Episode 3
(सोलंकी और राठौड़ मेंन होल में है, रायहोद सोफे के एक बाजु खड़े है ओर सोलंकी उनकी दूसरी ओर खड़े है ओर दोनों photos देेख रहे है।)
सोलंकी: सर ये wounds के फोटोस देख के तो यही लग रहा है कि यातो गन शॉट है या फिर स्टेबििंग। डॉदिक्षित को ऑटोप्सी रीपोर्ट लाने को बोला है लेकिन उन्हो ने कहा के थोड़ा वक्त लगेगा।
राठौड़: सोलंकी, वक्त ही तो नही है हमारे पास।
सोलंकी: माहित है सर, पण काई करुण शकत। PM रिपोर्ट में अपनी घाई भी तो नही चलेगी ना।
राठौड़: I Know Solanki, But I cant Wait.
सोलंकी: सर , जानता हु, हमे भी आप जीतनी ही जल्दी है, हमने भी अपना एक ऑफिसर गवाया है।
राठौड़ (फोटोस में देखते हुए): सोलंकी, ये घाव देख के ऐसा लगता है कि किसी ने स्टेब कर के चाकू को anti clock wise घुमाया है।
सोलंकी: हो सकता है सर, लेकिन इस पूरे घर को दो बार स्केन किया है, लेकिन ऐसी कोई चीज़ नही मिली जिस से ये कह सके कि यही वो वेपन है।
राठौड़: सो हम ये theory पर काम कर सकते है को खूनी ने पहले प्रदिप को स्टेब किया, फीर सुमित को रॉड जैसी भारी चीज़ से हमला किया और फिर दोनो चीज़ों को साथ मे ले जाकर के उसे डिस्ट्रॉय किया।
सोलंकी: अगर सब इतना सोच के किया तो बाहर रखे दो व्हिस्की के ग्लास , और खुद का माने खूनी का तीसरा ग्लास किचन में से मिला उसे कैसे जस्टिफाई करेंगे। सब ले के गया तो उसका खुद का ग्लास भी पूरा साफ करदेना चाहिए था ना।
राठौड़: (सोचते हुए) हम्म। thats make us confuse.
(उसी वकत राठौड़ का फोन बजता है)
राठौड़(फोन उठा के): yes डॉ दिक्षित, कहा पहोचे.. अच्छा निचे आ चुके है , जा तो जल्दी आ जाइये, .... (सामने से कुछ कहा जाता है) अच्छा... ठीक है
Come fast.. जी। (फोन रखता है और सोलंकी को देख कर) डॉ दीक्षित नीचे आ चुके है , पहोच जो रहे है, उन्हें रिपोर्ट्स में कुछ अजीब मिला है और वो यही आके बताना चाहते है।
सोलंकी(थोड़ा टेन्स हो कर) : ऐसा क्या होगा ?
राठौड़: क्या पता। लेट सी।
(वही पे दो दीक्षित घर में एनटर करते है)
डॉ दीक्षित: मि राठौड़, आप के लिये यकीन करना थोडा मुश्किल होगा लेकिन (Reports कि file निकाल के राठौड़ के हाथ मे देते है और..) cause of death पर नजर डालिए।
(राठौड़ cause of death के खाने में नज़र डालता है और उसकी आंखें चोंक ने के मारे बड़ी हो जा ती है और दीक्षित को देख कर ) ...
राठौड़: Are you serious?
दीक्षित: Absouletly.. 100 perecnt sir.
सोलंकी: ऐसा क्या है सर.?
(राठौड़ file सोलंकी को देता है, सोलंकी उसे पढ़ता है एयर उसकी हालत भी राठौड़ जैसी ही जो जाती है और उसके मुंह से कुछ गाली निकल जाती है)
सोलंकी: बे@#$!%.. ये क्या? (अपनी गलती का एहसास होते ही दोनों को देख कर..) sorry सर. लेकिन ये possible है?
राठौड़: exectly डॉ दीक्षित, फिर से पूछ रहा हु, are you sure, कोई गलती तो नही है ना?
