anjana rishta - 4 in Hindi Fiction Stories by suraj sharma books and stories PDF | अन्जान रिश्ता - 4

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अन्जान रिश्ता - 4

संगीत का दिन था, सब अपने अपने डिज़ाइनर कपड़े पसंद करने में लगे हुए थे, दादी टेंशन में थी, सब लोग मानो बस काम कर रहे है पर ध्यान कहीं और था। फकीर बाबा का एक भक्त भागते हुए आया और दादी को जाकर बोला " गया, बाबा गया," दादी ने जैसे तैसे अपनेआप को संभाला और मंदिर रूम में जाकर भगवान के पास जाकर बैठ गई कहने लगी "ये सब मेरे वजह से हुआ है, बड़ा पाप किया है मैंने, इसकी सजा तो मुझे मिलना ही चाहिए, की तभी सब पीछे से सुन रहे थे
रानी के पापा ने पूछा क्या हुए, अम्मा? ऐसी कौनसी गलती हो गई आपसे? दादी ने खुदको संभालते हुए कहा, " नहीं, कुछ नहीं शादी के बाद हम बात करेंगे" जा तो देख सब ठीक से हो रहा है या नहीं।।
जैसे तैसे दिन गुजर गया, रात को सब अपने कपड़े पहन कर संगीत प्रोग्राम में आने के लिए तयार हो रहे थे, दादी भी आकर बैठ गई, अमावस्या की काली रात थी चारों तरफ मानो अंधेरा सा छा गया था गांव में वैसे भी शाम के बाद कोई बाहर नहीं निकलता है, एक तरफ सब डांस की प्रैक्टिस कर रहे थे और दूसरी तरफ सोच रहे थे ऐसी क्या गलती कि होगी दादी ने जो इतनी डरी हुई है, अब सबकी नज़रें टिकी हुई थी तो बस रानी पर "रानी जाओ बेटा, बाकी के बच्चो के पास जाकर बैठ जाओ, पापा ने कहा पर रानी ने कहा नहीं पापा "आज तो मुझे दादी की गोदी में ही बैठना है" और वो पापा का हात छोड़कर ऐसे भागी जैसे बच्चा खिलौना देख कर भगा है, दादी चुपचाप थी, वो दादी के गोदी में बैठ गई, और सब देखते रह गए।। क्युकी दादी ने आजतक किसी भी लड़की को गोदी में नहीं बिठाया था बल्कि उन्हें तो लड़की पसंद भी नहीं थी, उन्हें बस अपने घर में लड़के चाहिए थे.
वहां प्रोग्राम चल राहा था और यहां गोदी में बैठ रानी को देख दादी के पसीने निकल रहे थे पर दादी उसको गोदी से उठा ना सकी, रानी दादी के गोदी में बैठने के बाद बहोत खुश हो गई थी जैसे मानो उसे किसीने चॉकलेट दे दिया हो।। तभी अचानक घर की बिजली चली गई और जैसे ही बिजली आई रानी और दादी दोनो अपनी जगह से गायब थे, सब लोग मिलकर उन्हें ढूंढ ही रहे थे कि तभी ऊपर टैरिस पर से दादी की आवाज़ आई "मुझे माफ़ करदो, छोड़ो मुझे" घरवाले ऊपर की ओर भागे और सबने जो देखा बस देखते ही रह गए, रानी दादी के छाती पर पैर देकर खड़ी थी, दादी जो पूरे गांव को बस में करने की ताकत रखती थी रानी के सामने मानो बिल्ली बन गई हो, रानी के बाल खुले थे, आवाज़ ऐसी आ रही थी जैसे कोई रोबोट या कोई शक्ति बोल रही हो, आंखे लाल और चेहरा जैसे पूरा ब्रह्माण्ड उसमें हो।। रात का वक़्त, हवा की सनसन भी सुनाई दे इतनी खामोशी
पापा ने कहा रुक जा बेटा ये क्या कर रही है, दादी है तुम्हारी, छोड़ दे, क्या हो गया है तुझे?..रानी ने दादी को ओर देखते हुए कहा" क्यों बुढ़िया तू बताती है या मै बताऊं?