“ बड़े धोखे है इस राह में….. “
यह कहानी एक मोहन नाम के लड़के की है। मोहन जिस ऑफ़िस में काम करता था वहां एक लड़की भी काम करती थी। लड़की को इस ऑफ़िस में आए हुए १५-२० दिन हुए थे। ऑफ़िस में काम करते सभी कुंवारो की ख्वाइश थी की काश यह लड़की मुझ से शादी करे। लड़की का नाम जिया था। उसकी खूबसूरती से वो सभी का जिया चुरा लेती थी। कभी किसी की हिम्मत नहीं हुई अपने प्यार का इज़हार करने की। क्योंकि एक तो जिया थोड़ा बिनधास्त स्वभाव की लड़की थी और जरुरत पड़ने पर वो किसी को पीट भी सकती है ऐसा सबको लगता लगता था और दूसरा सभी को अपनी नौकरी प्यारी थी, कहीं जिया ने शिकायत कर दी तो बेकार में बेरोजगार बन जाएंगे। कुछ दिनों तक सभी काम अच्छे से चल रहे थे। सभी लोग एक दूसरे से हसीं मज़ाक करते करते काम कर रहे थे। पर कुछ दिनों से मोहन किसी से ठीक से बात नहीं करता था, जितना काम हो उतनी बाते करके अपनी जगह चला जाता था। चाय हो या खाना या कोई छोटी पार्टी हो मोहन सभी चीजों से दूर ही रहता था। उसके कुछ मित्र ने पूछा भी क्या हुआ है कोई परेशानी? तो वो कहता था कुछ नहीं घर पर थोड़ी परेशानी है।
मोहन के इस व्यवहार से बाकी लोगो के काम पर भी असर हो रहा था और ऑफ़िस का माहौल थोड़ा बिगड़ रहा था। आखिर जिया ने सोचा में बात करके देखती हूँ। जिया मोहन के पास कुछ काम के बहाने गई फिर अचानक से पूछा कोई परेशानी है? मोहन बोला नहीं कुछ नहीं थोड़ी व्यक्तिगत परेशानी है। जिया ने कहा देखो अगर तुम मुझे बताओगे तो शायद में तुम्हारी कुछ मदद कर सकती हूँ। मोहन बोला नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं सब कुछ ठीक हो जाएगा। जिया ने कहा आज शाम ऑफ़िस के बाद हम कॉफ़ी के लिए चलेंगे। मोहन बोला नहीं आज तो बॉस के साथ मेरी मीटिंग है। जिया ने कहा तो कब चलोगे? मोहन बोला एक काम करते है परसो चलते है।
दो दिन बाद दोनों कॉफ़ी के लिए साथ में ही गए। मोहन कुछ बोल नहीं रहा था तो फिर जिया ने ही पूछा आखिर क्या बात हे जिसने तुम को इतना बदल दिया है। मोहन बोला अब क्या बताऊ, तुम इतना पूछ रही हो तो बता ही देता हूँ। मेरे घर से कुछ दूर एक लड़की रहती है हम दोनों पिछले पांच साल से एक दूसरे को जानते है। दोनों में काफी अच्छी दोस्ती भी थी। में खुद ही सोच रहा था की वह लड़की भी मुझे प्यार करती है और इसी भ्रम में रहा की जब भी शादी की बात करूँगा तो हाँ बोल देगी।
पर अफ़सोस, ऐसा हुआ नहीं। जिया बोली कुछ समझ नहीं आया। मोहन बोला कुछ दिन पहले वह लड़की अपने पिताजी के साथ मेरे घर आई थी अपने शादी का कार्ड देने के लिए। जिया बोली ओह यह बात है ? मोहन बोला हाँ बस इसी वजह से थोड़ी तकलीफ़ हुई पर अब में धीरे धीरे इस परेशानी से बाहर आ रहा हूँ। जिया बोली इस में इतना उदास होने की कोई बात नहीं तुम्हें ं ं दूसरी कोई मिल जाएगी। मोहन बोला हाँ कुछ दिन बाद एक लड़की को देखने जा रहा हूँ। मेरे घरवालों ने एक रिश्तेदार से बात की है। जिया बोली यह हुई ना बात, सब कुछ पक्का करके जल्द ही सभी को मिठाई खिलाना।