दीक्षित: बिल्कुल नही सर। मेने कम से कम दो बार चेक किया है , मेरे असिस्टेंट मेरे साथ ही थे, they also shoked after knowing this। हालांकि ये सब हमारे लिए रूटीन है लेकिन प्रदीप इस बिट यंग फ़ॉर धिस।
सोलंकी: हा सर, करीब 35 के आसपास की उम्र है.. मतलब थी. उस मे पेसमेकर?
राठौड़: में भी यही सोच रहा हु? इतनी यंग एज में पेसमेकर ? ये वही device है ना जो कमजोर दिल को सपोर्ट करता है अच्छे से चलने के लिए?
दीक्षित: बिल्कुल सही। हालांकि हमने एसे केसिस देखे है जिन में यंग एज के लोगो को पेसमेकर लगाया गया हो। लेकिन एक पोलिस ऑफिसर को पहेली बार देखा।
सोलंकी: (रिपोर्ट में देख के..) इस मे लिखा है " the cause of death is Malfunction of Pacemaker". इसका मतलब कोई टेक्निकल एरर से कुछ??
दीक्षित: बिल्कुल सही, सर्किट फट गई.
राठौड़ : लेकिन कैसे? मतलब human body me फिट कि गई एक device ऐसे कैसे burst हो गई? Is इट practically possible?
दीक्षित: yes, Practically possible मि राठौड़. आप शायद जानते ही होंगे कि हर eletric equipment electric radiation से प्रभावित होता है, यहा इस केस में भी वही हुआ है, एक powerful electric jurk प्रोड्यूस हुआ और circuit over heat हो जाने से फट गई जिस से हार्ट पंचर हो ने से प्रदीप की मौत हुई।
सोलंकी: लेकिन यहा ऐसी कोन सी चीज़ थी जिस से इतना powerful electric jurk प्रोड्यूस हुआ और... (दीक्षित बीच मे से..)
दीक्षित: थी। वो चीज़ थी प्रदीप का फोन।
(सोलंकी और राठौड़ शोक हो जाते है)
सोलंकी: what?
राठौड़: यार डॉ साब , आप झटके पे झटके दे रहे हो।
दीक्षित:(जरा सा मुस्कुरा कर) अब जो मुजे मिला है वही तो बताऊंगा न सर। और वैसे भी सर, हम सब को पता है कि मोबाइल का इलेक्ट्रिक रेडिएशन कितना होता है।
(सोलंकी ओर राठौड़ सहमति में सर हिला ते है)
राठौड़: that means, किसीको पहले से पता था की प्रदीप को पेसमेकर लगा था और इसी लिए उसे कोल किया गया जिस से इलेक्ट्रिक जर्क प्रोड्यूस हुआ और प्रदीप...(ज़रा सोच कर) that means , every thing was planed, some one created this accident to kill प्रदीप। सोलंकी इन दोनों की हिस्ट्री निकालो।
सोलंकी: सर बेसिक इन्फॉर्मेशन निकाल ली है।
राठौड़: गुड़, and डॉ दीक्षित, वह फिंगरप्रिंट्स का क्या हुआ?
दीक्षित: हा वो दो ग्लासिस जो बाहर से मिले थे उनमेसे बट ऑब्वियस एक प्रदीप के और एक सुमित के है लेकिन जो तीसरा ग्लास किचन से मिला उसको उसीकी व्हिस्की से साफ किया गया है जिस से वो आधे आधे से है , पूरे साफ नही है इसी लिए उसे ट्रेस करने में थोड़ा time लगेगा।
राठौड़: ठीक है। आप जहा लगे वहा rechek कर सकते है और if possible वो तीसरा प्रिंट कैसे भी कर के निकाल के दे।
दीक्षित: I will try my best.
राठौड़: Thank you. और ये रीपोर्टस में रख सकता हु?
दिक्षीत: हा बिल्कुल, मेरे पास मेरी सॉफ्ट कॉपी है ये आप रखे। में चलता हूं, तीसरा प्रिंट कैसे भी कोशिश करके आपको सबमिट करता हु।
राठौड़: यस, प्लीज़ , थैंक यू।
(दीक्षित घर से बहार निकल जाते है)
राठौड़( रिपोर्ट्स को देखते हुए ,..) : सोलंकी , ये टाइम ऑफ डेथ पर नज़र डालो. ( सोलंकी टाइम ऑफ़ डेथ पर नज़र डालते है)... सोलंकी, वो फुटेजिस ओर एन्ट्री रजिस्टर का क्या हुआ?
