Prem - 3 in Hindi Fiction Stories by प्रवीण बसोतिया books and stories PDF | प्रेम - दर्द की खाई (अध्याय 3)

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प्रेम - दर्द की खाई (अध्याय 3)

वैसे तो मैंने हिमानी के साथ ही कालेज के सपने देखे थे। मगर मुझे क्या पता था। मेरी प्यारी दोस्त मुझसे दूर हो जाएगी। हिमानी को खोने के बाद मुझे एहसास हुआ। जब कोई अपना दूर होता है तो कैसे लगता है । तीन साल बीत चुके है उस हादसे को। मगर हिमानी की यादें आज भी वैसी ही है। यादों को रोकना किसी भी इंसान के हाथ में नही है। अगर ऐसा सम्भव होता तो कोई भी इंसान पीड़ित न होता। मेरी पढ़ाई ही अब मेरा आखिर सपना है। पापा ने मुझे पढ़ाने के लिए बहुत तकलीफ सहन की है। और आज मैं कालेज में दाखिला लेने जा रही हूं तो सिर्फ अपने पापा की वजह से, मैं जल्दी से LLB की पढ़ाई पूरी करना चाहती हूं। और उन लोगों को गलत साबित करना चाहती हूं जो कहते है लड़कियों का पढ़ना जरूरी नहीं है। और मेरे पापा गर्व महसूस करें। लोग मेरे पापा को वो सम्मान दे जो उन्होनें नहीं दिया। गरीबी में इंसान हर तरह से गरीब होता है। गरीबी किसी अभिशाप से कम नहीं होती है। एक गरीब इंसान को हर तरह के दुखों को सहन करना पड़ता ।और इस बात को मैं अच्छे से जानती हूँ। मैंने अपने पापा का दर्द महसूस किया है मेरी खुशी के ख़ातिर उन्हें लोगों के आगे पैसे के लिए हाथ फैलना पड़ा। सुबह का नाश्ता करके शाम तक पसीना बहा कर काम किया है। उन्हें कभी फर्क नहीं पड़ा मैं लड़की हूँ। उन्होनें मेरा सपना पूरा करना ही अपना लक्ष्य समझा है। उन्हीं की मेहनत से मैं आज कालेज आयी हूँ।

कालेज का पहला दिन- मैंने कालेज में जब कदम रखा तो मैं पूरी तरह घबराई हुई थी। मैंने सुना था। कालेज के senior student नए student की Raging करते है। मैं इन सब से बचना चाहती थी। मैं अपने बैग को लेकर धीरे-धीरे चल रही थी । तभी मुझे किसी ने पीछे से आवाज लगाई। मैं डर गई जब मैंने पीछे देखा ।वो नेहा थी। जो मेरी स्कूल की friend थी जो पिछले वर्ष 12 क्लास की परीक्षा पास करके कालेज आई थी ।वो मेरी senior थी। उसे जब मैंने देखा तो मुझे बहुत अच्छा लगा। वो मेरे पास आई और। थोड़ा मुस्करा कर बोला ,वंदना क्या हुआ इतनी डरी हुई क्यों हो। मैंने धीरे से उत्तर दिया बहन आज मेरा पहले दिन है। तो नेहा बहन बोली तुम कही रेगिंग से तो नहीं डर रही हो। फिर उन्होनें कहा हमारे कालेज में ये सब की अनुमति नहीं है। नेहा दीदी से मैंने अपनी क्लास पूछी उन्होंने ने मुझे अच्छे से समझा कर भेज दिया। मैं उनके बताए हुए रास्ते पर चली गयी। मैंने दिन भर के सभी lecture Attend किये। मुझे बहुत लड़कों ने हेलो कहा दोस्ती करने की कोशिश की मगर मैं लड़कों की दोस्ती अच्छी नहीं मानती थी। आज का दिन कब गुजर गया पता ही नहीं चला। मैं बहुत खुश थी मैं घर आई और सो गई। शाम को मैं उठी ।