कुछ दिन बाद जिया ने मोहन से पूछा क्या हुआ तुम लड़की देखने जाने वाले थे ना। मोहन बोला हां गया तो था पर वहां भी कोई बात बनी नहीं। जब हम लड़की के घर गए थे तब लड़की ने कहा में कुछ समय तुम्हारे साथ बिताना चाहती हूँ उसके बाद शादी का फैसला करुंगी। २-३ दिन हम मिले फिर उसने कहाँ में शादी के लिए तो तैयार हूँ पर मेरी कुछ शर्ते है। पहली शर्त यह है की शादी के बाद हम अलग से रहेंगे। शादी के बाद लड़ाई झगडे करके अलग होने से अच्छा है हम पहले ही अलग हो जाए। दूसरी शर्त यह है की हम बच्चे के बारे में कोई जल्दबाजी नहीं करेंगे। तीसरी और आख़िरी शर्त यह है की शादी के बाद भी में नौकरी करुंगी।
मोहन ने जिया से कहा मुझे उसकी तीनों भी शर्त मंज़ूर नहीं थी। मुझे घर को जोड़ने वाली लड़की चाहिए तोड़ने वाली नहीं। में यह भी नहीं चाहता की मेरी पत्नी भी रोज बरोज की भागदौड़ वाली जिंदगी जिए। घर भी सम्भालो ऑफ़िस के काम भी संभालो। इसका असर बच्चे पर भी पड़ता है। जिया ने कहा कोई बात नहीं कोई ना कोई मिल ही जाएगी। मोहन बोला अब तो पक्का मिल जाएगी क्योंकि मेरे घरवालों ने अब तो कसम खा ली है अगले २ महीने में मेरी शादी करवाने की और इसी कारण उन्होंने मेरे गांव के एक रिश्तेदार से बात भी की है, रिश्तेदार ने बताया गांव में २-३ लड़कियाँ है आप लोग आ जाओ तो फिर आगे बात करते है। यह सब सुनकर घर पर तो गांव जाने की जिद्द कर रहे है। २-३ दिन में टिकट भी मिल जायेगी तो १५ दिन बाद गांव जाने का हो सकता है।
जिया बोली इसका मतलब अब जब तुम छुट्टी से वापस आओगे तो बैंड बाजे के साथ ही आओगे। मोहन बोला हां शायद ऐसा ही कुछ समझो। मोहन छुट्टी पर जाने के एक दिन पहले अपना सारा काम अपने सह कर्मचारी को समझा रहा था तब अचानक जिया आई और बोली मोहन मुझे तुमसे कुछ काम है में तुम्हें ं शाम को फ़ोन करती हूँ। करीब ८ बजे के आस पास जिया ने मोहन को फ़ोन किया पूछा हो गयी सब तैयारी? मोहन बोला हाँ चल रही है, यहाँ तो सब ऐसे खुश है जैसे की लंदन जा रहे हो। बताओ क्या काम था मुझसे? जिया बोली फ़ोन पर बताना थोड़ा मुश्किल होगा, कल ट्रेन कितने बजे है तुम्हारी मोहन बोला ४ बजे। जिया बोली तो ठीक है एक काम कर सकते हो कल मिलोगे मुझे सुबह १० बजे ? मोहन बोला ऑफ़िस का कुछ काम हो तो लैपटॉप भी साथ लेकर आता हूँ। जिया बोली नहीं नहीं सिर्फ तुमसे ही काम है।
दूसरे दिन दोनों मिले तब जिया ने सोचा घूमा फिराकर बात करने में कोई मतलब नहीं। जिया ने कहा मोहन मेरी एक सहेली है राधा, एकदम खास सहेली जिसको में अपनी व्यक्तिगत बाते भी बताती हूँ। तुम्हारा यह दिल टूट ना फिर शादी के लिए जो परेशान होना यह सब मेने उसको बताया और तुम यकीन नहीं करोगे धीरे धीरे तुम्हें वो पसंद करने लगी है और तुमसे शादी करने को भी तैयार है। मोहन बोला यह कैसे हो सकता है हम लोग ने एक दूसरे को देखा नहीं कभी मिले नहीं और वो लड़की सीधे शादी के लिए राजी हो गयी। जिया बोली तुम उसे नहीं मिले पर वो तुम्हें देख भी चुकी है और तुम्हारे बारे में सब कुछ जानती भी है। मोहन बोला अच्छा तो तुमने सब बताया होगा और मेरी तस्वीर भी दिखाई होगी। जिया बोली हाँ मे ने ही उसे सब बताया है। मोहन बोला पर में उसे मिले बिना कैसे हाँ कर दूँ ? क्या तुम मुझे उसकी तस्वीर दिखा सकती हो ? जिया बोली नहीं में उसकी तस्वीर नहीं दिखा सकती। मोहन बोला मुझे अभी कोई तो निर्णय लेना होगा क्योंकि गांव जाऊँगा तो फिर वहां तो रिश्ता पक्का हो ही जाएगा। थोड़ी देर बाद मोहन बोला