सोलंकी: हा सर, दोनों चीज़े अभी आ जाएंगी, दरअसल उनमेसे किसी मे किसी प्रकार की टेमपरिंग तो नही है वो चेक करवा रहे थे, रघु लेके आता ही होगा।
राठौड़: ओके, वो आता है तब तक दोनों का ब्रीफ दीजिये।
सोलंकी: जी सर, प्रदीप पिछले 12 सालों से पोलिस डिपार्टमेंट में थे , साउथ मुम्बई के किसी भी क्रिमिनल्स के लिए वो एक शैतान जैसे ही थे, सब की अच्छी खासी फटती थी उनसे और खास कर के स्मगलरस की।
राठौड़: स्ट्रेंज कॉन्फ्लिक्ट।
सोलंकी: बिल्कुल, लेकिन उसके पीछे इनका कुछ ऐसा इतिहास भी है।
राठौड़: क्या?
सोलंकी: तीन साल पहले पुश्तैनी ज़मीन और खेती बाड़ी सब सुख के रेगिस्तान हो गया क्यों कि पिछले 5 एक सालो से महाराष्ट में सूखे जैसी हालात है।
राठौड़: हम्म। फिर?
सोलंकी: ये सब होने से वो आर्थिक रूप से टूट गए थे। पोलिस की तनख्वा से घर मे चूला ही जलता था उसपे कुछ पका नही सके ।
राठौड़: और इसी वजह से वो स्मगलर्स के साथ जुड़ गया। जिस के नाम से उनकी फटती थी जब वोही उनसे मिल जाये तो धंधा पुरबाहर से खिलेगा।
सोलंकी: बिल्कुल। और खिला भी। हर लैंडिंग पे कुछ पर्सेंट कमीशन ले कर के वो पुश्तेनी ज़मीन भी खरीदी और साथ मे करोड़ो की कीमत के शेरस, डिबेंचर्स, कुछ एक दो फार्म हाउस सब खरीद के अपने सगो के नाम करदिया है।
राठौड़: ओर सुमित का क्या है?
सोलंकी: सर उसकी किताब कोरी है। उसके मा बाप 2006 के बहाड में चल बसे , तब उसने कस्टम जॉब की exam जस्ट पास करी थी। Rank ओर Performance अच्छा था इस लिए जॉब मिल गई। पांच सालों से जॉब कर रहा है।
राठौड़: कोई दाग?
सोलंकी: अब तक तो नही।
(उसी वक्त शिवा लेप टॉप ओर रजिस्टर लेके आता है, ओर लेपटॉप ओपन कर के वो फुटेजिस दिखता है, वो देख कर के राठौड़ की आंखे चमक ने लगती है)..
राठौड़: सोलंकी, ये देखो (कह के उस ने जो देखा वो दिखता है , सोलंकी देख कर शोक हो जाता है और राठौड़ की तरफ देख कर..)
सोलंकी: मतलब हम सही रास्ते पे है।
राठौड़: बस अब डॉ नेहा और सुमित के आने की देर है।
(उसी वक्त डॉ नेहा सुमित को लेकर घर के दरवाजे पर आते है और..)
डॉ नेहा: Good afternoon gentlemen.
राठौड़ और सोलंकी (दो नो साथ मे): Good afternoon Doctor.
राठौड़ और सोलंकी( सुमित को): Good afternoon Sumit.
सुमित: Good afternoon to Both of You.
राठौड़: How You Now?
सुमित: Better, इन्फेक्ट I Am Fine.
राठौड़: Than lets celebrate.
(डॉ नेहा थोड़ा चोंक जाती है लेकिन सोलंकी समाज जाता है और राठौड़ की बात में साथ देता है..)
सोलंकी: हा हा, तबियत सुधरे और उसमे भि मौत को मात दे कर वापस आ सको तो पार्टी तो बनती है बोस, ओर वो भी रूखी सुखी नही।
सुमित: मतलब?