मैंने पापा के लिए खीर बनाई । क्योंकि पापा को खीर बहुत पसंद है। वो जब भी मेरे द्वारा बनाई खीर खाते है। तो बर्तन को पूरा चाट जाते है उनको ऐसे देख कर मैं हँसने लगती हुँ। पता नहीं वो शायद मुझे हंसाने के लिये ऐसा करते है। और अब मैं पापा का इंतजार करने लगी। मुझे हिमानी की भी याद आने लगी। मैं सोचने लगी अगर हिमानी भी साथ होती तो कितना अच्छा होता। मगर किस्मत को कोई नहीं बदल सकता अगर आपकी किस्मत में खुशियां है तो वो कोई छीन नहीं सकता ,और यदि गम है तो आप कितनी भी कोशिश कर लो आप खुश नहीं रह पाओगे। भगवान श्री कृष्ण जी ने गीता में कहा है। इंसान पिछले जन्म के कर्मों का फल इस जन्म में भोगता है। आप के अच्छे कर्म ही आपके अगले जन्म का सुख निर्धारित करते है। मेरी ज़िन्दगी के ये दुख अवश्य ही मेरे पिछले जन्म के बुरे कर्म का परिणाम है। जो भी इस सृष्टि में जन्म लेता है। उसे हमेशा ऐसे कर्म करने चाहिए जिसे किसी दूसरे को दुख न हो। जो इंसान केवल अपने हित के लिए कार्य करता जिसे दूसरे प्राणी को क्षति होती है ऐसे इंसान हमेशा नरक में झोंके जाते है। लगता पापा आ गए। वो मुझे खुश देखकर बहुत खुश हो रहे थे। वो कहने लगे तू खाना निकाल मेरी बच्ची मैं बस हाथ मुंह धोकर आता हूं। फिर मैंने खाना निकाला। मैंने खाना खाते हुए दिन भर की सारी बातें उन्हें बताई। फिर वो कहने लगे। वन्दू अगर तू शहर कर ही पढाई करेगी तो ज्यादा अच्छा होगा तेरे लिए। क्योंकि रोज- रोज का तेरा बस भाड़ा इतना अधिक हो जाएगा। और फिर तेरी फीस भी तो है। मैंने कहा नहीं पापा मैं आपको छोड़कर कही नहीं जाने वाली एक तो आपकी तबीयत ठीक नहीं रहती और खाना बनाने मैं भी आपको बहुत परेशानी होगी। उनका उदास उदास चेहरा मैं देखकर मैं सोच में पड़ गई। मैं अच्छे से जानती हूं वो अकेले नहीं रह सकते। वो कभी मुझे देख कर मुस्कराते है। और मैं उनसे दूर नहीं होना चाहती। मेरे दिमाग में एक तरकीब आयी और मैं जल्दी से बोली। पापा आप मुझे एक साईकल खरीद कर दे दीजिए। वो गुस्सा हो गए। और बोले तू 10 किलोमीटर साईकल पर जाएगी। मैंने मुस्करा कर कहा हाँ । मुझे कोई परेशानी नहीं है आप भी तो काम के लिए दूर-दूर जाते है। वो बोले मुझे आदत है मेरी बच्ची, तो मैंने कहा ,मुझे भी हो जाएगी। ,आदत, । और मैंने पापा को मना लिया। और उन्होंने मुझे एक गर्ल साईकल दिलवा दी। मैंने साईकल चलाना हिमानी के साथ ही सिख लिया था। पापा की साईकल हम दोनों चलाए करते थे। जब मैं कालेज साईकल लेकर गयी ।तो बहुत लोग मुझे ऐसे देखकर हँसने लगे। मगर मुझे उनके हँसने से कोई फर्क नहीं पड़ता। मैंने अपना पूरा ध्यान अपनी पढाई पर लगा दिया। कुछ दिन बीत गए। फिर एक दिन नेहा बहन मेरे पास आई ।और कहने लगी। वंदना हमारे कालेज में नए Students पार्टी करते है। और कालेज में गाने, डांस,भाषण इन सब का प्रोग्राम किया जाता है। तुम भी भाग लेकर अपना गुण दिखा सकती हो। मैंने नेहा से कहा मुझे गाना पसंद है क्या मैं गा सकती हूं। वो बोली कुछ जो अच्छा लगे। 