अगर तुम मेरे कुछ सवालों का जवाब दोगी तो में निर्णय ले सकता हूँ। जिया बोली हाँ हाँ पूछो। क्या वो शादी के बाद सभी के साथ मिलकर एक ही घर में रहना पसंद करेगी ? जिया बोली हाँ। मोहन बोला अच्छी बात है, क्या वो शादी के बाद नौकरी करना चाहती है ? जिया ने कहा बिलकुल भी नहीं। मोहन बोला क्या बात है। मोहन बोला आख़िरी सवाल क्या हमारी जोड़ी अच्छी लगेगी और हम दोनों एक दूसरे के साथ खुश रह सकेंगे। जिया बोली जोड़ी तो बहोत बढ़िया होगी और रही बात खुश रहने की वो तो आप दोनों पर निर्भर करता है।
मोहन ने कहा में सिर्फ तुम्हारे भरोसे और तुम्हारे कहने से यह शादी के लिए हाँ कर रहा हूँ। जिया बोली सच ? मोहन बोला हाँ पर अब में उससे मिलना चाहता हूँ। जिया आज नहीं कल किसी अच्छे से होटल में खाने पर मिलते है वहीँ उसे भी ले आती हूँ। मोहन बोला ठीक है अब हमें निकलना चाहिए तुम्हें ऑफ़िस में देरी हो रही होगी और मुझे भी लंदन की तैयारी रोकनी होगी।
रात में मोहन बहोत खुश था वह अपने आप से ही बातें कर रहा था और बोल रहा था जिया में जानता हूँ तुम्हारी खास सहेली कोई और नहीं तुम खुद हो, इसीलिए तो तुमने मुझे उसकी तस्वीर दिखाई नहीं। कोई बात नहीं कल तो पता चल ही जाएगा। मोहन ने सारी झूठी कहानी बताई थी जिया को, ऐसी कोई लड़की नहीं थी जिसको वो ५ साल से जानता था और ना ही किसी लड़की को देखने गया था शादी के लिए। और गांव वाली बात भी झूठी ही थी। यह सब मोहन ने जिया को इसलिए बताया की जिया और मोहन की दोस्ती बढे और फिर जिया मोहन को शादी के लिए हाँ कर दे। मोहन यह सोच रहा था ऑफ़िस में सबको कैसे बताऊंगा की जिया और में शादी कर रहे है। जिया के सपनों में ही खो गया और सो भी गया.
दूसरे दिन एक होटल में जिया और मोहन मिले। मोहन ने पूछा राधा नहीं आई। जिया बोली आएगी वो ऑफ़िस से छुट्टी लेकर आ रही है। जिया बोली बड़े उत्सुक हो उस से मिलने के लिए। और आज एकदम हीरो बनकर आए हो बढ़िया शर्ट, बढ़िया हेयर स्टाइल और जूते भी चमका कर आए हो। यह सब करने की जरुरत नहीं थी लड़की पहले से ही शादी के लिए तैयार है। मोहन बोला नहीं नहीं आज शाम मेरे एक दोस्त की शादी है, अभी खाना खाने के बाद एक दोस्त के घर जाऊँगा वहां बाकी दोस्त आएँगे और फिर हम सब मिलकर शादी में जाएंगे।
मोहन बोला एक काम करो जरा राधा को फ़ोन करके पूछो ऑफ़िस से निकली या नहीं। जिया बोली लगता है अब इंतजार करना मुश्किल हो रहा है और मे यहाँ बैठी हूँ उसका कुछ नहीं। मोहन कुछ बोले उसके पहले जिया ने फ़ोन निकालकर अपने राधा को कॉल किया। मोहन मन में ही बोल रहा था मुझे पता है जिया तुमने किसी कस्टमर केयर में कॉल किया है सभी लोग झूठा कॉल करने के लिए कस्टमर केयर में ही कॉल करते है। जिया ने कहा कॉल नहीं उठा रही है मेसेज कर देती हूँ। ५ मिनट बाद मेसेज का जवाब आया जिया ने कहा देखो उसने कहा है हम खाना खा ले उसे आने में देरी होगी। मोहन बोला थोड़ा रुक जाते है नहीं तो उसे फिर अकेले ही खाना पड़ेगा। जिया बोली क्या बात है बड़ी चिंता हो रही है जनाब को। चिंता मत करो वह खाना खाकर ही आ रही है। मोहन फिर मन में बोला कोई है ही नहीं तो आएगी कहाँ से। खाना ख़तम करने के बाद जिया ने फिर कॉल किया फिर मोहन से बोली आ रही है रिक्शा से उतर गई है।