सोलंकी: मतलब , ड्रिंक ट्रीट के सिवा छोड़ेंगे नही।
सुमित: हा बट , में पिता नही।
राठौड़: अरे, सब लोग यही राग अलाप ते है लेकिन शौक़ीन सब होते है।
सुमित: हा लेकिन में सही में नही पिता।
राठौड़: अच्छा, तो आप ने ड्रिंक प्रदीप के साथ लिया नही और उसी वक्त उसे खत्म किया नही। Right?
सुमित: क्या? मतलब क्या है आपका?
राठौड़: (रजिस्टर दिखाते हुए) इसके मुताबिक तुम रात को यह 10:15 बजे आये , (ऑटोप्सी रिपोर्ट दिखाते हुए) और इसके मुताबिक 10:45को सुमित की मौत हुई या कह सकते हैं की उसका खून हुआ। cctv फुटेजिस के हिसाब से भी 8 से लेके 10:14 मिनिट तक आप के आने से पहले इस बिल्डिंग के गेट में कोई घुसा नही है तो क्या ये इतना सटीक नही बैठता के आपही ने प्रदीप को मार है?
नेहा: मि सुमित, इनका डाउट गलत तो नही ही है। जो कुछ मालूम है सब सच बता दो। वो ही बेहतर रहेगा ।
सुमित: सच ही बता रहा हु और आगे भी सच हि कहिंग लेकिन उसका कोई फायदा नही होगा ऐसा मुजे अब लग रहा है।
सोलंकी: मतलब?
सुमित: मतलब ये की में 10:15 बजे यहा आया वो बात एकदम सही है, 8 से 10:14 के फ्रंट गेट के cctv में कोई दिखा नही वो भी सच हीं है, क्यों कि रजिस्टर में मेरी साइन के पहले आखरी साइन लगभग 7:28 की थी। जो आप ने भी देखा है। लेकिन इस बीच कोई आया ही नही ये अर्ध सत्य भी तो हो सकता है?
सोलंकी: कैसे ? हमने पूरी बिल्डिंग को दो दो बार सकें किया है और ऐसा कोई निशान नही मिला जो ये प्रूव करे कि पीछे के रस्ते से कोई आया या गया हो।
राठौड़: और जिस तीसरे बंदे की बात तुम कर रहे हो , जिस ने तुमपर हमला किया वो भी नही दिखा और जैसे सोलंकी ने बताया पिछले रास्ते से किसी के जाने के या आने के कोई निशान नही मिले।
सुमित:(मुस्कुराके) . सही में? इन दिनों सर्दियां चल रही है, मॉनसून नही के किसी के आने जाने के फुट मार्क , या टायर मार्क्स या ऐसा कुछ भी मिले। और दूसरी बात ड्रिंक्स कि, तो हा मेने उसके साथ ली जरूर थी लेकिन पी नही थी। उसने insist किया तो मैने पेग भरवाया लेकिन पिया नही। और तब ही वो कोल आया और फिर वो हादसा हुआ। और अगर मेने पिया होता तो में आप को बता दु की कोई दोस्त लोग या मीटिंग में बैठ के कोल्ड ड्रिंक भी पीते है तो खत्म होने में कम से के। 10 से 15 मिनिट लगते है क्यों कि साथ मे बात चित होती है। ये तो फिर भी ड्रिंक्स थे। अंदाज लगा दीजिये।
नेहा: इनका तर्क बेज़लेस तो नही है सर।
सुमित: (नेहा को देख कर) मेने कहा था न मेंम, मेरे जवाब पे इनको कितना विश्वास होगा ये नही पता।
राठौड़: चलो, आपके इस पॉइंट को कंसीडर करता हु। तो इतना बता दो प्रदीप को किसने मारा?
सुमित: मुजे कैसे पता होगा सर? मुझपे भी तो एटेक हुआ है।
राठौड़: ok. मि सुमित आपका रेकॉर्ड काफी साफ सुथरा ओर अच्छा रहा है अब तक। तो फिर आप उनसे यह उनकी bribe accept करने के लिए क्यों आये?
सुमित: Bribe तो एक बहाना था। में उनके प्लान को जान ने आया था।
सोलंकी: प्लान? मंजे याव्यतिरिक्त काही आहे का?
सुमित: हो। खूब मोठा प्लान। खतरनाक मिशन।
राठौड़: क्या प्लान ? कोनसा मिशन?
सोलंकी: माने ये लेंडिंग के सिवा भी ये सब नाटक चल रहा था। ?