10 दिन बाद ये प्रोग्राम होगा जब तक अच्छे से सोच और सिख सकती हो। 10 दिन गुजर गए। और वो दिन आ गया जिसके लिए मैं 10 दिन से मेहनत कर रही थी। मैं थोड़ी घबराहट महसूस कर रही थी। कालेज के बहुत लड़के मुझे घूरते थे मगर एक था ।जिसकी आंखें कुछ अलग थी। उनमे शर्म दिखाई देती थी। वो दूसरे साल में पढ़ रहा था। मैं उसकी जूनियर थी। उसकी बहुत सारी लड़कियां फैन थी ।क्योंकि वो एक अच्छा डांसर था। उसका नाम रणवीर था उसके खास लोग उसे वीर बुलाते थे। मैं सोचती थी अगर कभी उसने मुझसे बात करने की कोशिश की तो मैं उसका मुंह लाल कर दूंगी थपेड़ों से। मगर ऐसा कभी नही हुआ। freshar पार्टी में वो डांस करके बहुत खुश था। क्योंकि सभी को उसका डांस काफी अच्छा लगा। मुझे भी उसका डांस काफी अच्छा लगा। जब मैं स्टेज पर गयी। तो उसकी नजरे मुझपर थी। मैं घबरा रही थी। फिर मैंने आंखे बंद कर ली और । कृष्ण जी को याद किया। और आंखें धीरे से खोल कर गाना शुरू किया। जो लोग शोर मचा रहे थे वो सभी चुप हो गए। और अपने कानों को बंद करके बैठ गए मेरे गाने पर सिर्फ रणवीर ने तालियां बजाई । उसके सिवा मेरा गाना शायद किसी को अच्छा नहीं लगा। और में शर्म से स्टेज से भागी। नेहा बहन मेरे पास आई मैं उस वक़्त रो रही थी ।वो मुझे कहने लगी ।अगर तुम्हें गाना नहीं आता था। तो कोई कविता ही सुना देती। । मैंने नेहा दीदी से कहा आपको भी मेरा गाना अच्छा नहीं लगा। आपके के कहने पर ही मैंने गाने की सोची। और सिर्फ एक लड़के ने मेरा गाना सुना। नेहा दीदी कहने लगी तुम रणवीर की बात कर रही हो। मैंने कहा हां। दीदी। नेहा दीदी मुझे प्यार से समझाती हुई बोली देख वंदना तू बहुत भोली है। तुझे कुछ नहीं समझ इंसान कैसे है इस दुनिया में। तुम बस रणवीर से दूर रहना। वो बहुत बड़े बाप का बिगड़ा हुआ बेटा है।लड़कियां उसके लिए सिर्फ एक खिलौने से ज्यादा कुछ नही है। वो बहुत सी लड़कियों से खेल चुका है। मैंने कहा दीदी वो मुझे हमेशा देखते रहता है। दीदी बोली वो सबके साथ ही ऐसा करता है। मगर तू उसकी तरफ ज्यादा ध्यान न देकर अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो। मैंने दीदी की बात मान ली और फिर हमेशा ही रणवीर को नजरअंदाज करना शुरू कर दिया। 6 महीने गुजर गए। मुझे पता ही नही चला वक़्त का ,एक दिन नेहा दीदी ने मुझे एक काम का मौका दिया उन्होंने मुंहे एक जॉब करने के बारे में पूछा। वो पार्ट टाइम काम था। मैंने हां कर दिया।

(अब तक आपने जो पढ़ा ,वो सब वंदना की नोट बुक से लिया हुआ है उसकी आगे की कहानी हु। मैं आपको सुनाता हूं।)

