबलपुर (म.प्र.)में हुआ । प्रारंभिक व अभियान्त्रिकी (Engineering) शिक्षा प्राप्त कर आप इन्डियन टेलीफोन इन्डस्ट्रीज (ITI) रायबरेली (उ.प्र.) में कार्यरत हुए । आप अपनी कर्तव्य निष्ठा अध्यवसाय व दक्षता के फलस्वरूप वहाँ पर Safety Engineering का कार्यभार संभालते रहे । ये कार्य अत्यन्त कुशलता एवं सर्तकता के थे जो आपने प्रशंसनीय रूप से संपन्न किये। अपने सेवा काल के शेष 15 वर्ष इन्डियन टेलिफोन इन्डस्ट्री में दिल्ली समन्वय कार्यालय (ITI Limited Delhi Co-Ordination Office) में प्रबन्धक (Manager) का कार्यभार कुशलतापूर्वक संपन्न करके 31 अगस्त 2011 को आप सेवा-निवृत हुए ।
आध्यात्मिक जीवन के गुण व विशेषताएं आप में जन्म जात प्राप्त है जो कि आपके खून में समाहित व नसों में प्रवाहित हो रहा है । आपको (परम पूज्य सुरेश भैया जी) जीवन के 12 वें वर्ष ही में पूज्य सद्गुरुदेव परम सन्त महात्मा श्री यशपाल जी महाराज (परम पूज्य भाई साहब जी) के द्वारा दीक्षा प्राप्त हुई । आपको पूज्य भाई साहब के सानिध्य में अनेकानेक उत्कृष्ट आध्यात्मिक अनुभव हुए। पूज्य सद्गुरुदेव जी फरमाते थे कि आपका जन्म परम सन्त महात्मा श्री बृजमोहन लाल जी महाराज (सद्गुरुदेव परम सन्त महात्मा श्री यशपाल जी) की दया व दुआ से हुआ है तथा आप परमात्मा की कृपा से आध्यात्मिक चरमोत्कर्ष को प्राप्त करेंगे। स्वयं दद्दा जी महाराज ने दिनांक 19.08.53 को इन शब्दों में आर्शीवाद दिया था-‘अजीज पोते का शुभ जन्म होना मालुम होकर सबको अत्यन्त खुशी हुई है। भगवान् उसकी उम्र दराज करे और चिरंजीव व बड़ा ही बरकत वाला हो।' आपका जीवन सरल सहज व आत्मीय आकर्षण से ओत-प्रोत रहा है। आप बचपन से ही सत्संग के कार्यों के प्रति समर्पित रहे हैं।
अपने पूज्य सद्गुरुदेव परम सन्त महात्मा श्री यशपाल जी महाराज एवं परम पूज्या माता जी परम सन्त महात्मा श्रीमती रूपवती देवी के निर्देशानुसार परम्परा के सद्गुरुओं द्वारा प्रदत्त ब्रह्म विद्या की ज्योति प्रज्ज्वलित करने एवं आनन्द योग के क्रियात्मक योगाभ्यास द्वारा इस आध्यत्मिक सुधा धार को इस धरा-धाम पर निरन्तर प्रवाहित करने में सतत् तत्पर हैं।
आप अपने पूज्य सद्गुरुदेव के जीवन काल से ही अगस्त 1994 से सत्संग कायक्रमों का संचालन करने लगे और तभी से देश के सभी प्रांतों में आप सत्संग के प्रचार-प्रसार के कार्य को तन मन धन से संलग्न होकर संपन्न कर रहे हैं।
यह उल्लेखनीय है आपके अहर्निश प्रयासों के फलस्वरूप आज गृहस्थ धर्मानुकूल सत्संग का जो स्वरूप है उसमें आपके साथ रहने वाले परिवार के सभी सदस्यों एवं आपकी सह धर्मिणी परम पूज्या श्रीमती ममता जी का अमूल्य योग दान है। परम पूज्या श्रीमती ममता जी बच्चों के पालन पोषण एवं आजीविका का उपार्जन व अन्य सांसारिक दायित्वों को निभाने के साथ-साथ सत्संग के सारे कार्यों व कार्यक्रमों में आपके साथ कदम ब कदम निरन्तर सन्लग्न हैं ।
परम सन्त महात्मा श्री सुरेश जी (परम पूज्य भैया जी) के द्वारा वर्ष के प्रत्येक माह में राष्ट्रीय सत्संग के कार्यक्रम देश के विभिन्न प्रदेशों में भिन्न-भिन्न सत्संग केन्द्रों पर संचालित किये जाते हैं । इन सत्संग कार्यक्रमों के अतिरिक्त प्रत्येक रविवार व गुरुवार-साप्ताहिक सत्संगों के संचालन के साथ-साथ श्रद्धालुओं व जिज्ञासुओं के आध्यात्मिक साधना व सांसारिक कार्यों के भ्रम व व्यवधान का निराकरण व्यक्तिगत रूप से पत्रों एवं दूरभाष द्वारा किया करते हैं।
आध्यात्मिक साधना सत्संग के उत्तरोत्तर आयोजन से देश के लगभग सभी प्रांतों के लाखों श्रद्धालु साधक इस आनन्द योग साधना पद्धति से अवगत होकर इसके अभ्यास से अपने गृहस्थ जीवन की यथार्थ सफलता एवं आत्मिक आनन्द व अनुपम शान्ति प्राप्त कर रहे हैं ।
इस प्रकार इति मार्ग-आनन्द योग की इस विद्या को आत्मसात् कर जन-जन तक पहुंचाना ही आपके जीवन का उद्देश्य बन कर रह गया है ।