सुमित: हा। लेंडिंग्स तो सिर्फ मोहरा थे, एक तरकश, ओरिजिनल प्लान तो कुछ और ही था और unfortunetly प्रदीप इसमें जुड़े थे।
राठौड़: क्या प्लान था, कोनसा मिशन?
सुमित: मुम्बई सिरीयल ब्लास्ट, 26/11, 07/11, 09/11 अमेरिका और मालेगाव के बाद अब बारी थी हजीरा बेल्ट , सूरत की 16 december को।
(नेहा , राठौड़ ओर सोलंकी तीनो चोंक जाते है)
राठौड़: हजीरा बेल्ट ही क्यों।?
सुमित: पांच से छे नेशनलाइज़ कम्पनिया एक कतार में, कुल मिलाके पांच -छह लाख करोड़ का बिजनेस बेल्ट, तकरीबन तीन से चार लाख एम्प्लाइज, और पूरा 70 लाख की बस्ती वाला इकोनॉमिक हब सूरत , पलक जबकते ही धुंआ धुंआ... World trade center से भी शायद दुनिया का नाज़ी homicide के बाद का दूसरा होमिसाइड एक्ट। आर्थिक और मानवीय दोनों।
(तीनो की बुद्धि सुन्न हो जा ती है और कुछ पल के बाद..)
सोलंकी: कोन है इसके पीछे।?
सुमित(उसके चहेरे पे डर की लकीर सी बनजाती है और आंखों में भी भय दिखने लगता है): स्मगलिंग की दुनिया का अद्रश्य राजा और अलकायदा का हिडन स्पोर्ट...(आगे कुछ बोले उस से पहले... )
राठौड़ (गुस्से से दांत दबाते हुए और थोड़ा सा चोंक कर): गुलाम मुर्तुज़ा अली।
अब सुमित की बारी थी चोंक ने की। साथ ही में सोलंकी ओर नेहा भो भौचके बन गए सब के मन मे एक ही बात एक ही साथ आई कि राठौड़ गुलाम को कैसे जानता है? उन सब की नज़रों की भाषा को समझ कर ..
राठौड़: पिछले 4 सालो से उसके पीछे पड़ हु। साला इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स, जुते, कपड़े, से नही रुका ड्रग्स, हथियार तक सब की स्मगलिंग करता है। उसके तीन चार लैंडिंग को तो मैने पकड़ा और पैनी नज़र रखी इसलिए मुम्बई और पूरे इंडिया में पिछले एकाद साल से हल्का हुआ है। लेकिन पता नही था कि साला टेरेरिस्ट को भी मदद करता है.. मा@#$%.. (नेहा को देख कर के थोड़ा शर्म से..) pardon for my lenguage. (सुमित को देख कर के) और इसीलिए आप माने नही।
सुमित: बिल्कुल सर, मानता हूं कि पैसा कमाना जरूरी है, सब को पसंद है क्यों कि जरूरी है लेकिन इस के लिए किसीको मार देना, इतना बड़ा होमिसाइड करना मुजे सही नही लगा,मुजे क्या किसीको नही लजीना चाहिए । पता नही क्यों प्रदीप.. (आंखे थोड़ी नम हो जाती है)..
सोलंकी: लेकिन 16 दिसंबर ही क्यों?
राठौड़: (सोलंकी को देख कर).. विजय दिवस.. (फिर सुमित की तरफ देख कर) हेना?
सुमित: हा। एक किस्म से पाकिस्तान का उनके भारत मे रहने वाले कुत्तो से लेने जाने वाले उनका बदला।
सोलंकी: सर, we have to inform state defence immidiatly.
राठौड़: offcaurse, I will do it. पहले सुमीत कोनन्दर रूम में लेके जाओ थोड़ा रेस्ट करवाओ। और हा सुमित तुमने जो भी कुछ बताया है वो पड़ा ही sensitive metter है, एक परसेंट भी गलत निकला तो तुम कितना बुरा फसोगे यह तुम्हें नही पता।
सुमित: पता है सर, इस केस की sesntivity ओर seriousness जनता हु इसीलिए मेरा जुठ बोलने का सवाल ही नही है। बस इस मिशन को abolish करने के लिए आप को जल्द से जल्द कालरा को पकड़ना होगा।
सोलंकी: कालरा?