वंदना ने जॉब के लिए हां कर दी। पर वो एक बार आने पापा से पूछना चाहती थी उसके पापा को मनाना उसके लिए बिल्कुल आसान था। उसके पापा मान गए। और फिर उसने एक मेडिकल की शॉप पर काम करना शुरू कर दिया । इस बात का रणवीर को भी पता चल गया। वो वंदना की परवाह करता था उसके बाद वो वंदना का रक्षक बनकर उसके पीछे गांव तक आता था मगर वंदना रणवीर उसके प्यार को एक एक झूठ समझ रही थी क्योंकि नेहा की बातों से वंदना के दिल में रणवीर के लिए नफरत पैदा हो चुकी थी। वो उसे हमेशा गुस्से से देखती। जब वंदना घर जाती तो,रणवीर उसके पीछे होता और वो ये सब देख लार रणवीर को गुस्से से देखा करती। रणवीर सिर्फ इस लिए उसके पीछे जाता क्योंकि उस रास्ते पर कुछ लफंगे लड़के घूमते थे। रणवीर बस वंदना को सुरक्षित रखना चाहता था। रणवीर वंदना को सच्चे दिल से चाहने लगा था ।तो दूसरी तरफ वंदना बस यही सोचती बिगड़े बाप का बिगड़ा बेटा। एक दिन वंदना की साईकल की चैन उतर जाती है।वो वंदना नही लगा पा रही होती और अब रणवीर उसके पास जाता है। चैन लगा देता है। परंतु वंदना उसे थैंक्यू बोलने की बजाए ओर बुरा भला सुना देती है। वो कहती है। तुमने क्या समझ रखा है खुद जिसे चाहे उसे अपना बना सकते हो ,क्योंकि तुम बहुत पैसे वाले हो ।तुम मुझसे दूर रहो। ये ही अच्छा है, और ऐसे पीछे आकर क्या साबित कर रहे हो। रणवीर उसकी बात सुनता रहता ।और थोड़ा सा मुस्करा कर चल देता है जब वो अपनी मोटर-साईकल के पास जाता है उसकी आँखों में आंसू होते हैं। रणवीर को मालूम नहीं था। वंदना उसे इतनी नफरत करने लगी है। पहले वर्ष की परीक्षा नजदीक थी ।और रणवीर ने कालेज आना बन्द कर दिया। क्योंकि वंदना उसे देख कर गुस्सा होने लगी थी। अब रणवीर नही चाहता था ।वंदना उसके लिए कुछ भी महसूस करें। अब वो उसे गांव तक भी छोड़ने नहीं जाता । रणवीर ने अपने किसी आदमी को उसका ध्यान रखने को बोल दिया था। ये कैसा प्यार था। वो नहीं जानता था। मगर उसने खुद को समझाया । वो तरह-तरह की हरकतें करता। शराब पीता और अकेले में बैठ कर दीवार पर सिर रख कर बातें करता रहता, वो एक ईंट खड़ी कर देता और उसे वंदना समझता और बातें करता। उसका ये पागलपन देख लोग उसपर हँसने लगे ।एक दिन एक आदमी ने पूछा तू ईंट से क्यों बात करता है। रणवीर शराब के नशे में था। उसने कहा मुझे मेरी वन्दू सब जगह नजर आती है। इस ईंट में भी। आदमी सोचने लगा। शायद कोई पागल है और वो पागल बोल कर जाने लगा। तो रणवीर उसे आवाज लगाता है। सुन तूने क्या बोला अभी। आदमी कहता है पागल को पागल बोला है वो कहता है मंदिर देखा है ।आदमी बोलता है हां देखा है। फिर रणवीर पूछता है। मंदिर में भगवान देखे है। आदमी कहता है हां देखे है मैं रोज मंदिर जाता हूँ दर्शन करने। रणवीर उसे कहता है चल तो मुझे भी दिखा। आदमी बोलता है मेरे पास इतना समय नहीं। तुम खुद ही जाकर देख लो। रणवीर पांच सौ रुपए उसके सामने रखता है और कहता है अगर तूने मुझे भगवान दिखा दिया ।