gudhal ka ped in Hindi Children Stories by Kusum Agarwal books and stories PDF | गुडहल का पेड़

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गुडहल का पेड़


सुबह स्कूल जाने से पहले स्नेहा दौड़ी-दौड़ी बगिया में गई। वह एक खिला हुआ सुंदर फूल तोड़ना चाहती थी।


“वाह! कितने सारे और कितनी प्यारे फूल हैं बगिया में।” बगिया देखते ही उसके मुंह से निकला।


उन फूलों ने भी मानो स्नेहा की बात सुन ली हो। अपनी प्रशंसा सुनकर वे इठला कर खुशी से झूमने लगे। जिससे उनकी सुंदरता और बढ़ गई।


नेहा ने देखा बगिया की एक क्यारी में गुलाब के सुंदर-सुंदर फूल लगे हुए थे तथा कई भंवरे उन पर मंडरा रहे थे।


“ये गुलाब के फूल तो बहुत सुंदर हैं। चलो मैं इनमें से ही एक फूल तोड़ लेती हूं।”


यह सोचकर स्नेहा ने फूल तोड़ने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि वह फूल बोल उठा, “ठहरो, ठहरो! मुझे मत तोड़ना।”


“मगर क्यों? मुझे तुम्हारी जरूरत है।” स्नेहा ने कहा।


इस पर वह गुलाब का फूल बोला,” हम गुलाब के फूल तो बगिया के राजा हैं। देखो हमारे बदन में से कितनी अच्छी महक आती है। यदि तुम्हें फूल ही चाहिए तो तुम दूसरा फूल तोड़ लो।”


स्नेहा ने गुलाब के फूल सूंघकर देखे। सचमुच उनमें से बहुत अच्छी महक आ रही थी। खुशबू पाकर पाकर स्नेहा का चेहरा खिल उठा। गुलाब का फूल समझ गया कि स्नेहा को उनकी खुशबू अच्छी लगी।


वह फिर बोला, “देखो ना हम बगिया में खिले हुए कितने सुंदर लगते हैं। कुछ ही दिनों बाद तो हम स्वयं ही झड़ कर नीचे गिर जाएंगे। फिर तुम हमारी पंखुड़ियों को एकत्र करक गुलकंद, इत्र या गुलाब जल बना सकती हो। हमें जीते जी मारने से से क्या फायदा?”


नेहा को गुलाब के फूल की बात ठीक लगी। उसने सोचा मुझे गुलाब के फूल को छोड़कर दूसरा कोई फूल तोड़ना चाहिए क्योंकि यह तो बहुत उपयोगी है।


उसने फिर देखा एक क्यारी में सदाबहार के फूल खिले हुए थे।


“चलो मैं सदाबहार का फूल ले लेती हूं।” यह सोचकर वह फूल तोड़ने ही वाली थी कि एक सदाबहार का फूल बोला ,


“रुको, रुको। हमें मत तोड़ो। हम तो नन्हे-नन्हे फूल हैं। हमें तोड़ कर भला तुम्हें क्या फायदा होगा? हम तो क्यारी में खिले हुए ही सुंदर लगते हैं। जानती हो हम भी बहुत उपयोगी हैं। हमारा प्रयोग दवा के रूप में भी किया जाता है। मधुमेह के रोग में हमारे फूल खाने से रोगी को फायदा होता है।”


स्नेहा सदाबहार के फूल की बात सुनकर हैरान रह गई। “अरे भाई! यह तो तुमने बड़ी अच्छी बात बताई। मेरे दादाजी को मधुमेह का रोग है। मैं उन्हें कहूंगी कि वह सदाबहार के फूल रोज खाया करें।” वह बोली।


स्नेहा की बात सुनकर सदाबहार के फूल खुश हो गए उन्हें विश्वास हो गया कि स्नेहा उनकी उपयोगिता समझ गई है और अब वह उन्हें व्यर्थ नहीं तोड़ेगी।


“पर मैं क्या करूं मुझे एक फूल की जरूरत है।” वह बोली।


“तो तुम कोई दूसरा फूल तोड़ लो।”