सुमित: हा। गुलाम का राइट हेंड। पूरा ऑर्गेनाइज़ेशन वो ही करता है। प्रदीप ने बताया था सब।
राठौड़ : ठीक है। पहले अब आप आराम कीजिये। अब भी बहुत कुछ आना बाकी है।
(सोलंकी सुमित को अन्दर के कमरे में ले जाता है और उसे बेड पे सुक देता है। और शिव को वही बैठने को बोल के दरवाजा बंद कर के वापस बहार आता है और तुरंत ही राठौड़ सोलंकी की और देख कर के थोड़ी धीमी सी आवाज में...)
राठौड़: Find कालरा. क्विक।
सोलंकी: सर.(कह कर गेलेरी की और जाता है और आने फोन से एक के बाद के नंबर जोड़ना शुरू करता है वही पे राठौड़ नेहा की तरफ देख कर के उनसे..)
राठौड़: so डॉ नेहा। क्या कहना है आपका।?
नेहा(अब तक जो सब खामोशी से सब देख रही थी और सुमित को सुन रही थी उसने अपना मंतव्य देना शुरू किया): आप ने जैसे कहा था मेने रूटीन चेक अप किया जिसमें सब नॉर्मल ही दिखा है लेकिन यह जब आप उनसे सवाल कर रहे थे और वो जवाब दे रह था तब मैंने उसकी बॉडी लैंग्वेज, आंखों के रेटिना मूवमेंट , हाथो की उंगलियों की मूवमेंट और पैरों की स्थिति को देखा जिस से ये पता चलता है कि उसे खुद ही नही मालूम कि वो जो जवेब दे रहा है उस मे क्या ओर कितना सही और क्या ओर कितना गलत है ? वो वास्तविक सच और काल्पनिक सच के बीच मे फर्क नही कर सकता। या कह लो कि उसे सच और जुठ के बीच का फर्क नही पता चलता , खुद उससे अनजान है, जिसे हम साइकोलॉजिकल टर्म में "Pseudologia Fentastica" या फिर "Mythomenia" कहते है और सिम्पल भाषा मे कहे तो " पैथोलोजिकल लायर"।
सोलंकी: ऐसा भी कोई रोग होता है? पहले कभी सुना नही डॉक्टर।
नेहा: हा, जुठ बोलने का रोग जिसमे रोगी को खुद को ही नही पता होता के वो जुठ बोल रहा है। और ऐसे केसिस बहोत कम मिलते है।
राठौड़: So we can go for Narco...
नेहा: Dont even think about it राठौड़ साब. क्यों कि इस केस में सबसे पहेले तो हमे यही साबित करना होगा कि सुमित जुठ बोल रहा है जो हम कर नही पाएंगे क्यो की वो जो कह रहा है वो उसके सब कॉन्शियस माइन्ड से मेसेज मिलता है।
नंबर 2 और इसी कारण की वजह से Narco में जब sodium pentethol इंजेक्ट करेंगें तो हो सकता है कि इसकी एडर्वस इफेक्ट हो ओर सुमित का न्यूरोसिस्टम डेमेज हो जाये। ऐसा हुआ तो हम..
राठौड़: सुमित को खो सकते है।
नेहा: बिल्कुल।
सोलंकी: ओर इस केस में सुमित ही एक कड़ी है जो सब को जोड़ कर हमें हमारे केस के prime Suspect गुलाम तक पहोचा सकता है।
राठौड़: हम.. तो डॉ नेहा। आप की क्या राय है?
नेहा: जो वो कह रहा है उसे सकें करे , जांचे ,नापे , छांटे और फिर उसमें से जो कुछ सही पकड़ में आये उसके रिगार्डिंग आगे बढ़े।
राठौड़: हम्म... मतलब अब इस सत्य असत्य के भेद के चक्रव्यू में सुमित अभिमन्यु बन कर फस चुका है और इस अभिमन्यु को हमे निकाल ना है उसी के जवाबो में से हकीकत को ढूंढ के। (नेहा की और देख ता है और नेहा हा में सिर हिलाती है तब तक सोलंकी के फोन पे कुछ मेसेजिस आ चुके थे)