तो ये पांच सौ रुपये तेरे हो जायेंगे। आदमी को लालच आ जाती है। पैसा देख अच्छे -अच्छे लोग भी अपने रास्ते से उतर जाते है। आदमी बोलता है ठीक है जाते वक्त रणवीर आदमी से पूछता है तुम रोज मंदिर क्या करने जाते हो। आदमी उसकी बात सुनकर हँसने लगा ,सोच ने लगा क्या पागल टकरा है। वो बोलता है। मैं भगवान की पूजा करने जाता हूँ। और साथ ही ये भी बोल देता हूँ। भगवान मेरे बच्चों को खुशियां दे। रणवीर कहता है बस इतना ही बोलते हो। आदमी बोलता है। इतना ही बहुत है रणवीर सुन लेते है क्या आपकी बात जो भी तुम भगवान से कहते हो। आदमी बोलता है सच्चे दिल से कुछ भी मांगो तो भगवान सुन लेते है। अगर तुम भी कुछ मांगना चाहते हों तो मांग सकते हो। वो दोनों मंदिर के पास पहुँच जाते है। आदमी बोलता है। तुम मंदिर के अंदर मत आना । रणवीर मगर क्यों। आदमी बोलता है तुमने शराब पी रखी है। मैं तुम्हें दूर से ही दिखा देता हूँ। रणवीर बोला कहा है भगवान । आदमी बोला वो देखो सामने है रणवीर सामने देखने लगा। और कहने लगा मुझे तो कोई भगवान नहीं दिख रहा। वो आदमी बोला 500 रुपये नहीं देने तो न दो। में चलता हूं। रुको -रुको कही तुम वो सामने रखा पत्थर उसे तो भगवान नहीं कह रहे हो। आदमी बोला हां अब समझ गए। लाओ 500 रुपये जल्दी से, रणवीर बोला तो तुम इस पत्थर के सामने बोल कर जाते हो , मुझे और मेरे बच्चों को खुशी देना। तुम सही हो और मैं पागल ।मैं जब पत्थर से बात कर रहा था तुमने मुझे कहा तुम पागल हो और तुम भी तो पत्थर से बात करते हो ,तुम क्या हो। जितने सच्चे दिल से तुम भगवान से बात करते हो, उतने ही सच्चे दिल से मैं उस पत्थर से बात करता हूँ। तुम भगवान समझ कर बात करते हो । मैं अपनी वन्दू समझ कर बात करता हूं। अगर मेरी आवाज वन्दू तक नहीं जाती है तो मैं पक्का कहता हूँ। तेरी आवाज भी भगवान नहीं सुनता होगा। दुनिया के कण- कण में भगवान विराजमान है मेरी वन्दू में भी होंगे। ईंट और शिवलिंग में भी। तो भगवान मेरी बात क्यों नहीं सुन रहे। आदमी बोलता है। मैं चलता हूँ। रणवीर हां तुम जाओ। ये लो पांच सौ रुपये ,बाकी की बातें मैं शिवलिंग से ही कर लूंगा। आदमी चला जाता। फिर कुछ दिन बीत जाते है। वंदना उसे जब भी देखती नफ़रत से देखती। कुछ दिन बाद वंदना को पता चलता है। रणवीर ने कालेज छोड़ दिया है। उसे काफी खुशी होती है। काफी तंग आ चुकी थी । पूरा एक वर्ष बीत गया ।रणवीर ने बाल लंबे कर लिए। उसके माता-पिता बहुत परेशान हो गये। आखिर उनके बेटे को ये क्या हो गया है। वो उसे साधु संत के पास ले गए। मगर कोई भी उसे ठीक नहीं कर पाया । जिस इंसान पर प्यार का भूत हो उसे दूसरा कोई भूत क्या पकड़ेगा। और वो सिर्फ वंदना ही ठीक कर सकती थी। मगर ये मुमकिन नहीं था। रणवीर प्यार के दर्द में पागल होने लगा। क्योंकि उसने कभी दुख तकलीफ नहीं देखी थी। अमीर माँ बाप का इकलौता बेटा था। जिसकी किस्मत में दुख दर्द है वो तो मिलने ही है। वो उस दर्द को कम करने के लिए शराब पी लेता ।