Naak Unchi ho gayi in Hindi Children Stories by Sneh Goswami books and stories PDF | नाक ऊँची हो गई

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नाक ऊँची हो गई

नाक ऊंची हो गई


एक दिन अचानक तेज हवाएँ चलने लगी। आँधी में पास पास उगे गेहूं और चने के पौधे बुरी तरह से हिल गये। और अचानक चने का पौधा जा टकराया गेहूं से। तुरंत अपने आप को संभाला। सोरी कहने ही वाला था पर गेहूं तो गुस्से में उबाल खा रहा था।
“ ओए तू ठिगने , तेरी ये मजाल “ ।
चना भी मुकाबले में आ गया - तू अपने आप को समझता क्या है पतलू कहीं का ।

अलसी ने बीच बचाव करने की कोशिश की – “ गेहूं भाई उन्होंने कौन सा जान बूझकर किया है और तुम्हें चोट लगी क्या ?”

चने भाई ,तू ही थोडी शांति रख ले ।
पर अलसी बेचारी की कौन सुनता ।
गेहूं और चने की बहस चल पड़ी। दोनों यह साबित करने में लगे थे कि वे दूसरे से बड़े हैं। जब लंबी बहस का कोई परिणाम नहीं निकला तो मक्का को फैसला करने के लिए बुलाया गया।
मक्का ने कहा – “ पहले तुम दोनों शांत हो जाओ फिर बारी बारी से बताओ कि तुम बड़े कैसे हो । “
गेहूं ने घमंड से कहा –“ मैं सभी अनाजों में बङा हूँ । सब मुझे पसंद करते हैं । मेरे आटे की रोटी सभी चाव से खाते हैं। मुझे पीस कर पूरी और परांठे बनाए जाते हैं। मेरा आटा महंगा होता है। मेरा दलिया भी बन सकता है “ ।
“ अब तुम बताओ “ , मक्का ने शांत खड़े चने से कहा।
“ श्रीमान मैं क्या बोलूं।मैं तो साधारण सा अनाज हूँ । जब मैं छोटा होता हूँ , लोग मेरे पत्ते तोड़ कर साग बना लेते हैं।जब थोड़ा ही बड़ा होता हूँ तो लोग हरा चना कह कर कच्चा खा लेते हैं । उनकी पत्नी मेरे दाने निकाल कर सब्ज़ी बना लेती है। थोड़ा पकना शुरू होता हूं तो लोग होले भून कर खा लेते हैं। जब मैं पूरा पक रहा हूं तो काले चने की सब्जी बनती है जिसे हर आयु के लोग बङे चाव से खाते हैं । खुछ चनों की लोग दाल दलवा लेते हैं उसमें भी कुछ से बेसन बनाए जाता हैं। फिर बेसन के लड्डू , बर्फी, से लेकर हलवाई तरह तरह के पकवान और मिठाइयाँ बनाकर बेचते हैं। अगर नमकीन पसंद है तो भजिया, पकौड़े, पकौड़ी जो चाहे बना लो। भगवान को प्रशाद में मुझसे बने बूंदी और मोती चूर के लड्डू बहुत पसंद हैं। मेरे सूप पीकर तो बीमार भी ठीक हो जाते
हैं “
चना अभी यह सब बोल ही रहा था कि गेहूं ने गुस्से में अपने पेट पर जोर से नाखून चुभा लिए।
साथ उगी फसलों ने एक सुर में देखा तो कहा – “ फैसला हो चुका । गेहूं ने अपनी हार स्वीकार कर ली है । चना जीत गया “
चने ने सुना तो उसकी नाक गर्व से ऊँची हो गई।
तब से आज तक हर गेहूं के पेट में लकीर होती है और चना उसके तो क्या् कहने । उसके हर दाने की नाक सदा के लिए ऊँची हो गई है ।