mai tutkar nahi bikhrunga in Hindi Motivational Stories by Saroj Prajapati books and stories PDF | मैं टूटकर नहीं बिखरूंगा

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मैं टूटकर नहीं बिखरूंगा

रात को धड़ाम की आवाज से सुषमा की आंख खुली। उसनेे लाइट जला कर देखा तो उसके पति तो वहीं सो रहे थे लेकिन बेटा वहां नहीं था। रात को वह उनके साथ ही तो सोया था। अनजानी आशंकाओं से उसका मन जोर-जोर से धड़कने लगा। वह हिम्मत जुटा कमरे से बाहर गई तो बेटे के कमरे की लाइट जली हुई थी।
उसने झांककर देखा लेकिन वह वहां भी नहीं था। बाथरूम चेक किया वह भी खाली। अब वह बुरी तरह घबरा गई। तभी उसकी नजर बालकनी की ओर गई। जिसका दरवाजा खुला हुआ था। सुषमा का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।
चाह कर भी उसके कदम आगे नहीं बढ़ रहे थे।

कहीं! कहीं! नहीं... नहीं... मैं क्यों ऐसा सोच रही हूं।

हिम्मत जुटा वह बालकनी में गई तो देखा, वहां राहुल खड़ा था। उसे देख उसने राहत की सांस ली। पास जाकर जैसे ही उसने राहुल के कंधे पर हाथ रखा, वह चौंक कर उसकी ओर मुड़ा।
"राहुल तुम रो रहे थे!"
" नहीं तो मम्मी नहीं!"
" बेटा क्या बात है! इतना परेशान क्यों है?"
"कुछ नहीं मम्मी, आप सो जाओ!"
"तुझे परेशान खड़ा छोड़, मैं कैसे सो जाऊं!"
" प्लीज मम्मी कुछ समय के लिए मुझे अकेले छोड़ दो। मैं अपने आप अंदर आ जाऊंगा।"
सुषमा कुछ देर शांत रही फिर बोली
"बेटा बचपन में तू छोटी से छोटी बात मुझे बताता था। तू ही तो कहता है कि आप मेरी बेस्ट फ्रेंड हो। फिर आज! आज अपनी फ्रेंड को कुछ नहीं बताएगा!" सुषमा ने उसके सिर पर प्यार से हाथ रखते हुए कहा तो वह फूट-फूट कर रोने लगा बेटे को ऐसा रोता देख , उसका भी दिल भर आया। वह उसे शांत कर अंदर ले आई।
पानी पीने के बाद वह बोला "मम्मी NEET का रिजल्ट आ गया और मैं मैं...!" कहते हुए वह फिर से सिसक उठा।

"मम्मी, मैं आप लोगों का सपना पूरा नहीं कर पाया। सॉरी मम्मी!"
"इतनी सी बात के लिए तू रात से अपने आपको परेशान कर रहा था । अरे, तू इस दुनिया का आखिरी इंसान थोड़ी ना है, जो फेल हुआ है। बड़े से बड़े महान लोग भी कभी ना कभी अपने जीवन में नाकाम हुए हैं और उनमें से एक तेरी मम्मी भी है। पता है टेंथ के बोर्ड में मेरे सिर्फ 45% मार्क्स आए थे। भई , हमने तो फिर भी यह सोच पार्टी की थी कि मैंने तो अपना बेस्ट दिया था अब नंबर नहीं आए तो इसमें मेरा क्या दोष ! अगली बार और मेहनत कर लेंगे। तू भी यही मूल मंत्र अपना ले। जीवन में कभी दुखी नहीं होगा।" सुषमा जी उसे हंसाने की कोशिश करते हुए बोली।
"लेकिन मम्मी, पापा! पापा को जब पता चलेगा तो वह कितने दुखी होंगे!"
"क्यों दुखी होंगे भई तेरे पापा! मैंने भी कई बार फेलियर का मुंह देखा है और फिर जाकर यह मुकाम पाया है । वैसे भी सफलता का असली मजा तो असफलता का स्वाद चखने के बाद ही आता है।" दरवाजे पर खड़े राहुल के पापा ने कहा।
"पापा आप गुस्सा नहीं हो!"
" बिल्कुल नहीं बल्कि इस बात से नाराज हूं कि तू ज्यादा ही बड़ा हो गया है, जो हमसे अपनी बातें छुपाने लगा है। बेटा गर्लफ्रेंड के बारे में ना सही करियर के बारे में तो डिस्कस कर लिया कर।" राहुल के पापा हंसते हुए बोले।
"वैसे हमारी ही गलती है, जो तुझे डॉक्टर बनने के लिए जबरदस्ती फोर्स किया। तेरा मन तो शुरू से ही सिविल सर्विस में जाने का रहा है और हमने जबरदस्ती तुझे! खैर जो हुआ , अच्छा ही हुआ। अब हम अपने सपने तेरे ऊपर नहीं लादेंगे। जो तेरा मन करता है वह कर। बस बेटा, एक बात का ध्यान रखना। जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव आएंगे । इनसे ना तो तू कभी घबराना और ना निराश होना। जो भी परेशानी हो हमें जरूर बताना। कैरियर, जीवन से बढ़कर नहीं है। परिस्थितियां कभी भी एक सी नहीं रहती। अपनी मेहनत से हम उन्हें बदल सकते हैं। हां थोड़ा समय लग सकता है इसलिए इंसान को हमेशा धैर्य बनाकर रखना चाहिए।"

"ठीक कहा पापा आपने ! मैं वादा करता हूं आप दोनों से कि कभी भी नाकामियों से टूट कर बिखरूंगा नहीं। बल्कि इनसे सीख ले आगे बढूंगा और हां पापा अगर गर्लफ्रेंड बनाऊंगा तो
आपसे जरूर मिलवाऊंगा।"
सुन तीनों खिलखिला कर हंस पड़े।
सरोज ✍️