मगर जैसे ही उसका नशा कम होता फिर उसे वो तकलीफ तड़पाने लगती। उसने खुद को कमरे से जैसे कैद कर लिया हो। वो कमरे से बहार नहीं आता। उसकी माँ उसके लिए खाना भी उसके कमरे में ही लेकर जाती। माँ उसकी ऐसी हालत देख कर बहुत रोने लगी। भगवान से दुआ करने लगी। वो रणवीर के पापा से बात कर रही थी। रणवीर माँ और बाप का प्यारा बेटा है। रणवीर की माँ डरते हुए ।अपने पति से बोलती है। सुनते हो हम रणवीर को कुछ दिनों के U S A इसके मामा के घर भेज देते है। उसके पापा इस बात के लिए मना कर देते है। वो अपनी पत्नी से कहते है। हमारा बेटा इस वक़्त जैसा भी है हमारी नज़र के सामने है। आज नहीं तो कल ये ठीक हो ही जाएगा। वो उसकी शादी की योजना बनाते है। शायद शादी से कुछ बदलाव हो जाये। और रणवीर को बिना बताए लड़की वालो को बुला लेते है। लड़की वाले घर में बैठकर चाय पीते हुए कहते है अपने बेटे को बुला लीजिए काफी देर हो गयी है रणवीर के पापा बोलते है आ रहा आप बस थोड़ा सा और इंतजार कर लीजिये। रणवीर की माँ रणवीर को बहार आने के लिए मना रही होती है रणवीर अपनी माँ पर गुस्सा होता है। वो कहता है कम से कम आप लोगों को मुझे एक बार बताना चाहिए था या नहीं। उसकी माँ कहती है हम जानते है बेटा हमने तुझे नहीं बताया। देखो बेटा अगर तुम बहार नहीं गए। तो तेरे पापा का नाम खराब होगा। कृपा करके बहार आ जाना । रणवीर कहता हैं। मैं अगर बहार आया तो पापा की शायद ज्यादा नाम न ख़राब हो जाये। और ऐसा ही होता हैं जैसे ही रणवीर बाहर आता है। लड़की वाले उसे देखकर ।बोलते है। ये आपका बेटा है। रणवीर के पापा बोलते हैं हां जी ये मेरा बेटा है। वो कहते है। इसकी हालत देखो ऐसा लगता है जैसे सीधा जेल से रिहा हुआ हो। आपके बेटे से अगर हमारी बेटी की शादी हो गयी तो उसकी जिंदगी तबाह हो जाएगी। माफ कीजिये हमें ये रिश्ता नहीं करना। किसी भी रिश्ते से बात नहीं बनती तो उसके पापा उसे U S A भेजने को तैयार हो जाते है। वो उसे एक सप्ताह में अमरीका भेजना को कहते है। रणवीर की माँ की बातों से उसके पापा को एक उम्मीद नजर आती है। वो कहती है। मैं अपने बेटे को यूं पल-पल मरता नहीं नहीं देख सकती वो रोती- रोती बेहोश हो जाती है। जब उसे होश आता है। तो वो कहती है। सुनिए जी आप समझने की कोशिश तो कीजिए। अमेरिका जाकर क्या पता इसका मन बदल जाये। और ये पहले जैसा हो जाये। रणवीर के पापा थोड़ा सोचने के बाद बोलते है ठीक है मैं इसके भेजने की तैयारी करता हूँ। उसके मामा -मामी अकेले हैं उनकी कोई भी संतान नहीं है सब कुछ तैयार होता है रणवीर के पापा उसके मामा जी को फ़ोन पर बात करके रणवीर के बारे में सब कुछ बता देते है उसके मामा जी बात सुनकर कहते है आप फिक्र ना करे ।जीजा जी मैं उसका अच्छे से ख्याल रखूंगा ।उसका दिमाग काम व्यस्त1 कर दूँगा वो कोई दूसरी बात याद नहीं कर पायेगा। मामा की बात सुनने के बाद ।उसके पापा रणवीर को अमेरिका भेज देते है।