“ठीक है।” कह कर नेहा ने सूरजमुखी के फूलों की ओर कदम बढ़ाया।


“कितने बड़े-बड़े और सुंदर व पीले रंग के फूल हैं। ये तो बड़े मनमोहक लग रहे हैं।” कहकर स्नेहा उनमें से एक फूल तोड़ने ही वाली थी कि सूरजमुखी का फूल बोल उठा, “ठहरो! पहले मेरी बात भी सुन लो। तुम मुझे तोड़ना चाहती हो ना! क्योंकि शायद तुम्हें नहीं पता मैं कितना उपयोगी हूं। मैं बगिया की सुंदरता तो बढ़ाता ही हूं उसके साथ-साथ खाने के काम भी आता हूं।”


“कैसे? मैंने तो किसी को तुम्हारे फूल खाते हुए नहीं देखा।” स्नेहा ने मुंह बना कर कहा।


“हां मैं मानता हूं मेरे फूल कोई नहीं खाता परंतु मेरे बीजों से खाद्य तेलों का निर्माण किया जाता है वह तो सभी खाते हैं ना।”


“हां, स्नेहा ने कुछ सोच कर कहा। मेरी मां भी खाना बनाने के लिए सूरजमुखी के बीजों का तेल ही प्रयोग में लेती है। ठीक है मैं तुम्हें नहीं तोडूंगी। मैं कोई अन्य फूल तोड़ लेती हूं।”


इसके बाद नेहा स्नेहा अन्य कई फूलों के पास भी गई। परंतु उन्होंने भी अपनी-अपनी उपयोगिता स्नेहा को बताई और उसे फूल तोड़ने से मना किया।


सबकी बात सुनकर सुन कर स्नेहा को यह एहसास तो हो गया कि व्यर्थ में फूल तोड़ना बुरी बात है। परंतु अभी तो उसको एक फूल की आवश्यकता थी।


अब मैं कौन सा फूल तोड़ूं? सभी सुंदर और उपयोगी हैं। यह सोच कर वह उदास और चिंतित होकर बगिया से जाने ही लगी थी कि एक गुडहल के पेड़ को उस पर दया आ गई। उसने स्वयं को नेहा पर झुका दिया।


“हट जाओ। मेरा रास्ता छोड़ो। मुझे स्कूल जाने दो। आज तो मुझे स्कूल जाकर टीचर से भी डांट खानी पड़ेगी।” स्नेहा थोड़ी नाराजगी भरे स्वर में बोली।


“मगर क्यों? ऐसा क्या किया है तुमने?” गुडहल के पेड़ ने पूछा ।


“क्योंकि आज टीचर हमें फूल की संरचना के विषय में पढ़ाएगी। उन्होंने हम सबको एक-एक फूल लाने के लिए कहा था। ताकि वह हमें फूलों के सभी अंगों के विषय में किताब से पढ़ाने के साथ-साथ दिखा भी सके।”


“पर यह सब पढ़ने से क्या फायदा होता है?”गुडहल के पेड़ ने हैरानी से पूछा।


“बहुत फायदा होता है और हम से ज्यादा तुम सब फूलों को होता है। यदि हम फूलों की संरचना के विषय में भलीभांति जानेंगे तो ही तो हम तुम्हारी भलाई के लिए कुछ कर पाएंगे। यह सब पढ़कर हम नए-नए प्रयोग कर सकते हैं तथा तुम सब फूलों के जीवन को बेहतर बना सकते हैं।”


“यानी कि तुम कुछ शरारती बच्चों की तरह व्यर्थ में फूल नहीं तोड़ना चाहती थी?”


“बिल्कुल नहीं। बल्कि मैं तो सिर्फ एक ही फूल तोड़ना चाहती थी। आखिर मुझे भी तो पता है फूलों में भी हमारी तरह जान होती है। उन्हें भी सुख-दुख महसूस होता है।” स्नेहा गुडहल के पेड़ से कहा।


“ठीक है तो फिर तुम मेरी डाली पर से एक फूल तोड़ सकती हो। जानती हो फूल की संरचना जानने के लिए गुडहल का फूल ही सर्वश्रेष्ठ होता है ।”


गुडहल के फूल की बात सुनकर स्नेहा खुश हो गई और उसने गुडहलके पेड़ की डाली पर से एक खिला हुआ लाल रंग का सुंदर फूल तोड़ लिया।


अब गुडहल के पेड़ को स्नेहा के फूल तोड़ने का कोई गम नहीं था क्योंकि सबकी भलाई के लिए किसी एक को तो कुर्बानी देनी पड़ती है।


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