मोहन अपने मोबाइल में देख रहा था तब अचानक से एक लड़की जिया के पास आकर बैठी। जिया बोली कहा रह गई थी कब से इंतजार कर रहे है। राधा बोली अरे मेरा काम तो कब का हो गया था सारे फाइल ईमेल करने थे पर अचानक कंप्यूटर बंध हो गया था। कंप्यूटर ठीक हो तब तक मे ने खाना खा लिया और तुरंत ऑटो पकड़कर यहाँ आई। जिया मोहन से बोली यहाँ देखो जनाब यह वही है जिसको मिलने आप उतावले हो रहे थे और राधा की और देखकर बोली यह वही है जिसके बारे में तू सब जानती है। राधा बोली ऐसे कौन जान पहचान करवाता है ? जिया बोली ठीक है कर लो आपस में जान पहचान में आइसक्रीम का आर्डर देकर आती हूँ।
दोनों ने एक दूसरे को हेलो किया और फिर मोहन ने राधा से पूछा क्या तुम सच में मुझ से शादी करना चाहती हो? राधा नीचे देखते हुए बोली जिया ने सब कुछ बताया तो है फिर भी पूछ रहे हो। राधा बोली मेरी बात छोड़ो पर तुम मुझसे शादी के लिए कैसे तैयार हो गए? न कभी हम मिले, न कभी कोई बात हुई। मोहन थोड़ा सोच रहा था फिर राधा बोली शादी का इरादा पक्का है ना ? इतने में जिया आई और बोली ओये मेने कहा था ना की मोहन शादी के लिए तैयार है फिर भी तुम पूछ रही हो। मेरे पर विश्वास नहीं है क्या? राधा बोली ऐसी बात नहीं है, जिया बोली रहने दो रहने दो सब समझती हूँ में, ये जनाब आए है तब से तुम्हारी चिंता किए जा रहे है, और तुम्हें ं अपनी सहेली पर विश्वास नहीं है। मुझे भी कबाब में हड्डी बनने का कोई शोख नहीं है जा रही हूँ में। मोहन बोला अरे जिया तुम तो बुरा मान गई। जिया रुकी नहीं और बाय बोल कर चली गई। राधा बोली चिंता मत करो सब नाटक है में उससे बाद में बात करुँगी। २ मिनट बाद फिर जिया आई, राधा बोली अरे तुम अब तक गई नहीं ? जिया मुँह टेढ़ा करके बोली जा रही हूँ में सिर्फ इतना बताने आई थी की मे ने खाने और आइसक्रीम दोनों का बिल भर दिया है।
मोहन और राधा ने थोड़ी देर बात चित की और फिर कुछ समय साथ बिताने के बाद दोनों दरिया किनारे गए। जब दोनों दरिया किनारे बैठे थे तब राधा को फ़ोन आया तो वो उठकर थोड़ी दूर जाकर बात कर रही थी, तब मोहन सोच रहा था लड़की तो सुन्दर है, स्वभाव भी अच्छा लग रहा है और एक पत्नी में होने चाहिए वो सारे गुण भी दिख ही रहे है तो फिर शादी में क्यों देरी हो और ऐसे भी जिया मुझे अपना मित्र मानती है और उसने अपनी मित्रता भी निभाई। राधा फ़ोन ख़तम होते ही बोली घर से फ़ोन था। मोहन बोला तुम अपने घरवालों से बात कर लो अगले रविवार ही हम तुम्हारे घर आते है और शादी की बात को आगे बढ़ाते है। सब कुछ कुशल मंगल हुआ और दोनों की शादी हो गई।
मोहन जिया को धोखे से पाना चाहता था पर उसका नसीब अच्छा था उसके साथ एक प्यारा सा धोखा हुआ और राधा जैसी लड़की मिल गई। धोखे से पायी हुआ कभी ज्यादा दिन नहीं टिकता चाहे फिर वो कोई चीज़ हो या किसी का प्यार। शादी के बाद लड़ाई झगडे सभी पति पत्नी में होती है पर जिनका मन साफ और प्यार सच्चा हो ना उनके झगडे ख़तम भी हो जाते है और धोखे से पाए हुए प्यार में एक के बाद एक राझ खुलते जाते है और फिर झगडे नहीं प्यार का तमाशा बन जाता है।
किसी का प्यार पाने के लिए झूठ बोलने से अच्छा यह है की अपने आप को इस काबिल बनाए की आपका प्यार आपको बड़ी आसानी से मिल जाए।
जय हिन्द
नरेंद्र राजपूत
मुंबई